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हिंदी अपने देश की भाषा 14 सितम्बर हिंदी दिवस पर कविता शायरी स्लोगन Hindi Diwas

हिंदी दिवस पर कविता शायरी स्लोगन Hindi Diwas Par Kavita

हिंदी अपने देश की भाषा
14 सितम्बर हिंदी दिवस
हिंदी अपनी राष्ट्र भाषा है
हिंदी को अपनाना है
लिखो हिंदी पढ़ो हिंदी
जन जन को समझाना है
हिंदी मान अभिमान है
हिंदी से हिंदुस्तान है
हिंदी से गीता रामायण
हिंदी से वेद पुराण है
संस्कृत की बेटी हिंदी
माँ भारती के भाल की बिंदी
अपना तो इतिहास है हिंदी
गर्व से बोलो हिंदी हिंदी
अपनी मातृ भाषा है हिंदी
हिंदी का मान बढ़ाना है
हाय हेलो छोड़कर अब
जयहिंद से नाता जोड़ना है
गुड नाइट गुड मार्निंग छोड़
बंदे मातरम बोलना है
हिंदी अपने देश की शान
जन जन को समझाना है
स्वरचित ..निर्दोष लक्ष्य जैन
धनबाद झारखंड

विश्व हिंदी दिवस पर कविता Poem On World Hindi Day In Hindi

14 सितम्बर हिंदी दिवस पर कविता Hindi Diwas Par Kavita

हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाइयां

लिखो हिंदी पढ़ो हिंदी राष्ट्रीय हिंदी दिवस पर कविता Hindi Diwas Poem

आओ साथी हम अपनाए, भाषा हिंदुस्तान की।
इस भाषा पर अमल करो,
ये भाषा अपनी शान की।
जय जय हिंदी, जय जय हिंदी,
लिखो हिंदी पढ़ो हिंदी।
बोलो हिंदी जय जय हिंदी॥

सब से पहले इंडिया नही,
भारत बोलना शुरू करो।
इंग्लीश का बहिष्कार करो,
हिंदी से सब प्यार करो।
बोलो हिंदी, अपनाओ हिंदी,
जय जय हिंदी, जय जय हिंदी॥

हाय हेलो बोलना छोड़ो,
जय हिंद से नाता से जोड़ो।
गुड मार्निंग गुड नाइट छोड़ो,
जय श्री राम प्रेम से बोलो।
जब भी किसी से मिलो मिलाओ,
बंदे मातरम गर्व से बोलो।
बंदे मातरम बंदे मातरम,
जय जय हिंदी जय जय हिंदी॥

संस्कृत की बेटी हिंदी,
अपनी है संस्कृति हिंदी।
अपनी राष्ट्र भाषा है हिंदी,
अपनी मातृ भाषा है हिंदी।
माँ भारती के भाल की बिन्दी,
जय जय हिंदी, जय जय हिंदी॥
 
नानी की कहानी हिंदी,
अम्मा की है लोरी हिंदी।
अपने वेद पुराण है हिंदी,
रामायण ओर गीता हिंदी।
रहीम कबीर की वाणी हिंदी,
अपना तो इतिहास है हिंदी।
गर्व से बोलो हिंदी हिंदी,
निर्दोष गा रहा हिंदी हिंदी।
जय जय हिंदी, जय जय हिंदी॥
 
जय हिंद जय हिंदी
बंदे मातरम
निर्दोष लक्ष्य जैन

हिंदी है मेरी माता - हिंदी दिवस पर विशेष कविता

हिंदी है मेरी माता पिता हिंदुस्तान
इसका तो लोहा माने सारा जहाँन
हिंद हिंदी पर है सदा हमें है गुमान
जय हिंदी अजय हमारा हिंदुस्तान
हिंदी है मेरी माता पिता हिंदुस्तान॥
 
अनेकता में एकता इसकी पहचान
हिंदू,मुस्लिम,सिख,ईसाई इसकी जान
सबने माना हिंदी है भारत की शान
सबसे मिलकर बना मेरा भारत महान
हिंदी है मेरी माता पिता हिंदुस्तान॥

तिरंगे पर सदा है हमको अभिमान
सबको प्यारा लागे क्या हिंदू मुसलमान
सबके प्राणों से प्यारी हिंदी हिंदुस्तान
जय जय हिंदी जय जय हिंदुस्तान
हिंदी है मेरी माता पिता हिंदुस्तान॥

हिंदी, हिंद ही है हम सबकी पहचान
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, सबकी जा
इंडिया नहीँ भारत सब बोलो श्रीमान
" लक्ष्य" हिंदी का करता सदा गुण गान
हिंदी है मेरी माता पिता हिंदुस्तान॥
स्वरचित.. निर्दोष लक्ष्य जैन
धनबाद झारखंड
१४..सितम्बर २०२१
हिंदी दिवस पर कविता | kavita: hindi poem on independence day in hindi image

हैं हिन्दी हम हिन्द के सपूत: 14 सितम्बर हिंदी दिवस पर कविता

हैं हिन्दी हम हिन्द के सपूत
किन्तु मिश्रित सभ्यता के
हम हैं पक्षधर
उर्दू,अरबी,पारसी शब्दों में बसी
जाने-अंजाने हर भाषा का सम्मिश्रण
आंग्ल भाषा भी समाहित है
आओ मिलकर विस्तार दें
एकीकरण को नव आयाम दें
सिंध से लेकर हिन्द तक
सर्वस्व का योगदान दें
मृत होती भाषा को भी
मिलकर साहित्योथान दें
साहित्य के पुरोधाओं सुनों
हिन्द की बोली-भाषाओं को
आवंटन में कुछ नही
सम्मत में सबकुछ है।
कमलेश कुमार गुप्ता 'निराला' 'उदार'

सभी गुणों की खान है हिन्दी – हिन्दी दिवस पर कविता हिंदी उर्दू साहित्य संसार

सभी गुणों की खान है हिन्दी।
वाणी का वरदान है हिन्दी
हिन्दी सा लालित्य कहाँ है
सच में बड़ी महान है हिन्दी।
कभी चन्द वरदायी हिन्दी
तुलसी की चौपाई हिन्दी
मीरा और कबीरा वाली,
जाती नहीं भुलाई हिन्दी
देव,विहारी,पदमाकर है।
भारतेन्दु है रत्नाकर है।
हिन्दी हिमगिरि की ऊँचाई
हिन्दी शब्दों का सागर है।
भूषण की तलवार यही है
दिनकर की हुंकार यही है
श्याम नारायण पाण्डे वाली,
वाणी की ललकार यही है
जाग्रति का अभियान जरूरी।
भारत का उत्थान जरूरी,
अन्य जरूरी से भी ज्यादा
हिंदी का सम्मान जरूरी
डॉ० विमलेश अवस्थी

देश की शान हूँ देश का मान हूँ, हां मैं हिंदी हूँ! हिंदी दिवस पर शायरी

हां मैं हिंदी हूँ
देश की शान हूँ देश का मान हूँ
सभ्यता, संस्कृति का मैं सम्मान हूँ,
गंगा -जमुनी मैं तहज़ीब का हूँ मिलन
हाँ, मैं हिंदी हूँ भारत की पहचान हूँ।

ज्यों भगीरथ की गंगा उतारी गई
मैं भी ऋषियों के हाथों सँवारी गई,
उनके जीवन के दर्शन का मैं ज्ञान हूँ।
हाँ मैं हिंदी........

बीज मैं एकता के हूँ बोती रही
एक धागे में सबको पिरोती रही,
थोड़ी कबिरा सी हूँ थोड़ी रसखान हूँ।
हाँ मैं हिंदी .......

मेरी वाणी में वीणा की झंकार है
मन के तारों को छूने का भी द्वार है,
कृष्ण की बाँसुरी की मधुर तान हूँ।
हाँ मैं हिंदी.......

