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गुरु पूर्णिमा पर कविता गुरु महिमा सत्संग भजन Guru Mahima Satsang Bhajan

गुरु पूर्णिमा पर गुरु का सत्कार

बाल गीत

हम बच्चे अपने गुरु जनों से बहुत प्यार करते हैं,
गुरु पूर्णिमा पर गुरुओं का आदर सत्कार करते हैं।
हमारे स्कूल के शिक्षक ही, हमारे गुरु हैं साथियों,
उनके चरण स्पर्श करके, उनसे आशीर्वाद लेते हैं।
हम बच्चे अपने गुरु ...........

सभी गुरुजन हमें अपने बच्चे समान मानते हैं,
हमारे सारे दुर्गुणों को बहुत अच्छे से जानते हैं।
हमारी कमजोरियों को बड़े प्यार से दूर करते हैं,
सामान्य ज्ञान के साथ विशेष ज्ञान भी देते हैं।
हम बच्चे अपने गुरु............

गुरु पूर्णिमा पर उनको फूल भेंट करना चाहिए,
हमारे विचार से वह लाल गुलाब होना चाहिए।
उनका आशीर्वाद अनमोल है, हम सबके लिए,
नतमस्तक होकर हम उनसे आशीर्वाद लेते हैं।
हम बच्चे अपने गुरु............

हम बच्चे होते अपने गुरुजनों के आज्ञाकारी,
गुरु पूर्णिमा पर करके आए हैं अच्छी तैयारी।
कुछ हम भी बोलेंगे, और कुछ उनकी सुनेंगे,
स्कूल में हम बच्चे बड़े ही प्यार से रहते हैं।
हम बच्चे अपने गुरु.............

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।

सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)


गुरु शिष्य का पारंपरिक नाता


“आप सभी मित्रों एवं साथियों तथा प्यारे बच्चों को गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर परम ज्ञानी गीता के माध्यम से ज्ञान देने वाले भगवान श्री कृष्ण जी महाराज की असीम कृपा से हमारी ओर से ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं एवं अशेष बधाइयां।”

(कविता)


प्राचीन है गुरु शिष्य का पारंपरिक नाता,
हमारा अतीत हमको सब कुछ है बताता।
बिन गुरु ज्ञान संभव नहीं होता कहीं पर,
शिष्य ज्ञान का श्रेय गुरु को ही है जाता।
प्राचीन है गुरु शिष्य………..

गुरुकुलों की सबसे अलग रही है पहचान,
जहां पर घर से दूर शिष्य पाते थे ज्ञान।
सारे शिष्य ब्रह्मचर्य का पालन करते थे,
तब गुरु कहलाते, उनके भाग्य निर्माता।
प्राचीन है गुरु शिष्य………..

गुरुकुल लगता था एक सुंदर सा परिवार,
जहां मिलता था बच्चों को सुंदर संस्कार।
बच्चे सहर्ष, हरेक दिनचर्या पूरी करते थे,
उनकी देखभाल, किया करती गुरु माता।
प्राचीन है गुरु शिष्य………….

अब नहीं वैसा गुरुकुल दिखता कहीं पर,
वैसा संस्कार भी, नहीं मिलता कहीं पर।
बात भी शिक्षक और छात्र पर आन पड़ी,
न वैसा याचक होता और न वैसा दाता।
प्राचीन है गुरु शिष्य……….

अब पुस्तकों तक, सिमट गई है कहानी,
गुरु शिष्य की परंपरा टूट गई है पुरानी।
अब मुश्किल से तस्वीर दिखाई पड़ती है,
कुछ करते लोग और कुछ करे विधाता।
प्राचीन है गुरु शिष्य……….

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।

सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)


भक्ति गीत : गुरु पूर्णिमा पर पधारो नंदलाल


“आप सभी मित्रों एवं साथियों तथा प्यारे बच्चों को गुरु पूर्णिमा के परम पावन अवसर पर ज्ञानेश्वर भगवान योगेश्वर कृष्ण की असीम कृपा से हमारी ओर से ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं एवं अशेष बधाइयां।”

गुरु पूर्णिमा पर पधारो, तुम अवश्य पधारो नंदलाल,
अपने भक्तों को दर्शन देकर कर जान लो हालचाल।
गुरुकुल गुरु आश्रम में रहकर तुमने भी ज्ञान सीखा,
निर्धन सुदामा से मित्रता कर उसे कर दिया निहाल।
गुरु पूर्णिमा पर पधारो...........

