Ticker

6/recent/ticker-posts

विश्व हिंदी दिवस पर हिन्दी कविता और हिंदी शायरी Vishva Hindi Divas

विश्व हिंदी दिवस पर हिन्दी कविता और हिंदी शायरी : हिंदी उर्दू साहित्य संसार


राष्ट्रभाषा भक्ति गीत : हिंदी माता

“राष्ट्रीय हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर सभी हिंदी प्रेमियों को ढेर सारी अग्रिम हार्दिक शुभकामनाएं एवं अशेष बधाईयां।”

“हिंदी ही हमारी आन, बान और शान है,
हिंदी हिंदुस्तानियों की अनोखी पहचान है।
14 सितंबर को हिन्दी दिवस मनाते हम,
हिंदी की शान से जुड़ी अपनी मुस्कान है।”
आज भी राष्ट्रभाषा बनने हेतु तड़प रही है,
राजभाषा रूप में, हमारी प्यारी हिंदी माता।
सबका भाग्य बदला, अनोखा वरदान मिला,
हिंदी से क्या भूल हुई, कहो भाग्य विधाता!
आज भी राष्ट्रभाषा…………

पछतर बसंत आए और चले गए रुलाकर,
सावन भी वैसे बीते, भागे सपने दिखाकर।
सरस्वती माता भी देखती रही है चुपचाप,
काश! कोई ऐसा होता, यह फर्ज निभाता!
आज भी राष्ट्रभाषा………….

अब तक इसको, केवल वादे ही वादे मिले,
कभी कम तो कभी जरूरत से ज्यादे मिले।
राष्ट्रभाषा अभियान भी जैसे पड़ गया ठंडा,
जो भी आता, खाता गाता, अपना सुनाता।
आज भी राष्ट्रभाषा…………

हिम्मत अभी भी, टूटी नहीं राष्ट्रभाषा की,
अब भी कुछ किरणें बची हुई हैं आशा की।
बहुत बड़े बड़े बदलाव हुए हैं, आज देश में,
अफ़सोस है, कोई नहीं सुनता इसकी गाथा।
आज भी राष्ट्रभाषा…………..

आज सारे मिलकर इसको राष्ट्रभाषा बनाएं,
व्यवहार और पत्राचार में हिंदी को अपनाएं।
हिंदी बिना हिंदुस्तान की जिंदगी है अधूरी,
बहुत पुराना है हमारा हिंदी भाषा से नाता।
आज भी राष्ट्रभाषा…………..
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

हिंदी दिवस की बधाई

विश्व हिंदी दिवस पर हिन्दी कविता और हिंदी शायरी Vishva Hindi Divas

विश्व हिंदी दिवस पर कविता : हिंदी उर्दू साहित्य संसार


(विश्व हिंदी दिवस विशेष रचना)
हिंदी प्रेमियों, हिंदी दिवस की बधाई है,
हिंदी ने अब, दिलों में जगह बनाई है।
हार्दिक शुभकामनाएं, दे रहा हूं आपको,
राष्ट्रभाषा बनने की छिड़ी हुई लड़ाई है।
हिंदी प्रेमियों………
हम सब फिर से कुछ सोच विचार करें,
हिंदी अपनाएं, इससे सच्चा प्यार करें।
दिखावटी कुछ भी नहीं हो, संग इसके,
यात्रा लंबी है, कहीं पर्वत, कहीं खाई है।
हिंदी प्रेमियों…………..
कुछ लोग तो, जपते हैं हिंदी का नाम,
लेकिन अंग्रेजी में करते हैं अपने काम।
भोली हिंदी, यहीं पर हार जाती हमेशा,
इसलिए अबतक सफल नहीं हो पाई है।
हिंदी प्रेमियों……….
बाप करता है खूब, हिंदी का गुणगान,
बेटा इसे पढ़ने में मानता है अपमान।
नुकसान हिंदी का यही लोग करते हैं,
भाग्य पर यही, काली बदली छाई है।
हिंदी प्रेमियों…….
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

विश्व हिंदी दिवस : हिंदी भाषा पर प्रसिद्ध कविताएं

हिंदी हिंदी हिंदी हिंदी
माँ भारती के भाल की बिन्दी
हिंदी हिंदी हिंदी हिंदी
हिंदी हें अभिमान हमारा
हिंदी स्वाभिमान हमारा
हिंदी है हिन्दुस्तान हमारा

हिंदी अपनी राष्ट्रीय भाषा है
हिन्दी अपनी मातृ भाषा है
हिंदी अपने देश की भाषा है
हिंदी अपना इतिहास है
फिर बोलो केसा ये यारों
हिंदी से परिहास है
हिंदी हिंदी हिंदी हिंदी

गंगा का पानी हें हिंदी
रहीम कबीर की वाणी हिंदी
तुलसी की रामायण हिंदी
हिन्दी हिंदी जय जय हिन्दी