अपने ही देश में मत पराया करो
प्रेम का गीत हूँ गुनगुनाया करो,
मैं अधर पर खिली कोई मुस्कान हूँ।
हाँ मैं हिंदी.....
अतिया नूर

अ, आ, इ, ई स्वर का पाठ पढ़ाये : हिंदी दिवस पर विशेष प्रस्तुति

हिंदी हमारा अभिमान
अ, आ, इ, ई स्वर का पाठ पढ़ाये।
क,ख, ग, घ व्यंजन का ज्ञान बढ़ाए।
एक बने एकवचन, अधिक, बहुवचन बन जाये।
इस प्रकार वचन आकर, भिन्नता सिखाये।

सन्धि, समास, हो या कारक या, वचन,
अलंकार, रस, लिंग हो या हो छंद।
शुद्ध-अशुद्ध ये भाषा की परिभाषा।
व्याकरण शैली, व्याखित करे हर क्षण।

क्रिया कार्य कर, काल को समझाए।
कारक एक-एक वाणी, शुद्ध कर जाए।
एक शब्द के बदले अनेक शब्द, समानार्थक ले आये।
सीधे-उल्टे शब्द बताकर ,विलोम शब्द बन जाये।

हो मुहावरा या लोकोक्ति, अपनी विशेषता बताए।
भाषा की शुद्ध वाणी हेतू, व्याकरण पाठ पढाये।
माँ की ममता इसमें, पिता का भी प्यार,
हिंदी भाषा अपनापन का एहसास जगाए।

हिमालय से कन्याकुमारी की शान हिंदी।
हम हिंदुस्तानी की है पहचान हिंदी।
हम हिंदुस्तानी की है पहचान हिंदी।
Nilofar Farooqui Tauseef
Fb, IG-writernilofar

राष्ट्रीय हिन्दी दिवस आ रहा है: हिंदी दिवस पर कविता Hindi Diwas Poem

हमारी हिंदी है राजदुलारी
“राष्ट्रीय हिन्दी दिवस आ रहा है,
चाहने वालों के मन में नशा छा रहा है।“
हम सम्मान करते हैं, देश विदेश की हर भाषा का मन से,
सच है प्रिय साथियों, हमारी हिंदी है देश की राजदुलारी।
दुश्मनी नहीं है हमारी, दुनिया की किसी भी भाषा से कोई,
हमें तो अपने देश की, सारी भाषाएं लगती हैं खूब प्यारी।
हम जानते हैं, अंग्रेजी से इतनी जल्दी पीछा नहीं छूट सकता,
इसलिए हम निभाते आ रहे हैं, अंग्रेजी से भी दिल से यारी।
सच है प्रिय साथियों……
हर भाषा को नमन रहता मेरा, पर है हिंदी को प्रथम प्रणाम,
हिंदी की कभी सोच नहीं रही, बनाना किसी भाषा को गुलाम।
एक बार कोई देखे तो, हिंदी के सुंदर घर आंगन में पधारकर।
इसकी शीतल छांव में अवश्य सदा करना चाहेगा वो विश्राम। वर्णों के फूलों की माला में, खुशबू होती है बड़ी ही गजब की,
समता, अखंडता और एकता की, हिंदी खुशी देती हमें सारी।
सच है प्रिय साथियों……
अपने विरोधियों का भी, मन जीत लेती है यह भोली भाषा,
चाहे जितनी भी परेशानी आए सामने,रहती दूर इससे निराशा।
एक बार कोई देखे तो पहनकर, हिंदी के वर्णों का भव्य हार,
ना ना कहते उसको भी, हो ही जाएगा हिंदी से अटूट प्यार।
अमृत कलश छलकता रहता है, हिंदी के द्वार पर दिन रात,
देखकर सदा वहां बैठे रहने का मन करता, नर हो या नारी।
सच है प्रिय साथियों………
हिंदी दिवस की शुभकामनाएं Happy Hindi Diwas Wishes
“सभी हिंदी प्रेमियों को आगामी राष्ट्रीय हिन्दी दिवस की अग्रिम शुभकामनाएं एवं बधाईयां।“
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

हिन्दी दिवस पर विशेष राष्ट्रभाषा भक्ति गीत : हिंदी माता

आज भी राष्ट्रभाषा बनने हेतु तड़प रही है,
राजभाषा रूप में, हमारी प्यारी हिंदी माता।
सबका भाग्य बदला, अनोखा वरदान मिला,
हिंदी से क्या भूल हुई, कहो भाग्य विधाता!
आज भी राष्ट्रभाषा……
चौहत्तर बसंत आए और चले गए रुलाकर,
सावन भी वैसे बीते, भागे सपने दिखाकर।
सरस्वती माता भी देखती रही है चुपचाप,
काश! कोई ऐसा होता, यह फर्ज निभाता!
आज भी राष्ट्रभाषा……
अब तक इसको, केवल वादे ही वादे मिले,
कभी कम तो कभी जरूरत से ज्यादे मिले।
राष्ट्रभाषा अभियान भी जैसे पड़ गया ठंडा,
जो भी आता, खाता गाता, अपना सुनाता।
आज भी राष्ट्रभाषा……
हिम्मत अभी भी, टूटी नहीं राष्ट्रभाषा की,
अब भी कुछ किरणें बची हुई हैं आशा की।
बहुत बड़े बड़े बदलाव हुए हैं, आज देश में,
अफ़सोस है, कोई नहीं सुनता इसकी गाथा।
आज भी राष्ट्रभाषा……
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

हिंदी दिवस पर कविता– हिंदी का नया जमाना

(कविता)
“राष्ट्रीय हिंदी दिवस के शुभ अवसर पर राजभाषा हिंदी को कोटि कोटि नमन एवं राष्ट्रभाषा बनने के लिए ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं।“
अब बीत गया वो जमाना, जब कोई मारता था हिंदी को ताना,
सबको पीछे छोड़कर आया है, अब हिंदी का नया जमाना।
संभव नहीं है अब, इसकी विकास यात्रा को कहीं पर रोक पाना,
सारे संसार में महक इसकी फैल चुकी है, जगह जगह ठिकाना।
अब बीत गया वो जमाना………
जिसने कभी अज्ञानवश ठुकराया था, आज चाहता झलक एक पाना,
गलती अपनी मानकर, अब चाह रहा, हमारी हिंदी को अपनाना।
भारत तो बड़ा भाग्यशाली है कि, मुख्य भाषा है बनी उसकी हिंदी,
आज संसार में कौन है ऐसा, जो नहीं गाना चाहे इसका गाना?
अब बीत गया वो जमाना……
अब तो लोग सम्मान समझने लागे है, मुंह से हिंदी बोलने में,
अंग्रेजी बोली में शान बघारने का अब, हो गया है समय पुराना।
पंत, निराला, बच्चन, प्रसाद, परसाई, दिनकर पर हमें बड़ा गर्व है,
हमने सीखी है इनसे, हिंदी के आंगन में ज्योति नई जलाना।
अब बीत गया वो जमाना……
हिंदी बड़ी, निराली, दिलवाली, सरल, मधुर भाषा है भारत की,
यह चाहती है, अपने पराए हर किसी को गले लगना, लगाना।
चाहनेवालों के मन में, जगह बनाने में एक लंबा समय लगा है,
हम हिंदी प्रेमियों का दायित्व है अब, हिंदी को आगे बढ़ाना।
अब बीत गया वो जमाना……
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

राष्ट्रीय हिंदी दिवस का, शुभ अवसर है, हिंदी की जय जयकार: हिंदी दिवस पर स्लोगन

हिंदी की जय जयकार
(कविता)
राष्ट्रीय हिंदी दिवस पर आप सभी हिंदी प्रेमियों को ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाईयां।
राष्ट्रीय हिंदी दिवस का, शुभ अवसर है,
सारे जग में गूंज रही है जय जयकार।
हिंदी प्रेमियों के मन में, खुशी भरी है,
हृदय कलश से, खून छलक रहा प्यार।
राष्ट्रीय हिंदी दिवस का……
हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं है दुनिया में,
वास्तव में हिंदी है, साहित्य का श्रृंगार।
उदासी का सामना, करना पड़ा अबतक,
माथे पर बिंदिया चमकेगी, अगली बार।
राष्ट्रीय हिंदी दिवस का……
लद गए हैं दिन, सूखे और पतझड़ के,
आशा यही रहती, शीघ्र आएगी बहार।
खुद सीख लेने से बात नहीं बनती है,
दिल से करना होगा, प्रचार व प्रसार।
राष्ट्रीय हिंदी दिवस का……
लोग दूसरे को हिंदी सीखने को कहते,
लेकिन दूर रहता है, खुद का परिवार।
हमको पास आकर, गले लगाना पड़ेगा,
छोड़ना होगा हमको, दूर से नमस्कार।
राष्ट्रीय हिंदी दिवस का……
कलमकार लोग, बहुत कुछ कर रहे हैं,
हमेशा रहते, साथ निभाने को तैयार।
अधिकारियों के, हैं प्रतिकूल व्यवहार,
हो जाती है हिंदी, अपनों का शिकार।
राष्ट्रीय हिंदी दिवस का……
इसके बाद भी हिंदी ने मानी नहीं हार,
सारी चुनौतियां, करती रहती स्वीकार।
यह भाषा लगती है हमें बहुत रसदार,
हिंदी के लिए, हम सब बनें दिलदार।
राष्ट्रीय हिंदी दिवस का……
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

