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चला लुटल जा सावन के लहरिया सावन कजरी बिरहा भोजपुरी Sawan Kajari Birha Geet Lyrics

भोजपुरी कजरी गीत- सावन के लहरिया।

घरवा आवा हमरे सईया सांवरिया।
चला लुटल जा सावन के लहरिया।
तोहरे खातिर तरसे तोहार गोरकी गुजरिया।
चला लुटल जा सावन के लहरिया
घरवा जब अईहा पिया हरी सड़िया ले अईहा।
सड़िया के संगवा हरी चूड़िया ले अईहा।
घिर आइल सगरो देखा कारी बदरिया।
चला लुटल जा सावन के लहरिया।
तोहरे बिना लगे पिया बीरान सारी दुनिया।
रिमझिम बरसे खेत खरिहान बरखा पनिया।|
बिरह मे बीतल जाता मोर सजल सेजरिया।
चला लुटल जा सावन के लहरिया।
रही रही घिरी आवे करियर बदरवा।
बरसी के बरखा बहावे मोर कजरवा।
तरसे तोहे निरखे मोर पियासल नजरिया।
चला लुटल जा सावन के लहरिया।
बीती जाल दिनवा कसहूँ रतिया ना बितेले।
नागिन जस डँसे हिया दरदिया खूब उठेले।
काहे भुलाइल बाड़ा पिया जाइके बहरिया।
चला लुटल जा सावन के लहरिया।
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
गीतकार /कवि /लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड -मोब . 9955509286

कजरी सोहर, भोजपुरी बिरहा, मिर्जापुरी कजरी, गांव की कजरी, लोकगीत कजरी सावन गीत

चली गइला काहे कान्हा हमके बिसार
बिंदावनवा काहे सुन कईला सवरु
रोई रोई राधा जोहे रहिया बहार के
बांसुरिया कहे धुन बजवला सवरू
रिमझिम रिमझिम खूब बरखा बरसे
अँखिया भरी भरी कन्हईया मोरी बरसे
झमझम नाचे मोरवा पंखिया पसार के
चुनरिया मोरी काहे कोर कईला सवरू
गोकुला मे रहला कान्हा गईया चरवला
यमुना किनरवा कदम बंसिया बजवला
सावन मे दीहला हमके दरदिया पहार के
बिरही राधा नैना काहे लोर कईला सवरू
जाये के रहे हमसे पियार काहे कईला
लगाके नेहिया हमसे किनार काहे कईला
सवान मे रोवे राधा छतिया पछार के
प्यारी राधा गेंहू काहे घुन कइला सवरू
चली गइला काहे कान्हा ,हमके बिसार
बिंदावनवा काहे सुन कईला सवरू
श्याम कुँवर भारती [राजभर]
कवि, लेखक, गीतकार, समाजसेवी
मोब /वाहत्सप्प्स -9955509286

भोजपुरी कजरी गीत – काहे भूली गइला हमके सजनवा

तोहरे खातिर तड़पे हमरो परनवा।
काहे भूली गइला हमके सजनवा।

सावन के बहार रहे
बरखा के फुहार रहे।
बिरह में बरसे मोर नयनवा।
काहे भूली गइला हमके सजनवा।

मनवा उदास रहे,
मिलन के प्यास रहे।
देखि देखि ताना मारे हमके जमनवा।
काहे भूली गइला हमके सजनवा।

केहु जाला पूरब पश्चिम,
केहु मुलतानी।
हमरा के छोड़ी के पिया
कईला नादानी।
कहा चली गइला हमरो सजनवा।
काहे भूली गइला हमके सजनवा।

अँखिया से रही रही बहेला निरवा।
बितली उमरिया मोर गिनते दिनवा।
रहिया तकत मोर छछने परनवा।
काहे भूली गइला हमके सजनवा।

श्याम कुँवर भारती (राजभर )
गीतकार /कवि /लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड - मोबाइल 9955509286

भोजपुरी गीत – बरखा के बदरिया | सावन लोक गीत इन हिंदी लिरिक्स

भोजपुरी गीत – बरखा के बदरिया।
बरखा के बदरिया मे पनिया पडेला राम।
ये मोर सजना तनी चलता बुनिया मे नहाए।
ये मोर सजना।
फुहार बरखा से देहिया भिंजेला राम।
ये मोर सजना तनी देता हमरो मनवा जुड़ाए।
ये मोर सजना।
पिरितिया के रितिया ना बुझे मोर सजना।
चूड़िया के खन खन बाजे मोर कंगना।
बदरा के गरज मोर मनवा डरेला राम।
ये मोर सजना तनी लेता हमके हियवा लगाए।
ये मोर सजना।
बरखा के पनिया जुडावे धरती के पियसिया।
जुडाई देता पिया हमरो पियासल पिरीतिया।
बिरह मे तोहरे नैना बहेला राम।
ये मोर सजना तनी करता हमसे नेहीया लगाय।
ये मोर सजना।
पत्थर के करेज तोहरों हवे मोर बलमा।
प्यार वाली बतिया ना करे मोर बलमा।
धक धक जिया मोर करेला राम।
ये मोर सजना तनी देता झूला बहिया झुलाय।
ये मोर सजना।
बरसा के बदरिया मे पनिया पडेला राम।
ये मोर सजना तनी चलता बुनिया मे नहाए।
ये मोर सजना।
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
बोकारो झारखंड -9955509286

