Nasha Shayari नशा शायरी— करते हैं नशा सभी जमाने में
कविताकरते हैं नशा सभी जमाने में
जबसे हमने पी है शराब,
हम होश में आने लगे हैं,
चेहरे पर आने लगी रौनक,
मेरे आईने बताने लगे हैं।
गर नशा शराब में होती,
चनक जाती यह बोतल,
बड़ी वफादार होती है यह,
मेरी समझ में आने लगे हैं।
किसी को धन-दौलत,
किसी को शोहरत का नशा,
नशा कौन नहीं करता,
सभी नशे को छिपाने लगे हैं।
किसी को हुस्न का है नशा,
किसी को इश्क का नशा,
करते हैं नशा सभी जमाने में,
पर एकदूजे से नजरें चुराने लगे हैं।
अरविन्द अकेला
Nasha Shayari नशा शायरी
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