शिवरात्रि महाशिवरात्रि शिव पार्वती विवाह भजन हिंदी में लिखी हुई Shivratri Maha Shivratri Bhajan Lyrics
महा शिवरात्रि गीत“ॐ नमः शिवाय”
“आप सभी मित्रों, साथियों एवं शिव भक्तों को महा शिवरात्रि की ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाईयां।”
महा शिवरात्रि की आई पावन वेला,
शिव शंकर लाने चले जीवन साथी।
न हाथी न घोड़े, न डोली न पालकी,
पैदल बारात में, भूत पिसाच बाराती।
महा शिवरात्रि की…
डम डम डमरू बाजे और बाराती नाचे,
त्रिशूल देखकर, हर दानव पीते छाती।
श्वेत भस्म चमके तन पर महादेव के,
गले सर्प की माला, शोभती, लहराती।
महा शिवरात्रि की…
Shivratri Song Lyrics In Hindi
झूम झूमकर चले, नंदी महाराज आज,बाराती पर भंग, रंग अपना है दिखाती।
क्रोध से घायल, गौरी की मैया बेचारी,
नारद मुनि को खूब खरी खोटी सुनाती।
महा शिवरात्रि की…
आज कैलाशपति मंदिर, जाएं हम सब,
नाचें शिवजी विवाह में, बनकर बाराती।
सत्यं शिवम् सुंदरम, हे भगवान शंकर,
पार्वती जानती, बिल्कुल नहीं घबराती।
महा शिवरात्रि की…
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र) जयनगर, मधुबनी (बिहार)
महाशिवरात्रि विवाह गीत | महाशिवरात्रि भजन शिव विवाह गीत लिरिक्स
गीत : महा शिवरात्रि
“ॐ नमः शिवाय”
“आप सभी मित्रों एवं साथियों को महा शिवरात्रि की ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाईयां।,”
भोले बाबा, भोले बाबा,
बना लो हमको बाराती!
भक्त बिन कैसे बनाओगे,
मां गौरी को जीवन साथी?
भोले बाबा……….
ताल से मिला रहे हैं ताल,
देखो भूत प्रेत और वैताल।
अकेले अकेले कैसे जलेगी?
दीया के संग कोई बाती?
भोले बाबा……….
भस्म से चमक उठा तन,
लगता है चंचल तेरा मन।
त्रिशूल छोड़ो, माला पकड़ो,
हे साथ ले लो, घोड़े हाथी।
भोले बाबा………..
डमरू बजने दो, डम डम,
नाचने दो नंदी छम छम।
यदि नाराज हुआ हिमालय,
मां मैनाईन पिटेगी छाती।
भोले बाबा………
अच्छा लगता शिवरात्रि पर्व,
तेरी कृपा पर है सबको गर्व।
नाचो गाओ, खुशी मनाओ,
तेरे नाम है हमारी ये पाती।
भोले बाबा………
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
महाशिवरात्रि का गाना लिरिक्स : गौरी ब्याहन आए शिव शंकर
गौरा ब्याह
गौरी ब्याहन आए शिव शंकर,
देखन लगे अवनी आकाश,
परिछन आई माता
देख के मूर्छित तब होए,
सखियां सभी मायूस होकर,
देखे नहीं वो अघोरी रूप,
भोले भंडारी निश्छल मन से,
मन ही मन अब तो मुस्काए,
पूर्ण हुई गौरा की तपस्या,
कैसे प्रभु किसको समझाए,
जो हैं सबके पालन हार,
उनसे ही सब ही घबराए,
भूत प्रेत आए बाराती,
बसहा बैल की करके सवारी,
देख सब अचंभित हुए जाए,
अपनी गौरी को सब रूप भाए,