भोजपुरी सावन गीत – अंचरवा संभारा गोरिया Sawan Ke Gana Bhojpuri

पवनवा बेईमान अंचरवा संभारा गोरिया।
उड़ा देई मारी एक झोंका संभारा गोरिया।

आइल सवनवा बदरवा जाई ललचाई।
भिजाई देहिया बरखा के फुहारा गोरिया।
अंचरवा संभारा गोरिया।
पवनवा बेईमान अंचरवा संभारा गोरिया।

जईबू जब बगिया भवरवा ललचाई।
फुलवा के महक बदनवा लिपटाई।
लहकल उमीरिया होई कइसे गुजारा गोरिया।
अंचरवा संभारा गोरिया।

खोलबु जब केसिया बदरी घिरी आई।
हसंबु जेने ओने अब बिजुरी गिरी जाई।
निमन लागे देखि तोहार खूब नजारा गोरिया।
अंचरवा संभारा गोरिया।

हरियर सवनवा मे हरियर भईली धरती।
तोहरा के देखि हरियर मनवा बा भारती।
श्याम के नमवा मुँहवा तनी उचारा गोरिया।
अंचरवा संभारा गोरिया।
पवनवा बेईमान अंचरवा संभारा गोरिया।

श्याम कुँवर भारती (राजभर )
गीतकार /कवि /लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड -मोब 9955509286

सावन की मस्ती बरखा स्पेशल गीत Sawan Special Song Lyrics In Hindi

सुनऽ सुनऽ बरखा हो रानी,सुखताटे धानवा
सुखले आषाढ हो बितल,
आयील अब सावनवा।
बरिख, बरिख बरखा हो रानी, सुखताटे धानवा।।
पियासल बाटे सगरे जहांनवा,
सुन हो रानी सुखताटे धानवा
सुन हो रानी..... २

कयीसे कयीसे बोरिंग चलाके,
डलाईल बाटे बिया
बिनु खाद पानी के बिचङवा के,जुङाई कयीसे हिया
कबसे बाटे तोहरो हो रानी तोहरो राह ताकनवा।
सुन हो रानी सुखताटे धानवा।।
सुन हो रानी..... २

कबो कबो घेरतारू खूब रे करिया बदरिया
मन करे तान के सो जाई
आपन चदरिया
बाकिर तनिको मानत नयीखे हमरो हो मानवा।
सुन सुन सुन हो बरखा रानी सुखताटे धानवा
सुन हो रानी..... २

अंगना में छिटनीं हमहुँ मुठ्ठी मुठ्ठी सरिसो
एहूसें हम छिटनीं कि पीट पीट के बरिसो
खूँटातोङ,के मानि जा ना अबहूँ से कहानवा।
सुन हो बरखा रानी सुखताटे धानवा।।
बरिख बरिख बरिख हो बरखा रानी,सुखटाते धानवा
सुखले आषाढ हो बितल,आ गयील सावनवा
पियासल बाटे हमरो हो रानी, सगरी जहानवा,
सुन हो रानी सुखताटे धानवा
सुन हो रानी .....२

गीतकार :कवि रणंजय सिंह
छपरा/बिहार
सं क्र:९८९२० ४४५९३

भोजपुरी गीत: सावन के पावन महीनवा हो भोजपुरी सावन शायरी

"सावन के पावन महीनवा हो"
सावन के पावन महीनवा हो....
बलम मोरा झुलुआ झुलाद..
हाथ जोरी करिले विनतिया हो
बलम मोरा झुलुआ झुलाद..
रिमझिम-रिमझिम बरसे बदरिया हो..
चमाचम चमके तड़के बिजुरिया हो...
अंग-अंग भीजेला अंगिया हो..
सावन के पावन महीनवा हो..
बलम मोरा झुलुआ झुलाद
धरती ओढ़े धानी चुनरिया हो..
थिरकता पांव मोरा बाजे पायलिया हो..
सुनावे मधुर संगीत सांवरिया हो...
हरियाली सगरो शोभेला हो..
सावन के पावन महीनवा हो.....
बलम मोरा झुलुआ झुलाद..
झुलुआ झुलल जाई संगे सखियां, सहेलिया हो..
मीठी-मीठी गीतिका सुनावे कोयलिया हो...
मनवा मयूरवा हर्षाते हो...
सावन के पावन महीनवा हो...
बलम मोरा झुलुआ झुलाद...
हरि-हरि कजरी पिया गितीया गाइब हो..
हथवा में मेंहदी, महावर रचाइब हो.
झुरूर-झुरूर पुरवा बसेरा हो...
सावन के पावन महीनवा हो..
बलम मोरा झुलुआ झुलाद....
डॉ मीना कुमारी परिहार

