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मानव और दानव कोरोना काल में सामाजिक सहानुभूति पर कविता covid-19 Shayari

सराहनीय कार्य पर शायरी | समाज सेवा पर सुविचार | मानव सेवा पर शायरी

मानव और दानव

जूझ रहे हैं पड़े पड़े जो ,
विकट कुरोना की पीड़ा ।
उनकी करने को सहायता,
उठा लिया जिनने बीड़ा
वे डाक्टर वे समाज सेवक,
बचा रहे हैं जिंदगानी ।
पहुँचा रहे दवाई कोई,
कहीं कोइ भोजन पानी ।।

समाज सेवा शायरी | समाज सुधार शायरी | समाज के लिए स्टेटस

कोई जुटा रहे आक्सीजन,
कोई देते दान बड़ा।
मरीज भरती करवाने में,
करें कोइ संघर्ष कड़ा।
हारी बाजी जिता रहे हैं,
हर प्रकार से देकर ध्यान।
उनका बार बार अभिनंदन,
वे मानव होकर भगवान।

संस्था पर शायरी | सेवा करने वालों के लिए शायरी

इस विपदा का लाभ उठाकर,
कुछ कर रहे कमाई हैं।
भारी कीमत में इंजेक्शन,
चुपके से सप्लाई हैं।
दया धर्म का काम नहीं है,
कमा रहे धन काफी हैं।
मानव होकर वे दानव हैं,
अत्याचारी पापी हैं।।

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देने जुटे विषम हालत में,
जो मानवता को धोखा।
हे प्रभु उनका ठीक तरह से,
कर देना लेखा जोखा।

समाज सेवा शायरी फोटो- सहानुभूति पर कविता फोटो- Samajik Shayari Photo Hd

समाज सेवा शायरी फोटो- सहानुभूति पर कविता फोटो- Samajik Shayari Photo Hd

लगा मास्क का कवच समर में,
हिम्मत नहीं हारना है।
संयम का ले खडग दुष्ट को,
लड़कर हमें मारना है।
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश

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