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हर घर तिरंगा कविता Har Ghar Tiranga Kavita घर-घर तिरंगा पर कविता

हर घर तिरंगा अभियान पर कविता Har Ghar Tiranga Abhiyan Kavita

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हर घर तिरंगा पर कविता

हर घर तिरंगा
जाति धर्म सब त्यागकर,
भारतीयता हमें दिखाना है।

ईर्ष्या बैर भाव सब भूलकर,
अनेकता में एकता लाना है।।

मत देखो अनेकता हमारी,
हम भारतवासी सारे एक हैं।

भले जाति धर्म अनेक किन्तु,
इरादे हमारे सदा ही नेक हैं।।

एक मुहिम राष्ट्र में चलाकर,
विश्व को हमें दिखला देना है।

हम हैं भगत सुभाष के वंशज,
बच्चा बच्चा भारतीय सेना है।।

घर घर में ध्वज तिरंगा फहरा,
भारत माँ का गौरव बढ़ाना है।

कर कर में राष्ट्र तिरंगा लहरा,
भारतीय एकता हमें दिखाना है।।

जिस घर पर तिरंगा न होगा,
राष्ट्रद्रोही वह तो कहलाएगा।

चलेगी मुकद्दमा राष्ट्रद्रोह का,
सीधे वह कैदखाने ही जाएगा।।

हम हैं वतन के वतन है हमारा,
वतन हेतु जीना मरना है गवारा।

जयहिन्द जयभारत हमारा नारा,
वंदेमातरम् जयघोष है स्वीकारा।।

पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना।
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा, सारण
बिहार

हर घर तिरंगा पर कविता

नवसृजनः 88
दिनांकः 9अगस्त, 2022
दिनः मंगलवार

विषयः हर घर तिरंगा

पावन तिरंगा
पावन गंगा पावन तिरंगा,
पावन भारत के निशान हैं।

राम कृष्ण बुद्ध जैन विवेका,
पावन भारत की पहचान हैं।।

बहुत हुए हैं संत मुनि ज्ञानी,
भारत रहा जिनका अरमान है।

जिनके कारण पूज्य है भारत,
विश्वगुरु बना भारत महान है।।

उन्हीं के वंशज भारत के लाल,
सभ्य निष्ठ शिष्ट हमारे आचार हैं।

सबका आदर स्वागत करनेवाले,
नहीं कटुता नहीं व्यभिचार है।।

हम सबका हितचिंतन करनेवाले,
अहित किसी का नहीं करते हैं।

उंगली दिखाई किसी ने भी अगर,
उनसे हम कभी नही डरते हैं।।

तिरंगा हमारी शान व अभिमान,
तन मन प्राण सब कुछ अर्पण है।

सुशोभित है आज हर घर तिरंगा,
तिरंगा ही आजादी का दर्पण है।।

पूर्णतः मौलिक और
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा, छपरा सारण
बिहार।

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कविता

घर-घर तिरंगा फहरायें

अपनी तो दिल में यह आरजू,
घर-घर तिरंगा फहरायें,
चूमें अपनी पावन धरती को,
खुशी से सब नाचे गायें।
अपनी तो दिल में...।

बड़ी मुश्किल से पायी आजादी,
इसे कभी भूल नहीं जायें,
रखें देश की हर सीमा सुरझित,
मिलकर सभी यह कसमें खायें।
अपनी तो दिल में...।

नहीं पालें गद्दार गाँव-शहर में,
नहीं आतंकी को घर में बसायें,
जहाँ कहीं दिखे कोई आतंकी,
अतिशीघ्र सब मार गिरायें।
अपनी तो दिल में...।

हर दिल में रहे यह हिन्दुस्तान,
इसके लिए दे दें अपनी जान,
मुख पर रहे सदा वंदे मातरम,
विश्व विजयी तिरंगा लहरायें।
अपनी तो दिल में...।
------0-----
अरविन्द अकेला,पूर्वी रामकृष्ण नगर,पटना-27

हर घर तिरंगा कविता : आज़ादी का अमृत महोत्सव

तिरंगा दिवस
सन तीस का दिन नया था,
शहीद गर्जना गान छपा था;
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,
झंडा ऊंचा रहे हमारा.....।

यंग इंडिया अखबार में गांधी
राष्ट्रध्वज होने की बात कही;
केशरिया हरा रंग आधारित
पिंगली वेंकैया खाका खिंची।