हिन्दी है हिन्द का आधार : हिंदी दिवस पर कविता– हिन्दी उर्दू साहित्य संसार

हिन्दी
हिन्दी है हिन्द का आधार,
हिन्दी ही है हिन्द का प्यार।
हिन्दी में जन्मे पले बढ़े हम,
हिन्दी है हिन्द का अधिकार।।
हिन्दी से ही यह हिन्दुस्तान,
हिन्दी जीतना नहीं आसान।
हिन्दी तो है हिन्द का बिन्दी,
भारतीय माँ बहनों की पहचान।।
हिन्दी है हिन्द का संस्कार,
हिन्दी है हिन्द का आचार।
हिन्दी तो फैला पूरे विश्व में,
हिन्दी नहीं कोई विवश लाचार।।
नहीं किसी से ईर्ष्या द्वेष हमारी,
नहीं किसी से किसी को नफरत।
हिन्द के हिन्दी संस्कार के कारण,
हिन्द ने पाया विश्व में शोहरत।।
विश्वबंधुत्व इस हिन्द का भार,
भार के कारण कहलाया भारत।
सभ्यता शिष्टता से आकर्षित करके,
निष्ठा व्यवहार में लिया है महारत।।
हिन्दी पर ही है गर्व हिन्द को,
हिन्द पर गर्वित हम हिन्दवासी।
जाति धर्म से भी ऊँचा उठकर,
जय हिन्द के हम हैं मृदुल भाषी।।
अरुण दिव्यांश
छपरा सारण,
बिहार

हिन्दी राष्ट्रभाषा आओ हम चमकाएँ हिन्दी को, हिंदी दिवस पर स्लोगन

आओ हम सब लें संकल्प,
आ गया आज 14 सितंबर।
हिन्दी को हम धरा से लेकर,
शीर्ष तक सजाएँ नीले अम्बर।।
आओ हम चमकाएँ हिन्दी को,
जैसे चमकता सित हो अम्बर।
संकल्पित हो आज हमारा जीवन,
हर दिन लगे जैसे 14 सितम्बर।।
हिन्द देश के वासी हैं हम सब,
हिन्दी में ही जन्मे पले और बढ़े।
हिन्दी हो राष्ट्रभाषा घोषित,
हिन्दी हमारे मस्तिष्क चढ़े।।
हिन्दी शीघ्र हो राष्ट्रभाषा घोषित,
केन्द्र सरकार से हमारी है आशा।
सरकार यदि है हिन्द के वासी,।
पूर्ण करें शीघ्र हमारी अभिलाषा।।
हिन्द देश का है एक ही अरमान,
हिन्द में हिन्दी का करें सम्मान।
हिन्दी को राष्ट्रभाषा घोषित कर,
हिन्दी बनाएँ विश्वव्यापी महान।।
केन्द्र सरकार से है एक ही अर्ज,
पूर्ण करे सरकार अपनी यह फर्ज।
हिन्द देश के पवित्र संविधान में,
हिन्दी राष्ट्रभाषा को कर लें दर्ज।।
मौलिक एवं अप्रकाशित रचना।
अरुण दिव्यांश
छपरा सारण, बिहार

हिंदी दिवस पर कविता— हिंदी हमारी मातृभाषा

भाषा की बारिश में भीगी हूँ
ये सवान की फुहारें हैं
नींद में ख़्वाब देखा
आँखो में सपनें हैं
हर अल्फाज़ों में लिखा
हिंदी प्यारी है,
सब भाषा से न्यारी है।

हिंदुस्तान में जन्म लिया,
हिंदी साहित्य लिख दें,
अंग्रेजी को बढ़ावा न दें,
ऐसा अपनी हिंदी को लहरा दें।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा,
यह भारत की शान है।
हिंदी हमारी मातृभाषा,
इसमें बसी मेरी जान है
यह प्यारा हिंदुस्तान है।
प्रतिभा जैन
टीकमगढ़ मध्यप्रदेश

इंडिया नहीँ भारत बोलो: हिंदी दिवस पर कविता Hindi Diwas Poem

इंडिया नहीँ भारत बोलो
आओ बच्चों तुम्हे बताए
बाते है ये ज्ञान की
इन बातों पर अमल करो
ये बाते है उत्थान की
जय जय हिंदुस्तान की
जय जय हिंदुस्तान की
सबसे पहले इंडिया नही
भारत बोलना शुरू करो
हाय हेलो बोलना छोड़ो
जय हिंद से नाता जोड़ो
गुड मार्निंग गुड नाइट छोड़ो
जय श्री राम प्रेम से बोलो
जब भी किसी से मिलो मिलाओ
बंदे मातरम गर्व से बोलो
बंदे मातरम, बंदे मातरम
जय, जय हिंदी बोलो हिंदी
लिखो हिंदी.....पढ़ो हिंदी
ये भाषा अपनी शान की
आओ बच्चों तुम्हे बताए
ये बाते है उत्थान की
जय जय हिंदी जय जय हिंदी
इंडिया नहीँ भारत ...बोलो
जब भी बोलो गर्व से बोलो
देश का मान बढ़ाओ तुम
हिंदी से हिंदुस्तान है
दुनियाँ को बतलाओ तुम

जय हिंदी जय हो हिंदुस्तान की
आओ बच्चों "लक्ष्य" बताए
बाते है ये ज्ञान की
स्वरचित निर्दोष लक्ष्य जैन

हिंदी दिवस पर दोहे | हिंदी दिवस पर भाषण | हिन्दी दिवस पर स्लोगन

मुक्तक - हिन्द की हिंदी
हिन्द की भाषा हिन्दी हमारी, इसका हम सम्मान करते है।
दिलाती पहचान दुनिया में, इस पर हम अभिमान करते है।
प्रेम बलिदान त्याग क्रांति एकता अखंडता का प्रतीक।
बसती जहां दिलो में सबके उसे हम हिन्दुस्तान कहते है।
श्याम कुंवर भारती

हिन्दी दिवस पर विशेष कविता: गाँव की गोरी की भाषा है" हिन्दी-भाषा!

"हिन्दी-दिवस " पर विशेष कविता/ ख़ास नज़्म
" हमारी अपनी हिन्दी-भाषा "
गाँव की गोरी की भाषा है" हिन्दी-भाषा!
ना-उमीदी/ ना-उम्मीदी में इक आशा है " हिन्दी-भाषा "!!
उम्दा सौग़ात मिलने पर हैं ख़ुश,हिन्दी -लोग!!
" भोले-बाबा/ शीव-शंकर का इक तोहफ़ा है हिन्दी-भाषा!!
हिन्दी! ज़िन्दाबाद!
हिन्दी! ताबिन्दाबाद!
हिन्दी की जय!
शब में जुगनू लिए आई है हिन्दी-भाषा!
यूँ चमक अपनी दिखलाई है हिन्दी-भाषा!!
 दोस्तो!/राम जी!,अपनी हिकमत ही से भाषावों के,
ज़र्फ़ को नाप कर आई है हिन्दी-भाषा!!
दोस्तो!,एक गदराये बदन की जैसी,
मेरी आँखों में गदराई है हिन्दी-भाषा!!
ये/ यह हुई है " बसंती-रुत " की जैसी,दोस्तो!/ रामा!/ यारो! 
" चल रही ख़ूब-पुर्वाई " है हिन्दी-भाषा!!
हिन्दी! ज़िन्दाबाद!
हिन्दी! ताबिन्दाबाद!
हिन्दी की जय!
डाक्टर इन्सान प्रेमनगरी, द्वारा,डॉक्टर राम-दास प्रेमी राजकुमार जानी दिलीपकुमार कपूर
हिन्दी दिवस पर कविता - रामदास प्रेमी राजकुमार जानी

