अटल बिहारी वाजपेई की जयंती पर कविता शायरी Poem On Atal Bihari Vajpayee In Hindi
जयंती अटल जी की
Atal Bihari Vajpayee Image अटल बिहारी वाजपेई फोटो |
(कोटि कोटि नमन एवं विनम्र पुष्पांजलि)
अटल वचन, अटल नमन, अटल धरती, और अटल गगन
अटल चितवन अटल जीवन, अटल निर्णय, और अटल लगन।
अटल महापर्वत ,अटल मधुवन, अटल पुष्प, और अटल चंदन,
कहती कलियां, सुनती पवन, अटल व्यक्तित्व, अटल कंचन।
शैली अटल, संदेश अटल, रेत के खेत में खिला गए कमल,
उनकी पुण्य तिथि पर महान् अटल जी को कोटिश: नमन।
अटल जयंती, अटल नमन..……
राजनीति के बड़े खिलाड़ी अटल, शत्रु के बड़े शिकारी अटल,
अटल विचार, अटल जतन, दीवाना अटल का यह सारा चमन।
कविता में अटल, कहानी में अटल, पूरा साहित्य अटल पटल,
अटल हर रचना अटल की, कहती रचनाएं अपने खोल नयन।
बचपन में अटल, जवानी में अटल, बुढ़ापे में भी थे पूरे अटल,
अटल अटल सारी दुनिया कहती, अटल मन का अटल वतन।
अटल जयंती अटल नमन……
अटल की हर बात अटल, मुलाकात अटल, और जज़्बात अटल,
अटल सेवा अटल मनन, अटल वाणी और अटल कथन।
विरोधी भी कुछ नहीं बोल पाते थे उस सफल अटल समक्ष,
देश की हर सभा में अटल, अटल के स्वभाव से हर्षित सदन।
कृष्ण बिहारी और कृष्णा के लाल अटल बिहारी, सब पे भारी,
अटल की शैली को, अटल के इतिहास को दिल से श्रद्धा सुमन।
अटल जयंती अटल नमन………
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)
जयनगर (मधुबनी) बिहार
अटल बिहारी वाजपेई की जयंती पर कविता
सदैव अटल
(कविता)
(पावन जयंती पर पूर्व प्रधान मंत्री भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेई जी को कोटि कोटि नमन एवं विनम्र आदरांजलि।)
नाम अटल, काम अटल, पैग़ाम अटल, अटल को नमन अटल,
छवि अटल, कवि अटल, नेता वक्ता के साथ सोच विचार अटल।
शुरू से अंत तक, एडी से चोटी तक, ऊपर से नीचे तक सब अटल,
बचपन से जवानी, जवानी से वृद्धावस्था तक हर चीज अटल।
अल्फ़ाज़ अटल, अंदाज़ अटल, राह अटल, चाह और परवाह अटल,
अटल समाधि से निकल रहे पल पल, सुंदर प्रेम संदेश अटल।
नाम अटल, काम अटल…………….
याद अटल, फरियाद अटल, व्यक्तित्व से भरपूर आबाद अटल,
मोम अटल, फौलाद अटल, दिलों में हैं जिंदाबाद सदैव अटल।
दूसरी पुण्य तिथि है आई, लेकर आई नए नए सपने अटल,
कोटि कोटि नमन अटल को, छोड़ गए जो अपनी छाप अटल।
संस्कार अटल, व्यवहार अटल, देश हेतु हमेशा तैयार अटल,
कल आज कल में बना गए एक संबंध, एक नया रिश्ता अटल।
नाम अटल, काम अटल………………
कहानी अटल, पानी रवानी अटल, अटल की वाणी निशानी अटल,
सूरज अटल, चंदा अटल, दिल दरिया, मन गागर में सागर अटल।
सफल अटल से जुड़ी हर वस्तु अटल, दर्शन को मन रहा मचल,
गीत अटल, संगीत अटल, प्रीत अटल, रीत अटल और जीत अटल।
अटल इच्छाशक्ति से गए बहुत कुछ बदल, थे महान् अटल,
टूटे नहीं, झुके नहीं, जब कभी जीवन में विफल हुए अटल।
नाम अटल, काम अटल……………….