केशरिया त्याग,हरा खुशहाली
श्वेत शांति रंग गांधी ने जोड़ा;
स्वराज प्रतीक नीला चरखा
हंसराज ने था मध्य में जोड़ा।

उन्नीस सौ इकतीस में जाकर
स्वराज का झंडा अपनाये थे;
अखिल भारतीय कांग्रेस के
अधिवेशन में पारित कराये थे।

बाइस अगस्त सैंतालीस को
संविधान सभा पारित किया;
राष्ट्र ध्वज को मिला स्वरुप
संप्रभुता अनुप्राणित हुआ।

केशरिया त्याग तपस्या का
सफेद शांति अहिंसा का था;
हरा रंग हरियाली-खुशहाली,
प्रगति चक्र चौबीस शलाका।

संप्रभुता का प्रतीक तिरंगा
राष्ट्र प्रेम जज्बा से भरा हुआ;
खादी का कपड़ा है स्वेदेशी
करे बुलंद स्वराज का नारा।

दो अनुपात एक माप का
खादी का तिरंगा बनता है;
आन-बान-शान शिखर से
विजयी तिरंगा फहरता है।

आजादी अमृत महोत्सव
है आज राष्ट्र मनाने वाला;
तेरह से पंद्रह अगस्त तक
हर घर झंडा फहराने वाला।

तिरंगा फहरायेगा हर घर में,
भारतीयता जज्बा जगायेगा;
कैसे मिली थी हमें स्वतंत्रता
गाथा आजादी की सुनायेगा।

जय हिंद!
अंजनीकुमार 'सुधाकर'

Har Ghar Tiranga Kavita Poem 2022 हर घर तिरंगा पर कविता

७५वां आजादी का आओ पर्व मनायें।
हर घर तिरंगा
हर घर गुँबज पर तिरंगा प्यारा लहरायें।

यह शुभ दिन हम सबको याद रहेगा।
कोरोना को पछाड़ा युग याद रखेगा।

पाक चीन भोटियों ने जब टाँग अड़ाई।
ब्रह्मोस पोतों ने सीमा पर आँखें गड़ाई।

भाईयों ने बहनों से राखी बँधवाई।
हँस कर सीमा पर सभी करें विदाई।

देश पर बार बार सदियों से संकट आया।
वीरों ने हुंकृति भर दिग् दिगंत गुँजाया।

बममार रौकेट उँची उड़ान लगाये।
दोनाल कँधों से वीरों ने हैं लटकाये।

बिपता की घड़ियां देश पर जब आई।
घनघोर अँधेरा छाया पर सुबह भी आई।

दानव पड़ा मान्यताओं के पीछे,
मानव कोरोना से लड़ रहा लड़ाई।

एक तरफ स्टैटिकल पहाड़ खौफ़ फैलाता,
दूसरी और दिख रही मौत की गहरी खाई।

भारत देश हमारा प्यारा हम हैं हिंदुस्तानी,
धर्म अधर्म की चल रही घमासान लड़ाई।

लगा रहता था मेला त्योहारों का,
पंद्रह अगस्त की धूम मची बजी शहनाई।
लाल कीले से शेर बब्बर ने दहाड़ लगाई।

रोज होती थी गंगा की आरती,
सन्नाटा छाया- सब बिलख रहे हैं।
मन मंदिर की खोली हमने खिड़की,
ताले मंदीर पर लटके, घर में मस्ती।।

पुष्पा निर्मल, बेतिया (बिहार)___✍
05/08/22

घर घर में तिरंगा हो ! Har Ghar Tiranga Kavita

घर घर में तिरंगा हो !

मन झूमे नाचे गाये,
चहुँ दिशि परचम फहराये,
हर कली-कली मुसकाये,
सुंदर सा सपन सजाये,
ये अमृत महोत्सव आजादी का,
भाव भरा बहु रंगा हो,
घर-घर में तिरंगा हो,
हर हाथ तिरंगा हो।।

हो गर्व सभी को इस पर
गरिमा इसकी है बढ़कर
लहराता देखे जो भी
छाती फूले खुश होकर

शान आन सम्मान न खोवे,
ईमान कहीं ना नंगा हो।।
घर-घर में तिरंगा हो ----

परवाह नहीं की मीरों की
बेड़ियाँ कटीं जंजीरों की
हम याद करें गौरव-गाथा
गिनती कम नहीं शहीदों की
दुश्मन पर दृष्टि गड़ी रहे,
नहीं किसी से पंगा हो।।
घर-घर में तिरंगा हो-----