हिन्दी दिवस पर विशेष कविता/ ख़ास नज़्म हिन्दी-भाषा - हिन्दी उर्दू साहित्य संसार

" हिन्दी-भाषा"
हिन्दी-दिवस पर विशेष कविता/ ख़ास नज़्म
" भारत " की ज़ुबान है हिन्दी!
हम लोगों की शान है हिन्दी!!
मेरी हम-ज़ुबान है हिन्दी!!
मेरी राज़-दान है हिन्दी!!
बोले है " ज़ुबान-ए-उर्दू " ये :
मेरी " हम-ज़ुबान है हिन्दी!
जाने है " ज़ुबान-ए-उर्दू " भी!
उस की " राज़-दान " है हिन्दी!
अपने हुस्न पर करे है नाज़!
" औरत " का " गुमान " है हिन्दी!
नाज़ाँ है शबाब पर अपने!!
मर्दों की ज़बान है " हिन्दी "!
हिन्दुस्तानियों की जान है हिन्दी!!
"" हिन्दी-अब्र " देख कर, यारो!!
जंगल के ये मोर नाचे हैं!!
गुल्शन के ये मोर नाचे हैं!!
" मोरों " की " ज़ुबान " है हिन्दी!!
कोई " मोरनी " नहीं नाची! ?
" केरल/केरला की ज़बान है हिन्दी!?
अब तो मोरनी भी नाचे है!!
" मोरों " का " गुमान " है हिन्दी!!
" मौलाना यज़ीद बोले है :
भारत की अज़ान है हिन्दी!?
गोरख-धन्धा करते हैं ढोंगी!!
कब " वह्म-व-गुमान " है हिन्दी ?!
हिन्दुस्तानियों की भाषा है!!
हम लोगों की जानहै हिन्दी!!
सब लोगों की जान है,शान है हिन्दी!!
हिन्दी ने तरक्कियाँ कर लीं!!
अब " फ़ख़्र-ए-इन्सान " है हिन्दी!!
नोट:- इस तवील और मुन्फरिद मन्ज़ूम तख़्लीक़ के दीगर शेर-व-सुखन आइंदा फिर कभी पेश किए जायेंगे,इन्शा-अल्लाह-व-ईश्वर!!
डाक्टर इन्सान प्रेमनगरी, द्वारा,डॉक्टर राम-दास प्रेमी राजकुमार जानी दिलीपकुमार कपूर,डॉक्टरजावेद अशरफ़कैस फैज अकबराबादी मंजिल,हेड्मास्टर/ प्रिन्सिपल अब्दुल-जब्बार ग़नी हजीँ ग़ालिबी बिल्डिंग,निकट नूरी मस्जिद ,आनन्द भवन रोड,राऊरकेला-769001,ओडीशा,इन्डिया

हिन्दी दिवस पर दोहे - हिन्दी भारत देश की, संस्कृति की पहचान

हिन्दी दिवस पर दोहे
(१)
हिन्दी भारत देश की, संस्कृति की पहचान।
इस भाषा का हम करें, मिल-जुल के उत्थान।।
(२)
हिन्दी हिन्दुस्तान की,भाषा है अनमोल।
सहज,सरस, सुन्दर,सरल, मधुर-मधुर हैं बोल।।
(३)
हिन्दी भाषा को सदा, मिले शीर्ष स्थान।
भाव समर्पण के रहें,गाएं गौरव गान।।
(४)
युगों-युगों से ही रहा, हिन्दी का सम्मान।
बने राष्ट्र भाषा त्वरित,हो ऐसा अभियान।।
ओम प्रकाश खरे
जौनपुर। १३/०९/२०२१

हिंदी दिवस पर कविता | हिन्दी दिवस पर स्लोगन - हिंदी है अभिमान मेरा

हिंदी है अभिमान मेरा
हिंदी है अभिमान मेरा
हिंदी है स्वाभिमान मेरा
हिंदी ही मेरी पहचान
हिंदी से गौरव है मेरा
हिंदी से गौरव मेरा
हिंदी ही मेरी शान
हिंदी लगती माँ सी है
हिंदी में कितना अपनापन
हिंदी लगती कितनी दुलारी है
हिंदी बहती सरिता सी है
हिंदी बहती सरिता सी है
हिंदी वृहद गंगा सी है
सभी भाषा की नदियां हिंदी में सहज आ मिलती
हिंदी सबको संग लेकर और मचलती
हिंदी चलती कूदती अल्हड़ लड़की सी
कभी लगती हिंदी मर्यादा से बंधी
ग्रहसथन स कोई सुघड़ सी
मेरी प्यारी हिंदी
कितनी न्यारी हिंदी
बडी हठीली बडी छबीली
हिंदी जग से प्यारी
हिंदी मेरी दुलारी हिंदी
कभी लागे सुहागन के माथे की बिंदिया सी
कभी लागे बच्चे को आती निंदिया सी
हिंदी ही मेरी दुनिया है
हिंदी ही मेरी शान
हिंदी से मेरा हिंदुस्तान
हिंदी ही मेरी दुनिया, जहान
धन्यवाद
आभार
डॉ शीतल श्रीमाली
439 सेक्टर 11 हिरण मगरी उदयपुर राजस्थान

मेरी हिन्दी भाषा मातृभाषा पर कविता | हिंदी दिवस पर कविता

मेरी हिन्दी भाषा - कविता

मेरी अपनी हिन्दी भाषा,
नमन इसे बारम्बार है।
मिश्री सी मीठी मनमोहक,
महिमा बड़ी अपरम्पार है।।

स्वर संधान का उजियारा,
समझ अनपढ़ के भी आता।
हिन्दी ही है प्यारी भाषा,
शास्त्रीय संगीत बतलाता।।

वेद शास्त्र बने हितकारी,
व्याकरण कौशल सिखलाती।
सभी जगह सम्मान दिलवाती,
मातृ भाषा जानी जाती।।

राज दरबार विदेश में,
सब रहे इसके आभारी।
भारत माँ का बच्चा-बच्चा,
बन गया आज आज्ञाकारी।।

हिन्दी पढ़ना हिन्दी में लिखना,
मधुर वाणी हो शिष्ट व्यवहार।
अपनी भारत माँ मनभावन,
नयनाभिराम अनुपम संस्कार।।
आप सभी को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
रामबाबू शर्मा,राजस्थानी,दौसा(राज.)
हिंदी दिवस पर कविता - आराधना प्रसाद

हिंदी दिवस पर विशेष कविता— मैं हिंदी माथे की बिंदी, मुझको ऐसे मत भूलो

मैं हिंदी माथे की बिंदी, मुझको ऐसे मत भूलो
गीत, ग़ज़ल की मैं खुशबू हूं, मुझको ऐसे मत भूलो
मैं कबीर तुलसी मीरा, रसखान सूर संग पली-बढ़ी,
सरल, सरस बनकर निखरी हूं, मुझको ऐसे मत भूलो।

वीणापाणी का गौरव मैं, वीणा-सी ही मृदुभाषा,
दोहा, छंद, सवइया से ही, झंकृत मेरी परिभाषा।
महलों की रानी-सी पुलकित, मैं सबके दिल की मलिका
सदा राष्ट्र-भाषा की गरिमा, कहलाती हिंदी भाषा।

मैं आशा सुकुमार पंत की, औ दिनकर की अभिलाषा,
भारत के मस्तक पर शोभित रहूँ यही बस अभिलाषा।
जब तक सूरज चाँद रहे, संग मेरा भी सम्मान रहे,
सुरभित हो मेरी परिभाषा, बस इतनी-सी है अभिलाषा।

हिन्दी है भारत की भाषा, आएं सब मिल प्यार करें,
जन गण मन के दिल में जो, रहती उसका सत्कार करें।
भारत माता हित रहता जिसका मस्तक उन्नत है,
उस हिन्दी के आन बान में, हम सब का सिर नत है।
आराधना प्रसाद
पटना( बिहार)

हिंदी दिवस पर क्या बोले? क्या कहूँ, कैसे कहूँ? हिंदी दिवस पर विशेष कविता

हिन्दी दिवस
क्या कहूँ, कैसे कहूँ
कि अपनी शान है हिन्दी।
अपनेपन से ओतप्रोत,
नव विहान है हिन्दी।
माधुर्य है इसके साथ-साथ
सम्मान का बोध कराती,
सच में प्यारी भाषा ये,
भारत की असली थाती।
एक सूत्र में सबको बांधे,
अपनी पहचान है हिन्दी,
बिन्दी है ये भारत मां की,
मानो वरदान है हिन्दी।
हिन्दी सेवा, सच्ची सेवा,
जो इसकी शरण हैं आते,
पाते आशीर्वाद हैं इनके,
जग में अपना नाम कराते।
फले-फूले हरदम ये तो,
दिलों के अरमान है हिन्दी,
देश-विदेश में परचम इसके,
सबसे धनवान है हिन्दी
---प्रीतम कुमार झा।
महुआ, वैशाली, बिहार

