मजदूर दिवस मजदूर : अविरल Poem on Mazdoor Diwas in Hindi
मजदूर दिवस
मजदूर:अविरल
सृजन कर्ता तू ही है।
निर्माण करता तू ही है।।
जेठ की दुपहरी तपती धूप में।
डट कर खड़े होने वाला तू ही है।।
कप कपाती ठंड में भी।
तुझसे ही यह श्रम है।।
हर कदम तेरा स्तंभ जाता है।
एक-एक कदम को जोड़कर बहुत दूर मंजिल तय कर जाता है।।
देश को तरक्की की राह की ओर ले जाता है।
नए-नए भौतिकता वादी युग को खड़ा कर जाता है।।
प्रगति और प्रयोगवाद तेरी इर्द-गिर्द घूम रहे हैं।
मार्क्सवाद का सिद्धांत भी तेरे अनुसार चल रहा है।।
आज तेरे ही कर्मों से यह देश और विदेश बन रहे हैं।
नई-नई अट्टालिकाओं का शहर दर शहर खड़ा हो रहा है।।
प्रगतिवाद भी तेरा वर्णन कर रहा था।
प्रयोगवाद में भी हर जगह तेरे ही पक्ष और विपक्ष दिखाई दे रहे हैं।।
पूरी दुनिया में तेरे ही दम पर निर्माण कार्य चल रहा है।
तेरे श्रम के आगे हर तुच्छ कुछ नजर आ रहा है।।
यह दिवस तेरे श्रम के योगदान पर चर्चा कर रहा है।
डिजिटल से लेकर लेखनी कलम तक बोल रहा है।।
तेरी सदा जय हो जय हो।
तू ही निर्माण कर्ता है।।
तू ही श्रृजन कर्ता है।
इस धरा के लिए तू ही विश्वकर्मा है।।
डॉ राम शरण सेठ
छटहाॅं मिर्जापुर उत्तर प्रदेश
स्वरचित मौलिक
अप्रकाशित सर्वाधिकार सुरक्षित
Read More और पढ़ें:
0 टिप्पणियाँ