शादी पर कविता Shaadi Kavita Marriage Poetry in Hindi Wedding Poem
आज का विषयः शादी
शादी है सामाजिक बंधन,
सृष्टि को आगे बढ़ाने को।
सृष्टि को ही आगे बढ़ाकर,
सभ्यता शिष्टता सीखाने को।।
शादी के होते अनेक मंतव्य,
कुछ समझते बढ़ाना आबादी।
कुछ के होते अलग मंतव्य,
शादी से छिन जाती आजादी।।
अविवाहित शादी को तरसते,
खुशनसीब शादी से सरसते।
बदनसीब भाग्य को कोषते,
आपस में ही खूब हैं बरसते।।
कुछ समझे बुढ़ापे का सहारा,
सुन्दर जिनका जीवन प्यारा।
सरल सहज जीवन बीताकर,
दोनों दूजे के आँखों का तारा।।
शादी का होता उच्च स्थान
संस्कृति बनता या बिगड़ता।
पत्नी होती संस्कृति का जड़,
पत्नी से ही संस्कार निखरता।।
अरुण दिव्यांश 9504503560
शादी मुबारक शायरी Shadi Ki Shayari
कन्यादान पर कविता | Poem On Kanyadan In Hindi
शीर्षक: वीरान
दिनांक: 14 दिसंबर, 2022
दिवा : बुधवार
दानों में दान महादान है होता,
पोषी पाली बेटी का कन्यादान।
कन्यादान होते बेटी होती परायी,
सारा जग ही तब लगता वीरान।।
घर में लगता जैसे कोई नहीं है,
घर भी लगता फिर सूना सूना।
लगे जैसे सब छिन गया मुझसे,
खुशी में भी दु:ख है गहरा दूना।।
नाते रिश्तेदार भी घर भर भरे,
जिनमें सुहाता तब कोई नहीं है।
प्राकृतिक परम्परा संतुष्टि देता,
रीति-रिवाज भी हमारा यही है।।
अपरिचित से रिश्ता है जुड़ता,
बढ़ जाता आपसी यह संबंध।
जब होती है बेटी की ये बिदाई,
बढ़ जाता यह मानसिक द्वंद्व।।
एक तो होती बेटी की बिदाई,
तत्क्षण संबंधी भी होते विदा।
बेटी की बिदाई तत्क्षण भूलते,
धीरे धीरे उनसे भी होते जुदा।।
धीरे धीरे गम का घाव भरता,
जब फोन से होता बेटी से बात।
तब मिलता है दिल को संतुष्टि,
शुकुन से नींद भी आती है रात।।
पूर्णत: मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।
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