जिनको चाहा वो वर पाई,
मात पिता को लगी समझावन,
त्रिपुरारी मन में ही समाए,
निसदीन पूजा अर्चना किया है,
हृदय में कोई न दूजा आए,
निवेदिता श्रीवास्तव गार्गी
महाशिवरात्रि पर शिव विवाह भजन : शिवजी की बरात
भोले की बरात में तो नाचे थे भूत
नाचे थे भूत
शीश भोले के गंगा विराजे
पंचम तिथि का चंद्र विराजे
बांधे हैं भोले जटाओं का जूट
भोले की बरात में तो नाचे थे भूत
नाचे थे भूत
कानों में पहने हैं बिच्छू विशाला
गले में सोहे है सर्पों की माला
तन पे लागे हैं भोले के भभूत
भोले की बरात में तो नाचे थे भूत, नाचे थे भूत
पीताम्बर, बाघम्बर धारी
करते हैं शिव नंदी की सवारी
देते सखी को कृपा की सौगात
भोले की बरात में तो नाचे थे भूत,
नाचे थे भूत
भूत-प्रेत हैं उनके बराती
बिन मुख कोई, असंख्य भुज संगाती
डर डर के भागे हैं सब घराती
लागे हैं भोले जैसे अवधूत
भोले की बरात में तो नाचे थे भूत,
नाचे थे भूत
महादेव की बरात बड़ी ही निराली
देख बरात हंसे दे ताली
मन विकारों से कर लो खाली
शरण में आकर हो जाओ मुक्त
भोले की बरात में तो नाचे थे
नाचे थे भूत
गौरा को वो ब्याने आये
देख के रूप मां मैना घबराये
नारद मुनि तब महिमा गाये
औघड़ दानी बड़ा ही अद्भूत
भोले की बरात में तो नाचे थे भूत,
नाचे थे भूत
बाबा की बरात में तो नाचे थे भूत नाचे थे भूत
भोले की बरात में तो नाचे थे भूत
बाबा की बरात में तो नाचे थे भूत....
सुमित्रा गुप्ता सखी
महाशिवरात्रि विवाह गीत
महाशिवरात्रि विवाह गीत
शिव विवाह भजन : सती का प्यार शिव Shiv Vivah Bhajan
कविता - सती का प्यार शिव
होके अभिभूत शिव के प्यार छोड़ चली सती पिता का द्वार।
पिता दक्ष महल पली कर स्वंबर जयमाल दिया शिव गले डार।
शिव पिया के मोह पर्वत कैलाश गुफा सेज सय्या अपनी बनाया।
किया समर्पण तन मन अर्पण भूत पिसाच नंदी सेवक बना परिवार।
औघड़ सन्यासी शिव अविनाशी मात पिता न गोत्र पता मगन रहता।
कालो के काल महाकाल त्रिनेत्र धारी जटाधारी भस्मधारी नासक संसार।
देख अपमान पिता से पति का सह न सकी सती कूद पड़ी अग्नि ज्वाला।
क्रोधित होकर शिव ने भस्म किया यज्ञ रख कंधे सव सती चले गगन उसपार।
हर जन्म सती ने शिव को चाहा जप तप कर वर रूप शिव अपनाया।
कृपा करो हे शिव सती तू जगत जननी जगदम्बा तेरी महिमा अपरम्पार।
श्याम कुंवर भारती
महाशिव रात्रि के अवसर पर शिव भजन : जागा जागा हे महादेव
जागा जागा हे महादेव।
जागा जागा हे महादेव अइले फागुन के महीनवा।
लगावे लोगवा भोला रंगवा अबिरवा।
जागा जागा हे महादेव।
पार्वती जगावे संग कार्तिक गणेश जगावे।
नंदी जगावे जोरी जोरी करवा।
जागा जागा हे महादेव।
ब्र्म्हा विष्णु अइले ,विनवा बजावत नारद अइले।
