Ticker

6/recent/ticker-posts

प्रेम समर्पण, सच्चे प्रेम, प्रेम मिलन, पवित्र प्रेम कविता Love Shayari Hindi

प्रेम और स्पर्श पवित्र भावना है दिल की— प्रेम और स्पर्श पर कविता Love Shayari Hindi

(कविता)
प्रेम और स्पर्श पवित्र भावना है दिल की,
सकारात्मक सोच से बेड़ा पार लगाती है।
स्वार्थ और लोभ की जगह नहीं होती है,
हीन भावना नैया को मझधार डुबाती है।
प्रेम और स्पर्श………….
प्रेम और स्पर्श
प्रेम में एक बहुत बड़ी ताकत रहती है,
स्पर्श के बीच एक बड़ी चाहत रहती है।
प्रेम और स्पर्श दोनों जब साथ मिलते,
जिंदगी एक अलबेला रास्ता दिखाती है।
प्रेम और स्पर्श……
बिन प्रेम, स्पर्श अनुचित सा लगता है,
दुनिया में यह बात हर कोई जानता है।
इन दोनों की अपनी अपनी परिभाषा है,
सही सोच सदा नई महफिल सजाती है।
प्रेम और स्पर्श……
है दोनों की अपनी अलग अलग कहानी,
कोई किसी से करता नहीं है मनमानी।
हर इंसान को होती है दोनों की जरूरत,
इसकी हर भावना, नई सोच जगाती है।
प्रेम और स्पर्श……
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

रोमांटिक कविता इन हिंदी पवित्र प्रेम कविता Love Shayari Hindi

प्रेम
प्रेम किये धक धक किये
धड़कन जो तू तोल।
हम पीछे तेरे चले
कब बोलोगी बोल।
आओ मिलकर हाँ कहें
प्यार करो तुम आज।
सपने सच करके रहो
मतकर पगली लाज।

पवित्र प्रेम कविता

जीवन मिलता एक ही
जीवन का है मोल।
प्रेम किये धक-धक करे
धड़कन जो तू तोल।

प्रेम मिलन कविता

प्रेम अगन समझा करो
हाथ-हाथ में डाल।
सुर लय मय संगीत
चलो लयबद्ध चाल।
हम तुम ऐसे मिले
पोर-पोर क्यों डोल

प्रेम किये......
प्रेम वासना खेल ना
राधा की है लाज।
कृष्ण करतब प्रेम यही
कहलाये वे रास।
अब प्रेमग्रंथ कृष्ण के
प्यारी तुमही खोल।
प्रेम किये धक-धक करे
धडकन जो तू तोल।
प्रभाकर सिंह
नवगछिया, भागलपुर
बिहार

प्रेम कविता फोटो- Love Shayari Image HD | Romantic Shayari Photo Hd Download

प्रेम कविता फोटो- Love Shayari Image HD | Romantic Shayari Photo Hd Download

Love Shayari Hindi

आओ प्यार के बंधन में हम बंध जाएं Pyar Ke Bandhan Love Shayari

( मुक्तछंद काव्य रचना )

बदली सी हैं ये फिजाएं,
नूर तेरे चेहरे पर खिला है।
सबाब पर हैं हर कलियां,
उसे देख कर निगाहें बेहोश हैं।

प्रेम बंधन की शायरी

फलक पर है चांद निकला,
रात भी नूरानी सी लगती है।
आगोश में ले लो तुम ज़रा,
मन में छाई बड़ी उदासी है।

प्यार भरी शेर शायरी

आज ही जी लो ये ज़िंदगी,
शबाब ये कल उतर जायेगा।
फिजाएं बदल जायेंगी फिर यहाँ,
और चमन में भी पतझड़ आयेगा।

प्रेम बंधन शायरी

कभी गुरूर न कर तू यहाँ,
ये जिंदगी तेरी हबाब है।
दामन में समेटकर खुशियां ले लो,
पल ये कल फिर न कभी आयेगा।

अनोखा बंधन शायरी

खुशियां बनके संग मेरे चल,
घटा ये कल बदल जायेगी।
नायाब है ये जिंदगी तेरी,
लेकिन वक्त ये कैसे रुक जायेगा?