जय-हिंद का नारा गूंजे
हिंसा कोई ना पूजे
पनपें न कहीं भी जिहादी
मर जायें ये उनके चूजे
प्रेम-भाव बढ़ता जाये,
नहीं कहीं भी दंगा हो।।
घर-घर में तिरंगा हो-----

ना कोई भूखा हो
जनवादी सत्ता हो
भ्रष्टाचारी-अवसरवादी
इनकी ना चर्चा हो
मानव-मानव को पहचाने,
बोलो फिर कहाँ दुरंगा हो।।
घर-घर में तिरंगा------

सरदार भगत की जवानी हो
पन्ना जैसी कुर्बानी हो
आजादी हो चंद्रशेखर सी
नस-नस में उमड़ती रवानी हो
लक्ष्मी सबके घर रहतीं हों,
नहीं कोई भिखमंगा हो।।
घर-घर में तिरंगा हो------

गिरजाघर मस्जिद गुरुद्वारा
मंदिर-मंदिर भाईचारा
भावना भरे ना ऊंच-नीच
सबहीं प्यारा, सबहीं न्यारा
कोई न किसी से भेद करे,
जमजम हो या जलगंगा हो।।
घर-घर में तिरंगा हो -----

हंसते-हंसते सीस कटा दे
अपना सब सर्वस्व लुटा दे
साँस-साँस हर धड़कन-धड़कन
भारत माता बसीं बता दे
सबकी अपनी हस्ती-मस्ती,
ना काम कोई बेढ॔गा हो।।
घर-घर में तिरंगा हो-----

मन झूमे नाचे गाये,
चहुँ दिशि परचम फहराये,
हर कली-कली मुसकाये,
सुंदर सा सपन सजाये,
ये अमृत महोत्सव आजादी का,
भाव भरा बहु रंगा हो,
घर-घर में तिरंगा हो,
हर हाथ तिरंगा हो।।

ज्ञानेन्द्र पाण्डेय "अवधी-मधुरस" अमेठी
8707689016

भोजपूरी देश भक्ति गीत - घर घर तिरंगा भारत में।


भोजपूरी देश भक्ति गीत - घर घर तिरंगा भारत में।

बहे हर हर गंगा भारत में।
फहरी घर घर तिरंगा भारत में।

हमरे देशवा पर हउवे हमके गुमान हो।
तिरंगा झंडा हउवे हमरो बड़ा शान हो।
सिरवा पर बांधी चले तिरंगा भारत में।
फहरी घर घर तिरंगा भारत में।

छप्पन इंची सीना आगे टिकी केहू ना।
तिरंगा बा नगीना आइल आजादी के महीना।
लेई नाही कबो बैरी ना पंगा भारत में।
फहरी घर घर तिरंगा भारत में।

मिली जुली सब झंडा घरवा फहरावा।
महान हमरो देशवा ई दुनिया दिखावा।
फेल होई चाल बैरी ना कबों दंगा भारत में।
फहरी घर घर तिरंगा भारत में।

श्याम कुंवर भारती
बोकारो झारखंड
मोब 9955509286
***

भक्ति गीत : साथ देना हे सूर्य भगवान

“ॐ श्री सूर्य देवाय नमः”
“आप सभी मित्रों एवं साथियों तथा प्यारे बच्चों को स्वतंत्रता दिवस की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाएं एवं अशेष बधाईयां।”
देश में चल रहा, हर घर तिरंगा अभियान,
इसमें साथ देना, हे अराध्य सूर्य भगवान!
सम्मान करे राष्ट्र ध्वज का, सारा जहान,
कृपा करना भारत माता पर कृपा निधान!
इसमें साथ देना…………

आजादी का अमृत महोत्सव माना रहे हम,
अपनी ऊर्जा देना, जग को दिखाना है दम।
आजादी ये का पछत्तरवां साल है भारत में,
बना देना हमारे भारत को, सर्वशक्तिमान।
इसमें साथ देना………

हम भारतवासी हैं सत्य अहिंसा के पुजारी,
हमारा भाईचारा, कमजोरी नहीं है हमारी।
जियो और जीने दो का नारा है भारत का,
हमारे घर में आया दुश्मन भी है मेहमान।
इसमें साथ देना……….

हमारा तिरंगा प्यारा भी यही संदेश देता है,
बदले में कोई, किसी से कुछ नहीं लेता है।
किसी भी कीमत पर नहीं सह सकते हम,
अपने जान से प्यारा, तिरंगा का अपमान।
इसमें साथ देना…………

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर मधुबनी बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

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