गाई गाई फगुआ नारद थकी गइले गरवा।
जागा जागा हे महादेव।
फू फू फूहकारी भोला नाग देव जगावे।
डम डम बाजत डीम डमरू जी जगावे।
ठाड़े ठाड़े त्रिशूलवा दबावे भोला गोड़वा।
जागा जागा हे महादेव।
जटवा उतरी गंगा भोला गोड़वा पखारे।
चम चम चमकी चन्दा मथवा निहारे।
तबों नहीं जागे भोला बीते फागुन के महीनवा।
जागा जागा हे महादेव।
हारी थकी देवलोग भांग पिसे लागल।
केहु लिआवे धतूरा केहु गाँजा लेवे भागल।
सबकर भक्ति देखि शिव खुल गइले नयनवा।
जागा जागा हे महादेव अइले फागुन के महीनवा।
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि /लेखक /गीतकार /समाजसेवी
मोब।/व्हात्सप्प्स -9955509286
शिव भजन- गौरा तोर दूल्हा।
हाय री गौरा तौर दूल्हा मै देख आईं।
हाय री गौरा तौर दूल्हा।
अंग भभूत गले मुंड माला ।
माथे पे चंदा बदन मृगछाला।
देखत मै डर गई दईया ।
हाय री गौरा तौर दूल्हा।
भालू बन्दर सब आए है बाराती।
भूत पिचाश है सब साथी।
कैसे होई तौर बिदईया।
हाय री गौरा तौर दूल्हा।
बैल सवारी और हाथ में डमरूं।
भांग के गोला खाए भोला मंगरू।
मजधार मे डूबी तौर नईया।
हाय री गौरा तौर दूल्हा ।
मै देख देख आईं हाय री गौरा
तोर दूल्हा।
श्याम कुंवर भारती।
बोकारो झारखण्ड
एक शिवभजन (भोजपुरी)
आरे, कह दिही का आरे भोला तोहरो बतिया
कह दिही का आरे भोला तोहरो बतिया.....२
गणेश जी तोहरो लड़िका हऊन आ पार्वती संघतिया
कह दिही का आरे भोला तोहरो बतिया...... २
रहेलऽ कैलाश पर ले के पार्वती के संगवा
बईठे मृगछाला पर लगा के भस्म पूरा अंगवा
बजावेलऽ डमरूआ जब जब त खुश हो जाला जगतिया
कह दिही का आरे भोला तोहरो बतिया
कह दिही का आरे ..... २
तीनो लोक के पूजनीय बाटऽ
सब देवो के महादेव हो
ऊँ नमः शिवाय के जाप मात्र सब संकट हर लेव हो
ऐही से इ खूँटातोड़ मंत्र जाप
करिले दिन रतिया
कह दिही का आरे भोला तोहरो बतिया
कह दिही का आरे भोला तोहरो बतिया
कह दिही का आरे.... २
गीतकार :कवि खूँटातोड़
मुंबई/कल्याण
छपरा (बिहार)
मो-98920 44593
99876 99932
महाशिवरात्रि पर विशेष शिव भजन – जय शिव शंकर
शिव भजन
हे त्रिपुरारी त्रिशूल धारी
बार बार प्रणाम
आओ लेने सुधि हमारी
घिरी है दुख की शाम
अति पावन है आज का था दिन
अति पावन है रात
प्रभु व्याह का सदियों से हम मना
रहे वर्ष गांठ
आज के दिन ही व्याह रचाने चले थे भोले नाथ
भूत प्रेत थे बने बताती त्रिशूल
डमरू हाथ
पीकर भांग हसी मस्ती में चलना
है बारात
न जाने किस रूप में भोले शंकर
हो बात
टल सकता चांद सूर्य और जलधि
मरू हो जाय
व्रत करे शिव रात्रि का जो निश्चित
वाह फल पाए
खुश रहते है ओढर दानी पाकर
जल बेलपात