प्यार शायरी

बदली सी हैं ये फिजाएं,
नूर तेरे चेहरे पर खिला है।
आओ प्यार के बंधन में हम बंध जाएं,
चांदनी रातों का वो चांद भी गवाह है।
प्रा.गायकवाड विलास
मिलिंद महाविद्यालय, लातूर
8605026835
महाराष्ट्र

जीवन में प्रेम का महत्त्व : कविता

आखरी सांसों तक
जीवन में प्रेम का महत्त्व जैसे,
सुखी संसार के लिए बना वरदान है।
जिस संसार में होता है प्रेम आखिर तक,
उसी संसार से ग़म भी बहोत दूर रहते है।

प्रेम बन्धन बिना नहीं कोई भी संसार,
जहां प्रेम है,वही पे सच्चा आदर है।
प्रेम में एक-दूसरे का होता है सम्मान,
वहां हक और अहंकार कभी नहीं दिखता है।

जीवन में प्रेम का महत्त्व जो समझते है,
उसी रिश्तों में कभी भी दरारें नहीं पड़ती ।
जो समझते है एक-दूसरे को मन से,
उसी संसार में कभी कड़वाहट नहीं आती।

प्रेमियों का प्रेम होता है सबसे अलग,
पती और पत्नी का प्रेम भी होता है अलग।
जो पती पत्नी बन जाते है प्रेमी जीवन में,
उन्हीं के जीवन में हरपल खुशियों की बहारें आती है।

जीवन में प्रेम का महत्त्व समझकर,
भर लो खुशियों के रंग अपने ख्वाबों में।
फिर मुश्किलें भी,लगती नहीं मुश्किल,
ऐसे हमसफ़र बनके चलो अपने जीवन में।

जीवन में प्रेम का महत्त्व जैसे,
सुखी संसार के लिए बना वरदान है।
आखरी सांसों तक जो निगाहें देखती है पहले दिन का प्यार,
ऐसा ही प्रेम ही इस दुनियां में अमर प्रेम बन जाता है।

प्रा.गायकवा विलास.
मिलिंद महाविद्यालय लातूर.
9730661640
महाराष्ट्र

प्रेम प्यार की तड़प शायरी Love Shayari

मुक्तक,

बिजली गरज रही है,
बादल बरस रहे है,,
बेकल हुए हम इतने,
मिलने को तरस रहे है,,

मदमस्त दिल हुआ है,
फिर आज एक बार,,
वो उधर तड़प रहे है,
हम इधर तड़प रहे है।।
आनंद पाण्डेय "केवल"
अँधेरी,मुम्बई

प्रेम के दो रुप— प्रेम पर कविता | प्रेम शायरी Love Shayari

प्रेम अगर सुंदर है
तो
प्रेम दर्द भी है।।
प्रेम विश्वास है
तो
प्रेम अविश्वसनीय भी है।।
प्रेम जीवन मे रंग भरे
तो
प्रेम ही अंधकार बन रुलाऐ।।
प्रेम खुबसूरती भर दे आंखों मे
तो
प्रेम ही है जो प्रतिकार बनाऐ।।
प्रेम हर तरह का रास रचाता
तो
प्रेम ही है जो षड्यंत्र सिखाता।।
कैसे कह दूं की प्रेम सिर्फ प्रेम भरता
ये प्रेम ही तो है जो
शब्दों से खेलने वाले शायर बनाता।।
वीना आडवानी तन्वी
नागपुर, महाराष्ट्र

