Happy Diwali Shayari | Diwali Shayari In Hindi दिवाली शायरी
राह-ए-मन्जिल दिखाते चलो!
सब की हिम्मत बढाते चलो!
दीपावली पर शेर शायरी
यारो!, "दीपावली" आ गयी!
मन के दीपक जलाते चलो!!
झूठ से दूर हो जाओ, तुम!
सच की गंगा बहाते चलो!!
हाथ से हाथ ही न मिले!
दिल से दिल भी मिलाते चलो!
यारो!, मजलूम हैं जो, उन्हें!
तुम गले से लगाते चलो!!
उन को अपने कलेजे से तुम!
सिद्क-दिल से लगाते चलो!!
हिन्दू,मुस्लिम, किरिस्चन व सिख,
सब को इनसां बनाते चलो!!
एक-इक आदमी को यहाँ,
नेक इनसां बनाते चलो!!
यारो! अपने वतन हिन्द को,
खूब-सूरत बनाते चलो!!
जोत से जोत हर एक पल!
साथियो! तुम जगाते चलो!
शर्म कुछ तो करो, दोस्तो!
लड़कियों से लजाते चलो!
सिर्फ खुश्यो में तुम क्यो हंसो ?!
गम में भी मुस्कुराते चलो!!
जजबा-ए-इश्क जाहिर न हो!
यूँ मुहब्बत छुपाते चलो!!
खाना-ए-दिल न खाली रहे!
तुम किसी को बसाते चलो!
आये आहे न लब पर कभी!
सोज-ए-उल्फत छुपाते चलो!
लाख तूफान दिल में उठे!
सब को तुम दबाते चलो!
"मन"-व-"तू" का न झगड़ा रहे!
अब तो झगड़ा मिटाते चलो!
प्यार, चाहत की बाते करो!
मन की गंगा बहाते चलो!
इस जहाँ के मुसलमानों को,
हक की जम्जम दिखाते चलो!
इश्क-व-उल्फत की बातें करो!
दिल की शम्मे जलाते चलो!
खामुशी मौत का नाम है!
शोर हर पल मचाते चलो!
बन के बाद-ए-सबा "राम" तुम,
गुन्चा-ए-दिल खिलाते चलो!
डाक्टर रामचन्द्र दास प्रेमी राज चंडी गढी
द्वारा डॉक्टर जावेद अशरफ़ कैस फैज अकबराबादी मंजिल,डाक्टर इनसान प्रेमनगरी कम्पाऊनड,डॉक्टर खदीजा नरसिंग होम, रांची हिल साईड, इमामबाड़ा रोड, रांची-834001
शुभ दीपावली शायरी Deepawali Shayari Poem 2021
दिवाली शायरी : Happy Diwali Shayari In Hindi | Diwali Shayari Hindi Me
जो उजाला है लाई दीवाली
मेरे यारो को भाई दीवाली
देख कर दोस्तो की दीवाली
मैंने भी है मनाई दीवाली
देख कर दुश्मनों की दीवाली
मैंने अपनी दिखाई दीवाली
दोस्तो को खिला रही है आज
रौशनी की मिठाई दीवाली
हाथ से हाथ,दिल से दिल भी मिले
सब ने ऐसे मनाई दीवाली
रात भी दिन की तरह लगती है
साथ उजाले को लाई दीवाली
सब अंधेरे मिटाने की खातिर
साथ उजालो को लाई दीवाली
दीपो के रूप में मेरे यारो
सब जगह जगमगाई दीवाली
सब घरों तक उजाला पहुंचेगा
ये उजाला है लाई दीवाली
कुमकुमो से सजे हुए हैं घर
सब घरों में समाई दीवाली
हो मुयस्सर उजाला यारो को
ये उजाला है लाई दीवाली
दीप के बदले दिल जलाके यहाँ
मैंने भी है मनाई दीवाली
कुछ पटाखे,अनार,बम,बारूद,
सब जला कर मनाई दीवाली
आज शब इश्क और वफा की शमा
मैंने भी है जलाई दीवाली
दिल जला कर मिठाइयां खा कर
हमने भी है मनाई दीवाली
शम्ओ की शक्ल में सनम मेरे
सब जगह जगमगाई दीवाली
दुश्मनो को गले लगाया मैंने
ऐसे मैंने मनाई दीवाली
दोस्तो,दुश्मनों से मिल लो आज
अच्छा मौका है लाई दीवाली
यारों ये रात भर की है दुल्हन
ये उजाला है लाई दीवाली
लोगो रावण से जीत कर आये
रामो-लछमन को भाई दीवाली
'कैस' वीराने में जलाया 'दिल'
ऐसे उस ने मनाई दीवाली
रामो-बिस्मिल प्रेमनाथ को भी