इसे चढ़ाकर कोई करले मनचाहा वर प्राप्त
शबनम मेहरोत्रा
महाशिवरात्रि पर भोलेबाबा शिवशंकर के भजन
भोलेशंकर बजरंग बली को हृदयतल से सादर नमन करते हुए समस्त साहित्य प्रेमी माताओं, बहनों और बंधुओं को भी हृदयतल से सादर नमन। महाशिवरात्रि पर्व के शुभ अवसर पर आपसब को सपरिवार हृदयतल से शुभकामनाएँ। महा शिवरात्रि पर्व के अवसर पर एक प्रयासः
सोमवार भोलेशंकर का दिवस,
मंगलवार हैं हनुमत विराजित।
हनुमत रूप में भी हैं शिवशंकर,
संकट बाधा सब होते पराजित।।
भोलेदानी का साधना उपासना,
महाशिवरात्रि यह पर्व त्यौहार।
भाँग धतूरा बेलपत्र जौ की बाली,
भोलेशंकर का शुद्ध है आहार।।
होते खुश औघरदानी शिवशंभू,
तन मन से जिनका पूजा प्रधान।
करते खुश निज भक्तों को शीघ्र,
देकर उन्हें निज आशीष वरदान।।
जय जय जय हनुमत शिवशंभू,
भक्त पधारे तेरे आज दरबार हैं।
भर दे सबकी वरदानों से झोली,
आशीर्वचनों हेतु उर बेकरार है।।
दया करो हे हनुमत शिवशंकर,
संकट संशय बाधा सब करो दूर।
भक्ति दे दे तू चरणों में ही अपने,
पावनता पवित्रता मिले भरपूर।।
नर नारी व्रत उपासना समाहित,
आज की रात्रि है शिव की रात्रि।
व्रत उपासना भजन पूजा कीर्तन,
आयोजित आज महाशिवरात्रि।।
जय हनुमत शिव भोले शंभूशंकर,
कृपा करो अब गाँव अड्डा डुमरी।
नवयुवकों को नौकरी रोजगार दे,
सेवा करते नित्य भक्त हैं तुम्हरी।।
हर भक्तों की पूरी हो मनोकामना,
भक्तगण तुम्हारी करते आराधना।
हृदयतल से सादर नमन है तुम्हें,
अरुण दिव्यांश पूरी हो साधना।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना।
अरुण दिव्यांश 9504503560
***
महाशिवरात्रि भजन
दिनांक: 18 फर,2023
दिवा: शनिवार
आज की रात शिव की रात्रि,
दिवस महान महाशिवरात्रि।
संग विराजित माता पार्वती,
सर्प बिच्छू गंग व शशि धातृ।।
कहीं हो रहे अखंड रामायण,
कहीं हो रहे हैं आज अष्टयाम।
कहीं चल रहे हैं यज्ञ महायज्ञ,
सर्वत्र आच्छादित है रामनाम।।
शिव की महिमा हो रहे गायन,
और शिवपूजित होते रामायण।
जीवन सुखमय हर्षित है होता,
भूत प्रेत क्लेश द्वेष ये पलायन।।
हो रहे उच्चारण हर हर महादेव,
कहीं हो रहे हैं हर हर बम बम।
गूँज रहे अन्तरिक्ष में भी ध्वनि,
जोर जोर से पल पल हर दम।।
खूब सजे हैं सर्वत्र ये शिवालय,
दिख रहे हैं चहुंओर खूब मेला।
बिक रहे फल फूल औ मिठाई,
कहीं लगे चाट पकौड़ी का ठेला।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।
महाशिवरात्रि : महाशिवरात्रि का भजन
शिव प्रसन्न बहुत है आज
गौरा संग विवाह है आज,
ब्रह्मांड का अनूठा दिन है आज
गौरा, शिव संग फेरे लेंगी आज।
प्रेम समर्पण की अनूठी मिसाल
एक महलों की सुकुमारी
कालों के काल,
महादेव संग ब्याह चलीं।