प्रेम यकीनन रोग नहीं, औषधि ही है।

इसको मैं साबित करता हूँ
काव्य के माध्यम से
प्रेम ही है जिससे दुनिया कायम है।।
वरना तो बिखर गई है दुनिया
मिट गई है दुनिया
टूट गई है दुनिया।।
कुछ भी नहीं है दुनिया।।
वो कैसे
प्रेम नहीं
तो आज की दुनिया में
दो भाईयों के बीच
दीवारें खड़ी हो जातीं हैं।।
तलवारें तन जाती हैं।।
खून की नदियाँ बहतीं हैं।।
जीना दूभर हो जाता है।।
क्योंकि प्रेम नहीं होता।।
जहाँ प्रेम होता है,
वहाँ ये सब कुछ नहीं होता।।
गौर से देखिये जनाब
प्रेम नहीं था तभी तो
भारत-पाकिस्तान बँट गए।।
हज़ारों लाखों लाशें बिछ गयीं।।
तनाव आज भी कायम है।।
टकराहट आज भी होती है।।
क्योंकि प्रेम नहीं है।।
वो प्रेम ही था
जिसने दो जिस्मों को एक किया,
लेकिन प्रेम खत्म तो
ब्रेक अप
तलाक
हत्या
आत्महत्या
डिप्रेशन
सब कुछ हुआ इस जमाने में
होता था, होता है और होता भी रहेगा इस जमाने में
क्योंकि प्रेम नहीं है इस जमाने में।।
प्रेम था
तो उसने मुझे
जरूरत पड़ने पर
खून तक दिया।।
उसने, किसने ??
एक मानव ने ......//
प्रेम न होने पर
उसी ने मेरा कत्ल भी कर दिया।।
उसने, किसने ???
एक मानव ने.........//
प्रेम होता
तो सारे धर्म-जाति एक होते।।
प्रेम नहीं है
तभी सबके कई रूप हैं
कई नाम हैं
कई भगवान हैं।।
प्रेम होता तो
हम सब इंसान होते
प्रेम नहीं है
तभी तो हम सब शैतान हैं।।
प्रेम को औषधि नहीं मानी,
तभी तो किसी ने ईसा को सूली चढ़ाया,
तो किसी ने गाँधी को गोली मारी,
प्रेम होता,
तो कोई भेदभाव न होता,
न कोई किसी से अलग होता,
न ही कोई भूखों सोता।।
न हम रोते
न वो रोता।।
प्रेम होता तो पूरी दुनिया
एक परिवार होता।।
प्रेम, प्रेम, प्रेम
वाकई प्रेम एक रोग नहीं
बल्कि एक औषधि है।।

प्रेम एक औषधि है।

जय हिंद
जय हो प्रेम की
पंछी
(ॐ प्रकाश "पंछी")
Advocate
व्यंग्यकवि, व्यंग्यकार, कहानीकार, उपन्यासकार, कार्टूनिस्ट, व्यवसायी, समाजसेवी, राष्ट्रसेवी एवं मानवता प्रेमी
204, पल्टन बाजार, सब्जी मंडी, सदर, प्रतापगढ़ up 230001
मो--8353974569/8382926434

प्रेम समर्पण कविता शायरी Love Poem In Hindi

गीत
मैं फिजाओं में बिखर जाऊंगी
थाम लो मुझको नहीं तो टूट जाऊंगी।
ना कभी गुनगुनाओगे ना कभी गाऊंगी।।

तुम भी हंसते हो जमाना भी हंसता है मुझ पे,
यह चांद तारे सितारे कल होंगे शायद,,
लेकिन मैं तेरे गली में ना आऊंगी।।

देख मैं जमाने में सबसे हारी हूँ,
मैं तो तुमसे भी हार जाऊंगी,,
काम लो मुझको नहीं तो टूट जाऊंगी।।
ना कभी गुनगुनाओगे ना कभी गाउंगी।।

