मंगल पांडे जी पर कविता Poem On Freedom Fighter Mangal Pandey Ji Hindi
स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडेय जी
(जन्म जयंती पर कोटि कोटि नमन)
मंगल पांडेय जैसे सपूत पैदा होते हैं जब,
देश का घिसा पिटा इतिहास बदलता है।
गुलामी की बेड़ियां कमजोर हो जाती हैं,
मोम क्या, डर से पत्थर भी पिघलता है।
पिता दिवाकर पांडेय, माताजी अभय रानी।
20 साल आयु, अंग्रेजी सेना में भर्ती हुए,
1857 में बने वे, पहले स्वतंत्रता सेनानी।
धन्य धन्य, उत्तर प्रदेश का बलिया जिला,
नगवां गांव में, पांडेय जी ने रखे थे कदम।
कारतूस में गाय की चर्बी से, क्रोधित हुए,
उनको भ्रष्ट होता दिखा था, अपना धरम।
सेना से बाहर हुए, परतंत्रता खल रही थी,
सीने में विद्रोह की ज्वाला, जल रही थी।
मेरठ छावनी से, स्वतंत्रता के शोले भड़के,
दिल में आजादी की उम्मीद, पल रही थी।
मंगल पांडेय जी से, जो शुरू हुई थी कहानी,
15 अगस्त 1947 तक वो हुई नहीं पुरानी।
देश गर्व से लेना चाहता सदा उनका नाम,
(जन्म जयंती पर कोटि कोटि नमन)
मंगल पांडेय जैसे सपूत पैदा होते हैं जब,
देश का घिसा पिटा इतिहास बदलता है।
गुलामी की बेड़ियां कमजोर हो जाती हैं,
मोम क्या, डर से पत्थर भी पिघलता है।
मंगल पांडे पर कविता
19 जुलाई1827 को मंगल पांडेय जन्मे थे,पिता दिवाकर पांडेय, माताजी अभय रानी।
20 साल आयु, अंग्रेजी सेना में भर्ती हुए,
1857 में बने वे, पहले स्वतंत्रता सेनानी।
धन्य धन्य, उत्तर प्रदेश का बलिया जिला,
नगवां गांव में, पांडेय जी ने रखे थे कदम।
कारतूस में गाय की चर्बी से, क्रोधित हुए,
उनको भ्रष्ट होता दिखा था, अपना धरम।
सेना से बाहर हुए, परतंत्रता खल रही थी,
सीने में विद्रोह की ज्वाला, जल रही थी।
मेरठ छावनी से, स्वतंत्रता के शोले भड़के,
दिल में आजादी की उम्मीद, पल रही थी।
मंगल पांडेय जी से, जो शुरू हुई थी कहानी,
15 अगस्त 1947 तक वो हुई नहीं पुरानी।
देश गर्व से लेना चाहता सदा उनका नाम,
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार
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