चिड़िया की चह चह हें हिदी
कोयल की कू कू हें हिंदी
गौ माता की बोली हिंदी
हिंदी हिन्दी प्यारी हिंदी
जय जय हिदी हिंदी हिंदी

हम कवियों के काव्य हें हिन्दी
अपने गीत संगीत हें हिंदी
जीवन की मुस्कान हें हिंदी
अपनी तो पहचान हें हिंदी
मातृ भूमि की शान हें हिंदी
जय जय हिंदी हिंदी हिंदी

माँ मामा पिताजी हिंदी
दादा दादी नाना नानी हिंदी
अम्मा की हें लोरी हिंदी
नानी दादी की कहानी हिन्दी
कितनी प्यारी निराली हिंदी
हिंदी हिंदी हिंदी हिंदी

गर्व से बोलो हिंदी हिंदी
सब मिल बोलो हिंदी हिंदी
प्रेम से बोलो हिंदी हिंदी
सबसे प्यारी बोली हिंदी
जय जय हिंदी हिन्दी हिन्दी
लिखो हिंदी पढ़ो हिंदी
वाह वाह हिदी जय जय हिन्दी
जय हिंदी जय हिंद बंदे मातरम
निर्दोष लक्ष्य जैन
6201698096
स्वरचित
धनबाद

हिंदी दिवस पर गीत : सोच सोच इठलाता हूं विश्व हिन्दी दिवस

ये सोच सोच इठलाता हूं
मैं हिंद का वासी हूं
मैं हिंदी का भाषी हूं
गर्व मुझे है फक्र मुझे
हिंदुस्तानी कहलाता हूं
मैं सोच सोच इठलाता हूं
हिंदी के गीत गाता हूं
हिंद का रहने वाला हूं
हिंदी जन जन को प्यारी।
वेद पुराणों ने दर्शाई
गीता रामायण ने अपनाई
तुलसी की चौपाई हिंदी
रहीम,कबीर के दोहे हिंदी
कवियों की वाणी हिंदी
नानी की कहानी हिंदी
अम्मा की लोरी है हिंदी
चिड़ियां की चहचह है हिंदी
मां भारती के भाल की बिंदी
संस्कृत की बेटी हिंदी
भारत की संस्कृति हिंदी
उर्दू की बहना है हिंदी
भोजपुरी की भोजाई है हिंदी
अपनी तो पहचान है हिंदी
अपना तो सम्मान है हिंदी
अपना गुमान ,अभिमान है हिंदी
अपना तो इतिहास है हिंदी
आओ हम अपनाए हिंदी
जन जन को समझाए हिंदी
लिखो, पढ़ो,बोलो हिंदी
जय हिंद जय हिंदी बोलो
बंदे मातरम गर्व से बोलो
राधे ,राधे श्री कृष्णा बोलो
जय श्री राम प्रेम से बोलो
इंडिया नहीं भारत बोलो
निर्दोष लक्ष्य जैन

हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं शायरी

साहित्य काव्य से जुड़े समस्त माताओं बहनों और बंधुओं को हृदयतल से मेरा सादर नमन तथा
अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी दिवस

वर्ष दो हजार बाईस का यह,
बीत रहा आज का दिन दस।
आओ हँसी खुशी से मना लें,
अंतर्राष्ट्रीय यह हिन्दी दिवस।।
अंगरेजियत को दूर भगाकर,
हिन्दी को अंतर्मन अपनाएँ।
हिन्दी हमारी अति मधुर भाषा,
हिन्दी को अंतर्राष्ट्रीय बनाएँ।।
नहीं संस्कृति बाय बाय टाटा,
नहीं गुडमाॅर्निंग नहीं गुड बाॅय
नहीं सरसता अंगरेजियत में,
नहीं मधुरता है यह हेलो हाय।।
अंगरेजियत है महज दिखावा,
अंगरेजियत एक मिथ्या शान।
हिन्दी को ही हम करें प्रचारित,
हिन्दी विश्व में बनाए पहचान।।
अंगरेजी में अहंकार छुपा है,
छोटे को है तुच्छ ही समझना।
आए समस्या गंभीर कोई भी,
निज समस्या से सदा उलझना।।
हिन्दी सिखाता मिलजुल रहना,
भ्रातृभाव सदा एक सा रखना।
हिन्दी त्यागते अहंकार है जगता,
तीखा स्वाद पड़ता है चखना।।
हिन्दी का विश्व में भी मान बढ़े,
हिन्दी का विशेष सम्मान बढ़े।
हिन्दी बन जाए अंतर्राष्ट्रीय भाषा,
हिन्दी का विशेष पहचान बढ़े।।
अरुण दिव्यांश 9504503560
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना।