जह्न और दिल से भाई दीवाली
'कैस' वीराने में जलाया दीप
उसको भी तो है भाई दीवाली
राम,सीता,भरत, वगैरा को
दोस्तो खूब भाई दीवाली
दश्तो-सहरा में शम्मे रौशन की
'कैस' ने भी मनाई दीवाली
'राम' 'इनसान' 'दिल' वगैरह को
हर जहाँ में है भाई दीवाली
कैस, जावेद, फैज,अशरफ़ को
क्यो पसन्द आई,भाई दीवाली
राम भगवान मुस्कुराते हैं
जब मनाती है 'माई' दीवाली
फिर मुसर्रत के अश्क आँखों में थे
दीपो में मुस्कुराई दीवाली
लोगों का हाल है बड़ा खस्ता
लोगों को फिर रुलाई दीवाली
है विषय चिन्ता का, जुआ में ही,
पत्नी हर वाई, भाई दीवाली
आ गया दौर कैसा? ऐ रामा
खुद-ब-खुद ही लजाई दीवाली
दोस्तो! हम भी याद रक्खेंगे
इस बरस क्या मनाई दीवाली
शायर : डॉक्टर इनसान प्रेमनगरी,
द्वारा डॉक्टर रामचन्द्र दास प्रेमी राज चंडी, डॉक्टर जावेद अशरफ़ कैस फैज अकबराबादी मंजिल, डॉक्टर खदीजा नरसिंग होम, रांची हिल साईड, इमामबाड़ा रोड, रांची-834001
दिवाली शायरी Diwali Shayari | शुभ दीपावली शायरी हिंदी में
प्यार के गीत गायेंगे हम
एक दुनिया बसायेंंगे हम
मस्त उन को बनायेंगे हम
गीत अपने जो गायेंगे हम
नगमा-ए-हक सुनायेंगे हम
जजबा-ए-दिल जगायेंंगे हम
जाम-ए-उल्फत पिला कर,सनम
मस्त, सब को बनायेंंगे हम
अम्न की होगी दीपावली
खूब दीपक जलायेंंगे हम
यारो ! जमाना से जम-जम तलक
आज गुलशन बनायेंंगे हम
गोशे-गोशे को महकायेंंगे
फूल, दिल के,खिलायेंंगे हम
उन के रुख की तजल्ली से अब
चाँदनी में नहायेंंगे हम
कर के आबाद सहरा को अब
जश्न-ए-वह्शत मनायेंंगे हम
यारो! हम को मनाये गे वे
और उन को मनायेंंगे हम
एक हो कर रहेंंगे सदा
अपना वादा निभायेंगे हम
फख्र हम पर करेगा जहाँ
शान अपनी बढायेंंगे हम
हाँ!,ब-फज्ल-ए-खुदा, देखना
बाग-ए-जन्नत में जायेंगे हम
हो न तफरीक-ए-दैर-व-हरम
ऐसा "भारत " बनायेंगे हम
हिन्दू- मुस्लिम,सभी एक साथ
ईद, होली, मनायेंंगे हम
अपनी चाहत के देहात में
मन को गंगा बसायेंंगे हम
तन-दुरुस्ती की खातिर तुम्हे
आब-ए-जमजम पिलायेंंगे हम
शैख साहब सभी लोगो को
गंगा-जल भी पिलायेंंगे हम
रात-दिन, गुलशन-ए-हिन्द में
गुन्चा-व-गुल खिलाएंंगे हम
दोस्तो ! आज आकाश पर
फिर घटा बन के छायेंंगे हम
हिन्द का यौम-ए-जमहूरिया
हर बरस ही मनायेंंगे हम
हिन्द का यौम-ए-आजादी भी
हर बरस ही मनायेंंगे हम
रामचन्द्र दास प्रेमी राज
यह गजल जारी रहेगी!
(गजल जारी रहेगी !,कवि : डॉकटर रामचन्द्र दास प्रेमी राज चंडी गढी)
Happy Diwali Shayari Photo - Diwali Shayari Image
जारी रहने वाली इस गजल के सभी शेर-व-सुखन स्कूल और कॉलेज के हसीन-व-जवान छात्र-व-छात्राओं के लिए विशेष तौर पर पेश किए जा रहे हैं
आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं : जश्न-ए-दीपावली
" जश्न-ए- दीपावली "
( रुबाई के वज़्न में चन्द अश्आर )
है " जश्न-ए-दीपावली " , ऐ रामदास !!
" लंका " में है खलबली, ऐ रामदास !!
दीवाली के रोज़,नहा-धो के , यार!!
जायेंगे बाज़ार,ख़रीदेंगेदीप!!!
जलायेंगे दीप,जगमगायेंगे दीप !!
चारों दिशाओं में उजाले होंगे !!!
टूट-फूट जायेगी अंधियारी की जीप !!