मोहब्बत इबादत बन गई है: प्रेम की पराकाष्ठा कविता | प्रेम का अहसास कविता

इबादत
तुम्हें याद है,
मैंने तुम्हें कब देखा था?
मैंने तुम्हें देखा था
चाँदनी की कुहेलिका में
प्रहेलिका में,
जब तुम कालेज से
होस्टल जा रही थी।
तब तुम मुझे
चित्रा संयुक्त चंद्रमा -
की तरह लगी थी।
लगा पूर्णमासी का चाँद
धरती पर उतर आया है।
तुमने मुझे देखकर
आँखें नीची कर ली थी।
मैंने उन आँखों को देखा था,
जो झील सी गहरी,
कमल सा रक्ताभ,
सुवर्ण सा सुनहरा
और खंजन सी चंचल थी।
मैं उन आँखों में
खो गया था
और तुम्हारा हो गया था।
आज मैं उन्हीं आँखों को
पुनः देख रहा हूँ,
जानती हो!
कितना फर्क पड़ गया है,
तब और अब में?
"तब जो मोहब्बत थी,
आज इबादत बन गई है।"

प्रेम समर्पण कविता - पवित्र प्रेम कविता Love Shayari Hindi

प्रेम समर्पण कविता - पवित्र प्रेम कविता Love Shayari Hindi

Love Poem In Hindi

रचना -सर्वाधिकार सुरक्षित
रचनाकार -
उदय नारायण सिंह
मुजफ्फरपुर, बिहार
6200154322

भीगे जब हम दोनो फुहार में - प्रेम समर्पण कविता | प्रेम मिलन कविता

भीगे जब हम दोनो फुहार
बन फुहार पहली अषाढ़ की,
वह उतरी मेरे जीवन में।
मधु रस -धार बही अमृत की,
मेरे सूने अंतर्मन में।

प्रस्फुटित हुई मन की कलियाँ,
साँसो की शाश्वत धुन सुनने से।
स्पंदित हुआ सारा तन -मन
उसकी धड़कन में जुड़ने से।

चली हवा मंद्र, मत्त सुगंधित,
छूकर निकली ऐसे प्राणों को।
लगा मुझे शची का आँचल हीं,
स्पर्श किया हो मेरे तन को।

गूँजे स्वर कानों में ऐसे,
जैसे वह मुरली की तान हो।
तन उसका ऐसा लगता था,
मानो बिल्कुल रति समान हो।


आँखें उसकी कुछ कहती थी,
भीगी पुतली रस भरती थी।
स्नेह -सिक्त वाणी हृदय की,
झंकृत हृदय -तंत्री करती थी।


हौले -हौले से पग रखकर,
उतर गयी वह अंतर्मन में।
झिझक मिटी ,फिर मिटी दूरियाँ
जब भींगे हम दोनो वन में।
रचना -
सर्वाधिकार सुरक्षित
रचनाकार -
उदय नारायण सिंह
मुजफ्फरपुर, बिहार

प्रेम शायरी | प्रेम बंधन शायरी | प्रेमी प्रेमिका की शायरी

अर्पण अपने प्रेम का, प्रियतम करते वार।
प्रणय पत्र पाकर प्रिये, पर्वत पाती पार।।
पर्वत पाती पार, हृदय हर्षित है प्यारे।
आलिंगन हो स्वप्न ,नींद उन पर हैं वारे।।
अधर कमल मुस्कान, करूँ निज प्रकृति विसर्पण।
एहसास लिख पत्र, चाहती कर दूंँ अर्पण।।
विसर्पण - रूप बदलना
श्रीमती सरोज साव कमल रायगढ़ छत्तीसगढ़

प्रेम निवेदन शायरी | प्रेम शब्द पर शायरी | प्रेम भाव शायरी प्रेम रंग शायरी

परिणिता
रात तू मेरे मीठे ख़्वाब में आया
सुबह की रौशनी से क्यूं घबराया
अल्हड़ अँगड़ाई से क्या क्या टूटा
क्या खता जिसने दिन भर तड़पाया

नयनों की कोर से झरे अविरल आँसू
बने नीलगगन के तारा मंडल हरसू
बिछने लगी सर्द अरमानों की चादर
छिटक चांदनी में उजले होते रहे गेसू

सौंधी खुशबू से भरा फूलों का बिछौना
देखूं तुझे दांतो पकड़ आँचल का कोना
ख़ामोश रात ढलती भाती नहीं तन्हाई
कौन बाती जला ढूंढूं तुम कुछ कहो ना