इस कलियुग में नहीं दिखती है द्वापर युग की बात,
दुर्लभ हो गया मिलना अब वैसा गुरु शिष्य का साथ।
मगर शिष्य अपने गुरु के चरण छूकर लेते आशीर्वाद,
इस शुभ अवसर पर तुम बहुत याद आते हो गोपाल।
गुरु पूर्णिमा पर पधारो............

जब जब ज्ञान की बातें होती हैं, याद आती है गीता,
तेरी गीता ने कृष्ण कन्हैया सारे जग का मन जीता।
हे गोविंद तुम ही बतलाओ पहले किसको करें प्रणाम?
एक ओर हरि खड़े, दूसरी ओर खड़े महान गुरु कृपाल।
गुरु पूर्णिमा पर पधारो...........

गुरु के आशीर्वाद से ही जग में कोई बनता है ज्ञानी,
जो मन का सारा मैल धोए, गुरु है वो निर्मल पानी।
तेरे रामावतार में भी हुआ था कई गुरुओं से सामना,
गुरु के चरणों में होता, ज्ञान का भंडार बड़ा विशाल।
गुरु पूर्णिमा पर पधारो..............

गुरु के ज्ञान और आशीष से, व्यक्तित्व निखरता है, 
जीवन की बगिया में नया नया सुमन भी खिलता है। 
गुरु से ज्ञान की वर्षा होती रहती जबतक जीवन में,
आत्मशक्ति बढ़ती रहती है, पड़ता नहीं है अकाल।
गुरु पूर्णिमा पर पधारो............

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।

सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)


गुरु महिमा भजन लिखित में : भक्ति गीत : गुरु महिमा Guru Mahima Bhajan Lyrics

“दुनिया में, गुरु की महिमा होती अपरंपार,
गुरु आशीष के लिए नतमस्तक है संसार।"
गुरु महिमा अनमोल है जगत में,
साथियों, गुरु महिमा है अनमोल।
कोई न इसका है मोल जगत में,
साथियों, है कोई न इसका मोल।
गुरु महिमा………..
जग में गुरु का सबसे ऊंचा स्थान
साथियों, गुरु होते अमृत की खान।
सदगुरु के जो शरण में चला जाए,
दुनिया में, बदल जाते उसके बोल।
गुरु महिमा………….
दुनिया में, गुरु होते हैं ब्रह्म समान,
गुरु के आगे, सिर झुकाते भगवान।
श्रीराम और कृष्ण के भी गुरु हुए हैं,
युगों बाद भी, ज्ञान सभी अनमोल।
गुरु महिमा………….
गुरु शिष्य परंपरा का, मिसाल नहीं,
शिक्षक छात्र नाता पर, सवाल नहीं।
निस्वार्थ भाव, देखने को मिलता है,
ज्ञान है तो, देवों का मन जाए डोल।
गुरु महिमा…………..
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)


गुरु महिमा सत्संग भजन गुरु पूर्णिमा पर विशेष कविता Guru Bhakti Bhajan | Guru Purnima Bhajan

भक्ति रचना : गुरु महिमा का बखान
(गुरु पूर्णिमा पर विशेष)
गुरु महिमा से होती है भक्त की पहचान,
असंभव है करना, गुरु महीमा का बखान।
बार बार आकर संदेश दे जाता है गुरुवार,
गुरु महिमा से चलता है, यह सुंदर संसार।
गुरु महिमा मिले जिसे, सफल वही इंसान,
हर हाल में होना चाहिए, गुरु का सम्मान।
गुरु महिमा से होती है……
गुरु महिमा होती है, दुनिया में अपरंपार,
इसी के सहारे हो जाती नैया सबकी पार।
सदा खुला रहता है सच्चे गुरु का दरबार,
माथा टेकता जो, उसकी होती नहीं हार।
ईश्वर की कृपा का संभव है, करना बखान,
ईश्वर से भी ऊंचा होता है गुरु का स्थान।
गुरु महिमा से होती है……
शिष्य की हर बात पर गुरु करते विचार,
प्रकाश आ जाता है, भाग जाता अंधकार।
गुरु मुख से होती है, अमृत की बरसात,
पग पग पर मिलता, गुरु ज्ञान का साथ।
ईश्वर ने बनाया है दुनिया में ऐसा विधान,
गुरु के पास है हार समस्या का समाधान।
गुरु महिमा से होती है……
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार


