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महादेवी वर्मा का जीवन परिचय - महादेवी वर्मा का साहित्यिक परिचय

महादेवी वर्मा Mahadevi Verma की संक्षिप्त कहानी पुण्य तिथि पर विशेष प्रस्तुति

(पुण्य तिथि पर कोटि कोटि नमन)

महादेवी वर्मा का जन्म कहां हुआ था? महादेवी वर्मा के माता-पिता कौन थे?

1. हिंदी की प्रसिद्ध लेखिका एवं कवयित्री महादेवी वर्मा जी का जन्म 26 मार्च 1907 ईस्वी में उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जनपद में हुआ था। उनके पिताजी का नाम श्री गोविंद प्रसाद था। श्रीमती हेमरानी देवी उनकी माताजी थी, जो एक धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी। महादेवी जी की प्रारंभिक शिक्षा इंदौर में हुई थी। उनकी उच्च शिक्षा प्रयाग में संपन्न हुई। उन्होंने संस्कृत भाषा में स्नातकोत्तर किया। शुरू में ही उनके ऊपर माता सरस्वती की असीम कृपा दृष्टि हुई। कलम ने उनको आकर्षित कर लिया।

महादेवी वर्मा का विवाह कब हुआ इनको ज्ञानपीठ पुरस्कार से कब सम्मानित किया गया?

2. प्रयाग महिला विद्या पीठ की वे प्राचार्या नियुक्त की गई। दिनोदिन उनका साहित्य प्रेम बड़ी तेजी से बढ़ता गया। मात्र ग्यारह वर्ष की आयु में उनका विवाह हो गया था। उनके पति रूप नारायण वर्मा एक डॉक्टर थे। दिनों का क्षेत्र अलग अलग था। दांपत्य जीवन में तालमेल की कमी होना स्वाभाविक बात थी। महादेवी जी ने चांद नाम की एक पत्रिका का संपादन भी किया। उनकी मुख्य रचनाओं में चलचित्र, निहार, रश्मि, नीरजा, सांध्य गीत, दीप शिखा आदि हैं। यामा काव्य संग्रह के लिए उनको 27 अप्रैल 1985 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। बहुत छोटी आयु से ही महादेवी जी लेखन के क्षेत्र में आ गई थी।

महादेवी वर्मा साहित्य अकादमी की सदस्या किस वर्ष में बनी?

3. महादेवी जी ने उत्तर प्रदेश विधान परिषद की मनोनीत सदस्या के तौर पर राजनीति का भी गौरव बढ़ाया। उनको पद्म भूषण और पद्म विभूषण पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया। वे 1979 में साहित्य अकादमी की सदस्या भी रहीं और साहित्य की मर्यादा बढ़ाई। इतना सुंदर अवसर भाग्यशाली साहित्यकारों को ही मिल पाता है।

नारी शक्ति को जगाने और नारी उत्थान के लिए उनके द्वारा किए गए सराहनीय कार्य

4. नारियों के अधिकारों के लिए महादेवी जी निरंतर संघर्षरत रहीं। नारियों के सम्मान के लिए उन्होंने कई महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। समाज में महिलाओं के प्रति पुरुषों की संकुचित मानसिकता और सोच से महादेवी जी सदा नाराज रही। नारी शक्ति को जगाने और नारी उत्थान के लिए उनके द्वारा किए गए कार्य सराहनीय हैं।

महादेवी वर्मा का चित्र Mahadevi Verma Image

महादेवी वर्मा की मृत्यु कब हुई? महादेवी वर्मा की पुण्यतिथि कब है?

5. साहित्य शिल्पी के रूप में उनको जाना जाता है। साहित्य की सेवा करते हुए उन्होंने कई महत्वपूर्ण , बहुमूल्य एवं नए कीर्तिमान स्थापित किए। 11 सितंबर 1987 को उन्होंने इस दुनिया को हमेशा हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। साहित्य जगत में अपने योगदान के लिए महादेवी जी सदा अमर रहेगी।

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार लेखक/कथाकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

महादेवी वर्मा को समर्पित रचना - महादेवी वर्मा पर कविता

बाल्यकाल से रही निडर।
चुनी स्वयं खुद की डगर।
निर्भय पग बढ़ाए अपने।
रखी लक्ष्य पर सदा नजर।

छोटी उम्र में विवाह हो गया।
प्रगति में अवरोधक हो गया।
संभाला हंसकर अपना घर।
महादेवी बढ़ती रही निडर।

रचना लिखने की रही ललक।
झपकाया कभी नहीं पलक।
किसे कहते कैसा होता डर।
महादेवी का नाम हुआ अमर।

रुकी नहीं झुकी नहीं जीवन में।
महकी बन पुष्प वन उपवन में।
था विशाल आकाश सा उर।
नव इतिहास रचा धरती पर।

लिखी कृतियां देशभक्ति की।
सही वेदनाएं है अनुरक्ति की।
पत्र-पत्रिकाओं की बनी खबर।
कर दी अर्पित हिन्दी को उमर।
भास्कर सिंह माणिक, कोंच
मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
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