नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर कविता : नेताजी सुभाष चंद्र बोस को नमन
(कविता)
“भारत माता के वीर सपूत शिरोमणि को पावन जयंती पर कोटि कोटि नमन एवं प्रणाम तथा हार्दिक आदरांजलि”
हे आजाद हिंद फौज के महान् सेनापति,
हे भारत माता के माथे के लाल गुलाल!
पिता जानकीनाथ बोस बड़े भाग्यशाली थे,
माता प्रभावती बोस भी, हो गई निहाल।
23 जनवरी 1897 ओडिशा के कटक में,
बोस दंपति घर आए मचाते हुए धमाल।
हे आजाद हिंद फौज के………….
जन्म दिवस पर, कोटि कोटि नमन है,
सदियों बाद पैदा होता आप जैसा लाल।
कैसे नमन करूं आपको, पता नहीं कुछ,
दिल पूछ रहा है, दिमाग से यही सवाल।
आपके त्याग की कहानी में बड़ी आग है,
गोरी सरकार का आपने किया बुरा हाल।
हे आजाद हिंद फौज के………….
आपके जन्म दिन पर मौसम गर्म रहता,
ठंडा हो जाए, मौसम का क्या है मजाल?
नेता जी का मतलब, सुभाष चंद्र बोस है,
दिल में किसी और का आता नहीं ख्याल।
आप होते तो भूगोल कुछ और ही रहता,
आपके नहीं होने का, किसे नहीं मलाल?
हे आजाद हिंद फौज के………….
आपके आगे शोले भी शबनम बन जाते,
हमेशा विफल की आपने, गोरों की चाल।
गली गली गूंज रहा है खूब नाम आपका,
अलविदा पर, उठना लाजिमी है सवाल।
सदा आगे बढ़कर, आपने मोर्चा संभाला,
आप कराते रहे, गोरे करते रहे कदमताल।
हे आजाद हिंद फौज के………….
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जयंती पर कविता शायरी Poem On Subhash Chandra Bose Jayanti
नेताजी सुभाषचंद्र बोस को नमन
“नेताजी को उनकी जयंती पर कोटि कोटि नमन कर रहे एवं विनम्र पुष्पांजलि आज दे रहे हैं आज समस्त भारतवासी “
“नेताजी को उनकी जयंती पर कोटि कोटि नमन कर रहे एवं विनम्र पुष्पांजलि आज दे रहे हैं आज समस्त भारतवासी “
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी पर कविता
हे आजाद हिंद फौज के, कर्मवीर सेनापति,हे जानकीनाथ बोस और प्रभावती के लाल!
जयंती पर, कोटि कोटि नमन आपको,
आपको बहुत याद कर रहा है भारत विशाल।
हे हिंद फौज के……
शायद ही होगा तब कोई, आपके जैसा दीवाना,
जिसके मन में वतन का आता हो इतना ख्याल!
आपकी गर्मी से तो धधकती आग भी डरती थी,
आपके सामने, शोलों का भी क्या था मजाल?
हे हिंद फौज के……
अचानक आपका चले जाना समझ से बाहर है,
इस पर पता नहीं कब तक उठा करेगा सवाल?
अगर आप होते तो भूगोल अलग ही होता कुछ,
आपके सामने नहीं गलती थी किसी की दाल।
हे हिंद फौज के……
आप तो अपना जीवन दान करके चले गए थे,
आज भारत को नोच रहे हैं, सत्ता के दलाल।
आप होते तो, मौसम भी कुछ अलग ही होता,
सीधी हो जाती, हर स्वार्थी नेता की टेढ़ी चाल।
हे हिंद फौज के……
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार
सुभाष चंद्र बोस जयंती पर कविता : जय-जय वीर सुभाष
"जय-जय वीर सुभाष!"
