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सुहानी सुबह शायरी गुड मॉर्निंग शायरी New Good Morning Shayari In Hindi

सुहानी सुबह का संगीतमय नमस्कार

नई सुबह नित लेकर आये, सबमें नई उमंग,
फूल ही फूल खिले जीवन में, भरे प्यार के रंग।
दिव्य रुप दमके नित ऐसे, जैसे कोटी अनंग,
आशा की नव किरणें आये, नव किरणों के संग।।
बिजेन्द्र कुमार तिवारी
बिजेंदर बाबू

सुहानी सुबह का संगीतमय नमस्कार: Good Morning

सूरज आया द्वार पे, कर स्वागत बाँहें खोल।
बिस्तर तज अब बावरे, सुन ले विनती मोर।।
बिजेन्द्र कुमार तिवारी
बिजेन्दर बाबू
धूप ढलती है तो तुम रोक न पाओगे इसे!
अपने साये पे भरोसा भी बड़ा धोखा है!!
अरुण सरकारी
Good Morning Quotes in Hindi for Whatsapp Love - प्यार के लिए सुप्रभात सन्देश हिंदी
Good Morning
थपेड़े मार कर मझधार लाती है किनारे पर!
कभी नदियाँ कभी नदियों के धारे छूट जाते हैं!!
अरुण सरकार

Good Morning Quotes in Hindi for Whatsapp Love - प्यार के लिए सुप्रभात सन्देश हिंदी

Good Morning Status Hindi - Good Morning Shayari
अनमोल जीवन
खुद की परख व समझदारी ही अहमियत रखती है,
वरना अर्जुन एवं दुर्योधन के गुरु तो एक ही थे।
किसी के बहकावे में आकर वर्षों से बनाये रिश्ते व मित्रता को खत्म मत कीजीए।
किसी ने कह दिया कि तुम्हारी वो ऐसी है वैसी है, या ऐसे हैं वैसे हैं। बस मान गये!
नफरती व जलनकारियों से तो आग भी शर्माती है।
श्रीराम शर्मा

Good Morning Shayari

Whatsapp Good Morning Suvichar in Hindi - गुड मॉर्निंग फोटो

जेठ की तपिश और जेठ का बरसात आत्मसात करें

मासूमियत भरा सुप्रभात

कर्म का आनंद और आनंद से कर्म करना
दोनों का अनोनाश्रय संबंध होते हुए भी
कर्म को बोझ की तरह झेलते हैं हम सभी
और इस तरह आनंद हमसे तटस्थ होने लगता है
क्यों न आनंद को गले लगा कर्म का आनंद लें
कर्म स्पर्श की कटुता और मधुरता का आनंद लें
तटस्थ होकर दुख सुख से आनंद की गली में खेलें
भूल जाएं खुद को खुद के लिए सब को अपना बना लें!
लता प्रासर

Whatsapp Good Morning Suvichar in Hindi - गुड मॉर्निंग फोटो

Good Morning Message in Hindi

मृगशिरा की बाहों हवा और मौसम मचल रहे
जेठुआ नमस्कार

दिवस दिवस यूं बीत रहा
मानो मुझको वो जीत रहा
हम सारे हारे हुए खिलाड़ी
हां सबका एक ही गीत‌ रहा

जंग छिड़ा जीवन मृत्यु में
बंद रहना सबके हित रहा
वृक्ष लगाना सीख लो प्यारे
यही प्रकृति का संगीत रहा!
लता प्रासर

Good Morning Message in Hindi

मृगशिरा में खेत की सोंधी खुशबू का आनंद लेते रहिए
जेठुआ नमस्कार
बीते कल की बात निराली
आगत की सौगात उजाली
विस्मित जग क्या ढूंढ रहा
हर तरफ है जज़्बात काली!
लता प्रासर

