अंतर्राष्ट्रीय तंबाकू निषेध दिवस पर कविता | धूम्रपान निषेध शायरी नारे
अंतर्राष्ट्रीय तंबाकू निषेध दिवस
31 मई, 2022
नशाखोड़ी तो है बहुत जानलेवा,
तंबाकू भी है नशाखोड़ी का अंश।
पीकरूपी जहर हौले से है चढ़ता,
जब तंबाकूरूपी विषधर लेता दंश।।
खैनी बीड़ी सिगरेट गुटखा तंबाकू,
सबके सब हैं एक तंबाकू के रूप।
एक बार आया जो चपेट इसके,
बच नहीं सकता कोई भी भूप।।
वर्जित हो जीवन से ये नशाखोड़ी,
वर्जित हो अब यह सेवन तंबाकू।
फेफड़े गुर्दे दाँतों को यह सड़ाता,
तीनों हेतु घातक बना यह चाकू।।
मादक सेवन हानिकारक है होता,
सदा रहें हम इनसे कोसों ही दूर।
उत्तम स्वास्थ्य भी बदतर हो जाता,
शीघ्र मरने हेतु हम होते हैं मजबूर।।
मादक सेवन झूठी शान व शौकत,
धन दौलत रूपी है बड़ा अहंकार।
लोभ क्रोध ईर्ष्या द्वेष औ शोषण,
जीवन का मुख्य होता है व्यापार।।
भाई बहन दादी दादा काकी काकू,
जीवन से जबरन मत बन लड़ाकू।
एक दूसरे के हम होते हैं सहारा,
दूसरों के सहातार्थ ही छोड़े तंबाकू।।
अरुण दिव्यांश 9504503560
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना।
विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर कविता Poem on World No Tobacco Day
31st May World No Tobacco Day -2022
धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है संवाद लेखन
Smoking Is A Dangerous To Health Poetry
धूम्रपान का जीवन पर प्रभाव
धूम्रपान का, ऐसा प्रभाव होता है,
जीवन धुंए की तरह उड़ जाता है।
हरियाली, खुशहाली मिट जाती है,
देखते देखते चमन उजड़ जाता है।
धूम्रपान का…
Smoking Shayari
ऐसा नुकसान पहुंचा सकता है धुंआ,
खोद सकता यह कर्करोग का कुंआ।
उपचार में घर परिवार लूट जाता है,
जैसे तिनका तिनका बिखर जाता है।
धूम्रपान का…
धूम्रपान पर कविता
लोग कहीं के नहीं रहते, दुःख सहते,
हंसी खुशी गायब, केवल आंसू बहते।
नुकसान अनेक, फायदा एक भी नहीं,
अकल्पनीय है धुंआ जो कर जाता है।
धूम्रपान का…
धूम्रपान पर स्लोगन
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र) जयनगर (मधुबनी) बिहार
तंबाकू निषेध दिवस पर कविता और शायरी | Poem on Anti Tobacco Day
तंबाकू जानलेवा है
तंबाकू का सेवन करना छोड़ो!
यह जानलेवा है,
यह जानते हुए भी! फिर क्यों धूम्रपान करते हो ?
तुम बुद्धिजीवी हो! अपने भविष्य को उज्जवल बनाओ!
तुम अंधेरों में क्यों रहना पसंद करते हो ?
मैं तुमको ऐसे टूटते हुए नहीं देख सकती,
क्योंकि, मैं चेतना प्रकाश हूंँ।
तुम्हारी सांसे मुझसे जुड़ी हुई हैं,
तुम्हारे साथ मैं भी घुटती हूँ,
तुमसे घर, पास – पड़ोस समाज भी प्रभावित होता है,
मैं तुम्हें तड़पते हुए नहीं देख सकती,
क्योंकि, मैं दर्पण हूँ।
मैं तुम्हारी सच्ची दोस्त बनकर तुमको समझा रही हूँ,
तुम्हारी जिंदगी बड़ी खूबसूरत है,
एक बार लौट कर तो देखो!
तुम्हारे अपने, तुम्हारी राह देख रहे हैं,
मैं तुम्हें मौत के मुंह में जाते हुए नहीं देख सकती,
क्योंकि, मैं तुम्हारी अर्धांगिनी हूँ।
(मौलिक रचना)
चेतना चितेरी, प्रयागराज उत्तर प्रदेश।
मोबाइल नंबर _ 8005313636
पता_ A—2—130, बद्री हाउसिंग स्कीम न्यू मेंहदौरी कॉलोनी तेलियरगंज, प्रयागराज
पिन कोड —211004
28/5/2022, 3:08p.m.
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