जन-जन की भाषा है हिंदी: दिवस पर कविता | आप सबों को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ

आप सबों को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
तो आइए आज पढ़िए,विश्व हिंदी दिवस पर मेरी स्वरचित रचना।
हिंदी हृदय की वाणी है
बचपन में सुनी मैं अपनी नानी से,
हिंदी में नयी कहानी है।

भाषा की जननी है हिंदी
साहित्य की गरिमा हिंदी,
जन -जन में बोले जाने वाली
वो राष्ट्र भाषा भी हिंदी।

भारतेंदु हरिश्चंद्र वो भी,जनक रहे हिंदी के,
हिंदी भाषा से लगाव था उनको इसलिए पिता कहलाए वो हिंदी के।

कवियों में हरिवंश राय बच्चन, महादेवी वर्मा, प्रेमचंद, रेणु जी, हिंदी भाषा के थे विद्वान कवि दीनबंधु निराला जी भी।

सबसे सुगम है भाषा हिन्दी
सबके प्रिय हैं भाषा हिन्दी,
नन्हें बच्चों के मुख से तुतलापन
निकली हुई मधुर भाषा भी हिंदी।

मेरे देश की भाषा हिंदी
पहचान भी मेरी हिंदी,
शान भी मेरी हिंदी
सम्मान भी मेरी हिंदी।

सरल भाषा है हिन्दी
सुलभ भाषा है हिन्दी,
हिंदी है हमारी पहचान
जैसे है माथे की बिंदी,
इसलिए तो सबसे प्रिय है
और सबसे अलग भी है मेरी हिंदी
जो कभी न की जा सकती
इसकी कोई भी गिनती।

हिंदी मेरी शान है
यह मधुर और मिष्ठान है,
यह हम भारतीयों का प्राण है
इस मातृभूमि पर रहने वाले,
सदा से हिंदी में गाते आ रहे
जन गण मन यह गान है।

देखो आज है हिन्दी दिवस
सभी के मन हैं अति आनंद,
इसलिए तो नीतू रानी
आज हिन्दी दिवस पर करती है
उनको शत्-शत् नमन।
नीतू रानी "निवेदिता"
पूर्णियाॅ॑ बिहार

हिंदी दिवस पर गीत Song Lyrics On Hindi Diwas

सभी देशवासियों को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
गीत: हिंदी दिवस
हिन्द की भाषा शान हिंदी,
रग-रग में बहती है।
दुनिया मे सिरमौर बनी है,
जन-जन में रहती है।।

जिसकी लिपि देवनागरी हो,
शब्द सब सुसज्जित है।
भाषा,विभाषा, बोलियों से,
मानवता रंजित है।
शिल्पकार शब्दो का बनना,
मेरी माँ कहती है।।
हिन्द की भाषा शान हिंदी,
रग-रग में बहती है।।

तेरी दिवानगी दुनिया में,
सबके सिर चढ़ बोले।
वेद शास्त्र से तू है पोषित,
मन मयूर सा डोले।
धर्म अर्थ इस काम क्रोध को,
सदियों से सहती है।।
हिन्द की भाषा शान हिंदी,
रग-रग में बहती है।

भारत माँ की सदा दुलारी,
माथे की है बिंदी।
जग में सबसे तू है प्यारी
सबसे न्यारी हिंदी।
आँचल में पलते हैं तेरी,
कृपा बनी महती है।
हिन्द की भाषा शान हिंदी,
रग-रग में बहती है।।
डॉ• सुभाष चंद 'रसिया"

हिंदी हमारी भाषा : हिंदी दिवस पर कविता

हिंदी हमारी भाषा
हम भारतीय हैं भारतवासी
गर्व है हमें हम हिंदी भाषी हैं,
राष्ट्रभाषा हमारी हिंदी
हिंदी मातृभाषा है
हमें अभिमान है पूरी
खुद के हिंदी भाषी होने पर।
बड़े छोटों का मान
हिंदी हमें सिखाती है
नहीं तो आंग्ल भाषा में
तो क्या के लिए एक ही शब्द
समझना आसान, समझाना आसान
जैसे हमें तिरंगा प्यारा
वैसे ही हिंदी प्यारी है।
शब्दों में मिठास है इसके
भाषा में उत्साह है।
सादगी की मूरत है
करती जब श्रृंगार है
विश्व पटल पर होगी जब
इसकी ओजपूर्ण प्रस्तुति
विश्व करता इसको
शीश झुकाकर नमन है
हिंदी कितनी है मृदुभाषी
अपनी भाषा अपनी बोली
सबसे है मृदुल
इस भाषा में सौहार्दता
विनम्रता झलकती
सी प्यारी राष्ट्रभाषा को
शीश झुकाकर नमन है
मेरा भी इस भाषा को को
शत शत अभिनंदन है
निज भाषा पर गर्व नहीं जिसे
क्या देश से प्रेम उसे होगा
वही वीर देश का प्यारा है
हिंदी ही जिसका नारा है।
धन्यवाद
अंशु तिवारी
पटना

हिंदी दिवस पर श्याम मठपाल की हिंदी भाषा पर प्रसिद्ध कविताएं

अपनी हिंदी

सहज -सरल -सुन्दर हिंदी
अक्षर- मात्रा और बिंदी

लिखो बोलो एक हिंदी
सही उच्चारण करती हिंदी

स्वर-व्यंजन की ये हिंदी
करोङो की आवाज हिंदी

खेत-खलियानों की हिंदी
खानों-कारखानों की हिंदी

गंगा-जमुना मैदानों की हिंदी
गीत-ग़ज़लों दालानों की हिंदी

कला संस्कृति की पुरोधा हिंदी
देश प्रेम की योद्धा हिंदी

पहाड़ों की गुंजन हिंदी
मंदिरों की पूजन हिंदी

देश की सेतु हिंदी
अपनी मिट्टी हेतु हिंदी

वीरों की आवाज हिंदी
कवियों की अंदाज हिंदी

मीरा-तुलसी की हिंदी
कबीर -रहीम की हिंदी

आज़ादी की तक़दीर हिंदी
भारत की तस्बीर हिंदी

टी.वी.-रेडियो की हिंदी
फिल्मों-नाटकों की हिंदी

बड़े बाजार की हिंदी
अपने समाचार की हिंदी

पोथे-कारोबार की हिंदी
सबके व्यापार की हिंदी

आंसू-ख़ुशी की हिंदी
सुखी-दुखी की हिंदी

करोड़ों की शान हिंदी
देश की पहचान हिंदी

घाटी-मैदान में हिंदी
सुनहरे रेगिस्तान में हिंदी

नृत्य-संगीत में हिंदी
अपने मीत में हिंदी

रेल-प्लेन में हिंदी
हर खेल में हिंदी

प्यार-दुलार की हिंदी
अपने घर-बार की हिंदी

शासन-प्रशासन की हिंदी
पानी-राशन की हिंदी

ज्ञान-विज्ञानं की हिंदी
पूरे हिंदुस्तान की हिंदी

धरती-आसमान की हिंदी
अपनी जान की हिंदी

लाखों के रोजगार का हिंदी
अब सारे संसार की हिंदी

अब न रहेगी किसी की बंदी
आज़ाद है अब अपनी हिंदी
श्याम मठपाल, उदयपुर

हिंदी को सम्मान चाहिए: हिंदी दिवस पर कविता

हिंदी को सम्मान चाहिए।
नेता जी का ध्यान चाहिए।
डरे हुए इस वर्तमान का।
अब तो नया विधान चाहिए।।

नासमझों के दिल के भीतर।
लगता है कुछ ज्ञान चाहिए।।
अंगरेजी की छुट्टी कर दे।
ऐसा मंत्र महान चाहिए।।

भारत की भाषाओं के संग।
हिंदी का उत्थान चाहिए।।
अनुवादों का काम चले।
बस ऐसा एक मकान चाहिए।।