गुड मॉर्निंग दोस्तों - Good Morning Quotes in Hindi

Good Morning Wishes in Hindi

मृगशिरा की बारिश का स्वागत
जेठुआ नमस्कार

वक्त ने वक्त को वक्त के लिए किया समर्पण
सारी धरती सारा अंबर कर रहा वक्त का तर्पण
वक्त के मारे हम सब हैं लेकिन वक्त ही हमें संवारेगा
वक्त के लिए सही वक्त पर आओ कर दें प्रेम अर्पण!
लता प्रासर

Good Morning Wishes in Hindi

Good Morning Thoughts in Hindi

जेठ मास तू ले जा पाती बचा रहे धरती की थाती
मृगशिरा नक्षत्र का स्वागत

भाव की भूख लिए
सरल सा दुख लिए
फिरती हूं मारी मारी
जेठ की दुपहरी सी
सागर की रेत सी
जलती हूं कण कण
बूंद-बूंद शीतलता
तरसे बाहर भीतर
ढहती हूं पल पल!
लता प्रासर

Good Morning Thoughts in Hindi

अंगारों से मृगतृष्णा का अटूट नाता है
अलविदा रोहिणी नक्षत्र

कदम कदम पर तुझको याद मैं करती हूं
जब भी बारिश हो उसको सावन मैं कहती हूं
जेठ दुपहरी तप कर तन से स्वेद बरसते हैं पल पल
हर बूंदों में तुझसे मिलने की ख्वाहिश करती हूं
कोलाहल में तुमको ही केवल मैं सुनती हूं!
लता प्रासर

सुप्रभात सुविचार हिंदी

सुप्रभात सुविचार फोटो Hd
दूरियों के दरमियान मोहब्बत को पलने दें
जेठुआ प्रणाम
चलो मेड़ पर पेड़ लगाएं
सपनों के नये फूल खिलाएं ऑक्सीजन का बीज बोकर
सांसों को आराम दिलाएं!
लता प्रासर

सुप्रभात सुविचार फोटो Hd

सुप्रभात सुविचार फोटो Hd
टकाटक टकाटक निहारने वाले चलो टीका लगा लें

जेठुआ सुप्रभात

एक टीका वीरों पर सजता
एक टीका दुल्हन को रचता
वक्त का पहिया ऐसा घूमा
एक टीका रोग को डसता

टीकाकरण कराकर अपना
सपनों को जरा पंख लगा लो
टिकना है छोड़ो टीका-टिप्पणी
एक टीका जीवन में बसता!
लता प्रासर

सुप्रभात सुविचार

Good Morning Images with Quotes for Whatsapp in Hindi
जेठ में ठंडक को सलाम
सुप्रभात

डबडबाती रहीं बूंदें कश्ती की तरह
ग़म सिमटती रही किसी हस्ती की तरह
किस्सा कोई नया नहीं है ये दोस्तों
आंखें ढोतीं रहीं इन्हें भिश्ती की तरह!
लता प्रासर

Good Morning Images with Quotes for Whatsapp in Hindi

Good Morning Messages in Hindi for Whatsapp
कुदरत के कदम रुकते नहीं साथ चलते रहिए
ज्येष्ठा सुप्रभात
अपनी ख़ामोशियों से झकझोरता है वह
पीकर ग़मों को नि:शब्दता ओढ़े रहा वह
वक्त ही मरहम बन तोड़ेगा ये खामोशियां
अपने के भीतर की मनोज्ञता पहचानता है वह!
लता प्रासर

Good Morning Messages in Hindi for Whatsapp

Good Morning Quotes in Hindi with photo

दुआ करते रहिए संग संग अपने देश दुनिया के लिए

जेठुआ सुप्रभात

तुम्हारे हुक्म की तामील करते करते
वो बच नहीं पाये जीनेवाले मरते मरते
कुछ दुआएं गांठ बंधी थी लेकिन दवा न मिली
कैसे कहें अपना तुम्हें सोचती हूं हंसते हंसते

