गीत : सावन बीता जाए– हैप्पी सावन कविता Sawan Shayari | Sawan Shayari In Hindi
दिल घबराए मोरे, नयन भर आए,
हाय, मनभावन सावन बीता जाए।
वन उपवन में, कोयल पपीहा रोए,
कोई अपने दिल को कैसे समझाए?
हाय, मनभावन………
लगा सावन का महीना, बड़ा सुहाना,
हर कोई हो गया था इसका दीवाना।
हाय, मनभावन सावन बीता जाए।
वन उपवन में, कोयल पपीहा रोए,
कोई अपने दिल को कैसे समझाए?
हाय, मनभावन………
लगा सावन का महीना, बड़ा सुहाना,
हर कोई हो गया था इसका दीवाना।
बिजुरिया चमके, दोनों नयना जुराए,
मेघा बरसे तो, सावन अगन बुझाए।
हाय, मनभावन……
राखी बांधने को, घर आई है बहना,
फूलों की खुशबू, महक उठा अंगना।
खुशी से झूमते घर आंगन लहराए,
सोनी पूर्णिमा अमृत रस छलकाए।
हाय, मनभावन……
बड़ा दुःख दे रहा, सावन का जाना,
फिर अगले वर्ष होगा इसका आना।
लुक छिप बदरा में, भादो मुस्काए,
बिदाई की वेला, जिगर को सताए।
हाय, मनभावन……
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर मधुबनी (बिहार)
मेघा बरसे तो, सावन अगन बुझाए।
हाय, मनभावन……
राखी बांधने को, घर आई है बहना,
फूलों की खुशबू, महक उठा अंगना।
खुशी से झूमते घर आंगन लहराए,
सोनी पूर्णिमा अमृत रस छलकाए।
हाय, मनभावन……
बड़ा दुःख दे रहा, सावन का जाना,
फिर अगले वर्ष होगा इसका आना।
लुक छिप बदरा में, भादो मुस्काए,
बिदाई की वेला, जिगर को सताए।
हाय, मनभावन……
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर मधुबनी (बिहार)
सावन शायरी: सावन की शायरी गीत Sawan Shayari Geet Lyrics In Hindi
गीत
न कोई खत हीं अभी न कोई पैगाम आया।
बादलों ने विरह के गीत सावन संग गाया।।
भग्न उर पर बूंद बन झड़ रही नन्ही फूहारें।
देखते तुमको रहे हम बैठ सागर के किनारे।।
कौमुदी खिलने लगी हर तरफ तेरा हीं साया।
बादलों ने विरह के गीत सावन संग गाया।।
मन के झूलों में थे बैठे चांदनी में मैं नहाकर।
ख्वाब में हीं सही तुम थी बैठी पास आकर।।
मन के मंदिर में युगों से था तुम्हें मैंने सजाया।
बादलों ने विरह के गीत सावन संग गाया।।
रिक्त हैं स्थान दिल के प्यार ये तेरा पुकारे।
प्रेम पथ के चिर पथिक हो सदा से हीं हमारे।।
सिंधु से गहरे हृदय में मूर्ति मैं तेरा बसाया।
बादलों ने विरह के गीत सावन संग गाया।।
उदय शंकर चौधरी नादान
कोलहंटा पटोरी दरभंगा
9934775009
सावन झूम झूम के बरसे: सावन शायरी | सावन की बरसात शायरी Sawan Shayari Geet Lyrics
सावन झूम झूम के बरसे
सावन गीत
बिजली चमके बादल गरजे
साजन कैसे निकलूं घर से
कि सावन झूम झूम के बरसे
मैं कैसे निकलूं घरसे
मेरे साजन मेरे दिलबर
बोलो कहां बैठे हो छुप कर
अँखियाँ तो दर्शन को तरसे
साजन कैसे निकलूं घर से
कि सावन झूम झूम के बरसे
मैं कैसे निकलूं घरसे
याद सताऐ मुझ को हर दम
तेरे बिन ऐ मेरे प्रियतम
आँगन में ना आऊँ डर से
साजन कैसे निकलूं घर से
कि सावन झूम झूम के बरसे
मैं कैसे निकलूं घरसे
ढलती जाऐ चढ़ती जवानी
क्या तुम को बतलाऊँ कहानी
देख लो आ के खुद ही नज़र से
साजन कैसे निकलूं घर से
कि सावन झूम झूम के बरसे
मैं कैसे निकलूं घरसे
हूँ मैं दुखिया चिंता की मारी
फिर भी हूं मोईन तुमहारी
घर को आओ जलदी सफर से
साजन कैसे निकलूं घर से
कि सावन झूम झूम के बरसे
मैं कैसे निकलूं घरसे
मोईन गिरीडीहवी
सावन शायरी | हैप्पी सावन शायरी Sawan Shayari
सावन के मास का आना,
खुशियों का छा जाना है।
बादलों का तड़क चमकना,
साजनी को पास बुलाना है।।
मोर नाच नाच कर रिझाना,
मोरनी को साहस जुटाना है।
बगिया में झूलों का लगना,
सखियन संग पेंग लगाना है।।
बहना के घर भाई का जाना,
