बेमौसम बारिश स्टेटस | ब्यूटीफुल बारिश शायरी | बारिश का सुविचार
बारिश शायरी फोटो डाउनलोड-Shayari On Rain Image HD
यहाँ बारिश हो रही है
ये बूंदें आपको मुबारक
बैसाखी सुप्रभात
भीग रहा अंबर आनन
भीग रहा मन का आंगन
भीगा शब्द शब्द मेरा
इसने छन छन कर घेरा
बादल ऊपर गरज रहा
पपिहा मिलने को तरस रहा
बह जाए इन बूंदों संग
सारे ग़म के कानन
सहस बिहस पंछी चंचल हो
सुप्त मन बहुत विचल हो
उमड़ घुमड़ बादल छाया
बरखा झमझम बरस रही
बूंद-बूंद छम छम नाच रही
क्या बोलूं और क्या-क्या गाऊं
बादल बरसा बूंदों का धुन सुनाऊं!
लता प्रासर
ये बूंदें आपको मुबारक
बैसाखी सुप्रभात
भीग रहा अंबर आनन
भीग रहा मन का आंगन
भीगा शब्द शब्द मेरा
इसने छन छन कर घेरा
बादल ऊपर गरज रहा
पपिहा मिलने को तरस रहा
बह जाए इन बूंदों संग
सारे ग़म के कानन
सहस बिहस पंछी चंचल हो
सुप्त मन बहुत विचल हो
उमड़ घुमड़ बादल छाया
बरखा झमझम बरस रही
बूंद-बूंद छम छम नाच रही
क्या बोलूं और क्या-क्या गाऊं
बादल बरसा बूंदों का धुन सुनाऊं!
लता प्रासर
बरसात पर कविता, बादल और बारिश पर कविता, सावन पर छोटी कविता
बरसात
चौपाई
उमड़ -घुमड़ कर आते बादल।
रिमझिम जल बरसाते बादल।।
खग- विहंग की तृष्णा मिटती।
मेघ नृप की गगरी न घटती ।।
लपक -लपक कर बिजली कड़के।
ठहर -ठहर कर जियरा धड़के।।
मेघराज भी झूम झूम के।
पकड़े चुनरी प्रिया घूम के।।
शिखरों पर हरियाली छाई।
डाल-डाल की प्यास बुझाई।।
नदी -नाले बहुत भर आवे।
नगर -नगर अति जल भर जावे।।
पर्वत- पर्वत पवन सुहानी।
सह चले बदरी महारानी।।
कड़क दामिनी शोर मचावे।
गर्जन - नाद कहर बरपावे ।।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर ( हिमाचल प्रदेश)
छत से टपकता पानी : बारिश शायरी - बरसात कविता
याद आती है ज़िंदगानी।
छत से टपकता पानी।
कहीं लोटा,कहीं थाली,
एक कोने में सिमटी कहानी।
बारिश थोड़ी थम जाए,
पूरी रात करते निगेहबानी।
बूँद-बूँद ने किया सैलाब,
हुई बात वही पुरानी।
काँटे बहुत है राहों में
यही बात थी बतानी।
बीती है कई रात ऐसी,
कभी आँखों में पानी
कभी छत से टपकता पानी।
Nilofar Farooqui Tauseef
fb, ig-writernilofar
Barish Shayari | Shayari On Rain In Hindi बारिश शायरी
रिमझिम बरखा की बूंदें
बरसे जब रिमझिम बरखा की बूंदें,
होता अंतस आनंदित
झूमू नाचू हो विभोर आंखें मूंदे।
धुल जाते सभी विचार कलुषित
आती तन में नयी ताजगी,
भाए नैनों को वसुंधरा की हरियाली सादगी।
लुटाए प्रकृति हरी चुनरिया चहुंओर,
भागता सूखापन कोना-कोना,
सुन हरी चुड़ियों की खनखन आते चित्तचोर।
झूला झूले प्रियसी संग मनमोहना।
गाऊं हिलमिल सावन कजरिया,
देखूं जब घनघोर काली बदरिया।
रीतु प्रज्ञा
दरभंगा, बिहार
वर्षा ऋतु प्यारी: कविता Varsha Ritu Poems In Hindi | Varsha Ritu Ki Kavita
कविता
वर्षा ऋतु प्यारी
घर आँगन महके,
मंगल शुभकारी।
खुशी मनाये सब,
वर्षा ऋतु प्यारी।।
धरा पुत्र हर्षाये,
खिल उठी क्यारी।
मतवाली बूंदें।
वर्षा ऋतु प्यारी।।
मनभावन मौसम,
वो मंगलकारी।
सभी को लगती।
वर्षा ऋतु प्यारी।।
शुद्ध खान-पान से,
रहे सुखकारी।
मिल खुशी मनाये,
वर्षा ऋतु प्यारी।।
मनभावन मोती,
बहुत उपकारी।
स्वागत अभिनन्दन,
वर्षा ऋतु प्यारी।।
रामबाबू शर्मा,राजस्थानी,दौसा(राज.)
बारिश गजल | बारिश शायरी २ लाइन | सावन बारिश शायरी
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