गली चौबारों में ये चर्चे आम हैं तेरे
तू हठ की लकीरों से कैनवस रंगता है
रंगना जरा भूख भय भरोसा उंगलियों से
फिर भी खाली रहेगी झोली भरते-भरते!
लता प्रासर

Good Morning Quotes in Hindi with photo

मंगलमय सुप्रभात

हे प्रभु अपने आंसुओं से सबके आंखों के आंसू धो डालो

जेठुआ सुप्रभात

हवा के लवों पर
मौसम का नाम है
हवा के प्यार से
मौसम जवान है
इन्हें देखकर बादल मेघा
थिरकने को बेताब है
बूंदों की छन छन सुन
'लता' तरु से लिपटान है!
लता प्रासर

मंगलमय सुप्रभात

सुप्रभात सुविचार हिंदी फोटो
तपिश में तपाये रखिए खुद को और जमाने को
जेठुआ सुप्रभात
क्या-क्या कहां कहां कैसे कैसे काबू करेंगे
लत लताड़ने की लगी उनसे कैसे लड़ेंगे
कौन है वह पागल जिसने पंगा पहले लिया
समानांतर समझ सहेजकर सपनों को संवारेंगे!
लता प्रासर

सुप्रभात सन्देश हिंदी फोटो गुड मॉर्निंग इमेजेज

सुप्रभात सन्देश हिंदी फोटो गुड मॉर्निंग इमेजेज

सुप्रभात सुविचार हिंदी फोटो

हौले से किसी को सुनकर दिल से मुस्कुरा दीजिए
जेठुआ सुप्रभात
तरस तन का महसूसते रहिए वर्ना
तकलीफ की आमद बढ़ेगी सच

दूर दुनिया से हो जाओ लेकिन
दूर खुद से न हो पाओ रहो बच

ग़म का सिला तुम तक आता रहेगा
पछाड़ कर वक्त पर उसे जरा सा नच

फिक्र नहीं कौन क्या करता यहां
'लता' कुछ भी कर पर खुद को जच!
लता प्रासर

प्रेरणादायक सुविचार सुप्रभात

प्रेरणादायक सुविचार सुप्रभात फोटो

थोड़ा सा बहकावे में मन को भी जाने दो
जेठुआ सुप्रभात
ये गया वो गया कारवां क्या थम गया
जो देखता रहा इसे
वो फिर से खुद में रम गया
अपनी बात कहूं तो क्या वो समझेगा इसे जरा
कर अटपटी कहा सुनी जहां था वहीं जम गया
ये गया वो गया कारवां क्या थम गया!
लता प्रासर

सुप्रभात सुविचार हिंदी SMS

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Best Good Morning SMS in Hindi

भयभीत मौसम को पनाह चाहिए

सुप्रभात

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बादल और बारिश पर कविता

भय की नदी उमड़ पड़ी है जरा तैराकी सीख लेना
कहीं तोड़ न दे क्रोध के तटबंधों को देख लेना
मौसमी गर्मी बादल पैदा करता है फिर बारिश
बचा लो अपने जमीर की खेती सलिल से सीख लेना!
लता प्रासर

प्रेरणादायक सुप्रभात संदेश

प्रेरणादायक सुप्रभात संदेश फोटो

सर्दी के मौसम पर कविता

शारदीय सुप्रभात

कोई बादलों की ओर झांकता है
मैं जमीन तजवीजती रहती हूं
कोई मौसम के आसार देखता है
मैं मिट्टी की नमी को महसूसती हूं
कोई जिंदगी देखकर लिखता है
मैं भावनाओं को सहेजती रहती हूं
कितने शब्द गमों के पैबंद भरता हैं
मैं गमगीन हृदय में सुगंध भरती हूं
लिखते और भी हैं लिखती मैं भी हूं
वो दुख को सहेजते हैं मैं उड़ा देती हूं!
लता प्रासर

