Ticker

6/recent/ticker-posts

औरतों के हक़ पर शायरी महिलाओं अधिकार पर शायरी Shayari On Women's Rights

नारी सशक्तिकरण पर शायरी - Poetry On Women Empowerment In Hindi

एक तमाचा
एक तमाचा अगर माँ दे तो,
जीवन की सीख।
एक तमाचा अगर पिता दे तो,
सत्य-असत्य का पाठ।
एक तमाचा अगर भाई दे तो,
समाज में जीने का सलीक़ा।
एक तमाचा अगर बहन दे तो,
सही और ग़लत सिखाने का तरीक़ा।
एक तमाचा अगर पति दे तो,
हक़, अधिकार, परमेश्वर का रूप।
एक तमाचा अगर पत्नी दे तो,
बदचलन, आवारा, बेग़ैरत, जहन्नमी।
बात नहीं है सिर्फ़ एक तमाचा की।
बात है यहाँ हर रोज़ के तमाशा की।
ख़ामोशी का जवाब तमाचा,
अधूरा बचा हिसाब तमाचा।
ज़ुल्म की इंतहा तमाचा।
क़ैद की रिहा तमाचा।
ख़ुश्क समन्दर तमाचा।
लहरों का बवंडर तमाचा।

नारी सशक्तिकरण पर कविता, शायरी और स्टेटस औरतों के हक़ पर शायरी

Shayari On Women's Rights - Poetry On Women's Empowerment

Shayari On Women's Rights - Poetry On Women's Empowerment

एक औरत का हाथ उठाना अगर ग़लत है।
एक मर्द को हाथ उठाकर मर्दानगी दिखाना भी ग़लत है।
Nilofar Farooqui Tauseef
Fb, IG-writernilofar

क़ीमत सिंदूर की, उम्र भर चुकाती रही— सिंदूर की क़ीमत शायरी

क़ीमत सिंदूर की
नारी होने का आस्तित्व निभाती रही।
क़ीमत सिंदूर की, उम्र भर चुकाती रही।

पिता का घर छोड़, पति संग पराई हुई,
मायका बना परदेस जब से ब्याही हुई,
सूना करके आँगन, उड़ गई चिड़िया,
क़ैद हो गयी है फिर, या रिहाइ हुई।

नयनों में आँसू लिये, मुस्काती रही।
क़ीमत सिंदूर की, उम्र भर चुकाती रही।

जीवन की पगडंडी न जाने किस ओर लायी।
पति से आज्ञा लेकर, अपने पिता से मिलने आयी,
अच्छी बहू, भाभी, पत्नी और माँ बनने का सफ़र,
एक जन्म नहीं, सात जन्म तक निभायी।

मन की पीड़ा, दिल में छुपाती रही।
क़ीमत सिंदूर की, उम्र भर चुकाती रही।

दर्द भी सहे, दुख भी काट लिया,
उफ़्फ़ क्या करते, ख़ुद से ख़ुद को बाँट लिया।
संस्कार है ये, रिश्ता उम्र भर निभाना है,
टूटी शाख़ बन, सूखे पत्तों को छाँट लिया।

क़दमों में जन्नत है मेरे, बोलकर ख़ुद को बहलाती रही।
क़ीमत सिंदूर की, उम्र भर चुकाती रही।
क़ीमत सिंदूर की, उम्र भर चुकाती रही।
नीलोफ़र फ़ारूक़ी तौसीफ़
Nilofar Farooqui Tauseef
Fb, IG-writernilofar
Read More और पढ़ें:

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