ख़्यालों की चुनर ओढ़ दर्पण देख भरमाई
तुझे राम दुहाई आजा न तड़पा ओ हरजाई
प्रियतम तुम पिया मैं परिणिता तेरी कहाई
सप्तरंगी खाब ने ली सुबह सुनहरी अँगड़ाई
शबनम मेहरोत्रा
प्रेम मिलन कविता फोटो Prem Samarpan Shayari Image

हे प्रिय कैसे गीत लिखूँ? प्रेम समर्पण कविता | प्रेम गीत Love Shayari Hindi

हे प्रिय ! बोलो दुर्गंम पथ पर,
कैसे अपना गीत लिखूँ।
अधरों पर बीते लम्हों की,
कैसे प्रीत प्रतीत लिखूँ।
जब कोई भी मीत नहीं है।
साँसों में संगीत नहीं है।
फिर धड़कन में किसको घोलूँ,
मथकर क्या नवनीत लिखूँ।,
हे प्रिय कैसे गीत लिखूँ।

दहक रहे दिन सूनीं रातें
सिसक रहे पल आते जाते।
सुबह शाम बस सुमिरन करती,
क्या अपनों की रीत लिखूँ।
हे प्रिय कैसे गीत लिखूँ।

पवन हिलोरें नित भरती हैं,
किन्तु निराशाएँ पलती हैं।
तमस छल रहा आज उजाले,
आते यादों के हिचकोले।
रवि किरणों ने छला मुझे है,
मैं विरहन क्या प्रीत लिखूँ,
हे प्रिय कैसे गीत लिखूँ?

काल सर्प ज्यों अंध गुफा में लंबा मुंह फैलाए है
पल पल जीवन को छलता है काल रूप अपनाए है
स्वप्न झील में पलते मोती प्रात नयन में अश्क हुए।
सजल वेदनाओं की सिहरन,
ओस बूँद में अश्क हुए।
कैसे पीड़ा पथ पर चलकर
नेक नियति की नीत लिखूँ।
हे प्रिय कैसे गीत लिखूँ।

अंतर्घट में गरल पल रहा,
करता मन के घाव हरे।
पीपल की कोमल किसलय में,
आतप का है भाव झरे।
आनन्दित हो प्राण पखेरू
कैसे निरुपम प्रीत लिखूँ।
पड़ें सुधारस के कुछ छींटे,
हे प्रिय! कैसे गीत लिखूँ।

श्रम साफल्य बने जीवन में,
लक्ष्य मिल सके मन चेतन में,
फिर आ जाए बासन्ती रुत,
छा जाए रंगीन फ़िज़ाएं
जो अपना मन मीत लिखूँ।
हे प्रिय ! कैसे गीत लिखूँ।
प्रेम गीत की प्रीत लिखूँ।
शबनम मेहरोत्रा

तेरे रंग में मैं ऐसी रंगी बालमा— प्रेम प्यार के रंग में डूबा हुआ प्रेम गीत Love Shayari Hindi

गीत
तेरे रंग में मैं ऐसी रंगी बालमा,
अपनी सुध बुध सब अब तो बिसरने लगी,,,
याद आई में रे घर में है आईना
तेरे खातिर मैं फिर से सवरने लगी।

मैं तो अब तक रही खुद से यूँ बे खबर।
तेरे आवन का ऐसा हुआ है असर।
जब वे देखेंगे मुझको उठा के नज़र,
एक सिहरन बदन में है भरने लगी,,,,,,
याद आई में रे घर में है आईना,,,

जब वे थामेंगे कस कर के बईंयाँ मेरी
बड़ी उलझन में दैया रे मैं तो घिरी
क्या करूँ क्या करूँ कुछ न आये समझ,
लाज की राह से मैं गुज़रने लगी,,,,
याद आई में रे घर में है आईना,,,

ऐसा होना ही है इसमें क्या है बुरा
जब दिया दिल है "शबनम" तो डरने का क्या
मैं तो बैठी रे सजना तेरे वास्ते
रात जल्दी से कैसे गुज़रने लगी,,,
याद आई में रे घर में है आईना,,,
"शबनम मेहरोत्रा "
(सर्वाधिकार सुरक्षित)

प्रेम भरी पाती: प्रेम कविता | प्रेम-पत्र शायरी Love Letter Shayari In Hindi

प्रेम भरी पाती
प्रेम भरी पाती
वो संग दिया और बाती
याद आई अंधेरी रात
मे बने जगमगाते तारें बाराती।।

वो प्रेम भरी पाती...