सुप्रभात सुविचार शायरी

सुप्रभात सुविचार शायरी फोटो

गुड मॉर्निंग दोस्ती शायरी प्रकृति की तपिश मुबारक

शारदीय सुप्रभात
कहीं आग लगी
कहीं धुंआ उठा
किसी का भविष्य जला
वर्तमान मूक है
भूत प्रसन्न
आग तूने क्या किया
जंगल जंगल फिर
घर घर विचरण
आग उस गली जाना
जहां पानी की जरुरत है
कहीं तन जला
कहीं मन जला
कहीं वन जला
जल रहा शर्म हया!
लता प्रासर

मोटिवेशनल सुप्रभात फोटो Motivational Suprabhat Image

मोटिवेशनल सुप्रभात फोटो Motivational Suprabhat Image

वोट के लिए अपील शायरी

चुनने की आजादी का स्वागत

शारदीय नमस्कार चुनाव शायरी

जो भी लिखा जैसा भी लिखा जिसके लिए लिखा
पढ़ने वालों को शुक्रिया कि आपने शिद्दत से उत्तर लिखा
गुनगुनाहटें सरसराहटें और सबकी आहटें समेटती रही
आगे भी मिलता रहे मेरी लेखनी पर आपका लिखा!
लता प्रासर

सुप्रभात के संदेश फोटो गुड मॉर्निंग गुड मॉर्निंग

सुप्रभात के संदेश फोटो गुड मॉर्निंग गुड मॉर्निंग

नक्षत्रों पर शायरी अलविदा चित्रा नक्षत्र

शारदीय नमस्कार
स्याह बादल खेल रहा सूरज संग आंख मिचौली
कुछ दूल्हा बनकर घूम रहे सर पर बांधे मौली
किसका स्वागत होगा किसकी होगी विदाई
दिन गिन रहे मिलकर वो पाने को राजनीति की पौली!
लता प्रासर

गुड मॉर्निंग फोटो डाउनलोड Good Morning Image Download

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चुन लें मन रे मानवता को

शारदीय नमस्कार
अनजाने भूल गर हो जाता है
तब इंसान बहुत पछताता है
जानबूझकर गलती करनेवाला
उसे मानवीय भूल बतलाता है
जो मानवीय भूल बतलाता है
वह खुद से खूब घबराता है
हंस ले चाहे उपर से जितना
वह और कई भूल कर जाता है!
लता प्रासर

स्वाति नक्षत्र का स्वागत

शारदीय प्रणाम
भीतर अपने ढूंढ रही थी
परतें अच्छाई और बुराई की
पल दो पल मंहगा कितना
वर्षों बरस रहा सस्ता जितना
रंग बदलता रूप बदलता
कुछ भेदभाव सच्चाई की
मन मारे मीत प्रीत रे
तन मारे नीर पीर गीत रे
अंखियां बोली अंखियन से
किस किस से काहे लजाई रे
पल पकड़ चल किसी भलाई की!
लता प्रासर

समझ-बूझ संग करें चुनाव

आसिन की झुरझुरी मुबारक
कलम की पीर
आंखों की नीर
बदन का चीर
मानवता को
सहेजता है
क्या सच है?
लता प्रासर

चुनना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।नैतिकता ही सही ग़लत का चुनाव कर सकती हैं

आसिन की झुरझुराती सुबह का स्वागत

कब तक आप हमें नजर-अंदाज करते रहेंगे
आपका हर अंदाज हम यूं ही सहते रहेंगे
वक्त आता है एक दिन सबका मेरा भी आएगा
इसी लिहाज से वक्त के साथ बहते रहेंगे!
लता प्रासर

आसिन मासी प्रणाम

सर्द हवाओं संग गर्मजोशी की बात करते हैं
साहसी बनते हैं सरगोशी की बात करते हैं
हाल ही में मोहब्बत की ताजपोशी हुई है
लोग अभी से एहसान फरामोशी की बात करते हैं!
लता प्रासर
*नृत्य करते बूंद मन मोह लेते हैं*
शीतल सुप्रभात