गुरु महिमा में गुरु ज्ञान छुपा है, गुरु महिमा लिरिक्स गुरु भक्ति गीत

भक्ति गीत : गुरु महिमा में गुरु ज्ञान
गुरु महिमा में गुरु ज्ञान छुपा है,
हर शिष्य लगावे इस पर ध्यान।
शिष्य करता जो सम्मान गुरु का,
वही पाता गुरु ज्ञान का वरदान।
गुरु महिमा में…..
गुरु की वाणी में अमृत बसता है,
शिष्य को मिलती है नई पहचान।
शिष्य का जीवन, सफल हो जाता,
गुरु ज्ञान से सारा जग होता हैरान।
गुरु महिमा में……
गुरु के बताए मार्ग अच्छे होते हैं,
कोई भक्त, होता नहीं है परेशान।
हर कठिनाई दूर हो जाती मार्ग से,
जीवन जीना, हो जाता है आसान।
गुरु महिमा में……
इस सावन का पहला गुरुवार आया,
लेने आज, सच्चे शिष्यों का संज्ञान।
कृपा गुरु की बनी रहे हर शिष्य पर,
अपने ज्ञान से बढ़ाएं, गुरु का मान।
गुरु महिमा में……
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार


भक्ति गीत : आज गुरुवार का दिन पावन विष्णु जी का वार है, गुरु महिमा सत्संग भजन Guru Mahima Bhajan

भक्ति गीत : आज गुरुवार का दिन पावन
आज गुरुवार का दिन आया है पावन,
शिष्य मानें अपने अपने गुरु की बात।
बिन मांगे हो सकती उनके जीवन में,
सुख शांति के संग, यश की बरसात।
आज गुरुवार का……
मनुष्य मानता है जो, गुरु का कहना,
नहीं पड़ता उसको, कष्ट कोई सहना।
जीवन यात्रा में सताता नहीं है अंधेरा,
पग पग पर प्रकाश देता चलता साथ।
आज गुरुवार का ……
गुरु महिमा से, हर कष्ट टल जाता है,
असर इतना कि मौसम बदल जाता है।
गुरु की अनमोल कृपा मिल जाती तब,
जब गुरु रखते हैं शिष्य के सिर हाथ।
आज गुरुवार का……
हर गुरुवार, संदेश लेकर आता गुरु का,
सुंदर उपदेश भी देकर जाता है गुरु का।
गुरु अंतर्यामी होते हैं, जान लेते व्यथा,
गुरु हैं हमारे स्वामी, और गुरु हैं नाथ।
आज गुरुवार का……
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी)बिहार


गुरुवार भक्ति भजन, बृहस्पतिवार के भजन : मेरे गुरु मेरे भगवान

भक्ति गीत : मेरे गुरु मेरे भगवान
“मेरे पूज्य गुरुजनों, आज दिन गुरुवार है,
आपके चरणों में कोटि कोटि नमस्कार है।“
मेरे गुरु मेरे भगवान, तेरे गुरु तेरे भगवान,
मेरे गुरु तेरे भगवान, तेरे गुरु मेरे भगवान।
सबके गुरु सब पर कृपा करते इस जग में,
गुरु तो गुरु है, गुरु कृपा अनमोल वरदान।
मेरे गुरु मेरे भगवान……….
सबसे पावन होता है, गुरु शिष्य का नाता,
बहुत सोच समझकर गुरु देता है विधाता।
तप और त्याग के बाद, गुरु प्रसाद मिलता, 
पालनहार से भी ऊपर है, गुरु का स्थान।
मेरे गुरु मेरे भगवान………..