पूजा, रावन की होती थी कल तलक !?
अब होती है, "राम" की जय-जयकारा !!!
दीपावली पर दोहे, रुबाई के वज़्न में क़त़्आ/ मुक्तक
धनतेरस के रोज़ ख़रीदे हैं, हम !
बर्तन-बासन, झाड़ू,मिठाई और बम !!
हम-सब मानते हैं खुशी से त्योहार !!
दीवाली के मौक़े पे करते नहीं ग़म !!!
दीपावली/ दीवाली / दिवाली के मौक़े पे नवीन/ जदीद,मुन्फ़रिद,नफ़ीस ग़ज़ल
" दीपावली/ दीवाली के मौक़े पे नवीन/ जदीद,मुन्फ़रिद,नफ़ीस ग़ज़ल
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यारो !, " दीवाली " में रौशन हो गये दिल के चिराग़ !!
" राम-भक्तों " की मुहब्बत हो गयी है बाग़-बाग़ !!
दह्र/ दुन्या/ दुनिया में " दीपावली " फिर आ गयी,ऐ राम जी !!
यूँ, मुनव्वर हो गये फिर से, दिमाग़ों के चिराग़ !!
किस तरह दी जाये क़ुर्बानी ?!,बताते हैं चिराग़ !!
आप/ ख़ुद ही जलते हैं !, हमें रस्ता दिखाते हैं चिराग़ !!
राम !,दर्द-व-ग़म के सहरा में लगाओ एक बाग़ !!
दिल भी लग जायेगा,ऐ हम्दम !,लगाओ दिमाग़ !!
सारी दुन्या/ दुनिया में कोई ढूंढे अगर ले कर चिराग़ !!
तेरा सानी ही नहीं !,तू, " बज़्म-ए-हक़ " का है " चराग़/ चिराग़ " !!
किस तरह दी जाये क़ुर्बानी ?!, बताते हैं चराग़/ चिराग़ !!
जलते रहते हैं, हमें रस्ता दिखाते हैं चिराग़/ चराग़ !!
फैलती जाती है चारों सम्त/ सिम्त " मन " की " रौश्नी/ रौशनी !!
हम जलाते हैं " शब-ए-तारीक " में " दिल के चराग़/ चिराग़ " !!
दोस्तो !, मेरे इसी घर से उजाला फैले गा !!
हाँ !, अगर तुम फूँकने दो, घर का मिरे/ मेरे, तन्हा चराग़/ चिराग़ !!
अपनी राहों में कोई जुगनू ,कोई तारा नहीं !!?
हाथों में लेकर चलें हम अपनी हिम्मत के चराग़/ चिराग़ !!
आरज़ूओं के चमकते दश्त में जा !, हाँ, मगर !
पहले रख, ताक़-ए-जिगर पर इश्क-व-उल्फ़त के चराग़/ चिराग़ !!
आमद-ए-ख़ुर्शीद के बाद, और शब के ढलने के बाद ! !
अब बतायें क्या !?, मियाँ !, हम ने जलाये क्यों चराग़/ चिराग़
देखिये अब इस का भी अन्जाम क्या होता है, राम !?!
मैं ने तो क़न्दील/ ख़ुर्शीद के आगे जलाया इक चराग़/ चिराग़ !!
ज़िन्दगी के दर्द-व-ग़म की,खत्म होंगी ज़ुल्मतें !!
जब जलेंगे घर में " क़ुर्आँ/ क़ुर-आँ की " तिलावत " के चराग़/ चिराग़ !!
डेवढियों पर शाम के मन्ज़र बनेंगे बस धुवाँ/ धुआँ !!
जल के बुझ जायेंगे, रामा !,मुन्तज़िर दिल के चराग़/ चिराग़ !!
यूँ, जला करते हैं, लेकिन भी दिया करते हैं नूर !!
किस तरह दी जाये क़ुर्बानी ?!, बताते हैं चराग़/ चिराग़ !!
तीरगी/ ज़ुल्मतों का राज़ मख़्फी है सहर में वैसे ही !!
अपने आँचल में कोई, जैसे, छुपाए है चराग़/ चिराग़ !!
अब !, उसे " इज़्ज़त " मिले है, जो " वतन" से निकले है !!
हैं विलायत के सफ़र पर अपने दिल,ज़ेह्न-व-दमाग़/ दिमाग़ !!
फैल जायेगी हर इक जानिब वफ़ा की रौशनी/ रौश्नी !!
हम जलायेंगे शब-ए-तारीक/ अँधेरी रात को, दिल के चराग़/ चिराग़ !!
हज़रत-ए-जावेद का दीपक, " अली अकबर मोमिन " !!
बुझ नहीं सकता कभी, " जावेद अशरफ़ " का चराग़/ चिराग़ !!
दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं शायरी
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