पैर की थिरकन खेतों में होनेवाली है
बूंद-बूंद धरती में समाने वाली है
पांव कहीं कमजोर न पड़े सोचना
सींचना है सपने अंकुरण होने वाली है!
*लता प्रासर*
*प्रेम की आंच से तपिश बचाए रखिए*
जेठुआ सुप्रभात

शिक़ायत क्या करूं उनकी
धौंस जमाना काम जिनका
भला करना उन्हें आता नहीं
अपने भविष्य से वो खेलते हैं

हाशिए पर धकेला जिन्हें
उनकी हंसी उड़ाते हैं वो
डर पीकर भीतर भीतर
अपनी कब्र खोदते हैं वो!
*लता प्रासर*
*अनलिखा पढते रहिए प्रेम में पगते रहिए*
जेठुआ सुप्रभात

कुछ शब्द शातिर शामिल है जिंदगी में
सतत प्रयास से भी कौन कामिल है जिंदगी में
बहुत भला करना चाहे कोई किसी की फिर भी
वक्त और जमात से बिस्मिल है जिंदगी में!
*लता प्रासर*
*आद्रा नक्षत्र का बहुत बहुत स्वागत*
जेठुआ सुप्रभात

बहुत लिखा, पढ़ा नहीं जाता
अनलिखा बहुत नहीं पढ़ने वाले
लिखने पढ़ने वाले के बीच संधि
शब्द शब्द संरक्षित रहता है
कुछ लिखें कुछ पढ़ें!
*लता प्रासर*
*जेठ की गर्मी थह-थह श्रमसीकर बाहर भीतर*
नमस्कार

हारना किसी जीत से बड़ा जलसा होता है
क्योंकि इसमें विचारों का गुच्छा जश्न मनाता है
पहली बार जीतने से अच्छा बार बार हारकर जीतना
तब भय करूणा अहमं साथ छोड़ चुका होता है!
*लता प्रासर*
*अलविदा जेठ फिर फिर आना*
सुनहरी सुप्रभात

करूं क्या
कहूं क्या
सुनूं क्या
गुम हूं
वक्त के साथ

कौन
खबर लेगा
इस मंज़र का
इम्तहां है
वक्त का!
*लता प्रासर*
*स्वागत आषाढ़ की पहली घनघोर बारिश का*
सुप्रभात

कौन है अपना कौन पराया कौन यहां किससे हारा 
बेघर बेचारा है वो उसके सपनों को किसने मारा
नवल निकेतन के वासी बसेरा रहा उजाड़
मूसलाधार में आग बरसती मानव को किसने जारा

कितनों की रातें भीग गई दिन बारिश में धूल गया
ये आषाढ़ का पहला दिन था रंक का रंग मूल गया
सपनों ने सपनों को मारा सपने जाने किधर गये
मानव दानव बनकर सारी संवेदनाएं भूल गया!
*लता प्रासर*
*मौसम की संवेदनशीलता में डूबिए उतरिए*
आषाढ़ी सुप्रभात

कोलाहल के पीछे की खामोशियां
क्यों बेतरह बेचैन करतीं हैं मुझे
स्त्रीत्व और मानवता यहीं मरती हैं
कैसे बचाएं खुद को इस झंझावात से
किसी के पास जबाव हो तो....?
*लता प्रासर*
*आषाढ़ और आद्रा लगाते बैठा है बदला*
बूंद-बूंद सुप्रभात


सिढ़ियां केवल चढ़ाती ही नहीं उतारती भी हैं एक वक्त के बाद

मुश्किल है सही सीढ़ी का चुनाव शायद मिले उथल-पुथल के बाद

कहां तय होता जिंदगी की मंजिल लड़खड़ाते हैं लोग जिंदगी भर

ज़रा सम्हलते ही नये दृश्य का आगाज होता इन लम्हों के बाद!
*लता प्रासर*
*आषाढ़ का बादल आता है शरमाता है बरसाता है*
आसमानी सुप्रभात

