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14 सितम्बर को हिन्दी-दिवस मनाया जाता है जानिए क्यों और कैसे?

हिंदी दिवस पर विशेष प्रस्तुति14 सितम्बर को हिन्दी-दिवस मनाया जाता है जानिए क्यों और कैसे?

" हिन्दी-दिवस " कब मनाया जाता है?
हमारे भारतवर्ष में हर वर्ष यानी हर बरस चौदह/ 14 सितम्बर( सितम+ अम्बर हरगिज़ नहीं) को हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है! चौदह/ 14 सेप्टेम्बर को हिन्दी-दिवस मनाने का आगाज़ यानी श्रीगणेश या शुरूआत चौदह सितनम्बर सन् 1949 ईस्वी को तब हुई जब भारत-गणराज्य की आधिकारिक राज-भाषा के रूप में हिन्दी-भाषा को तसलीम यानी स्वीकृत मिली!
हालाँकि या जब कि छब्बीस जनवरी, सन् 1950 ईस्वी को भारत-गणराज्य के संविधान द्वारा आधिकारिक रूप में इस्तेमाल या प्रयोग करने का विचार और फ़ैसला लिया गया था, पंडित नेहरू, सरदार पटेल, राजेंद्र प्रसाद वग़ैरा द्वारा!?, लेकिन दीगर हिन्दुस्तानियों और बुद्धिजीवियो ने हिन्दी-भाषा से सीनियर " उर्दू-ज़ुबान " को " हिन्दुसन्तान " की " राज्य-भाषा " बनाने का मशवरा दिया था!? क्योंकि "शाह,-ए-जहाँ " और फिर हज़रत-ए-अमीर खुसरो-व-हज़रत-ए-निज़ाम-उद-दीन-उल-औलिया रहमतुल्लाह-अलैह के साथ-साथ अज़ीमतरीन् उसात्ज़ा-शोअरा, मस्लन/ जैसे :- मीर तक़ी मीर, मीरज़ा असद-उल-लाह ख़ान-ए-ख़ानाँ-व-जानाँ ग़ालिब, आतिश, मोमिन, दर्द, हातिम, वली, रुसवा, आरज़ू, रंगीन, मज़हर जान-ए-जानाँ, और ‘‘मौलवी साहब’’ वग़ैरा से लेकर बबहादुर शाह ज़फ़र, आदि, और फिर " आज़ाद-हिन्दुस्तान " के बाद तक " भारत " के ज़्यादातर लोग " उर्दू " ही बोलते थे!?
भारत के गणराज्य बनने के बाद नेताओं की सितमज़रीफ़ी और मेहरबानी के कारण " हिन्दी-भाषा " को हिन्दुस्तान की सरकारी-ज़ुबान यकायक घोषित कर दिया गया!? मौलाना आज़ाद, सर सैयद अहमद खाँ, अकबर अल्लाह-आबादी, और दूसरे तमाम शोअरा, उदबा, उसातिज़ा, लेखक, कविगण, आदि नेहरू, गाँधी, पटेल, शास्त्री, आदि के " दुम-छल्ले " ही बने रहे!? ख़ुदा ख़ैर करे ( मगर करेगा नहीं, शायद )!
हिन्दी-दिवस को कुछ लोग ख़ुशी से मनाते हैं,और कुछ लोग बे-दिली से!?
हिंदी दिवस पर विशेष प्रस्तुति निबंध लेखन - रामदास प्रेमी राजकुमार जानी

चौदह सितम्बर को बहुत प्रेम और उत्साह से हिन्दी-दिवस " मनाते हैं!

तक़रीबन निस्फ़ हिन्दी-आबादी " हिन्दी-भाषा " का स्वागत इश्क-व-मुहब्बत से करते हैं,लेकिन दीगर निस्फ़-आबादी वाले लोगों को अपनी ही इलाक़ाई-भाषा या भाषायें प्यारी हैं!!
कुछ लोग अपने दफ़तरों, स्कूलों, काॅलेजों, वग़ैरा में हर बरस चौदह सितम्बर को बहुत प्रेम और उत्साह से " हिन्दी-दिवस " मनाते हैं! शायर, गीतकार, अदीब, लेखक, आलोचक, कहानीकार, नोभेल-निगार, अफ़साना-नवीस, वग़ैरा हिन्दी-भाषा और भारतीय संस्कृति के महत्व के बारे में बातें करने के लिए नेताओं के आगे-पीछे लगे रहते हैं!? विद्यालयों के विद्यार्थीगण, शिक्षकगण, मक़ामी, ग़ैर मक़ामी लेखकों व दीगर पढे-लिखे लोगों द्वारा " हिन्दी-दिवस " पर कविताएँ, नज़्में, ग़ज़लें, कहानियाँ, अफ़साने, नात शरीफ वग़ैरा लिखने वाली प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं!! मुख़्तलिफ दफ़तरों/ कार्यालयों के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में छात्र-छात्रायें और गुरूगण और ‘‘मौलवी साहब’’ भी भाग ले कर अपने इल्म-व-हुनर पेश करते रहते हैं!! इस ज़माने के लोग फ़िरन्गी यानी अन्ग्रेजी तालीम-व-तरबियत को ज़यादा पसन्द कर रहे हैं!?
ज़माना चाहे जो कहे या करे!, हम लोग
हर बरस चौदह सितम्बर को "हिन्दी-दिवस " बड़े शौक़ और उत्साह से मनाते हैं, और आइन्दा भी मनाते रहेंगे۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔!!!
लेखक:- डाक्टर इन्सान प्रेमनगरी,द्वारा,डॉक्टर रामदास प्रेमी राजकुमार जानी दिलीपकुमार कपूर,डॉक्टरजावेद अशरफ़कैस फैज अकबराबादी मंजिल,डॉक्टरखदीजा नरसिंग होम, रांचीहिल साईड,इमामबाड़ारोड राँची-834001,झारखण्ड,इन्डिया
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