विषयः राष्ट्रभाषा हिन्दी का गुणगान

दिनांकः 12 सितंबर, 2022
दिनः सोमवार
शीर्षकः अभिलाषा
मैं भारत माता की बेटी हूँ,
मैं ही राष्ट्रभाषा हिन्दी हूँ।
माथे पर होकर विराजित,
सुन्दर शोभनीय बिन्दी हूँ।।
तुम भी भारत के बेटे बेटी,
फिर क्यों है अपमान मेरा।
मै तो माँ भारत की बेटी,
क्या नहीं हिन्दुस्तान तेरा।।
भारत के ही वासी तुम हो,
सबके जुबाँ पर बसती हूँ।
यही तो बड़ा दुर्भाग्य मेरा,
कार्यालयों में न रसती हूँ।।
आती तो है क्रंदन मुझको,
जुबान तक सीमित रहती हूँ।
मुख कपाल तक वास मेरा,
कार्यालय में नहीं बहती हूँ।।
पहचानने की कोशिश करो,
मैं तुम्हारी हिन्दी राष्ट्रभाषा।
बहुत दिनों से हूँ आशा पाले,
पूर्ण हो मेरी यह अभिलाषा।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।

राष्ट्रभाषा हिन्दी

मैं हिन्दी खड़ी तेरे द्वार,
मैं कबसे बाहर हूँ खड़ी।
अब भी खोल दो किवाँड़,
बहुत हूँ मैं सहमी डरी।।
पराई नारी घर मे आ बैठे,
पराए पर तुम ऐसे हो ऐंठे।
पराई तो होती है पराई,
बाहर से आतंकवादी पैठे।।
अब आवे क्रंदन चीत्कार,
नयनन अँसुवन भरी।
मैं हिन्दी खड़ी तेरे द्वार,
मै कबसे बाहर हूँ खड़ी।।
घर के योगी योगड़ा,
बाहर के योगी सिद्ध।
प्रवासी हैं घर में विराजे,
अप्रवासी को नोचे गिद्ध।।
मिले न मुझे कोई आधार,
मैं तो हूँ कब से पड़ी।
मैं हिन्दी खड़ी तेरे द्वार,
मैं कबसे बाहर हूँ खड़ी।।
मैं दुखियारी किसे सुनाऊँ,
कितना हुआ है हाल बुरा।
अमृतमयी संस्कृति त्यज,
पी रहा है जहरीला सुरा।।
कैसा बदला मानव विचार,
टूट रहे मानवता कड़ी।
मैं हिन्दी खड़ी तेरे द्वार,
मैं कबसे बाहर हूँ खड़ी।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।

हिंदी दिवस पर संदेश | विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर कविता

हिंदी दिवस पर संदेश | विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर कविता

मुस्कुराती रहे मेरी हिन्दी जग में चँहुओर

आज दिवस है जन गण मन की हिन्दी का,
मिलकर बढ़ायें हम सब हिन्दी का मान,
मुस्कुराती रहे मेरी हिन्दी जग में चहुँओर,
मिले विश्व में इसे एक नयी पहचान
मुस्कुराती रहे मेरी हिन्दी...।

सुर,तुलसी,कबीर,खुसरो की यह भाषा,
रहीम, रसखान, जायसी की यह आशा,
लाल, बाल, पाल ने डाली इसमें जान,
हिन्दी से हो पूरे जगत का कल्याण।
मुस्कुराती रहे मेरी हिन्दी ...।

गाँधी,राजेन्द्र,पटेल,रेणु ने सींचा इसको,
विवेकानंद,अटल,रफी ने फुंके इसमें प्राण,
महादेवी,शिवपूजन,निराला ने दी आहुति,
दिनकर,पंत, नेपाली,लता ने बढ़ाई शान।
मुस्कुराती रहे मेरी हिन्दी...।

अज्ञेय,दुष्यंत,वर्मा ने हिन्दी की दी ऊँचाई
नागार्जुन,शुक्ल ने हिन्दी में दिया योगदान,
भारतेंदु,इंशा,काम ने किया अपना जीवन कुर्बान,
आनंद,हसरत,समीर हिन्दी गीत से बने महान।
मुस्कुराती रहे मेरी हिन्दी...।

प्रेमचंद, द्विवेदी, बेनीपुरी का इसमें आन,
नीरज, प्रदीप, गुलजार ने किया सम्मान,
मीरा,सरोजिनी ने की हिन्दी साहित्य की सेवा,
कवि"अकेला"को है हिन्दी पर स्वाभिमान।
मुस्कुराती रहे मेरी...।
अरविन्द अकेला

हिंदी पर छोटी सी कविता | मुक्तक- हिंदी वंदन

हृदय का भाव प्रिय का प्रस्ताव राष्ट्र का प्रभाव है तू।
सर्व धर्म सम भाव विश्व लगाव दुश्मनों सुझाव है तू।
हिन्द का मान कलम की तू अभिमान हिंदी वंदन है। 
श्रृंगार ओज़ प्रेम भक्ति हास्य ब्यंग्य हाव भाव है तू।
श्याम कुंवर भारती।
हिंदी दिवस पर दोहे अर्थ सहित

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