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शायद सदियों में होती हैं
पूरी एक तलाश,
शायद विश्वासों को होता
तब जाकर विश्वास।
शायद होते आज वो जिंदा
भारत यूं ना होता,
शायद दुश्मन फूट-फूट कर
खून के आँसू रोता।
आजादी की भेंट चढ़ गये
हुआ अमर बलिदान,
श्रद्धा पूर्वक नमन आपको
हे वीरों की शान।
असली कीमत आजादी की
आपने हीं समझाया,
दिया जवाब हर इक ईंटों का
पत्थर बन टकराया ।
सबसे उत्तम जुदा सभी से
खुद की राह बनायी,
माना अगणित ठोकरें खायी
मुंह पर उफ ना आयी।
बचपन से हीं कूट-कूट कर
भरा था स्वाभिमान,
रग-रग उन्नत भाव भरे थे
दिल में था तूफान।
मिली सफलता राहों में जब
कुछ ने रोके रस्ते,
स्वप्न अधूरे लगने लग गये
अपनों को हीं खटके।
फिर भी हार न मानी डटकर
तूफानों को रोका,
युवाओं का साथ मिला तब
मिल गया बेहतर मौका।
जय हिंद का बिगुल फूंक कर
ली हाथों में जान,
आपके रूप में पाया हमने
एक अलग वरदान ।
निकल कैद से उन गोरों की
घूमे सकल जहान,
आंखों में विश्वास एक था
मुक्त हो हिन्दुस्तान।
हर संभव कोशिश थी मन में
बनी हिंद की फौज,
अपने दम पर खत्म किये थे
अंग्रेजों की मौज।
दिल्ली चलो का नारा देकर
एक माहौल बनाया,
देख के आपके अटल इरादे
मौत भी था थर्राया।
सन पैंतालीस आ गयी घिरकर
हो गयी ऐसी बात,
सोचा ना जो स्वप्न में हमने
आपका छूट गया साथ।
राज पड़ गये परदे कितने
अब तक जान ना पाया,
किसके चलते आपसे हीरे
भारत ने है गंवाया।
फिर भी उर में आप बसे हैं
करते हम सम्मान,
आपके ऊपर करेगी हरदम
आजादी भी गुमान।
---प्रीतम कुमार झा
महुआ वैशाली, बिहार
सुभाष सच्चे वीर सेनानी थे— जय सुभाष सुभाष चन्द्र बोस जी पर कविता
जय सुभाष
सुभाष सच्चे वीर सेनानी थे।
भारत की शौर्य कहानी थे।
दुश्मन थरथर कांपा करते थे।
सुभाष युवा शक्ति की वानी थे।
निडर भारत माता के सेवक थे।
अडिग निर्णय के समर्थक थे।
राजनीति के मर्मज्ञ ज्ञानी थे।
आप दया धर्म पालक दानी थे।
सुभाष स्वतंत्रता के लिए लड़े थे।
माणिक आजादी के पृष्ठ गढ़े थे।
उन्हें बर्बरता दृश्य जुबानी थे।
सुभाष जी पानीदार पानी थे।
मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक, कोंच
सुभाष चंद्र बोस जयंती पर दोहे और कविताएं
नेता सुभाष
आज चाहिए देश को,
फिर से नया सुभाष।
आतंक मिट जाएगा,
होता है आभास।।
दूजा नेता है कहां,
नेता एक सुभाष।
खून हमें दे दीजिए,
पूरन होगी आस।।
सुभाष सम नेता कहां,
अभिनेता हैं लोग।
मान वतन का कीजिए,
छोड़िए बंधु ढ़ोग।।
आजाद हिंद फौज को,
सबने किया सलाम।
अंग्रेजी शासन हिला,
सुन सुभाष का नाम।।
देख गुलामी रो पड़ा,
नेता वीर सुभाष।
आजादी मन ठान ली,
सह न सका परिहास।।
भारत मां के पूत ने,
राखी मां की आन।
जीवन अर्पण कर दिया,
सुभाष बनें महान।।
आजादी यदि चाहिए
करो खून का दान।
नेता जी के त्याग का,
दुश्मन गाते गान।
नेता जी को भक्ति का,