वो शबनम की गिरती बूंदे मुस्काती
वो कलम भी स्याही भर शर्माती
वो शब्दों के भंवर जाल मे उलझ जाती
वो प्रेम की पाती....

वो भिनी हवा भी गेसूओं को सहलाती
वो तरूवर पे लिपटी लता गुनगुनाती
ऐसे मे आभास सनम मेरे मन को तेरा
कैसे देख दिल मे उमंग जगाती।।

वो प्रेम की पाती...हाय
वो प्रेम की पहली पाती।।

वीना आडवानी"तन्वी"
नागपुर, महाराष्ट्र

तांका जापानी विधा प्रेम शायरी | प्रेम बंधन शायरी जपानी तांका

तांका(जापानी विधा)
महका दो जीवन
खिलते फूल,
लगते है सुंदर।
हवा के संग
झुमते हरपल
डालीं डालियों पर।
फूलों के रंग,
लगे मनभावन।
संग उसके
प्यारी वो तितलियां
जैसे कोई सखियां।
सृष्टि का रुप,
लगे वो मनोहर।
मन को भाएं,
कुदरत की लीला
मौसम अलबेला।
यही प्रीत है,
सिखाती है ये सृष्टि।
देखें संसार
प्यार भरा नजारा
बदलकर दृष्टि।
उसी में ही है,
संसार की खुशियां।
अकेले कभी,
होता नहीं त्यौहार
कैसे आये बहार।
बांटके प्यार,
महका दो जीवन।
प्रीत के बिना,
कैसे खिलेगा यहां
इन्सानों का ये जहां।
प्रा.गायकवाड विलास.
मिलिंद क.महा.लातूर.
महाराष्ट्र

कविता- प्रेम रस - दिल मे रहता हूँ।

दुनिया के दुखो से तुम्हें कही दूर लिए चलता हूँ।
आओ प्रिये हर नजर के असर दूर किए चलता हूँ।
चाँदनी रात है खुला आसमान ठंडी हवा बह रही।
सितारो की महफिल मिल जाओ फिजाँ कह रही।
हर तरफ शांती सकुन खुशबू रात रानी महकी है।
बना लो सेज नर्म हरी घास जुलफ़े तेरी बहकी है।
उतर आया चाँद गोद मेरी दावे से मै कहता हूँ।
भूल जाओ गम सारे आओ आज दूरिया मिटा दो।
समा लो मुझे जुल्फों के साये गोद सिर लिटा दो।
डूब जाऊँ तेरी गहरी झील सी आंखो की गहराई।
नजरो से उतर तूने दिल मे मेरी जगह है बनाई।
हसीन वादियो तेरी गजल को दिल से पढ़ता हूँ।
तेरे बदन की खुशबू को और भी महक जाने दो।
सोये हमारे अरमानो को और भी बहक जाने दो।
पूनम की चाँद हो तुम लरजते लबो फरियाद हो।
हुश्न ए मल्लिका तुम आज हर बंधनो आजाद हो।
नहीं कोई दोनों के बीच मै तेरे दिल मे रहता हूँ।
एहसास तेरी गर्म साँसो का हो रहा है मुझे बहुत।
मदहोसी का आलम अब छा रहा है तुझमे बहुत।
पाक मोहब्बत हमारी जज़बातो को संभाले रखना।
हो जाये गुनाह कोई दोनों खुद को संभाले रहना।
मोहब्बत और मोहब्बत सिर्फ मै तुमसे करता हूँ।
श्याम कुँवर भारती (राजभर)
कवि /लेखक /गीतकार /समाजसेवी
बोकारो झारखंड मोब -9955509286