भोजपूरी कृषि गीत - धान के रोपनिया | किसान शायरी भोजपुरी

चला सजना करी धान के रोपनिया न हो।
रिमझिम बरसे बदरा बुनिया न हो।

करवा ना किसानी कइसे चली जिंदगानी।
तू हमरो राजा हई हम तोहार रानी।
खाला अनवा सगरो देश दुनिया न हो।
रिमझिम बरसे बदरा बुनिया न हो।

धनवा लगईबा त सोनवा उगईबा।
दाल भात चोखा चटनी संगवे तू खईबा।
भुखल ना रही हमरो देशवा रजधनियां ना हो।
रिमझिम बरसे बदरा पनिया न हो।

भरल रही अनाज त खुशहाल होई देशवा।
लहराई धान बलिया आईं बहार मोर देशवा।
चला खतेवा करा जनी नदनिया न हो।
रिमझिम बरसे बदरा बुनिया न हो।
श्याम कुंवर भारती
बोकारो झारखण्ड

भोजपुरी कृषि गीत जे टुकड़ा - धान क कटनिया

चला पिरा करे धान क कटनिया न हो।
भरल जाई धनवा से खाली खरिहनिया ना।
धनवा के काटी पिटी घरवा भरल जाई।
जड़वा के डरे ना घरे रहल जाई।
धनवा क करा खूब जतनिया न हो।
अनवा से मिली देशवा के भोजनिया ना।
श्याम कुंवर भारती

सावन भदऊवा के बाटे भभकल ईनारवा हो मोरे पातर पिअऊ : भोजपुरी सावन गीत देहाती

सावन भदऊवा के बाटे भभकल ईनारवा हो मोरे पातर पिअऊ,हो मोरे पातर पिअऊ,
ओहीजा ना कर आचमन स्वीकार।
हो मोरे पातर पिअऊ,
ओहीजा ना कर......
घरवा में नल कयीसे लागी,
चोरी हो जाते टोंटी
जुग जमाना बङा खराब बाटे
सुनलऽ बात मोटा मोंटी
कुल्ला कलाली इनरवे पर करीलऽ,बन जिन लाचार।
हो मोर पातर पिअऊ,
ओहीजा ना कर आचमन स्वीकार।।
हो मोर पातर पिअऊ...
चलता रही इनारवा त ओकर
पनिया रही साफ हो
छिट दिह ब्लींचिंग पाऊडर ओहमें पूरा बोरा चाहे हाफ हो
बाल्टी रस्सी से कसरत होत रही तोहरो,देहिया के लागी ना बंटाधार।। हो मोर पातर पिअऊ..ओहिजा ना करऽ आचमन स्वीकार।।
हो मोरा पातर पिअऊ..
देखऽ खूँटातोड़जी के अबहूँ ले इनरवे पर नहालें
छान छान ओकरे पानीओं पियेलें, एहिसे कविजी कहालें
मानऽ मोर बतिया अबहूँ से
कर एतबार। हो मोर पातर पिअऊ, हो मोर पातर पिअऊ,ओहिजा ना करऽ आचमन स्वीकार।।
हो मोर पातर पिअऊ, ओहिजा ना करऽ आचमन स्वीकार।।
सावन भदऊआ के भभकल इनार।
हो मोर पातर पिअऊ, ओहिजा ना करऽ आचमन स्वीकार।।
हो मोर पातर पिअऊ... 2
गीतकार :कवि खूँटातोड़

एही ठैंया लगा द झूलनवा झूलब झूला झूला: सावन के झूले पर शायरी झूले पर भोजपुरी Jhula Shayari

एही ठैंया लगा द झूलनवा
झुलब झुला झुला..झूलब झूला झूला
ऐ झूलब झूला झूला, झूलब झूला झूला, झूलब झूला झूला
एही ठैंया लगा द झूलनवा झूलब झूला झूला..

रस्सी जबर बांध के
रखऽ मजबूत ओपर पाटा
सिम हमार रिचार्ज कर द
डेढ जी बी वाला डाटा
नेट इहाँ धकाधक पकड़ी
जगहा बाटे खुलम खुल्ला
झूलब हम झूला..
ऐ झूलब हम झूला, झूलम हम झूला, झूलब हम झूला..

जबऽ जबऽ कहली झूले के
कहलऽ आवे द ना सावन
मुँह आपन मियूट रखनी
बना के विचार आपन पावन
खूँटातोड़, चाहत पूरा करऽ, सांझ के खयीह गुलगुल्ला
ऐ झूलब हम झूला, झूलब हम झूला, झूलब हम झूला..
ऐहीं ठईयाँ लगा द झूलनवा, झूलम हम झूला, झूलम हम झूला....
गीतकार :कवि खूँटातोड़
पातर पिअऊ, भैया खूंटातोड़ जी अबकी सावन भादो के मौसम बहुते खराब बा यही में भौजी झूला झूले खातिर तैयार बा, तनी बचके झूला झूलीहऽ न ता खूंटा रगरा जाईब! आ मौसम गड़बड़ा जाई!
रउआ छोटका भाई! ‘‘मौलवी साहब’’
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