ऐसा चढ़ा जुनून।
अंग्रेज को सिखा दिया
अंग्रेजी कानून।।
नेता जी के नाम से,
गोरे थे भयभीत।
सिखा दिया संसार को
कैसी होती प्रीत।।
मौलिक दोहे
भास्कर सिंह माणिक कोंच
नेताजी सुभाषचन्द्र बोस जयंती पर कविता हिंदी में
समस्त साहित्य प्रेमी माताओं, बहनों और बंधुओं को हृदयतल से नमन करते हुए नेताजी सुभाषचन्द्र बोस जयन्ती के अवसर पर एक रचना का प्रयास है और आपके आशीर्वचनों के अभिलाषी हूँ।
नेताजी सुभाषचन्द्र बोस
नहीं रहे आज हमारे बीच,
नेताजी सुभाषचन्द्र बोस।
खटक रही है कमी उनकी,
सदा रहेगा मन अफसोस।।
लगता है आज मुझको ऐसा,
तेरे मेरे रूप में आज जिंदा।
न समझे इनसे है राष्ट्रविहीन,
पंख फड़फड़ाए न कोई परिंदा।।
तुम खून दो मैं आजादी दूंगा,
जिनका प्यारा सुंदर नारा था।
गुलामी की बेड़ियाँ काटने हेतु,
आजादी प्राणों से भी प्यारा था।।
नहीं रहे आज शारीरिक रूप में,
किन्तौ सदा के लिए वे अमर हैं।
कौन कहता नहीं सुभाषचंद्र बोस,
हमारे आपके रूप आज समर हैं।।
कर रहा शब्दरूपी सुमन अर्पित,
हे महामानव तुम्हें श्रद्धांजली रूप में।
आशीष रहे सदा वतन पर तुम्हारा,
बच्चा बच्चा निकर जाय वीर भूप में।।
हे भारतीय सपूत बहादुर सेनानी,
तुम्हें आजीवन मेरा कोटिशः नमन है।
देते रहना हमें भी सदा ही आशीष,
राष्ट्रसेवा हेतु साहित्य में अब गमन है।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना।
अरुण दिव्यांश 9504503560
23 जनवरी सुभाष चंद्र बोस जी की जन्म जयंती पर उन्हें कोटि कोटि नमन
जने फिर से भगत धरती आजाद पैदा हो।
मेरे माटी के कण कण से सुभाष पैदा हो।
पैदा हों गुरु फिर से और साथ बटुकेश्वर,
गुरु गोविंद पैदा हो शिवा प्रताप पैदा हो।
_______________________________
दीप प्रज्वलित करो उजास चाहिए।
जमीं पुकारती हमें सुभाष चाहिए।
देवता भगत जहाँ अब्दुल हमीद हैं।
मातृभूमि के लिए अश्फाक चाहिए।
वीर बलिदानीयों की जमीं है ये।
खुदीराम बोस आजाद चाहिए।
क्रांतिकारियों ने सर्वस्व लूटा दिया।
देश को फिर राणा प्रताप चाहिए।
सींचा है जमीं को शहीदों ने खून से।
लक्ष्मी बाई जैसी पुरुषार्थ चाहिए।
देशभक्ति सीख अब्दुल कलाम से।
नेता अटल समान पाक साफ चाहिए।
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उदय शंकर चौधरी नादान
कोलहंटा पटोरी दरभंगा
9934775099
कविता : आओ मनायें सुभाषचंद्र की जयंती
लिया था अटल ध्रुव तारा जगत में,
जो पुरे जगत के थे बोस,
था अदम्य उत्साह उनके दिल में,
अद्भूत का उनका जुनून,जोश।
हिला दी थी अंग्रेजों की चूलें जिसने,
नाम था जिनका सुभाषचंद्र बोस,
कांपते थे दुश्मन जिनके डर से,
उड़ जाते थे उनके होश।
आओ मनायें सुभाषचंद्र की जयंती,
बनकर हमसब बोस,
खौफ पैदा करें दुश्मन के दिल में,
उड़ा दें उनके होश।
अरविन्द अकेला
सुभाष चन्द्र बोस : जयंती पर कविता हिंदी में
सुभाष चन्द्र बोस