ढ़ाई अक्षर प्यार प्रेम के— प्रेम कविता प्रेम-पत्र

ढ़ाई अक्षर प्यार प्रेम के
शब्द ज्ञान बा जीवन के
श्रृष्टि के आधार बा टिकल
विश्व प्रेम के महिमा से
प्रेम खाली एहसास मात्र बा
अनुभव करी से पायी सांच
प्रेम ही आस्था प्रेम ही शक्ति
प्रेममय बा सकल जहान
प्रेम समर्पण प्रेम ही भक्ति
प्रेम में डुबल सारा जहान
प्रेम से उर्जा प्रेम से शांति
प्रेम मिलन बा जीवन सार
प्रेम पवित्र प्यार सिखावे
सारा जीवन सफल बनावे।
बृजमोहन उपाध्याय "बृज"

सच्चे प्रेम पर कविता : निश्छल प्रेम हर ओर खीची चली आती हूँ।

कविता
मैं तो निश्छल प्रेम भला हर ओर खीची चली आती हूँ।
कोई जो किंचित सा प्रेम करे मैं दुगुना प्यार लुटाती हूँ।

कट्टरता मन में पाले हुए रखे मानवता को दुर कर।
यह मानव क्यों रखता है खुद को इतना क्रूर कर।

लुटने की कला में यहाँ तो सब लोग ही लगते माहिर है।
यहाँ अपराधों के सब पितामह ये बात तो जग में जाहिर है।

लुट कर गैरों की खुशियाँ अपने लिए समेट लाऊँ।
वो विरह की दर्द में तड़पे और मैं दिवाली मनाऊँ।

त्याग दो उस प्रेम को तुम कतई ये कर स्वीकार नही।
तुम मानव हो करके भी कर मानवता का संहार नही।

सच्चे दिल को तड़पाना सरासर मानवता का उपहास है।
ऐसे लोग ही बन जाते आसानी से अपराधों के दास है।

जो धर्म - धर्म को बांट रहा वो तो धर्म व्यापारी है।
त्याग दो उस धर्म को जो मेरे मानवता पर भारी है।

त्यागों उस भगवान् को जिसमें जनहित का सार नही है।
इस मानवता से बढ़कर जग में दुसरा कोई प्यार नही है।

कुछ सुधरने का भी अवसर दो एकाएक नही दो दण्ड कड़ी।
अपनी क्रूरता की अदालत से एक बार तो करके देख बरी।

जो जलता पश्चाताप की आग में उसे क्षमा कर देना अपराध नही।
अपने क्षमाशीलता के इस गुण को तुम हठी विचारों पर साध नही।
पूनम यादव
वैशाली बिहार से

समपर्ण: प्रेम में ढूंढ़िए सुकून और दिखाइए सम्पूर्ण समर्पण

प्रेम या रिश्तो में हमे पूरी तरह से समर्पित होना चाहिए गर आप किसी रिश्ते में है तो आंख बंद करके भरोसा करे उस पर वो आपके भरोसे के काबिल हो या न तब भी क्योंकि गर आप किसी से प्रेम करते है तो आप उसको खुद ही गलत बरदाश्त नही कर पाएंगे बाकी रिश्ते भी पंछी की तरह होते है आप उनको कितना भी प्यार अपनापन दिखा दे गर उन्हें उड़ना होगा तो वो उड़ ही जायेगे।
उन्हें कैद नही एक चाहत ही रोक के रखती है वैसे ही इंसान को आप कैद करके नही रोक सकते उसे गर आपसे प्रेम है तो वो रहेगा।
आपके साथ परिस्थितयां चाहे जैसी भी हो इस लिए रिश्तो को आज़ाद रखिये कैद उन्हें घुटन दे देगी और इस वजह से शायद जो प्यार भी होगा वो उसे घुटन महसूस होगा और परिणाम-स्वरूप होगी फिर छोटी छोटी चीज़ों में लड़ाइयों और वो लड़ाइयाँ उस वक्त छोटी ही लगेगी पर ये छोटी छोटी लड़ाईया ठीक वैसे ही होती है जैसे किसी पत्थर पे छोटी छोटी चोट पड़ पड़ के वो पत्थर कमजोर हो जाता और एक वक्त आता है जब एक छोटी सी चोट उस पत्थर को तोड़ देती है वैसे ही हर दिन की लड़ाईया धीरे धीरे रिस्ते कमजोर करने लगती है और एक वक्त आता जब आपकी एक छोटी सी लड़ाई की वजह से आप अलग हो जायेगे और आप अंत तक नही समझ पाएंगे कि आखिर इतनी छोटी सी बात पे आपके रिश्ता खत्म हुआ,,
इसलिए बस प्रेम में ढूंढ़िए सुकून और दिखाइए सम्पूर्ण समर्पण
जितेन्द्र कुमार सैनी

