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विजय दिवस 16 दिसंबर 1971 पर कविता Special Poem On Vijay Diwas In Hindi

विजय दिवस

16 दिसंबर, 2022
नहीं बुझी वह आग की लपटें,
जो आग तुमने ही लगाई थी।

धधक रहा वह आग आज भी,
जो तुमने बजवाई शहनाई थी।।

कहलाने को तो पाक कहलाते,
किन्तु तुम सड़े गले नापाक हो।

पाल रखे हो आतंकी ही घर में,
स्वयं को कहते तुम ही पाक हो।।

गड़ाए हुए हो कश्मीर पर नजर,
इरादा तेरा यह बहुत नापाकी है।

नहीं करोगे तुम सुधार निज में,
तो पाकिस्तान लेना भी बाकी है।।

जिसके बल पर तुम कूद रहे हो,
तेरे लिए यह बड़ा तोप चीन है।

तेरे लिए हो सकता है वह बड़ा,
हमारे लिए तो एक मात्र चिन है।।

भूल जाओ 1962 का जमाना,
तेरे समझ से वही भारत होगा।

भूल न करना उलझने की अब,
अब उलझे तो महाभारत होगा।।

जीत हुई धर्मपथगामी पांडव की,
वैसे ही हम भी तुमसे ही जीतेंगे।

जो समय बीता कौरव पक्ष का,
वही समय अब तेरे भी बीतेंगे।।

पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।

विजय दिवस पर कविता : विजय दिवस की उमंग Poem On Vijay Diwas In Hindi

क्यों करते हो हिमाकत..बारंबार,
हर बार तुम्हें हम, धूल चटाते हैं..
छिप के देखो..पाकिस्तान वालों,
आज भारतवासी "विजय दिवस" मनाते हैं!
हर बार मुंह की खाते हो..तुम,
फिर भी बाज़ ना आते हो..
हर ओछा पन अपना कर, क्यों,
तुम सामने आ ही जाते हो!

याद करो..बांग्लादेश का मंजर,
तुम, जुल्मों क़त्ल करा रहे थे..
अपने लश्कर को साथ ले कर,
जनता की भावना को, कुचल रहे थे।
क्या सोचा था.."याहिया ख़ां" ने,
अपने मंसूबे..प़रवान चढ़ा लेगा!
करके जुल्मों सितम़..लोगों पर,
पाकिस्तानी परचम लहरा लेगा!?

देख लिया नतीजा..काफिरों,
थर्रा गए थे तुम..रोना पड़ गया..
जान के लाले पड़ गए..जब,
आत्मसमर्पण करना पड़ गया।
हर बार होता है यही नतीजा,
फिर भी तुम बाज़ ना आते हो..
क्यों करते हो हिमाकत बारंबार,
हर बार तुम, अपने मुंह की खाते हो!

मुट्ठी भर थे हिंदुस्तानी रणबांकुरे,
तुम्हारे 93 हजार को बंदी बना लिया..
सर झुका दिया तुम्हारे झंडे का,
तुम्हें.. ख़ून के आंसू रुला दिया!
गर्व है हमें अपने..जांबाजों पर,
उनके बलिदानों को शीश ऩवाते हैं..
उनकी याद में "श्रद्धांजलि" स्वरुप, हम,
हर साल "विजय दिवस" मनाते हैं!!
उन जांबाजों को"सेल्यूट और नमन"।
" भारतीय सेना विजय भव: "
जय हिंद!
हरजीत सिंह मेहरा
लुधियाना पंजाब
85289-96698


विजय दिवस 16 दिसंबर 1971 पर कविता Special Poem On Vijay Diwas In Hindi


विजय दिवस पर कविता : 16 दिसंबर सन् 1971 Poem On Vijay Diwas In Hindi

विजय दिवस

दिन 16 दिसंबर का, बड़ा खास है भारत के इतिहास में,
सन् 1971 में इसी दिन, हमारी सेना ने कर दिया कमाल।
पूर्वी पाकिस्तान को तोड़कर, बंगला देश बना दिया वीरों ने,
दुनिया के सामने पेश की बहादुरी और वीरता की मिसाल।
पाक के 90 हजार से ज्यादा सैनिकों को बंदी बना लिया था,
क्रूरता की छुरी से पाक ने, कर ली अपनी ही गर्दन हलाल।

दिन 16 दिसंबर का…

बंगला देश का जन्म हुआ और पाकिस्तान का हुआ था मरण,
पूर्वी बंगाल के निर्दोष लोगों को मारकर,
पापी हुआ कंगाल।
जनरल याहिया खान, अपनी बर्बादी देखता रहा आंखों के सामने,
पाकी सैनिक तानाशाहों ने,खुद अपने देश को कर दिया बेहाल।
भारत ने हमेशा मानवता और उदारता का, परिचय दिया था,
बंगला देश की धरती को हरा किया, जो हो गई थी लहू से लाल।

दिन 16 दिसंबर का …

हम भारतीय विजय दिवस मनाते हैं, तिरंगा शान से फहराते हैं,
देश भक्ति का भाव जगाते हैं, गीत खुशी के गाते हैं हर साल।
सेना हमारी शान से चलती है जब, धमक से धरती हिलती है,
देखकर दुश्मन कांपते हैं थर थर, बच्चे मचाते हैं धमाल।
कुछ समझ में नहीं आता है दुश्मनों को,
हाल उनका बेहाल,
नींद हराम रहती है दुश्मनों की, और करते रहते हैं कदम ताल।

दिन 16 दिसंबर का…

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है।
इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार
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