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बाँझपन एक कलंक क्यों? बांझपन पर कविता शायरी Banjhpan Ek Kalank Kyon Poem Hindi

बाँझपन एक कलंक क्यों? नारी उत्पीड़न पर कविता

बाँझपन एक कलंक क्यों ???
एक औरत माँ बने तो जीवन सार्थक
अगर माँ न बने तो जीवन ही निरथर्क,
किसने कहा है ये, कहाँ लिखा है ये,
कलंकित बोल-बोल जीवन बनाते नरक।

नारी पर अत्याचार कविता

बाँझ बोलकर हर कोई चिढ़ाते,
शगुन-अपशगुन की बात समझाते।
बंजर ज़मीं का नाम दिया है मुझे,
पीछे क्या, सामने ही मेरा मज़ाक़ उड़ाते।

नारी अस्मिता पर कविता

ममत्व का पाठ मैं भी जानती,
हर बच्चे को अपना मानती,
कोख़ से जन्म दूँ, ज़रूरी नहीं,
लहू का रंग मैं भी पहचानती।

आँचल में मेरे है प्यार भरा,
ममता की मूरत हूँ देख ज़रा,
क़द्र जानूँ मैं बच्चों की,
नज़र से मुझे ज़माने न गिरा।

महिला अपमान पर कविता

कलंक नहीं हूँ इतना ज़रा बता दूँ,
समाज को एक नया पाठ सीखा दूँ,
बच्चा न जन्म दे सकी तो क्या,

समाज पे बराबर का हक़ मैं जता दूँ।
समाज पे बराबर का हक़ मैं जता दूँ।


Nilofar Farooqui Tauseef
FB, ig-writernilofar
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