महल छोड़ कैलाश पर
पिया संग विराजेंगी
डमरू धारी त्रिशूल धारी
भोले भंडारी शिव शंकर।
भोले की महिमा अपरंपार है,
शिवरात्रि का मतलब समझ में
आया मुझको आज,
विष पीना सीखो तूम
विष फैलाना बंद करो,
थोड़ी परेशानी यदि होती हो
तो भी विश्व कल्याण की सोचो।
धन्यवाद
अंशु तिवारी पटना
शिवरात्रि भजन लिरिक्स : शँकर जी तेरी जटा मे बहती है गँगधारा
आपसभी को महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं
शँकर जी तेरी जटा मे बहती है गँगधारा
कालीघटा के अंदर जिम दामिनी उजारा
गल मुण्डमाल राजे शशि भाल मे विराजे
डमरू निनाद बाजे कर मे त्रिशूल भारा ।।
दृग तीन तेज राशी -कटिबंध नाग फाँसी
गिरिजा है सँग दासी सबविश्व के अधारा
मृगचर्म वसनधारी है वृषराज मे सवारी
निज भक्त दु:खहारी -कैलाश मे बिहारा ।।
शिवनाम जो उचारे - सब पाप दोष टारे ।
ब्रह्मानन्द ना बिसारे-भवसिन्धु पार तारा ।।
श्रीकांत दुबे पथिक 9830177533
।। हर हर महादेव ।।
महाशिवरात्रि की शुभकामनाओं के साथ..अनयानल
"अनयानल"
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अनयानल दहक गया है,
द्वेषानल दहक गया है,
वो जो, नि:सम्बल सा है,
वो जो,निर्बल सा है,
भयाक्राँत फफक गया है!
हे!अनाथों के नाथ, भोलेनाथ!
जटाएँ, खोल लो अपनी,
बहा दो सुरसरि की धार नई,
सुमन-सुमन झुलस गया है!
हर नशीमन झुलस गया है!
उन्नयन विषधरों के,
हवाएँ विषैली कर गये हैं,
नद खो रहे, मृदुत्व जल से,
सरित में गरल जो घुल गये है,
क्षमा कर देना हमें तुम नाथ,
हमारा अर्घ्यपात्र भी,
अब तो बिषाक्त हो गया है!
जगत्नाथ! हे यतिराज!
मौन तपस्या का वक्त अब रहा नहीं
दर्द जगत का, दर्द भगत का,
मैया ने, तुमसे क्या कहा नही?
भगत, विकल सा हो गया है,
प्राण, विरल सा हो गया है..!
अब तो समाधि तोड लो,
दृगोन्मेष करो,
हे! भुजंगपति! हे! नीलकंठ!
धरा के गरल तुम पान कर लो!
मनुजता मृतवत् हो गई है,
जगत बिषाक्त हो गया है!
राघव
महाशिवरात्रि भजन लिरिक्स : हे महाकाल तुझको है नमन
हे महाकाल तुझको है नमन
काल का भी काल तूँ, हे महाकाल तुझको है नमन,
हे त्रिनेत्र, जटा गंगाधारी, चंन्द्र भाल तुझको है नमन।
रुद्र रूप तेरा प्रलयकारी, भोला भी है भोलेनाथ तूँ,
हे संहारक तांडवकर्ता, हे भूतकाल तुझको है नमन।।
जगत मिथ्या एक सत्य तूँ, हे अखण्ड सत्यम तुझको है नमन,
मैं अज्ञान सा निर्बोध प्राणी, तू अजन्मा शिवम तुझको है नमन।
हे नीलकंठ, हे अविनाशी, हे कैलाशी, ओम्कार सुशोभितम,
उदात्त भाल स्वरूपम, दीप्तिमान सुंदरम तुझको है नमन।।
करे भक्त यह विनती तेरा, कैलाशधिश तुझको है नमन,
धर शीश कर दुख दूर कर, दे आशीष तुझको है नमन।
