राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त पावन जयंती पर कविता Poem On Maithili Sharan Gupt In Hindi
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त
(पावन जयंती पर कोटि कोटि नमन)
शानदार वास्तविकताओं से सुसज्जित है,
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की कहानी।
03 अगस्त 1886 को जन्म हुआ इनका,
चिरगांव, झांसी, यू. पी. की मेहरबानी।
पिता सेठ रामचरण गुप्त विद्वान थे,
ज्ञान के माहौल में शुरू हुई जिंदगानी।
शानदार वास्तविकताओं से………….
वे बहुत बड़े देशभक्त व गांधीवादी थे,
भारत भारती है अमिट एक निशानी।
अपनी कलम शक्ति से, गुप्त जी ने,
बार बार पिलाया था गोरों को पानी।
बापू ने ही पहले राष्ट्रकवि कहा था,
समस्त भारत ने बात दिल से मानी।
शानदार वास्तविकताओं से…………
हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत की पढ़ाई,
घर में की बिन उठाए कोई परेशानी।
साकेत और यशोधरा महाकाव्य उनके,
सदा यह दुनिया रहेगी इसकी दीवानी।
पद्मविभूषण व पद्मभूषण प्राप्त हुए,
राज्य सभा में भी भूमिका थी तूफानी।
सुंदर वास्तविकताओं से………..
पंचवटी, शकुंतला, द्वापर व जय भारत,
उनकी अन्य रचनाएं हैं जानी पहचानी।
जयद्रथ वध, किसान और नहुष भी हैं,
जो कभी भी हो सकती नहीं हैं पुरानी।
12 दिसंबर 1964 को, दुनिया छोड़ दी,
जिंदा रहेंगे, जबतक है सागर में पानी।
सुंदर वास्तविकताओं से………..
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त
(पावन जयंती पर कोटि कोटि नमन)
शानदार वास्तविकताओं से सुसज्जित है,
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की कहानी।
03 अगस्त 1886 को जन्म हुआ इनका,
चिरगांव, झांसी, यू. पी. की मेहरबानी।
पिता सेठ रामचरण गुप्त विद्वान थे,
ज्ञान के माहौल में शुरू हुई जिंदगानी।
शानदार वास्तविकताओं से………….
वे बहुत बड़े देशभक्त व गांधीवादी थे,
भारत भारती है अमिट एक निशानी।
अपनी कलम शक्ति से, गुप्त जी ने,
बार बार पिलाया था गोरों को पानी।
बापू ने ही पहले राष्ट्रकवि कहा था,
समस्त भारत ने बात दिल से मानी।
शानदार वास्तविकताओं से…………
हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत की पढ़ाई,
घर में की बिन उठाए कोई परेशानी।
साकेत और यशोधरा महाकाव्य उनके,
सदा यह दुनिया रहेगी इसकी दीवानी।
पद्मविभूषण व पद्मभूषण प्राप्त हुए,
राज्य सभा में भी भूमिका थी तूफानी।
सुंदर वास्तविकताओं से………..
पंचवटी, शकुंतला, द्वापर व जय भारत,
उनकी अन्य रचनाएं हैं जानी पहचानी।
जयद्रथ वध, किसान और नहुष भी हैं,
जो कभी भी हो सकती नहीं हैं पुरानी।
12 दिसंबर 1964 को, दुनिया छोड़ दी,
जिंदा रहेंगे, जबतक है सागर में पानी।
सुंदर वास्तविकताओं से………..
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त पावन जयंती पर कोटि कोटि नमन
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