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Happy Diwali Wishes: दीपावली पर विशेष प्रस्तुति, एक दिप विश्वास का, जब खुशी के दिप जले

जब खुशी के दिप जले : दीपावली पर लघुकथा Story On Diwali In Hindi

जब खुशी के दिप जले
दिवाली के कुछ दिन पहले एक कल्लु शराबी के बेटे की बहुत तबीयत ख़राब हो जाती है। कल्लु दिन भर 300 रुपये की मज़दूरी करता शाम को 200 रुपये की शराब पीता 100 रुपए बच्चों को, खाने। दिन ऐसे आने लगे कल्लु के आठों बच्चे भूखे मरने लगे। कल्लु के बच्चे की तबीयत इतनी खराब होने लगी कि गांव के डॉक्टर ने मना कर दिया। शाम को जब कल्लु मजदूरी से बापस आया तो कल्लु के दोस्त ने कहा तेरा बेटा मर रहा है चलो उसको डॉक्टर की जरूत है। आज तुम शराब नहीं पिओगे तो मर नहीं जाओगे, और रास्ते में मरने लगोगे तो हम शराब तुम्हें देगें।
दोस्त की बात मान कल्लु सिटी के डॉक्टर के पास चला जाता है। वहाँ सिर्फ़ 200 रूपए की दवाई में कल्लु का बेटा सही हो जाता बाकी बचे 100 रोज की तरह कल्लु खाने का सामान लाता रात ज्यादा हो जाने के पर बिना शराब पिये कल्लु सो जाता। थकान ज्यादा होने पर कल्लु को अच्छी नींद आई दूसरे दिन कल्लु फ़िर मजदूरी पर जाता बापस आता तो देखता उसके छोटे बेटे को बहुत तेज बुखार है। खाना खा कर कल्लु सीधा गांव के डॉक्टर के पास जाता और 50 रुपए की दवाई लाता। इस बार उसकी 6 नंबर की बेटी भी साथ जाती। रास्ते में बेटी रोने लगती पापा हमें तो नया सूट चाहिए दीवाली आने वाली है।सबके नये नये कपड़े आय गये। आप हमें कभी नहीं दिलाते आज हम घर कपड़े लेकर जायगे कल्लु बेटी को नये कपड़े दिलाता है। खुशी से फुले नहीं समाते कल्लु के घर वाले 2 दिन से शराब नही पी थी। और बेटी को नये कपड़े बेटे को सिटी के डॉक्टर के पास दिखा लाये। रात को कल्लु शराब की दुकान पर गया तो वहाँ उसको उधार शराब नहीं मिली दोस्तो ने पैसे देने से मना कर दिया। घर पर कुछ बचा न था बेचने को गुस्से में कल्लु सो गया। सुबह जब मजदूरी पर जा रहा था तभी उदास स्वर में बड़ी बेटी ने पूछा पापा आज हमें नया शूट दिलाओगे क्या दीवाली आ रही है। बेटी का उदास चेहरा कल्लु को आंधर से तोड़ कर रख देता है।बिना कुछ बोले ओर चला जाता है।काम करते करते दोस्त से बोलता है हमें शराब छोड़ना है। आज हमारे घर में एक टाइम का खाना नहीं है बच्चे भूखे मर रहे है दान के कपड़ों में जी रहे है। दीवाली से पहले खुशी के दीप जलाने है। दोस्त बोलता बकबास न करो। काम करो 2 दिन बिना शराब के रह नहीं पता ओर चला प्रवचन करने। पहले सबको कपड़े ले कर तो दिखा।
कल्लु को दोस्त की बात सुन बहुत बुरा लगा और उसने नियम लिया आज से शराब नहीं पियेंगे ओर दोस्त से बोला हमें 5000 रुपए कपड़े की दुकान पर उधार करा दो आज पहले सबको कपड़े लेना है और पैसे तू काम मे काट लेना दोस्त देने से मना कर देता बोलता जितना लिया वो दे पहले फिर बाद में लेना दो दिन में कोई शराब नहीं छूटती। कल्लु कुछ नही बोलता है अपने पैसे ले सीधा चला जाता और बड़ी बेटी और छोटी बेटी कपड़े रोज एक एक बच्चे कपड़े लाता सब खुशी खुशी रहने लगे और दीवाली के पहले पेट भर खाना खाने लगे आज दीवाली है। जब खुशी के दिये जले तो आज खूशी कुछ और थी।
प्रतिभा जैन
टीकमगढ़ मध्यप्रदेश
Story On Diwali In Hindi

एक दिप विश्वास का : दीपावली पर लघुकथा Story On Diwali In Hindi

एक दिप विश्वास का
दीवाली के कुछ दिन पहले एक शराबी का बेटा बीमार हो गया गांव में दिखाया पर आराम नहीं मिला।सुबह सुबह जैसे ही शराबी मजदूरी पर निकल रहा था तो उसकी पत्नी रोते हुए बोली आज तुम्हारे हाथ जोड़ रही हु कल हमें बेच देना पर आज पैसे बचा कर ले आना बेटा बहुत बीमार है। तुमनें कुछ नहीं छोड़ा हमारे लिए आज कोई पैसे देने को तैयार नहीं है? बिना कुछ बोले शराबी घर से निकल जाता है। पर उसकी पत्नी को विश्वास का कोई दिप जलते नज़र नहीं आ रहा था?शाम हुई शराबी घर आया और पैसे पत्नी को दिये बोला अभी चली जा और बेटे को दिखा ला हम कल फिर मजदूरी पर जायेंगे। शराबी की पत्नी को एक विश्वास हुया की मेरा बेटा अब सही हो जायेगा। जैसे ही डॉक्टर के पास पहुचती है डॉ दवाई लिखता बेटा थोड़ा सही लगता पर दूसरे दिन की दवाई का कोई भरोसा न था पर शराबी दूसरे दिन भी पैसे पत्नी के हाथ में देता अब चारों और विश्वास का दिया जलने लगा धीरे-धीरे बेटा सही होने लगा 10 से ज्यादा दिन हो गये शराबी ने शराब को हाथ भी नहीं लगाया। दीवाली का दिन था दिप जलने वाले थे।शराबी की पत्नी ने एक दिया विश्वास का जला दिया इतने दिन से मेरे पति ने शराब को हाथ नहीं लगाया अब आगे भी नहीं लगाये गे।हँसी खुशी से दिप जले।
प्रतिभा जैन
टीकमगढ़ मध्यप्रदेश
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