तू सहांरक दर्दनाशक, तूँ ही तो हलाहल विषपान कर्ता,
करजोर विनती शम्भु तेरा, दे बख़्सिस तुझको है नमन।।
पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित ०४/०३/२०१८)
महाशिवरात्रि पर शुभंगी छंद : जगत सुरेश्वर, तारक ईश्वर
शुभंगी छंद
आपका दिन मंगलमय हो
जगत सुरेश्वर, तारक ईश्वर, उमा महेश्वर, सुखकारी ।
नयन विशाला, दीन दयाला, संत कृपाला,हितकारी।।
घट-घट वासी, शिव कैलाशी, हे अविनाशी, भयहारी।
अभय प्रदायक, जन प्रतिपालक, विश्व प्रचालक, शुभकारी।
शिव अभयंकर, शाश्वत शंकर, त्रिभुवन पालक, सुखराशी।
पाशविमोचन, संकटमोचन, भक्त शिरोमणि, सन्यासी।
भस्म रमैय्या, जगत रचैय्या, हृदय विराजो,कैलासी।
हे भूतनाथ, हे शंभुनाथ, मन दर्शन को, अभिलाषी ।
✍सुशांत पाठक
(स्वरचित, स्वअधिकार सुरक्षित)
महाशिवरात्रि का गाना : शिवरात्रि भजन
बमबम बमबम बमबम भोले नाचे रे
डमडम डमडम डमडम डमडम डमरु बाजे रे
संग हो लिये नंदिगण और पार्वती माई
संग साथ में गणपति मूशक ने खूब रास रचाई।।
बमबम....
उड़ा रहे सब राख भस्म मिल एक दूजे पर
इसी तरह मस्त मौला हो सबने शिव को भांग पिलाई।।
बमबम....
शिव पार्वती की बारात थी ये देवलोक जिसमें आया
नाच, रास, संग सबने ही माया संग रंग जमाया।।
बमबम...
वीना आडवानी तन्वी
नागपुर, महाराष्ट्र
महाशिवरात्रि का भजन : शिवशंकर की कृपा सकल जग-पीर हरेगी
शिवशंकर की कृपा
सकल जग-पीर हरेगी
औघड़दानी कृपा आज, शिव की बरसेगी।
शिवशंकर की महारात्रि, जीवन सरसेगी।।
शिवशंकर अपनायेंगे,
माँ पार्वती को।
जगकर्ता, पालन कर्ता,
के हिय हर्षेगी।
विश्वहानिकर गरल,
कंठ में धार लिये जो।
तपन शांतिहित बिल्व,
वारि-गंगा दर्शेर्गी।
होगा, पार्थिव शिवलिंगों, का वास हृदय में।
और शिवा-शिव हृदय मिलन, हियतल परसेंगी।
चंदा, गंगाधार, नाग,
बाघंबर, डमरू।
हस्त त्रिशूली, नेत्रत्रयी,
शोभा अर्केगी।
शिवरात्रि है महा,
जागरण भक्त करेंगे।
आशीर्वादी-सुधा,
जीवनी प्राण भरेगी।
विद्यार्थी, जग-शकुन, सुमिर कर करे शुभेक्षा।
शिवशंकर की कृपा,
सकल जग पीर हरेगी।
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं
संतोष श्रीवास्तव"विद्यार्थी"
मकरोनिया, सागर, मध्यप्रदेश
9425474534
महाशिवरात्रि का गाना : आज शिवा-शिव महारात्रि पर सकल जगत है शरण तिहारे
आज शिवा-शिव महारात्रि पर,
सकल जगत है शरण तिहारे
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चतुर्मुखी ब्रम्हा ने जग की,
रचना कर आनन्द बिखेरा।
सुंदर जग की इस रचना का,
तुमसे सुंदर कहां चितेरा।।
चतुर्भुजी,हे महाविष्ण,तुम,
पालनहार,रखावनहारे।
तेरा रक्षा कवच, हमारा,
हरे ताप त्रय दोष निवारे।।
हे संहारक देव, पाप, तम,
