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काम होय चाहे न होय लेकिन सरकारी नौकरी हमरे पास होय : हास्य व्यंग्य कविता

हास्य व्यंग्य कविता : काम होय चाहे न होय सरकारी नौकरी होय

742वाँ व्यंग्य- कविता
काम होय, चाहे न होय।।
लेकिन सरकारी नौकरी,
हमरे पास होय,
तोहरे पास होय,
सबके पास होय।।
बस यही चाहत है सबकी।।


कसम से
सरकारी नौकरी की
बात ही कुछ और है।।
जोकि प्राइवेट नौकरी में नाही है।।
उसमें तो दिन रात काम करवाते हैं
और कचूमर निकाल लेते हैं।।🤪

सरकारी नौकरी से
बड़ा सुकून रहता है।।
जिंदगी आराम से
कट जाती है।।
सरकारी नौकरी की तो बात ही कुछ और है।


हर तरफ खुशहाली,
हर तरफ हरियाली,
न कोइनो देखने वाला,
न कोई टोकने वाली।।🤪


तनख्वाह k अलावा,
ऊपरी इनकम अलग से,
कानूनी शक्ति k अलावा,
धौंस जमाने की सुविधा अलग से।।🤪


काम करौ, चाहे न करौ,
एक तारीख को तनख्वाह पक्की,🤪
और क्या चाहिए आदमी को।।



इसी k लिए ही तो लोग
सरकारी नौकरी ढूंढते हैं।।


कोई घोटाला हो जाए,
या कोई गड़बड़ी हो जाए,
या काम नियम k खिलाफ हो जाए,
और आदमी नौकरी से निकाल दिया जाए।।

तो सरकार अपने ही खिलाफ
मुकदमा दर्ज कराने की
उत्तम व्यवस्था भी देती है।।

खींच ले जाओ विभाग को,
कोर्ट, हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट
कहीं भी।।

पूरी सुविधा है।।🤪


और क्या चाहिए आदमी को।।🤪

इसी k लिए ही तो लोग
जी जान से पढ़ते लिखते हैं।।
सरकार से नौकरी मांगते हैं।।
आरक्षण का भी सहारा लेते हैं।।

शादी वादी में कीमत भी बढ़ जाती है।।🤪
और क्या चाहिए आदमी को।।

बस इतना ही चाहिए।।


नौकरी न मिली
तो कभी कभी
आत्महत्या भी कर लेते हैं।।🤪

किसके लिए ??

सिर्फ और सिर्फ सरकारी नौकरी k लिए।।

मिले तो बस सरकारी नौकरी ही मिले।।
किसी का काम हो चाहे न हो।।
लोग दौड़ें, तो दौड़ते रहें।।
घूस दें, तो काम हो
वर्ना न हो।।

न अधिकारी से कोई मतलब,
न सरकार से कोई मतलब।।

बस अपना काम बनता,
भाड़ में जाए जनता।।🤪🤪

जय हे कर्महीन कर्मचारियों!
आप सबों की जय हो!

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(आज की व्यंग्य कविता एक सरकारी स्कूल के ऑफिस में जाने k बाद बनी)🤪

जय हिंद
जय हो सुव्यवस्था k नाम पर दुर्व्यवस्था की🤪

742वाँ नमन🙏- पंछी प्रतापगढ़ी
8353974569/7379729757
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