स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि Swami Vivekananda Punyatithi Quotes Status In Hindi
पुण्य तिथि : स्वामी विवेकानंद जी
(गोलोक प्रस्थान : 04 जुलाई 1902)
“कोटि कोटि नमन एवं प्रणाम उनको”
आप थे संतों के संत व ज्ञानियों के ज्ञानी,
आपकी बातें कभी हो सकती नहीं पुरानी।
पुण्य तिथि पर कोटि कोटि नमन आपको,
आप पर गर्व करता रहेगा हर हिंदुस्तानी।
आप थे संतों के संत…
आपके ज्ञान पर दुनिया को अभिमान है,
आपकी बातें जग में बड़ों बड़ों ने मानी।
अमेरिका का भाषण कौन भूल सकता है?
आपने बड़े बड़े को पिला दिया था पानी।
आप थे संतों के संत…
प्राण पर धर्मराज की हो गई मेहरबानी।
04 जुलाई 1902,को अशुभ दिन आया,
गोलोक चले गए, देकर अपनी निशानी।
आप थे संतों के संत…
कर्म योग, ज्ञान योग व भक्ति योग में,
उनकी पकड़ देख, सबको हुई थी हैरानी।
ऐसे संत की शुरुआत क्या व अंत क्या?
जो दूजे के काम आए, वही है जिंदगानी।
आप थे संतों के संत…
(गोलोक प्रस्थान : 04 जुलाई 1902)
“कोटि कोटि नमन एवं प्रणाम उनको”
आप थे संतों के संत व ज्ञानियों के ज्ञानी,
आपकी बातें कभी हो सकती नहीं पुरानी।
पुण्य तिथि पर कोटि कोटि नमन आपको,
आप पर गर्व करता रहेगा हर हिंदुस्तानी।
आप थे संतों के संत…
आपके ज्ञान पर दुनिया को अभिमान है,
आपकी बातें जग में बड़ों बड़ों ने मानी।
अमेरिका का भाषण कौन भूल सकता है?
आपने बड़े बड़े को पिला दिया था पानी।
आप थे संतों के संत…
स्वामी विवेकानंद की मृत्यु कब हुई Swami Vivekananda Death Date
चालीसवां बसंत भी नहीं देख पाए आप,प्राण पर धर्मराज की हो गई मेहरबानी।
04 जुलाई 1902,को अशुभ दिन आया,
गोलोक चले गए, देकर अपनी निशानी।
आप थे संतों के संत…
कर्म योग, ज्ञान योग व भक्ति योग में,
उनकी पकड़ देख, सबको हुई थी हैरानी।
ऐसे संत की शुरुआत क्या व अंत क्या?
जो दूजे के काम आए, वही है जिंदगानी।
आप थे संतों के संत…
स्वामी विवेकानंद जी की पुण्य तिथि Swami Vivekananda Punyatithi
पुन्य तिथि पर सत सत नमन संत श्री विवेकानंद स्वामी जी!
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार
स्वामी विवेकानंद जी पर कविता Poem On Swami Vivekananda Ji
जय हिन्द वन्देमातरम
विषय - स्वामी विवेकानंद
अपनी सभ्यता संस्कृति की
रीत नीत अपनाए हम।
अपनी कौशल बुद्धि ज्ञान से
जग को मीत बनाए हम।
नमन किया सारी दुनिया ने
श्री परमहंस के शिष्य को।
बने विवेकानंद जवानी
ऐसे गीत सुनाए हम।
था युवाओं का प्रेरणा स्रोत
भारत का लाल अनोखा।
अल्प आयु में ही रच डाला
आलोकित ग्रंथ सलोना।
शब्द शब्द में देश प्रेम था
सच्चाई बतलाए हम।
बने विवेकानंद जवानी
ऐसे गीत सुनाए हम।
चंदा सोम धरा से धैर्य
सूरज से तेज लिया था।
कदम बढ़ाकर हटा नहीं फिर
कर्तव्य पूर्ण किया था। l
शत्रु के सिर झुकाए पल में
वही कथा दुहराए हम।
बने विवेकानंद जवानी
ऐसे गीत सुनाएं हम।
मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक, कोंच
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