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Romantic shayari
शहर में वो अकेला नहीं है
क्या वो यादों का मेला नहीं है
अपने महबूब ही का मिले तन
कल्ब का ये तकाजा नहीं है
दिल की चाहत में तन को न लायें
प्यार का तन से रिश्ता नहीं है
पहलू में हो हसीनाये,या रब!
ये हमारी तमन्ना नहीं है
जुल्फ-ए-बन्गाल के वास्ते अब
दिल हमारा मचलता नहीं है
सिर्फ मैं ही हूँ खुश दर्द-ए-दिल से
खुश कोई दुख में रहता नहीं है
इक सिवा तेरे, मेरी नजर में
और कोई भी जचता नहीं है
तेरा दीदार करता है छत से
'राज' गलियों में फिरता नहीं है
प्यार तुम ही से करता रहेगा
'राम' दुनिया से डरता नहीं है
पत्नी के साथ रहता है हर दम
छोड कर उस को भागा नहीं है
होठों से अपने चूमा है उस को
दाँतों से अपने काटा नहीं है
नजरों से अपनी चूमा है उस को
होठों से अपने चूसा नहीं है
पास हो ढेर सारे वो पैसे
आप की ये तमन्ना नहीं है
सैर करने का अन्दाज़ सीखो
सब को अन्दाज़ आता नहीं है
मर गया है जिगर,बुझ गयी आँख
सपनों में कोई आता नहीं है
पास हो खूब सारे खजाने
'दास' की ये तमन्ना नहीं है
ये खड़ा होता हरगिज़ नहीं अब,
लेटा रहता है, उठता नहीं है
हो गया ये नहीफ और लागर,
बूढा इन्सान उछलता नहीं है
चूहों, चम्गादड़ों का लहू,यार !
इक हिन्दुस्तानी पीता नहीं है
यारो! शायर बहुत हैं जहाँ में,
कोई भी मीर जैसा नहीं है
सब को मरना है इक रोज जग में,
कौन? यारो! ये माना नहीं है!
गजलें पढने का अन्दाज़ सीखो
सब को अन्दाज़ आता नहीं है
'फैज' साहब! अभिनेता कोई,
इक 'अमिताभ' जैसा नहीं है।
यारो! उस्ताद हैं खूब, लेकिन,
कोई, 'जावेद' जैसा नहीं है
शायर : डॉक्टर जावेद अशरफ़ कैस फैज अकबराबादी,
द्वारा डॉक्टर रामचन्द्र दास प्रेमी राज चंडीगढ़ी,डॉक्टर इन्सान प्रेमनगरी हाऊस,डॉक्टर खदीजा नरसिंग होम, रांची हिल साईड, इमामबाड़ा रोड, रांची-834001
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