स्त्री भ्रूण हत्या पर शायरी - कन्या भ्रूण हत्या पर कविता Bhroon Hatya Par Kavita
स्त्री भ्रूण हत्या - कन्या भ्रूण हत्या Bhroon Hatya
क्यों जन्म लेने से पहलेे,
नामो-निशान मिटा देते हैं लोग?
अपनी खुशियों की खातिर,
गहरी नींद सुला देते हैं लोग।
अपनी गलती छुपाने की खातिर,
क्यों कब्र में जिन्दा दफ़नाते है लोग।
क्यों जन्म लेने से पहलेे,
नामो-निशान मिटा देते हैं लोग?
अपनी खुशियों की खातिर,
गहरी नींद सुला देते हैं लोग।
अपनी गलती छुपाने की खातिर,
क्यों कब्र में जिन्दा दफ़नाते है लोग।
क्यों जन्म लेने से पहले,
नामो-निशान मिटा देते हैं लोग?
उन नन्हे-मुन्ने बच्चों का क्या,जो जग में आ भी ना पाते हैं।
उन दिल की धड़कनों का क्या,
जो खुल के धड़क भी ना पाते हैं।
अपनी ही खुशियों के खातिर,
उन्हें मिट्टी में मिला देते हैं लोग।
क्यों जन्म लेने से पहले,
नामों-निशान मिटा देते हैं लोग?
अपनी लोक-लाज छुपाने की खातिर,
क्यों ज़िंदा दफ़न किया करते हैं लोग,
क्यों उन्हें एहसास ना होता?
क्यों उन्हें दर्द भी ना होता?
सुनकर दिल धड़कता है,
देखने पर आंसू टपकता है।
क्यों दर्दे दिल में,
ज़ख्म भरा करते हैं लोग!
क्यों जन्म लेने के पहले,
नामों-निशान मिटा देते हैं लोग?
दिनांक 1/7/2021
कलमकार-वीणा भागलपुर बिहार
नारी उत्पीड़न पर कविता— लड़कियाँ कहाँ गयी ?
लड़कियाँ कहाँ गयी ?
विधा- कविता
लड़कों के झुण्ड में
एक बच्ची खेलती थी
लड़के लड़की को हराने के लिए
हथकंडे अपनाते थे,
लड़की होने का ताना देते थे
लड़की जब हारती नही थी
तब लड़के
एकजुट होकर हावी हो जाते।
एक लड़के ने कहा --
"तू भी लड़कियाँ बुला ले "
लड़की चारों तरफ देखने लगी
न कोई सखी सहेली
न कोई बहन
आखिर इस बस्ती में लड़कियाँ नही है क्या?
अचानक बदहवास दौड़ती हुई
अपनी माँ के पास पहुँची
"माँ लड़कियाँ कहाँ गई
इस बस्ती में अकेली हूँ क्या मैं? "
माँ निरूत्तर थी
आँखें बरस रही थी
"इसे कैसे समझाऊँ,
कैसे आइना दिखाऊँ समाज का!! "
संजय राजभर 'समित'
Bhroon Hatya Kavita - Female Foeticide Poem In Hindi
कन्या भ्रूण हत्या पर चित्र - स्त्री भ्रूण हत्या स्लोगन
Read More और पढ़ें:
0 टिप्पणियाँ