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शहीद भगत सिंह जयंती पर कविता Poem On Shaheed Bhagat Singh Jayanti

शहीद ए आजम सरदार भगत सिंह Bhagat Singh Jayanti Par Kavita

शहीद ए आजम सरदार भगत सिंह
(पावन जयंती : 27 सितंबर)
शहीद ए आजम कोटि कोटि नमन आपको,
आपको स्मरण, सारा हिन्दुस्तान करता है।
कश्मीर से कन्याकुमारी तक ऋणी आपका,
गिरिराज हिमालय भी, अभिमान करता है।
शहीद ए आजम…..
सदियों बाद मिलता है, आपके जैसा लाल,
जो पेश करता है शहादत की नई मिसाल।
आपका नाम लेने से, मन में शांति आती,
आपको प्रणाम ऊपर से आसमान करता है।
शहीद ए आजम……
जबतक गंगा यमुना में बहता रहेगा पानी,
घर घर गूंजती रहेगी, शहादत की कहानी।
आपकी जयंती नया जोश भरकर जाती है,
अमर है, जो स्वयं को बलिदान करता है।
शहीद ए आजम……
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार

Shaheed Bhagat Singh Birthday Photos

Shaheed Bhagat Singh Birthday Photos

Shaheed Bhagat Singh Jayanti शहीद भगत सिंह जयंती पर कविता

शहीद भगत सिंग
जिसने अंगारों पर चलना
मौत से लड़ना सिखलाया
जिसने आजादी का मतलब
रग रग में है रचाया
जिसने अंग्रेजों के खिलाफ
जहर भर दिया सीने में
नमन, नमन है नमन, नमन
भगत सिंग की माँ को नमन॥
जिसने माँ के शब्द, शब्द को
दिल में अपने समाया था
जिसका अंग्रेजों के खिलाफ
आंखों में खून उतर आया था
जिसने अंग्रेजों के खिलाफ
जमकर अभियान चलाया था
अंग्रेजों भागो भारत छोड़ों
गली, गली में चिल्लाया था
अंग्रेजी सरकार को जिसने
नाको चना चबाया था
सुखदेव, राजगुरु आजाद के संग
जमकर उत्पात मचाया था
अंग्रेजी शासन को जिसने
जमकर सबक सिखाया था
बंदे मातरम, बंदे मातरम
का नारा खूब लगाया था
नमन, नमन, है नमन तुम्हे
शहीद भगत सिंग को नमन, नमन॥
अंग्रजों के गिरफ्त में आया
तनिक नहीँ घबराया था
चुम के फंदा फांसी का
भगत सिंग "लक्ष्य" बोला था
मेरा रंग दे बसंती चोला
ओ माई रंग दे बसंती चोला
बोली हर हर महादेव की
बच्चा बच्चा बोला था॥
स्वरचित निर्दोष लक्ष्य जैन

शहीद भगत सिंह की जयंती पर विशेष कविता

भगत सिंह
तत्काल समय के भारत में
जो लायलपुर के वासी थे
पिता किशन सिंह चाचा अजीत
स्वतन्त्रता सैनानी वीर और साहसी थे ।

बाल्यकाल से ही वे अपने
बाबा से यह कहते थे
बो दो असंख्य बन्दूके खेतों में
अब तक क्यों न बोते थे।

भगत सिंहपर देशवासियो
कैसी चढ़ी जवानी थी
स्वतन्त्रता आखाड़े मे कूद गए
फिरंगी भगाने की ठानी थी।

देख नित नए कारनामों से
अंग्रेजों के पसीने छूट गए
जो लूटते थे भारत को हमारे
एक दिन खुद ही लुट गए।

झुकने न दी आन भारत की
पीड़ा यातनाएं झेल गए
ईंट से ईंट बजा दी फिरंगी की
अनेकों बार जेल गए।

हौंसले बुलन्द देख वीरों के
अंग्रेजों ने धैर्य खो दिया
राजगुरू,सुखदेव,भगत सिंह को
समय पूर्व फंदे पर लटका दिया।

सारा आकाश डोल गया
धरती का सीना चीर गया
जिसने फाँसी की बलिबेदी चूमी
वो भारत माँ का वीर गया।
ललिता कश्यप सायर डोभा
जिला बिलासपुर ( हिमाचल प्रदेश )

भारत के वीर शहीद भगत सिंह की वीरता और शौर्य पर कविता

भगत सिंह
दादी का था राज दुलारा,
'भागो वाला' वो कहलाया।
पिता,चाचा जेल से आये,
अपना जन्मदिन सफल बनाया।।

माँ भारती के अमर सपूत,
भगतसिंह देशभक्त मतवाले।
आओ सब मन से नमन करें,
आन-बान पर मिटने वाले।।

हुंकार भरी जब स्वतंत्रता की,
अंग्रेजी हुकूमत घबराई।
अपनेपन की अलख जगाकर,
अंगरेजों की नींद उड़ाई।।

हिन्दी, उर्दू,पंजाबी, अंग्रेजी,
बांग्ला भी उनको आती थी।
मौत जैसी सजा भी उनको,
पथ से नहीं डिगा पाई थी।।

शहीद भगत सिंह का बलिदान
युवा शक्ति को संदेश दे गई।
जिंदगी देश के लिए समर्पित,
देश भक्ति का भाव जगा गई।।

सतलज किनारा धन्य हुआ था,
अमर शहीद जो वहाँ आया।
अंधियारी रात,अंतिम संस्कार,
मनभावन सा रूप दिखाया।।

भगत सिंह सा अमर सेनानी,
भारत माँ का वंदन अभिनंदन।
करें आरती हम सब मिलकर,
संस्कृतियों की आभा का वंदन।।
रामबाबू शर्मा, राजस्थानी,
दौसा(राजस्थान)


शहीद पर शायरी शहादत

शहादत
वतन पर जो मर मिटे वही तो शहादत है
कहे कोई कुछ यहाँ खुदा की अदालत है

उसी का सपना रहा गुलामी मिटेगी जो
अभी उनके नाम से यहाँ तो सियासत है

चढ़े थे फाँसी बिना डरे वो वतन खातिर
उसे भूले हैं सभी कहें तो फजीहत है

चले थे वो बाँध कर कफ़न देश को लेकर
कहें किसको आज देख सबको शिकायत है

गुलामी की बेड़ियाँ पड़ी पाँव में सबके
करें उनको याद लोग उनकी वसीयत है

खड़े सीमा पर बिना डरे जो जवां मेरे
सभी साँसें ले रहे कहो तो इनायत है

मिले हैं अधिकार अभी यहाँ पर सभी तुमको
खड़े ऊँचा सर किये उसी की जरायत है
श्याम मठपाल, उदयपुर

मुक्तक - दुश्मनों का काल देश का दीवाना भगत सिंह

देश का दीवाना भगत सिंह दुश्मनों का बड़ा काल था ।
सरे आम जला क्रांति की आग बलिदानी बड़ा कमाल था।
बांध सीर कफ़न जज्बा ए हिन्द सिंह हुंकार भरनेवाला।
अंग्रजों की मौत ओ आफत हुआ शहीद बैरियो जंजाल था।
जय हिन्द
श्याम कुंवर भारती
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