राखी का थाल सजाना हैं।
रक्षा का संकल्प दुहराना,
बहन को मुँह मीठा कराना है।।
डॉ. कवि कुमार निर्मल
Sawan Shayari In Hindi सावन शायरी
सावन शायरी मुक्तक - भिंगा सावन | सावन शायरी हिंदी
रिमझिम बरसे सावन भिंगा मौसम और सारी जमीं है।पिया बिना आग लगाए वर्षा जिया जले जाने हमी है।
लोटे नाग सेज पिया बीन मखमल कांट गड़े जस लगे।
गरज बरस सावन झूमे प्रिय बिना आंख में मेरी नमी है।
श्याम कूंवर भारती
सावन में कह गये पिया आवन को— सावन शायरी | सुहाना सावन कविता
सावन में कह गये
पिया आवन को
हरी चुड़ियाँ
लावन को।
महक जाती हूँ
सरमाती हूँ
सुन कर ही
पिया आवन को।
मीठी बातों से
दिल चुराते हैं
अपना बनाते हैं
हमारे पिया भी
साबन में आवन को।।
अर्पणा दुबे अनूपपुर मध्यप्रदेश
प्रेम रस के शृंगारिक दोहे | सावन माह में प्रेम रस दोहा Sawan Shayari
रिमझिम-रिमझिम घन गिरे, सावन में घनघोर।
मेरा नाचे मोर मन, प्रिये गई किस ओर।।
अधर चबाती है प्रिये, फेरे लट में हाथ।
ऋतु अँगड़ाई ले रही, प्रिय कब दोगी साथ।।
विरह- वेदना बढ़ गई, तड़पूं मिलन विभोर।
मधुर भाषिनी हो किधर, मन में उठी हिलोर।।
ज्यों- ज्यों गिरती बूँद तन, घिरे मेघ घनघोर।
त्यों- त्यो तड़पूं मैं प्रिये,ज्यों बिन चाँद चकोर।।
रसनापद उभरा हुआ, देती हो झकझोर।
चाल चली ऐसी प्रिये, झूले मन चहुँओर।।
पीन पयोधर जब दिखे, मन में नाचे मोर।
निकले घर से जब कभी, दिल देती झकझोर।।
रात शून्य लगती मुझे , दिन में अति अँधियार।
मधुर मिलन का दिन प्रिये, प्रणय करो स्वीकार।।
कंचन काया देख प्रिय, मन मे उठे हिलोर।
जख्मी दिल मेरा हुआ, जाऊँ अब किस ओर।।
ऐ! सजनी गजगामिनी, करो न मुझको तंग।
बहुत तड़पता है हृदय, छेड़ो मत अब जंग।।
नयन बाण जब भी चले, बचे न कोई संत।
घायल होकर ये मधुर, वर्णन करे वसंत।।
रचनाकार नित्यानन्द
पाण्डेय 'मधुर'
साबरमती अहमदाबाद
जब जब आता है सावन सावन शायरी स्टेटस
भा जाती हरियाली उन आंखो को भी
जब जब आता है सावन।
छा जाती हरितिमा चहुँओर
बन जाता दृश्य मनभावन।।
बन जाता दृश्य मनभावन
कोपलें भी हो जाती पल्लवित।
वीर रस का कवि भी जब श्रृंगार रस की रचना लिखता
साहित्यिक कबिला भी हो जाता बिस्मित।।
खूँटातोड़,सावन तू साल में आ तीन तीन दफा
फिर आंखो को नही लगेगा चश्में का तावन।
तेरी रिमझिम हर चेतन को भाती
इसी कारण सबकी प्रिय
बनी तू सावन।।
कवि: खूँटातोड़
छपरा /बिहार
मुंबई/कल्याण
मुक्तक - आंसुओ का सावन शायरी
याद में तेरे रुकते नहीं आंसू हाल बयां क्या करे
बुझ रही है तेरी उम्मीद की शमा बयां क्या करें
बरस रही वर्षा उधर आंखो बरसे सावन भादो
कड़के बिजली धड़के जिया पिया जुबां क्या कहे
श्याम कुंवर भारती
सावन लागे अति मनभावन: सावन शायरी 2022 सावन पर ग़ज़ल Sawan Shayari in Hindi
सावन लागे अति मनभावन
सखी मिलि झूलति बाग।
आम्र की पटूली रेशम डोरी
गावत राग विहाग।
प्रणय राग त्रिभंगी मुद्रा
नाचत मुरली गोपाल।
अली सुधा रसपान करे सौं
चूसत अलि पुहुप पराग।
शुष्क बाँस की बनी मुरलिया
हरि अधर पर हरी हरी रागे।
कांलिदी तीर झूले बल्लभी
राग बसुरिया तृष सम लागे।
कुंजबिहारी दियो बिसारी
राग सुरीलिया सौतन म्हारी-
किस तत्त्व की बनी बंसुरिया
बास करे अधरन के आगे।
बोली मुरलिया सुनो हे गोपी
छल प्रपंच नहीं मोहे भायो।
अहम शून्य की बाँस पपोली
अंतस नहीं कहीं गाँठ फँसायो।
प्रभु प्रताप से राग मैं पाऊँ
प्रीत रीत संगीत सुनाऊँ-
कठोर कुठार से काठ काटि के
सप्त सुर अष्ट छिद्र बनायो।
अमरेन्द्र
आरा भोजपुर बिहार
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