दुराचार, अघ तुमसे हारे।
आज शिवा-शिव महारात्रि पर,
सकल जगत है शरण तिहारे।।
शुचित शांति के आकांक्षी जग,
पर विनाश के बादल कारे।
मानवता पर मनुज कालुषी,
वृत्ति अधीन सरै अंगारे।।
हे त्रिदेव,सुन "विद्यार्थी" नत,
जग-शकुनी यह विनय पचारे।
दो सद्बुद्धि, हरहु मदवृत्ति,
मिटावहु ताप, त्रास, संहारे।।
सकल जगत के कल्याण का शुभेक्षु
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रचयिता:-
संतोष श्रीवास्तव "विद्यार्थी" मकरोनियां, सागर, मध्यप्रदेश
९४२५४७४५३४
महाशिवरात्रि का भजन : मुझसे छुपा नही किसी का राज़
शीर्षक : मुझसे छुपा नही किसी का राज़
मुझसे कुछ छुपा नही किसी का राज़
आदि भी मैं ही हूँ,अंत भी मैं ही हूँ
प्रकृति के हर कण मैं हूँ बसता
हरेक के ह्रदय में भी ही हूँ विराजता
ज्ञान का गंगा मैं ही हूँ बहाता
अंधकार मिटाकर प्रकाश भी मैं ही भरता
समस्त संसार का सार मैं ही तो हूँ
संसार का भार भी मैं ही हूँ उठाता
जन्म भी मुझसे ही है
मोक्ष भी मुझसे ही है
मैं ही हूँ काल का महाकाल
मैं ही हूँ ओमकार का स्वरुप
हर जन का दुख हूँ हरता
हरेक का सहारा हूँ बनता
भूतों का भी नाथ हूँ
अतृप्त आत्माओं का भी कल्याण करता
मनुष्य मोह माया में है उलझा
ईश्वर भक्ति में ही है छत्र छाया
अहं को रग रग में है बसाया
दिलों दिमाग़ में अंधकार छाया
शिव भक्ति में लीन हो जाओ
परम सुख तुम पाओ
सत्कर्म को तुम अपनाओ
मोक्ष का मार्ग तुम पाओ
संध्या जाधव, हुबली कर्नाटक
महाशिवरात्रि का भजन
शिवार्चन
महाशिवरात्रि के पुण्य पावन पर्व के सुअवसर पर आप सभी शिवभक्तों को स्नेहिल बधाई एवं शुभकामनाएं। प्रभु आशुतोष की कृपा सदैव आपके परिवार पर बनी रहे।
हर, हर,शंभु, महेश, पुरारी।
करें वंदना नाथ तुम्हारी।।
अज,अंनत, शिव नाथ हमारे।
कृपा-करों से किरण पसारे।।
विनय सुनें श्रीकंठ हमारी।
हर,हर,शंभु, महेश पुरारी।।
तुम सर्वज्ञ,भव,अनघ अनीश्वर
शर्व, कपर्दी, भीम, महेश्वर।।
हरें पिनाकी विपदा सारी।
हर,हर, शंभु, महेश, पुरारी।।
सोम, सदाशिव,भर्ग, जटाधर।
अव्यय,तारक,हे करुणाकर।।
सहस्रपाद हम शरण तुम्हारी।
हर, हर, शंभु, महेश, पुरारी।।
उग्र, त्र्यम्बक, हे मृत्युंजय।
अज शाश्वत कवची हे स्वरमय।
महादेव, अघ संकटहारी।
हर, हर, शंभु, महेश, पुरारी।।
गिरिधन्वा, कामारि, यज्ञमय।
वीरभद्र,हवि,हरें जगत भय।।
शूलपाणि, शंकर, भयहारी।
हर,हर,शंभु,महेश, पुरारी।।
सुरसूदन, अव्यक्त,दिगम्बर।
त्रिलोकेश,स्वामी, विश्वेश्वर।।
सुखी रहें जग के नर - नारी।
हर,हर,शंभु,महेश, पुरारी।।
जगतव्याप्त,गुरु जगत, नियंता।
वंदन करें भक्त जन संता।।
'शुभम' तुम्हें भजता शुभकारी।
हर, हर, शंभु, महेश, पुरारी।।
शुभमस्तु !
