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नारी सशक्तिकरण पर कविता : मॉं और विधवा बेटी का संबंध

Nari Sashaktikaran Par Kavita : मॉं और विधवा बेटी पर कविता



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नारी सशक्तिकरण : विधवा महिलाओं पर कविता


नारी सशक्तिकरण
मैं और मेरी कविता का संबंध
मॉं और विधवा बेटी का है

मॉं बेटी को अलंकारों से
भूषित करना चाहती,
उसके जीवन रस का
संचार करना चाहती,
उसे छंदलय के स्वरों से
उसकी कोमल आवाज में,
माधुर्य गुण को जगाना चाहती।

विधवा बेटी मॉं को समझाती है
क्यों मॉं मेरे लिए व्यथित हो?
तुमने सधवा हो कर जीवन में
क्या सुख उठाया है ?
चार बेटियों और एक बेटे का
भार अपने सिर पर उठाया है,
उनसे आतप सिर को झुकाया है।

मॉं बोलो एक फूल सी बच्ची का
शीलहरण होते तुमने देखा,
दबंगों ने एक बच्ची का
अपहरण कर कहां छिपाया है
दहेज लोभी नरभक्षियों ने
एक को जिंदा जलाया है।
भाई को आतंकवादी बनाया है।

मॉं विधवा हूं तो क्या हुआ
तुम्हारा साया तो मैंने पाया है
तुम्हारी हर चिंता में, हर साॅंसों में,
तुम्हें शब्दों के जालों में
मैंने बॉंध, ठंडी बयार दी,
तुम्हारे घावों में मलहम लगाया है,
तुम्हारे ऑंसुओं में गंगा जल पाया है।

मॉं बेटी का यह पावन रिश्ता
नारी सशक्तिकरण की रूपधारा है।

____डॉ सुमन मेहरोत्रा
मुजफ्फरपुर, बिहार

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