स्वाभिमान से हिंदी बोले।
ऐसा हिंदुस्तान चाहिए।।
देवनागरी लिखने वाली।
बेशक कलम महान चाहिए।।

पाठ्यक्रमों में हिंदी हिंदी।
हरदम हिंदी गान चाहिए।।
माँ भारती के चरणों में।
हिंदी पुष्प महान चाहिए।।

संपर्कों से आगे बढ़कर।
राज करे वह मान चाहिए।
संग्रामी भाषा बन जाए।
ऐसा ही कुछ जान चाहिए।।

संविधान में हिंदी लिख दे।
ऐसा ही इंसान चाहिए।
कोर्ट कचहरी सभी जगह पर।
हिंदी का प्रतिमान चाहिए।।

कलम चले तो हिंदी लिख दे।
ऐसा शब्द विधान चाहिए।
मुँह खुलने पर हिंदी बोले।
ऐसा हमें बिहान चाहिए।।

हिंदी की महिमा जो गाए।
बस ऐसा भगवान चाहिए।।
देश हमारा हिंदीमय हो।
इतना बड़ा वितान चाहिए।।

ज्ञान भरा हो, मान भरा हो।
प्रेम भरा हर गान चाहिए।।
मिले सफलता इस हिंदी को।
विधि का यही विधान चाहिए।।

नौकरशाही हिंदी सीखे।
उसके मन में ज्ञान चाहिए।।
बजट बढ़ाओ अब हिंदी पर।।
हिंदी को अनुदान चाहिए।।
अन्वेषी

हिंदी दिवस पर गीत लिरिक्स – भारत में जन्म लिया है, हिंदी है अभिमान हमारा

गीत
भारत में जन्म लिया है, हिंदी है अभिमान हमारा
इस मिट्टी ने पाला पोसा, हिंदी है सम्मान हमारा

संस्कृत है हिंदी की जननी, शब्दों का उपहार दिया
देवनागरी लिपि से शोभित, ज्ञान का भंडार दिया
बोली-भाषा का है संगम, सबने दिया बहुत सहारा
भारत में जन्म लिया है, हिंदी है अभिमान हमारा

कितने रूप दिखे हिंदी के, सबने इसको सँवारा है
सहज सरल है हिंदी अपनी, दिल इसे पुकारा है
जन-जन की भाषा हिंदी, कैसे करें इससे किनारा
भारत में जन्म लिया है, हिंदी है अभिमान हमारा

रामायण तुलसी ने लिख दी, राम पहुँचे हर घर द्वार
चौपाई दोहों के रसों से, सबका करते हो उद्धार
भक्ति काल की ज्योति तुम हो, धर्म-संस्कृति की आधारा
भारत में जन्म लिया है, हिंदी है अभिमान हमारा

सेतु बनी तुम भारतवर्ष की, जय हिन्द का उद्घोष किया
अलख जगा दी आज़ादी की, देश भक्ति का जयघोष किया
वैर नहीं अपनी बहनो से, सबको ही हमने पुकारा
भारत में जन्म लिया है, हिंदी है अभिमान हमारा

लोक कला की तुम धरोहर, अधरों पर सजते हैं गीत
हर दिशा सुगन्धित होती, प्रणय निवेदन करते मीत
कोटि-कोटि कंठों की शोभा, सारा जग है लगता प्यारा
भारत में जन्म लिया है, हिंदी है अभिमान हमारा

धन की वर्षा तुमसे होती, लाखों का होता कल्याण
टीवी रेडियो फिल्मो में छाई, देती हो सबको पहचान
लाखों पाठक दर्शक तेरे, श्रोताओं में है नाम तुम्हारा
भारत में जन्म लिया है, हिंदी है अभिमान हमारा

दीन-हीन नहीं है हिंदी, मन में करलो दृढ़ विचार
गौरवशाली हिंदी अपनी, मान गया पूरा संसार
सर उठाकर हिंदी बोलो, कहना पड़े नहीं दोबारा
भारत में जन्म लिया है, हिंदी है अभिमान हमारा
श्याम मठपाल, उदयपुर

गौरव है हिन्दी से मेरा, इससे ही है मेरी पहचान: हिंदी दिवस पर गीत

( हिन्दी दिवस )
गौरव है हिन्दी से मेरा, इससे ही है मेरी पहचान।
भारत माँ के भाल की बिन्दी, मेरी हिन्दी मेरी शान।।

साधक साधन साध्य, ये तीनों एक साथ जब होते।
भक्त भक्ति भगवान, ज्ञान लो मन मालिन्य को धोते।।
पावन मन भावन मानुष के, हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान।.............१
भारत माँ के भाल की बिन्दी, मेरी हिन्दी मेरी शान।..........

नही सपूत भारत माँ के जो, प्यार न इससे करते।
शब्द शब्द में मधुरस है, साहित्यिक निर्झर झरते।।
नर की क्या है देव तरसते, मेरे भाग्य लिखो भगवान।..............२
भारत माँ के भाल की बिन्दी, मेरी हिन्दी मेरी शान।......

राजेश तिवारी "मक्खन"
झांसी उ प्र
मेरी यह रचना स्वरचित व मौलिक है।

हिंदी दिवस पर कविता: मुस्कुराती रहे मेरी हिन्दी जग में चँहुओर

कविता
मुस्कुराती रहे मेरी हिन्दी जग में चँहुओर
आज दिवस है जन गण मन की हिन्दी का,
मिलकर बढ़ायें हम सब हिन्दी का मान,
मुस्कुराती रहे मेरी हिन्दी, फैले धरती आसमान
बढ़े गरिमा हिन्दी की, मिले नयी पहचान
मुस्कुराती रहे मेरी हिन्दी...।

सुर, तुलसी, कबीर, खुसरो की यह भाषा,
रहीम, रसखान, जायसी की यह आशा,
लाल, बाल, पाल ने डाली इसमें जान,
हिन्दी से हो पूरे जगत का कल्याण।
मुस्कुराती रहे मेरी हिन्दी ...।

गाँधी, राजेन्द्र, पटेल, रेणु ने सींचा इसको,
विवेकानंद, अटल, रफी ने फुंके इसमें प्राण,
महादेवी, शिवपूजन, निराला ने दी आहुति,
दिनकर, पंत, नेपाली, लता ने बढ़ाई शान।
मुस्कुराती रहे मेरी हिन्दी...।

अज्ञेय, दुष्यंत, वर्मा ने हिन्दी की दी ऊँचाई
नागार्जुन, शुक्ल ने हिन्दी में दिया योगदान,
भारतेंदु, इंशा, काम ने किया अपना जीवन कुर्बान,
आनंद, हसरत, समीर हिन्दी गीत से बने महान।
मुस्कुराती रहे मेरी हिन्दी...।

प्रेमचंद, द्विवेदी, बेनीपुरी का इसमें आन,
नीरज, प्रदीप, गुलजार ने किया सम्मान,
मीरा, सरोजिनी ने की हिन्दी साहित्य की सेवा,
कवि"अकेला"को है हिन्दी पर स्वाभिमान।
मुस्कुराती रहे मेरी...।
अरविन्द अकेला
हिंदी दिवस पर कविता Poem On Hindi Diwas

सकल साहित्यिक सार हैं हिन्दी: हिंदी दिवस पर कविता

हिन्दी
सुंदर सरल सहज मधुरस सी,
सकल साहित्यिक सार हैं हिन्दी।
संस्कृति सुमन सरित रीत शोभित,
अभिब्यक्ति उपहार हैं हिन्दी।।
अद्भुत अविरल हैं मनमोहक,
सुर ध्वनि सरगम ताल हैं हिन्दी।
रुचिकर रमणीय राष्ट्र समर्पित,
भारत का पहचान हैं हिन्दी।।
तुलसी दास का काव्य चेतना,
पूर्ण पुरातन ज्ञान हैं हिन्दी।
चंद्रगुप्त चाणक्य का चिंतन,
अटल अखंड विधान हैं हिन्दी।।
हर वर्गों को करें समाहित,
सुमति सकल संज्ञान हैं हिन्दी।
रुचिकर रमणीय राष्ट्र समर्पित,
भारत का विज्ञान हैं हिन्दी।।
वीरों का तप-त्याग समर्पण,
कवियों का हुंकार हैं हिन्दी,
कुंठित कुलसित शत्रुजनों का,
रण में शस्त्र संहार हैं हिन्दी।।
दुनियां हैं जिसपर सम्मोहित,
मानवता का प्यार हैं हिन्दी।
रमणीय रुचिकर राष्ट्र समर्पित,
भारत का श्रृंगार हैं हिन्दी।।
स्वरचित मौलिक, सर्वाधिकार सुरक्षित.
चंद्रगुप्त नाथ तिवारी
सुंदरपुर बरजा
आरा (भोजपुर) बिहार