नेता सुभाष चन्द्र जी की है अमर गाथा, इतिहास बताता है।
जो जयहिंद का नारा लगा अलख जगाता है।
कटक उडीसा मे जन्में 23 जनवरी को
भाई बहनों में अलग ही छबि थी, अलग उनकी शान।
कुछ अलग करने को ये बाल मन बेकरार,
देश गुलामी की जंजीरों मे ब्रिटिश के आधीन।
बचपन से ही दीन हीन की सेवा करते
स्वामी विवेकानंद ब हुत भाये। स्वतन्त्रता संग्राम
के अग्रणी नेता रहे।
द्वितीय युद्ध मे अग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिये
किया आजाद हिंद फौज का गठन।
"तुम मुझे खून दो मै तुम्हेंआजादी दूंगा"
इनके इस नारे से सभी देशवासियों में जूनून भर दिया
खाना पीना भूल कर सब हो गये नेताजी के साथ
जनता आ गईहोश में। देश को आजादी दिलाई
हमारे नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने
सारे जहाँ मे वो हीरो कहलाता है
नेताजी की अमर गाथा इतिहास बताता है
कविता मोटवानी बिलासपुर
स्वरचित
23 जनवरी सुभाष चंद्र बोस जयंती पर कविता
23 जनवरी सुभाष चंद्र बोस
जिसने अंग्रजों को नाको चना चबाया था।
अंग्रेजी हुकूमत को अपना लोहा मनवाया था।
अंगारों पे चलकर आजादी का बिगुल बजाया था।
जन जन में जिसने आजादी का जज़्बा जगाया था।
आजाद हिंद फ़ौज बना भारत का शौर्य बढ़ाया था।
तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा
का नारा लगाया था।
बच्चे बच्चे ने भी फिर वंदे मातरम् गाया था।
अंग्रेजो भारत छोड़ो का नारा बुलंद लगाया था।
विश्व पटल भारत का गौरव जिसने बढ़ाया था।
नमन तुम्हे है,सुभाष बोस तू अभिमान हमारा है।
कोटिश प्रणाम कोटिश प्रणाम तू शान ए हिंद हमारा है।
न कुर्सी का लालच न कोई पद का स्वार्थ था।
आजाद वतन करा गुमनामी अपनाया था।
नेता सुभाष जैसा कोई नेता न है न पैदा होगा।
देश से बढ़कर कोई खुदा नही जिसने समझाया था।
जब तक सूरज चांद रहेगा..
ये धरती आसमां रहेगा...
भारत मेरा आजाद रहेगा...
तू शान ए हिंदुस्तान रहेगा..
मौलिक रचना
निर्दोष लक्ष्य जैन
कविता- जय हिन्द सेना
लेने लोहा अंग्रेज़ो से जय हिन्द सेना बनाया था।
भारत से जर्मनी तक अंग्रेज़ो को आँसू रुलाया था।
तुम मुझे खून दो हम तुम्हें आजादी देंगे नारा दिया।
जुल्मो सितम के कहर अंग्रेज़ो हिन्द सहारा दिया।
चुन चुन के मारा दुशमनों शेर ए हिन्द खूंखार था।
दिलाया छठी का दूध बैरियो अंग्रेज़ो सिर सवार था।
पकड़ न पाये कायर फिरंगी शुभाष ऐसा क्रांतिकारी।
बन आए थे ब्यापारी बन बैठे हिन्द के अत्याचारी।
आजाद कराने गुलाम भारत बिड़ा उसने उठा लिया।
होते राष्ट्र भक्त कैसे दुनिया को उसने दिखा दिया।
हुआ धमाका विमान मे शुभाष न कोई पता चला।
कहलाए नेताजी शुभाष चंद्र बोस किया देश का भला।
अजर अमर हुआ बलिदानी सत सत नमन है उनको।
गाये गुणगान हम तेरा शुभाष सादर नमन है तुमको।
श्याम कुँवर भारती
बोकारो झारखंड
मोब. 9955509286
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