गुरु वाणी अमृत कलश के समान होती है,
गुरु संस्कार से शिष्य की पहचान होती है।
सारी दुनिया भटक सकती अपने रास्ते से,
कभी नहीं भटकता है, सद्गुरु का ध्यान।
मेरे गुरु मेरे भगवान……

गुरु पूर्णिमा भी एक महोत्सव के समान है,
हर सच्चे शिष्य को, गुरु पर अभिमान है।
गुरु का ज्ञान हर धन से बढ़कर है जग में,
ध्यान रखे लोग, हो सदा गुरु का सम्मान।
मेरे गुरु मेरे भगवान……
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार


गुरु महिमा का बखान भजन | गुरु भजन हिंदी Guru ke Bhajan

गुरु महिमा सत्संग भजन गुरु पूर्णिमा पर विशेष Guru Mahima Satsang Bhajan Lyrics


हे गुरुवर नित्य प्रातः प्रणाम! गुरु भजन लिरिक्स इन हिंदी | सतगुरु भजन लिरिक्स इन हिंदी

गुरु वंदन
गुरु अभिनंदन गुरु पद वंदन,
गुरु उर सुवासित आठों याम।
सच्चे मार्गदर्शक पथ प्रदर्शक,
हे गुरुवर नित्य प्रातः प्रणाम।।
गुरु कृपा से ज्ञान बढ़ता है,
भगवत कृपा से महान बनता है।
कर्मवान इन्सान बनता है,
गुरु ज्ञान बिन हैवान बनता है।।
गु से गुणात्मक रु से रुख,
गुणात्मक दिशाओं में मोड़े मुख।
गुरु कृपा से भगवान मिलते हैं,
जीवन को मिलता है सच्चा सुख।।
गूढ ज्ञानों के जो दीक्षा देते
शिष्यत्व दे पहुँचाते आसमान हैं।
परम सौभाग्य है आज हमारा,
हे गुरुवर चरण स्पर्श प्रणाम है।।
अरुण कुमार सिंह
9504503560


गुरु दिवस पर कविता | गुरु महिमा पर अनमोल वचन

गुरु महिमा के ग्रंथ
सीख देते अतिपावन।
गुरु सुमरौं हरवक्त
जिन्दगी अतिमनभावन।
बढ़े कदम उस धाम
जहाँ भजन भक्ति उनके।
जीवन बस संघर्ष
बोल बोले गुरु जनके।
गुरु बिन किसको मंजिल मिली
राह चलो गुरु मंत्र से।
सबकुछ है गुरु सानिध्य में
दूर रखे कटुतंत्र से।
जय गुरुदेव
प्रभाकर सिंह
नवगछिया, भागलपुर
बिहार


गुरु महिमा भजन लिरिक्स | गुरु भक्ति पर कविता

जय गुरुदेव की
गैर को अपना बनाना सीख ले।
दर्द में भी मुस्कुराना सीख ले।।
दोस्त बनकर जो तुम्हे लूटे यहां,
खुद को उनसे अब बचाना सीख ले।
हर जगह बस शोर ही अब शोर है,
मौन रहकर गुनगुनाना सीख ले।
जिन्दगी में है बहुत कठिनाइयां,
जीत कर इसको हराना सीख ले।
नफरतों से कब किसी को क्या मिला,
प्यार "सिद्धि" जग पर लुटाना सीख ले।।
अनीता सिद्धि।
हजारीबाग


सभी गुरुजनों को सदर नमन | गुरु के सम्मान में कविता

ज्ञान का प्रकाश देकर, अज्ञानता को दूर करतें हैं।
पथ के काटों को हटाकर फूल ही फूल भरते हैं।
इस जीवन में जो मिला,गुरुवर बड़ा उपकार है।
मानव के रूप में गुरु,ईश्वर का कोई अवतार हैं।
भीड़ भरी दुनियाँ में हम कब के खो ही जाते,
गुरुवर आप नहीं मिलते हम पशु कहलाते।।
इस लेखनी ने से क्या लिखे,हम तेरा गुणगान।
हर पल कृपा -दृष्टि मिले, माँगूँ यही वरदान।।
अनीता सिद्धि पटना