हिन्दी हमारी मातृ-गुरूदेव - हिंदी दिवस पर विशेष वंदना

हिन्दी भाषा आप मातु हैं ऐसी कृपा हमपे कर दो, छूट पाए न आँचल तुम्हारा।
हर निमिष जिंदगी की राह पर, मिल सके मातु संबल तुम्हारा।
हम सभी मातु संतान तुम्हारे, आपकी हैं, कृपा के सहारे।
भूल हमसे अगर हो अजाने, भूल उसको नहीं आप माने।
शक्ति का यूँ हुआ अवतरण है, हर मनुज आपकी ही शरण है।
आपसे पाएँगे जीवन मे यश, स्नेह, सद्विचार संचार लेखन शक्ति।
हे जगन्मातु आशीष का हो, शीश पर हाथ हर क्षण तुम्हारा।
विश्व की शक्तिरूपा हमें तो, हिन्दी लेखन मिले बल तुम्हारा।
हर तरफ जब घिरे आपदाएँ, हो डराती भयंकर कलम लेखनी।
जब ह्रदय में हताशा भरी हो, कलम सहमी हुई हो डरी हो।
तब चले साथ में हिन्दी माँ हमारे, हर क्षण मेघ शीतल तुम्हारा।
जब न ज्ञान मिले जिंदगी में, जब न अपनत्व हो समाज में।
जिंदगी खोखले सीप-सी हो, बुझते हुए दीपक-सी हो।
उस समय स्वातिकण-सा ह्रदय में, भर सकें स्नेह निर्मल तुम्हारा।
डॉक्टर रश्मि शुक्ला
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश, भारत

हिंदी दिवस पर कविता Poem On Hindi Diwas

हिन्दोस्तान एक ऐसा देश है जहाँ हर भाषा को सम्मान दिया है,
हर नागरिक को बहुत सम्मान दिया जाता है।
मेहमान भाषा हमारे देश की अंग्रेजी आज सब के दिल पर छा गयी।
अपने देश में अपनो के बीच रहते हुये आज हमारी हिंदी मेहमान बन गयी।
यदि आज हम और आप हिंदी बोलो तो लोगों को ग़मार लगते है।
अंग्रेजी बोलो तो इतनी इजाज्त मिलती की समाले नहीं समलती।
आओ दोस्त आज हिंदी दिवस पर हम सब एक वादा करते है अपनी प्यारी हिंदी को मेहमान भाषा से बचायें और अपने देश से इस मेहमान को विदा करे
प्रतिभा जैन
टीकमगढ़ मध्यप्रदेश

विषय- हिन्दी अनिवार्य : हिन्दी हमारी भाषा हमें जान से प्यारी है

हिन्दी हमारी भाषा हमें जान से प्यारी है।
हिन्दी संस्कृति हमारी, परंपरा- थाति है।
घर में लगती हिंदी हमें बहुत दुलारी है।
दिखावे खातिर बाहर अंग्रेजी अब भारी है।
हिंन्दी भारत माता के माथे की बिंदिया है।
हिंन्दी को छोड़ अंग्रेजी को नहीं अपनाना,
बच्चों की गिटर पिटर!
लगे उन्हें हिंदी हमारी शान है।
एकेडमी में पढ़ पाते सेवा,
गुरुकुल का आना जरुरी है।
बच्चे संस्कृति छोड़ रहे,
हिंदी को शान समझना जरुरी है।
अब करों बच्चों रुख भारतीय गुरुकुलों का,
भारतीय संस्कृति पुनर्स्थापित करना जरुरी है।
यहीं है हमारा आज का बुलंद नारा,
हिंदी को अनिवार्य बना चलाना है।
पोसाक, भाषा और सात्विकता हमारा परिचय,
नूतन हिंदुस्तान अब हमको मिल कर बनाना है।।
पुष्पा निर्मल
बेतिया, पश्चिम चंपारण, बिहार

हिन्दी दिवस महोत्सव : हिन्दी भाषा हमारी महान

हिन्दी भाषा हमारी महान
अंग्रेजी हमारी कभी मजबूरी थी।
उर्दू महज़ मुगलों की मज़दूरी थी।
कहने को हम आजाद हैं आज,
हिन्दी को फिर लाना जरुरी है।।

कभी मुगलिया सल्तनत से दूरी थी।
फिरंगी थे पृथकतावादी, चलती जी हजुरी थी।
दल्लाल विदेशियों की नहीं जरुरत है आज,
राष्ट्रभाषा हिंदी में हर काम जरुरी है।।

आदि लिपि कभी संस्कृत पाली थी।
मंत्रोच्चार संग बजती तब रणभेरी थी।
वंदे मातरम् हर जिह्वा पर बैठा आज,
जय हिंदी जय हिंदुस्तान आज जरुरी है।।

संविधान के अनुच्छेद ३४३ में राजभाषा हिंदी थी।
खंड १ में देवनागरी लिपि में भी हिंदी राजभाषा थी।
शासकीय प्रयोजनों हेतु जब अंकों का अंतर्राष्ट्रीय रूप है,
गिटिर पिटिर क्योंकर? बन गई हम सब की मजबुरी थी।।

खंड २ में लागू होने की अवधि १५ वर्ष तय थी।
२६ जनवरी, १९६५ के बाद हिंदी में की देरी थी।
किन लोगों ने की कोताही, विलम्ब किया है,
निश्चय हीं दिल्ली भेजे सांसदों की भीरुता थी।।

कवि हुंकृति गुँजायमान सदन में, बात हुई अधुरी थी।
राष्ट्रकवि पद पा संभवतः जिजिविषा समीत हुई थी,
दिर्धा में तालियों की ध्वनि दबी दबी, रिक्तप्राय थी।
आज पुरानी डफली फेंक शंखनाद् हमको करना है,
हिंदी अनिवार्य करो अब, माना तब कोई मजबूरी थी।।
डॉ. कवि कुमार निर्मल
बेतिया (पश्चिम चंपारण जिला मुख्यालय) बिहार

हिंदी दिवस पर सुंदर कविता

हिंदी
हमारी हिंदी
राष्ट्र भाषा है हिंदी
हिन्द देश की आन है हिंदी
संस्कृत की लाडली बेटी है हिंदी
हिंदुस्तान की तो मातृभाषा है हिंदी
हमारा मान,सम्मान,अभिमान है हिंदी
हिंदुस्तान के माथे की तो बिंदी है यह हिंदी
सुंदर, मीठी, सरल और सहज भाषा है हिंदी
हम सबकी एकता की अनुपम परंपरा है हिंदी
सब जन को एकसूत्र में पिरोने वाली डोर है हिंदी
काल को जीत लिया वो कालजयी भाषा है हिंदी
स्वतंत्रता की अलख जगाने वाली भाषा है हिंदी
जिसके बिना हिंद थम जाए वो भाषा है हिंदी
गुलामी की जंजीर तोड़ने वाली थी हिंदी
हिंदुस्तान की तो जीवन रेखा है हिंदी
वीर सपूतों की लाडली थी हिंदी
स्वतंत्रता की कहानी है हिंदी
पराई नहीं अपनी है हिंदी
आपकी भी है हिंदी
मेरी भी है हिंदी
सबकी हिंदी
हिंदी हिंदी
हिंदी
आज १४ सितंबर विश्व हिंदी दिवस की शुभकामना
:
सदैव मुस्कराते रहे
विनोद कुमार जैन वाग्वर

राष्ट्रभाषा हिन्दी देव-वाणी संस्कृत की है यह अमर सुपुत्री

हिन्दी दिवस की हार्दिक बधाई एवं अनंत शुभकामनाएँ;
शीर्षक - राष्ट्रभाषा हिन्दी
देव-वाणी संस्कृत की है यह अमर सुपुत्री,
सुकंठ्य-सुभाषिनी हिन्दी है इसका नाम,
युगों-युगों के अपार परंपराओं की सुकृति,
आज भी रखी है जीवंत निज विरासत तमाम|
देववाणी -----

