गुरु पूर्णिमा पर गुरु के लिए कविता | गुरु पर कविता हिंदी में
Gyan Ki Mahima Motivational Poem Kids
ज्ञान की महिमा
शिक्षक की महिमा पर कविता
कविता
यह ज्ञान की महिमा है कि आम भी बन जाता है खास,
ज्ञान ही कराता है किसी को, अच्छे बुरे का भी एहसास।
ज्ञान नहीं तो, जीवन में रोशनी नहीं होती है इंसान के,
मानव बनकर रह जाता है जीवन में, अंधेरे का एक दास।
यह ज्ञान की महिमा…
ज्ञान नहीं तो विज्ञान कहां, कहां मंगल ग्रह जाने की बात?
दूरी कम हुई है ज्ञान के कारण, लोग दूर रहकर भी पास।
ज्ञान ने ही आदम जमाने को, आधुनिक युग में बदला,
ज्ञान ने पैदा किया है, निरंतर लोगों में आत्मविश्वास।
यह ज्ञान की महिमा…
ज्ञान ढूंढकर देता है इंसान को, समस्याओं का समाधान,
दिल और दिमाग में जगाता रहता है, हर पल नई आस।
ज्ञान ऐसे नहीं मिलते हैं, ज्ञान की प्राप्ति एक तपस्या है,
जिस इंसान का जीवन ज्ञान विहीन, वह जीवन है उदास।
यह ज्ञान की महिमा…
ज्ञान सीखने की, कोई आयु निश्चित नहीं है इस दुनिया में,
हम नित नया ज्ञान सीखें, और बुझाएं इस जीवन की प्यास।
एक जन्म क्या, कई जन्मों में भी पूर्ण ज्ञान संभव नहीं,
महिमा है ज्ञान की, हम इंसान नहीं हैं अवगुणों के दास।
यह ज्ञान की महिमा…
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार
यह ज्ञान की महिमा है कि आम भी बन जाता है खास,
ज्ञान ही कराता है किसी को, अच्छे बुरे का भी एहसास।
ज्ञान नहीं तो, जीवन में रोशनी नहीं होती है इंसान के,
मानव बनकर रह जाता है जीवन में, अंधेरे का एक दास।
यह ज्ञान की महिमा…
ज्ञान नहीं तो विज्ञान कहां, कहां मंगल ग्रह जाने की बात?
दूरी कम हुई है ज्ञान के कारण, लोग दूर रहकर भी पास।
ज्ञान ने ही आदम जमाने को, आधुनिक युग में बदला,
ज्ञान ने पैदा किया है, निरंतर लोगों में आत्मविश्वास।
यह ज्ञान की महिमा…
ज्ञान ढूंढकर देता है इंसान को, समस्याओं का समाधान,
दिल और दिमाग में जगाता रहता है, हर पल नई आस।
ज्ञान ऐसे नहीं मिलते हैं, ज्ञान की प्राप्ति एक तपस्या है,
जिस इंसान का जीवन ज्ञान विहीन, वह जीवन है उदास।
यह ज्ञान की महिमा…
ज्ञान सीखने की, कोई आयु निश्चित नहीं है इस दुनिया में,
हम नित नया ज्ञान सीखें, और बुझाएं इस जीवन की प्यास।
एक जन्म क्या, कई जन्मों में भी पूर्ण ज्ञान संभव नहीं,
महिमा है ज्ञान की, हम इंसान नहीं हैं अवगुणों के दास।
यह ज्ञान की महिमा…
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार
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