महिमा गुरु की बरनी न मैं पाऊं गीत - गुरु चरण वंदन गुरु महिमा लिरिक्स

गीत - गुरु चरण वंदन
गुरु गुण गाऊं सिर चरन नवाऊं।
महिमा गुरु की बरनी न मैं पाऊं।
गुरु बिन ज्ञान न अज्ञान मिटे ।
भव बन्धन न प्रारब्ध कुछ कटे।
जग में किसकी शरन मैं जाऊं।
कहते मात पिता सब देव तुम्ही।
नेत्र कर्ण कर्म व सब धर्म तुम्ही।
किस विधि गुरु तेरी चरन मैं पाऊं।
मै मूर्ख अज्ञानी बालक हूं गुरुवर।
भटका पथिक मैं तुम छाया तरुवर।
ज्ञान की भिक्षा तेरी चरन मैं पाऊं।
गुरु गुण गाऊं सिर चरन नावाऊं।
श्याम कुंवर भारती
बोकारो झारखण्ड


मेरे जीवन की पहली गुरु, गुरु दिवस पर कविता | गुरु पूर्णिमा पर गुरु के लिए कविता

गुरु
मेरे जीवन की पहली गुरु
आप को शत-शत नमन है
बारंबार नमन है
मेरी प्यारी मां दुलारी मां,
तूने मुझ में प्यार के साथ ही
भरपूर अनुशासन और संस्कार भरे,
जिनके चलते हमारी जिंदगी आसाम बनी
बहुत पाया आपकी बदौलत,
शुक्रगुजार हूं आपसे तेरी प्रथम गुरु,
अपने दिवंगत पिता
बारंबार नमन है
शत शत बार नमन है
जिंदगी की डंडियों पर चलना सिखाया
झंझा बातों से लड़ना सिखाया
सबक बाकी है अभी
मेरे गुरु, मेरे पिता
"तुम मिलना मुझे"
भले ही सपनों, में कठिनाइयों में
मेरा हाथ पकड़ निकाल लेना मुझे
तुम फिर मिलना मुझे।
उबड़ खाबड़ रास्तों पर चलने को मेरे साथ
तुम मिलना मुझे।
मेरे गुरु जो सबक बाकी है
उसे अगले जन्म में समझाने को
तुम जरूर मिलना मुझे
धन्यवाद
अंशु तिवारी
पटना


गुरु पूर्णिमा पर कविता

जग ज्योतिर्मय हो जाता है
गुरु ज्ञान को पाने से
मन का अंधकार दूर हो जाता
गुरु को ध्यान लगाने से
छोटे को असीम स्नेह देती हूँ
जीवन में गुरु का होना
मतलब जीवन का पूर्ण होना
अज्ञानता से दूर होना
संस्कार से सम्पूर्ण होना
गुरु पूर्णिमा पर मैं आभा सिंह
अपने सभी बड़ों को चरण स्पर्श
करती हूँ।


दोहावली गुरू जी की महिमा गुरु महिमा पर दोहा

मात पिता ने दे दिया, हमको जीवन दान।
दूर गुरू जी ने किया, अंधकार अज्ञान।।

गुरु की कृपा अनन्त है, गुरु की कृपा अपार।
दर्शक तुम हो मार्ग के, जीवन के आधार।।

ज्योति जलाकर ज्ञान की, मिटा रहे अज्ञान।
लें चरणों की धूलि हम, उनको दें सम्मान।।

शिक्षक का संबल मिला, अंधकार का नाश।
हमें विलक्षण बुद्धि दी, चूम लिया आकाश।।

कोष लबालब ज्ञान के, हमें बांटते मान।
पशुवत था सत्येन्द्र जो, आज बना इंसान।।
डा.सत्येन्द्र शर्मा


गुरु से कपट न कीजिए, गुरु का क्या महत्व है, गुरु भजन

गुरु से कपट न कीजिए, नहीं भाई से घात।
ऐसे में हो जाएगी, जीवन में आघात।।
जो प्राणी गुरु से कपट, करे भाई से घात। 
उस पर निश्चित ही पड़े, सुनो समय की लात।।
उसका मन बेचैन हो, तडपत है दिन रैन।
शीश महल में भी उसे, नहीं आवत है चैन।।
जो गुरु पद वंदन करे, करे रिश्तन का मोल।
उसका जग में है नहीं, यारो कोई तोल।।
कहे बिजेन्द्र बंदन करो, गुरु चरण सिर नाय।
मानवता को तुम सदा, राखो हृदय लगाय।।
बिजेन्द्र कुमार तिवारी
बिजेन्दर बाबू

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