कल्कियुग,द्वापरयुग,सत्ययुग हो या फिर त्रेता,
जिनके सहयोग से भारत बना विश्वगुरू-विजेता,
संभाल रखी है जो आँचल में सभ्यता-संस्कृति,
कोटि-कोटि जुबान करते जिनको वंदन प्रणाम!
देववाणी -----

नवजातों के प्रथम बोल में मिलता जिसका मान,
हिन्दी ही है वो भाषा,वतन है हमारा हिन्दुस्तान,
जिनके कोख से जन्मी है कई भाषाएँ नवकृति,
जनहित को समर्पित हिन्दी की निष्ठा-निष्काम|
देववाणी -----

अनेकता को एकता के सूत्र में ये बाँधने वाली,
वेदों,पुराणों,उपनिषदों,ग्रंथों को थामने वाली,
सर्वत्र यह उपयुक्त सर्वगुण-संपन्न भाषावृत्ति,
शोभित है साहित्य-संगीत कला के सारे आयाम|
देववाणी -----

हिन्दी बनाए अखंड भारत संपूर्ण माँ भारती को,
पहचानो भारतीय विश्व-धरोहर हिन्दी सारथी को,
जुबाँ-जुबाँ बोले, रग-रग में बहे हिन्दी प्रकृति,
दिलों में बिठा इसे,एकता है हिन्दी का परिणाम|
देववाणी ----

हिन्दी है राष्ट्रभाषा,बने एकदिन विश्व की भाषा,
गढ़े नव कीर्तिमान यह जग में,यही है अभिलाषा,
हिन्दी की हो दिन-दुनी रात चौगुनी विकास प्रवृत्ति,
विकास के पथ पे चलती रहे अनंत तक अविराम|
देववाणी -----
ज्योति भाष्कर "ज्योतिर्गमय"
पतरघट,सहरसा(बिहार)
प्रमाणित करता हूँ कि ये मेरी स्वरचित रचना है!

भारत माँ के माथे की बिंदी हमको सिखा रही है हिंदी– हिंदी उर्दू साहित्य संसार

भारत माँ के माथे की बिंदी हमको सिखा रही है हिंदी
ध्वनियाँ की अनुभूति संवेदनाओं की अनुगूँज है हिंदी

गर्वीली मातृभाषा बनी संवैधानिक राजभाषा हिंदी
अंग्रेज़ी क़ाबिज़ है तुलना में क्यूँ बनाऊँ दोयम हिंदी

सामाजिक,आर्थिक विषमता से घनिष्ट रूप से जुड़ी हिंदी
ये समान ज्ञान, अनुभव और कौशल रखती अपनी हिंदी

अखंड भारत की साकार परिकल्पना है राष्ट्रभाषा हिंदी
ज्ञान कासृजन कर विश्व में अपना परचम फैलाती हिंदी

अवधी कौरवी हरियाणवी ब्रज हिमाचली भोजपुरी
कुमायूंनी गड़वाली राजस्थानी बघेली बुंदेली मैथिली

कन्नौजी विविधरूपणी सभी भाषाओं कि जननी हिंदी
अंतर्रराष्टीय स्तर पर फैल ज्ञान विज्ञान सिखाती हिंदी
शबनम मेहरोत्रा
१३/१०/१८

हिन्दी को सलाम : हिन्दी दिवस पर शायरी ग़ज़ल

हिन्दी को सलाम
राष्ट्र भाषा बनाने में सियासत कैसी।
हिन्दी राष्ट्र भाषा से अदावत कैसी।।

किसी भाषा का हिन्दी पर जोर नही है।
राष्ट्र भाषा बनाने में गिरावट कैसी।।

सत्ता परिवर्तन होता रहें हुआ है फिर।
आज भी बढ़ गई अंग्रेजी की चाहत कैसी।।

देश में अंग्रेजी की कमाई खाई जाती।
हिन्दी से प्रेम बताना ये दिखावट कैसी।।

सच्चाई देश को अंग्रेजी ने जकड़ा है।
झूठी आस हिन्दी से लगा थकावट कैसी।।

चायना अपनी भाषा मे करता तरक्की।
अंग्रेजी के गुलाम फिर आज सजावट कैसी।।

नही कर सकते हिन्दी के लिए कुछ कहो ना।
छोड़ दो खुर्ची फुजूल दोगली बनावट कैसी।।

कई वर्षो से हम चालिस चलाया अभियान।
पुछेंगे हिन्दी से इतनी लगावट कैसी।।

'शहज़ाद' हिन्दी में पले बड़े उपाधि पाई
हिन्दी दिवस को करों सलाम बगावत कैसी।।
मजीदबेग मुगल 'शहज़ाद'
हिगणघाट, जि, वर्धा, महाराष्ट्र
8329309229

पढ़ें हिंदी लिखें हिंदी ये अपनी राष्ट्रभाषा है: Hindi Day Quotes हिन्दी दिवस पर विचार

हिंदी हल्दी रोली चंदन के जैसी मनभावन है।
हिंदी है धड़कन देश की हिंदी लोक लुभावन है।।
पढ़ें हिंदी लिखें हिंदी ये अपनी राष्ट्रभाषा है।
ज्ञान भारती है हिंदी, हिंदी सब से पावन है।।
हिन्दी दिवस की बहुत बहुत बधाई हार्दिक शुभकामनाएं
उदय शंकर चौधरी नादान
युवा सशक्तिकरण संघ राष्ट्रीय महासचिव
कोलहंटा पटोरी दरभंगा
7738559421

हिंदी दिवस पर मेरी हार्दिक शुभाशंसा —

"बोलें जब भी
हिंदी बोलें ;
अमृत में कभी
विष मत घोलें।
टा -टा, बाई -बाई
से नाता नहीं जोड़ें
गीत सदा अपनी
संस्कृति का गाएँ
हिंदी का सम्मान कर
संस्कार और
संस्कृति बचाएँ।
सादर, सस्नेह भेंट
सप्रेम उदय

नदिया जैसी बहती है भाषा कुछ-कुछ कहती है: हिंदी दिवस पर कविता

हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
शीर्षक - नदियां भाषा

नदिया जैसी बहती है।
भाषा कुछ-कुछ कहती है।।

संस्कृत, पालि, प्राकृत, अपभ्रंश।
इसकी लंबी कहानी है।।

सूर,तुलसी,मीरा जैसे।
रत्नों से यह भरी है।।

हर भाषाओं को यह अपने।
में समाने वाली है।।

मां की ममता जैसा।
वात्सल्य है।।

यह श्रृंगार के दोनों पक्षों।
का आधार है यह।।

इसकी शब्द सुंदरता मनोहर है।
हर जन-जन के गले का कंठ हार है।।

नदिया जैसी बहती है।
भाषा कुछ-कुछ कहती है।।

कलम से.....
राम शरण सेठ

हिंदी दिवस पर मुक्तक | मातृभाषा दिवस पर भाषण

क्यों छेड़ते हो हिन्दी को और अंग्रेजी पढ़ाते हो।
क्यों सब भारत के निंदनीय सुविधा अपनाते हो।
क्या तुम्हे पता नही है, इतिहास हमारे वीरों का
छोड़ दो अंग्रेज़ी यह कड़ी है, भारत की जंजीरो का।
पूनम यादव
वैशाली बिहार से

हिंदी दिवस स्टेटस Hindi Day Quotes Status

हिंदी दिवस के महापर्व पर कलम प्रसारक डॉ मंजु गुप्ता की ओर से हिन्दी उर्दू साहित्य संसार के मंच के सभी आत्मीय जनों को हार्दिक शुभकामनाएँ, बधाई
गर्व से मैं हिंदी सिखाती हूँ।
शान से मैं हिंदी पढ़ाती हूँ।
हिंदी से जुड़ी जीविका मेरी।
ओढ़ के मैं हिंदी बिछाती हूँ।।
डॉ मंजु गुप्ता
वाशी, नवी मुंबई

हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

आप सभी को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
बस यही कहना है हिंदी का सम्मान करो
भारत भूमि पर इसका तुम व्यख्यान करो
शौक रखो हर भाषा की बात यही है पर
हिंदी श्रेष्ठ धर्म संस्कृति हो बस यही गुणगान करो...
वर्षा तिवारी
Poem On Hindi Diwas In Hindi
हिन्दी दिवस पर हिन्दी कविता
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