प्रेम जैसा तो कुछ भी नही है

किसी के साथ रहना इस शर्त पर कि उससे वापस तुम्हेँ कुछ मिल सके, यह भी कोई साथ रहना होता है क्या???
और अगर साथ रहना भी हुआ तो, "प्रेम" जैसा तो कुछ भी नही है ये... सिवाय एक समझौते के...
उसे डर था कि वो शायद कुछ भी न दे पाएगी मुझे, लेकिन, मैने कुछ माँगा कभी??
सिवाय इसके कि तुम फ़िक्र न किया करो...फिऱ.... फिर...तुम हो गऐ बेफ़िक्र... मुझसे...हमेशा के लिए
मैंने खुद की फ़िक्र छोड़ने को कहा था
तुमने तो मुझे ही छोड़ दिया।
जितेन्द्र कुमार सैनी

हिंदी | उर्दू | साहित्य | संसार

Read more और पढ़ें:

पति पत्नी रोमांटिक शायरी | पति पत्नी का रिश्ता शायरी Husband Wife Love Shayari

प्यार में खतरा और नुकसान शायरी | सच्चा इश्क़ शायरी

मोहब्बत शायरी Romantic Love Shayari | Pyar Mohabbat Ki Shayari

अजनबी हसीना दर्दे दिल लव शायरी | Romantic Love Shayari Hindi

दुल्हन शायरी | दुल्हन पर कविता | सुहाग शायरी | Dulhan Shayari

Lagta Hai Ki Maang Uski Sajana Hi Padega|| अब तोड़ के तारे मुझे लाना ही पड़ेगा

प्यार का इजहार करने वाली शायरी | Romantic Izhaar Shayari

Dil love shayari Girls shayari | Love sms in hindi for wife

हसीन तुझ सा कोई-कातिलाना अंदाज हुस्न शायरी-Husn shayari

Love shayari-Yun Na Rahe Rahe Ke Is Dil Ko tadpao Tum

बिन तेरे कुछ नहीं जिन्दगी में New Year Love Shayari | Superhit Shayari image

रंगीन मिजाज शायरी-शाम रंगीन शायरी shayari on love to share with girlfriend

चलो एक बार फिर से Best in love Superhit Romantic Hindi Shayari Ghazal

500+ Best Love Shayari In Hindi प्यार में धोखा बेवफा शायरी बेवफा प्यार

जब उस से पहली नज़र मिली थी-सुपरहिट लव शायरी-नये साल शायरी welcome 2021

Jahan Bewafa Hai To hone de usko-बेहतरीन सुपरहिट लव शायरी Love Status

Har Lamha Tere Husan Ki Zebai Chahiye | पेशे-नज़र बहार सी बस छाई चाहिए

Jab zikr tumhara hota hai Chup chap ishaara hota hai | hindi kavita

चलो साथ भीगें हैं बारिश के दिन|Romantic Shayari Best Love Ghazal Hindi

मैं छोड़ के आ जाउँगा घर-बार किसी दिन | Zaki Tariq Romantic Hindi Ghazal

शानदार मोहब्बत शायरी ज़की तारिक़ बाराबंकवी की ग़ज़ल

तेरे आने से यूँ लगा मुझको Tere Aane...Romantic Love Shayari

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