हमारे सभी शब्द आहुति है संवेदना के कुंड में
हमेशा अच्छे बुरे शब्द टकराते रहते हैं झुंड में
वाचाल हूं क्योंकि बेरुखी का आलम हावी रहा
शब्द बिखेरना ही होगा साथ-साथ वक्त के हुंड में!
*लता प्रासर*
*जिनकी सोच नासूर बन चुभे उनको दूर ही रखें*
आषाढ़ी सुप्रभात

नज़र हमनज़र हुईं हैं जबसे
नज़रिया बदल गया तब से
अब तक नज़ारे नसीहत रहे
उनकी नज़र हमारी हैं अब से!
*लता प्रासर*
*ठप्पा ठठोल का अदृश्य होने लगा*
आषाढ़ी सुप्रभात

ठग ठग कर ठगिया ठाट बाट ठहराया
ऊंची ठांव टटोल कर परचम लहराया
बंटता केवल ठगमूरी रहा वक्त ठगा सा
ठनना ठठक तोड़ अपने लिए ठैनि बनाया!
*लता प्रासर*
*पुनर्वसु नक्षत्र का स्वागत*
आषाढ़ी प्रणाम

इम्तहान सब्र की वो लेते हैं बार बार
मुस्कुराकर जबाव देती हूं हर बार
डर लगता है सब्र की इन्तहा न हो जाए
यही समझाने कोशिश रहती है बार बार!
*लता प्रासर*
*पुनर्वसु नक्षत्र में तपती धूप का स्वागत*
आषाढ़ी सुप्रभात

हर मुस्कान उन्हीं पर वार दिया
जब जिसने जहां प्रहार किया
वो डिगा सकें फितरत उनकी
हम अडिग रहे ऐतवार किया

हर आफत को अंकवार लिया
जब जब समय ने वार किया
ये कहती है दिल की धड़कन
मुसीबत से ही तो प्यार किया!
*लता प्रासर*
*अतिशय तपिश तपाता मन को*
आषाढ़ी प्रणाम

उथल-पुथल हर ओर है दिखता
संशय का कांटा क्यों न रुकता
एक भरोसा ईश्वर है सबका
हिम्मतवाला कभी न झुकता!
*लता प्रासर*
*बूंदों की अनहद झनकार सावन का आमंत्रण है*
आषाढ़ी सुप्रभात

ज़ेहन में जबरन जज़्बात पैदा नहीं होते
हर नज़र से मिलकर नज़र शैदा नहीं होते
ख़ास वो नहीं जो ख़ास की फ़िराक में हो
मर्ज बढ़ा दे कोई उससे ख़ास भैदा नहीं होते

विचारों से उड़ान भर आओ परिंदा बन जाए
विचारों पर कर प्रहार कोई चरिंदा बन जाए
प्रवाह निरंतर बनी रहे विचार की नदियों में
सोचो अगर आज यहीं यह इब्तिदा बन जाए!
*लता प्रासर*
*पसीजते हुए संवेदनाओं को सलाम*
आषाढ़ी सुप्रभात

वो लूटता है
वो पीटता है
वो हंसता है
वो रूलाता है
वो मज़े में है
वो सजा देता है

बोलना किसे है
वो बाबू साहब है

वो निखट्टू है
बनाता टट्टू है
वो सबकुछ खाता है
भूखा बिलबिलाता है

बोलना किसे है
वो बाबू साहब है!
*लता प्रासर*
*हवा नगमें गाती रहे सावन को बुलाती रहे*
आषाढ़ी सुप्रभात

खोया खोया वक्त का पैमाना लग रहा है
कितना उथल-पुथल ज़माना लग रहा है
छोटी छोटी खुशियों की तलाश में हर कोई
हर पल की मुस्कान जैसे नज़राना लग रहा है!
*लता प्रासर*
*पढ़ना लिखना बहुत जरूरी तभी मिटेगी मजबूरी*
अलविदा आषाढ़

