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कांच ही बांस के अंगना में मड़वा : मड़वा निपाई विवाह गीत

कांच ही बांस के अंगना में मड़वा : मड़वा निपाई विवाह गीत

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Kaanch Hi Bans Ke Madwa : Madwa Nipai Vivah Geet

लगन आ गइल बा, एगो भाव सादर प्रस्तुत बा

कांच ही बांस के अंगना में मड़वा,
हरियर खर्ह से छवाय।।
ताहि मड़वा बइठेली मिथिलाकुमारी,
संगवा में श्रीरघुराय।।

सोने के कलसा में गंगा के पानी,
ताहि परे अमुआ के पात।
चानी के ढ़कनी में घीउआ के दियरा,
मड़वा के बीच उजियात।

गाई के गोबर निपेली नउनिया,
गज मोती चउका पुराय।
ताहि मड़वा बइठेली मिथिलाकुमारी,
संगवा में श्रीरघुराय।।

बाबाके बगिया के अमुवा की पीढ़िया,
हरदी से दग दग पीत।
फहरेला गगन में झंडा पताका,
अंगना में बरखे सुभीत।

लागेला अनुपम मड़वा के सोभा,
लखि तीनो लोक लुभाय।
ताहि मड़वा बइठेली मिथिलाकुमारी,
संगवा में श्रीरघुराय।।

पीयरी पहिरि बइठे राजा जनकजी,
सीता के होला कन्यादान।
घरवा में सुसुकेली रानी सुनयना,
बिधना के कइसन बिधान।

मंत्र उच्चारेलनि बिदजन ब्रह्मामण,
सुरजन फूल बरसाय।
ताहि मड़वा बइठेली मिथिलाकुमारी,
संगवा में श्रीरघुराय।।
अमरेन्द्र
आरा
22 April 2022

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