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नागार्जुन का जीवन परिचय - नागार्जुन के काव्य की विशेषताओं का प्रमुख आधार क्या है?

नागार्जुन का जीवन परिचय - नागार्जुन का मूल नाम क्या था?

साहित्य

नागार्जुन का जीवन परिचय - नागार्जुन का मूल नाम क्या था?

युग पुरुष नागार्जुन - नागार्जुन के पुण्यतिथि पर

नागार्जुन का जन्म 1891 ईस्वी में बिहार के दरभंगा जनपद के तरौनी नामक गांव के एक साधारण ब्राह्मण परिवार में हुआ था इनके बचपन का नाम वैद्यनाथ मिश्र था। इन्हें यात्री उपनाम से जाना जाता है।

नागार्जुन के व्यक्तित्व की विशेषताएं

इनके व्यक्तित्व की एक बहुत बड़ी विशेषता रही है कि जीवन पर्यंत इन्होंने कोई नौकरी व्यवसाय या सरकारी गैर सरकारी संस्थान का आशय नहीं लिया। इन्हें जीवन पर्यंत मसी जीवी ही बने रहना पड़ा।

नागार्जुन के काव्य की विशेषताओं का प्रमुख आधार क्या है?

नागार्जुन की काव्यचेतना पूरे भारत को समग्रता के साथ अपने में समाहित किए हुए हैं। मिथिला जनपद से जुड़े होने के कारण उस अंचल की सोंधी गंध के साथ ही, उसके खेत- खलिहान और किसानी ग्रामीण जनता के प्रमुख उत्पीड़क बड़े जमींदारों की सामंती प्रकृति पर भी कवि ने गिन-गिन कर चोटें की है।

शोषित पीड़ित किसानी जीवन के प्रति लगाव, गहन सामाजिक प्रतिबद्धता, प्रखर राजनीतिक चेतना की कलात्मक अभिव्यक्ति के साथ ही प्रकृति के प्रति नागार्जुन का गहरा आकर्षण रहा है। हरे-भरे खेतों, आंचलिक नदी-नालों के साथ ही कवि ने प्रातः, संध्या, बादल, धूप, वर्षा, चांदनी आदि के मोहक रूप को अत्यंत कुशलता के साथ अपने काव्य में अंकित किया है।

बादल को घिरते देखा है, बरफ पड़ी, मेघ बजे, घन-कुरंग, फूले कदंब, फिसल रही चांदनी, बच्चा चिनार का, सोनिया समंदर आदि कविताएँ इस दृष्टि से विशेष उल्लेख रहा है।

नागार्जुन के काव्य शिल्प की सर्वाधिक महत्वपूर्ण विशेषता

नागार्जुन के काव्य शिल्प की सर्वाधिक महत्वपूर्ण विशेषता है, उनकी व्यंग्यात्मक शैली। कबीर के बाद कविता में व्यंग का इतना सार्थक प्रयोग अन्य किसी कवि ने नहीं किया है। शैली की दृष्टि से यह व्यंग्यात्मकता नागार्जुन को आधुनिक कवियों के बीच एक निजी पहचान से मंडित करती है।

नागार्जुन की प्रमुख कविता संग्रह

इनकी प्रमुख कविता संग्रह:- युगधारा, सतरंगे पंखों वाली, प्यासी पथराई आंखें, तालाब की मछलियां, चंदना, खिचड़ी विप्लव देखा हमने, तुमने कहा था, पुरानी जूतियों का कोरस, हजार-हजार बाहों वाली, भस्माङ्कुर, चित्रा, पत्रहीन नग्न गाछ, तथा धर्मलोक शतकम इत्यादि।

नागार्जुन के प्रमुख उपन्यास

प्रमुख उपन्यास:- रतिनाथ की चाची, बलचनमा, बाबा बटेश्वरनाथ, दुख मोचन, वरूण के बेटे, पारो, नई पौध आदि।

नागार्जुन की कविताएं काफी चर्चित रही है।
बंगाल के अकाल का जीवंत चित्रण नागार्जुन जी की कलम से:-

अकाल और उसके बाद

कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास
कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास
कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त
कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त।
दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद
धुआँ उठा आँगन से ऊपर कई दिनों के बाद
चमक उठी घर भर की आँखें कई दिनों के बाद
कौए ने खुजलाई पाँखें कई दिनों के बाद।
शासन की बंदूक कविता में कवि व्यवस्था को चुनौती देते हुए कहते हैं, कि व्यवस्था बंदूक के बल पर जनता पर शासन नहीं कर सकती। जनता के प्रतिरोध के सामने बंदूक की ताकत नगण्य हो जाती है।

शासन की बंदूक

खड़ी हो गई चाँपकर कंकालों की हूक
नभ में विपुल विराट-सी शासन की बंदूक
उस हिटलरी गुमान पर सभी रहें है थूक
जिसमें कानी हो गई शासन की बंदूक
बढ़ी बधिरता दस गुनी, बने विनोबा मूक
धन्य-धन्य वह, धन्य वह, शासन की बंदूक
सत्य स्वयं घायल हुआ, गई अहिंसा चूक
जहाँ-तहाँ दगने लगी शासन की बंदूक
जली ठूँठ पर बैठकर गई कोकिला कूक
बाल न बाँका कर सकी शासन की बंदूक
नागार्जुन जैसे कालजयी कवि के पुण्यतिथि पर उन्हें शत-शत नमन।
डॉ० विभा माधवी - नागार्जुन का जीवन परिचयडॉ० विभा माधवी - नागार्जुन का जीवन परिचय
डॉ० विभा माधवी
सी०एस०+2 स्कूल माडर
खगड़िया

हिन्दी उर्दू साहित्य संसार

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