वक्त-ए-परिंदा उड़ी उड़ी जाय रे
बेख्याल नयना गड़ी गड़ी जाय रे
अपनी खबर नहीं किस इंतजार में
बोल हिय की घड़ी घड़ी जाय रे!
*लता प्रासर*
*सावन की अलसाई बदली बरसो बरसो*
सुप्रभात

टीकाकरण पर आकर ठहर गई हैं जिंदगी
एक गहरी उदासी लिए पसर गई है जिंदगी
बच्चों के संग बड़ों को भी लगने लगा टीका
अच्छी भली थी जाने कैसे सिहर गई जिंदगी!
*लता प्रासर*
*मिट्टी से सड़क तक किसान भीगा*
श्रावणी सुप्रभात

दरवाजे पर
सावन आया
द्रुम शिखर पर
बूंद नचाया
मन का तार
यूं झनझनाया
झूम हवा संग
सावन आया
यादों उनकी
मन तड़पाया
छनन छनन छन
सावन छाया!
*लता प्रासर*
*विचारों की हांडी पर खिचड़ी बनती रहे*
श्रावणी प्रणाम

कौन कहता है
सितारे रात की
पहरेदारी करते हैं
सितारे फलक पर
अंधेरे की
तीमारदारी करते हैं
सितारे हमेशा
महबूब की
राहदारी  करते हैं
सितारे जमीं की
धूल पर
निगाहदारी करते हैं!
*लता प्रासर*
*वज़ह वक्त से पूछते रहिए मदमस्त और मग्न रहिए*
श्रावणी सुप्रभात

बीज बोने की रुत गई
वो खेतों की बात करते हैैं
मौसम कई-कई बीत गए
वो हक़-व-हुक़ूक़ की बात करते हैं
वक्त बदल गया है इतना इधर
उधर के वक्त को कितने याद करते हैं
मन मसोस कर बैठे हैं हम और आप
फिर भी वो यहां ज़ीनत की बात करते हैं!
*लता प्रासर*
*गुजर रहा कोई डहक लिए सम्हलना जरा*
श्रावणी सुप्रभात

वो खामोश थे
शोरगुल के बीच
आंखों का खारा पानी
लिखता रहा ख़त
वक्त के नाम

वो बेबस थे
खुशियों के बीच
चेहरे का रंग
चित्र बनाता रहा
पहलुओं का!
*लता प्रासर*
*घनघोर घटा पुतलियां सम्हाले बैंठी*
श्रावणी सुप्रभात

मत सुनना मेरी कविता
कि फरेब के लिए इसमें
रत्ती भर भी जगह नहीं

मत सुनना मेरी कविता
वर्ण वर्ण के एहसास से
चापलूसियां थर्राती हैं

मत सुनना मेरी कविता
सच कहना फितरत है
भार न उठाती मृषा का!
*लता प्रासर*
*जो खुदा को मंजूर नहीं वो शब्द छुपा लेते हैं*
श्रावणी सुप्रभात

लाख भुलाना चाहें उसे मगर भूल नहीं पातें क्यों
कभी कभी कोई चेहरा आंखों में यूं बैठ जाता है
उसकी नज़रों में इतनी कुव्वत कहां कि मिले
बेमुरव्वत वक्त के साथ आंखों में यूं बैठ जाता है!
*लता प्रासर*
सभी खिलाड़ियों के शत् शत् प्रणाम
श्रावणी सुप्रभात

आंखों में सपने लिये लक्ष्य को उसने भेद दिया
श्रम सीकर से सींचकर *नीरज* स्वर्ण हासिल किया
है कोटि-कोटि सलाम भारत के सारे मेडल को
असुविधा की त्रासद बला पछाड़ वासिल किया!
*लता प्रासर*

LATA PRASAR

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