कोई भी सच्चा भारतीय चाहकर भी आपको नहीं भूल पाएगा। विश्व का पटल आपके बिना बड़ा सूना सूना लगता है।
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित हैं।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
अटल बिहारी वाजपेई जी की जयंती पर शत्-शत् नमन
दिव्य अटल
पच्चीस दिसंबर का दिन था, उन्नीस सौ चौबीस साल ।
भारतरत्न का धरा अवतरण, दमक उठा भारत का भाल ।।
पितु थे पंडित कृष्ण बिहारी, कृष्णा वाजपेयी माता ।
घुट्टी में कविताई पाई, रचना ऐसी रची विधाता ।।
दुग्ध प्रेम का किस्सा उनका है जग में मशहूर हुआ ।
पिता -पुत्र की संग पढ़ाई, नवअध्ययन दस्तूर हुआ ।।
राष्ट्रधर्म और पांँचजन्य का किया सुकौशल संपादन ।
राष्ट्रमय मनोभावों का किया जनमानस में संचालन ।।
सत्ता की निरंकुशता लख हुए राजनीति उन्मुख ।
शिष्ट, शालीन मर्यादित जीवन का दिए उदाहरण सन्मुख ।।
है अनुपम व्यक्तित्व अनूठा, नहीं कदापि वो कहीं झुके ।
रही सदा अबाध गति उनकी, किसी के रोके नहीं रुके ।।
राजनीति पर रहा सदा संवेदनशील कवि का वर्चस्व ।
राष्ट्रप्रेम हित किया उन्होंने, निजता का अर्पण सर्वस्व ।।
बचपन की हैं यादें आतीं, बीती बातें फिर तड़पाती ।
गुलाब पुष्प देकर आपको, बैठी मंच आसन लगाती ।।
भाषण की भाव -भंगिमाएँ, भरतनाट्यम की मुद्राएंँ ।
नजरें सारी थीं निहारतीं, देतीं जनसैलाब दुआएंँ ।।
न भूतो न भविष्यति, ऐसा कहीं नहीं व्यक्तित्व ।
शत्-शत् नमन करती हूँ, फैल रहा चहूंँओर कृतित्व ।।
नाम से केवल अटल नहीं, रग- रग में अटल दीप्तिमान ।
करती मीनू बारंबार प्रणाम, हे भारत के सपूत महान।।
मीनू मीना सिन्हा
राँची, झारखंड
अटल बिहारी बाजपेई जी की जयन्ती पर एक रचना
पटल से जुड़े समस्त माताओं, बहनों और बंधुओं को सादर नमन। आज अटल बिहारी बाजपेई जी की जयन्ती पर एक रचना का प्रयास।
अटल जी अटल रहे अँटके नहीं,
सुपथ छोड़ कुपथ वे भटके नहीं।
हराम के दाने कभी वे गटके नहीं,
अनीति देख कभी वे सटके नहीं।।
धन्य रहे अटल बिहारी बाजपेई,
धन्य है उनके जीवन की कहानी।
भारत माता के थे वे सच्चे सपूत,
नहीं किसी से कोई ताना तानी।।
सच्चे थे वे कर्तव्यनिष्ठ ईमानदार,
देशभक्ति भरा उनमें कूट कूटकर।
जब तक भी रहे थे वे सत्तासीन,
कभी नहीं खाए कहीं वे लूटकर।।
पक्ष विपक्ष सब मानते थे उनको,
राष्ट्र को उनपर इतना नाज था।
काम अँटकता जब भी कहीं भी,
विदेश में भी सुलझाना काज था।।
कर दिए दान जीवन देशभक्ति में,
हर जीवन सुख निज त्याग दिया।
आजीवन काटा ब्रह्मचर्य जीवन,
केवल देशहित सहभाग किया।।
अटल नहीं थे केवल राजनीतिक,
अटल जी सच्चे काव्यार्थी रहे।
उनके जीवन से लेने हेतु प्रेरणा,
कोटिशः उनके भी लाभार्थी रहे।।
अटल जी को सदा सादर नमन,
शब्द सुमन सादर तुम्हें है अर्पित।
आशीष रहे सदा ही तेरे राष्ट्र पर,
हम भी देशहित में रहें समर्पित।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।
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