शिव भगवान के 108 नाम
16, 16 मात्रा में छंदबध्द करने का प्रयास
हे निर्गुण, निराकार स्वामी, सुनो रुद्र हरि, हर, त्रयीमूर्ति।
भगवान, सुक्ष्मतनु, खंडपरशु, अहिर्बुधन्य, मृत्युंजय, पशुपति।।
अपवर्गप्रद, सोम, सदाशिव,
हिरण्यरेता, परमेश्वर।
अनघ, अष्टमूर्ति, अनेकात्मा,
दक्षाध्वरहर, विश्वेश्वर।।
कपाली, कामारी, पिनाकी, परशुहस्त, प्रजापति, जटाधर।
विष्णुवल्लभ, शिपिविष्ट, शंकर, पुषदन्तभित् हे गंगाधर।।
भुजंगभूषण, भर्ग, सर्वज्ञ, श्रीकंठ, महेश्वर, मृगवाणी।
भक्तवत्सल, ललाटाक्ष, भव, गिरीश, गिरिश्वर, शूलपाणी।।
अव्यग्र, अव्यक्त, अव्यय, अज, स्वरमयी, शिवाप्रिय, सामप्रिय।
महाकाल, नीललोहित, भीम, गणनाथ, गिरिधन्वा, गिरिप्रिय।।
वामदेव, वीरभद्र, शाश्वत, सहस्त्राक्ष, सहस्त्रपाद, देव।
भस्मोदलितविग्रह, हवि, शर्व, त्रिपुरांतक, कठोर, महादेव।।
जगद्व्यापी, जगद्गुरु, उग्र, वृषांक, वृषभारूढ़, पुरारति।
महासेनजनक, चारुविक्रम, भग्नेत्रभिद्, गिरीश, भूतपति।।
परमात्मा, पंचवक्त्र, ताटक,
सुरसूदन, कृपानिधि, गिरीश्वर।
स्थाणु, कृतिवासा, प्रमथाधिप, दुर्धुर्ष, व्योमकेश, प्रमाण दुर्दशा व्योमकेश, अनीश्वर।।
अंबिकानाथ, यज्ञमय, अनंत, त्रिलोकेश, मृड, पाशविमोचन।
विरूपाक्ष, कपर्दी, खटवांगी, सात्विक, सोमसुर्याग्निलोचन।।
हे शिव, शंभू, शिवतिकंठ, कवची,
शुध्दविग्रह, कैलाशवासी।
भक्ति भाव अर्पण करती मैं, 'मीनू' चरणों की दासी।।
'मीनू' मीना सिन्हा
राँची, झारखंड
महाशिवरात्रि की आप सभी को हार्दिक बधाई व मंगलमय शुभकामनाएं..
हायकू
महाशिवरात्रि
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फाल्गुन मास
शिवरात्रि का पर्व
मंगलमय।
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कृष्ण पक्ष की
चतुर्दशी दिवस
पूजा अर्चन।
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रूद्र स्वरूप
त्रयोदशी की रात
अवतरण।
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ऐसी मान्यता
प्रदोष का समय
शिव तांडव।
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तीसरा नेत्र
ब्रह्मांड की समाप्ति
नमः शिवाय।
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जगतारिणी
जटा में विराजती
पावन गंगा।
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सुख सम्पदा
प्रलयंकारी ज्वाला
कालों के काल।
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देवों के देव
भूत प्रेतों से घिरे
शिवशंकर।
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शिव पार्वती
पौराणिक मान्यता
विवाह दिन।
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भांग धतूरा
सर्वोत्तम आहार
गाजर बेर।
रामबाबू शर्मा,राजस्थानी,दौसा(राज.)
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