Ticker

6/recent/ticker-posts

भगवान के भजन हिंदी भजन लिरिक्स Bhagwan Ke Bhajan Lyrics in Hindi

हिंदी भजन लिखे हुए हिंदी भजन लिरिक्स Bhajan Lyrics in Hindi

भजन Bhajan

भगवान तेरे घर में देर है, अंधेर नहीं है : भगवान के भजन | Bhagwan Ke Bhajan Lyrics 

भक्ति गीत : भगवान तेरे घर में
भगवान तेरे घर में देर है, अंधेर नहीं है,
कब आएगा, हमारे जीवन में उजियारा?
मूर्ख मन को मैं बारंबार, क्या समझाऊं?
यहां वहां, जहां तहां, भटक रहा बेचारा!
भगवान तेरे घर में………….
तेरी कृपा बिन, जीवन बगिया सूनी लगती,
चमका दो प्रभु, मेरे भी भाग्य का सितारा।
सेवा में कोई भूल हुई तो, क्षमा कर देना,
संभव है, सारा का सारा होगा दोष हमारा।
भगवान तेरे घर में…………..
अपने तरीके से, करते हैं हम पूजा अर्चना,
चरणों में आया हूं, दुनिया में सबसे हारा।
कर लो स्वीकार प्रभु जी, पूजा के फूल ये, 
तेरे चरणों में बहती देवा, करुणा की धारा।
भगवान तेरे घर में…………
ब्रह्मा, विष्णु, महेश कहूं या राम श्याम?
इस नासमझ को कर देना थोड़ा इशारा।
तुम एक और तुम्हारी महिमा भी एक है,
मेरी डूबती नैया लगा देना जल्द किनारा।
भगवान तेरे घर में…………
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/ नासिक (महाराष्ट्र)

भगवान के भजन लिरिक्स हिंदी में | भगवान के गाने डाउनलोड Bhagwan Ke Bhajan

भक्ति गीत : तेरे दरबार में भगवान
तेरे दरबार में भगवान, हम सर झुकाते हैं,
तेरे चरणों में बैठकर हम गुहार लगाते हैं।
तेरे बिन मेरा कोई नहीं है इस दुनिया में,
हम चुन चुनकर लाए, वो फूल चढ़ाते हैं।
तेरे दरबार में भगवान…………..
दर्शन देकर, हमारा जन्म सफल कर दो,
तेरी कृपा से, मेरी खाली झोली भर दो।
हम आभारी हैं कि, तुमने हमें बनाया है,
नित बीना दर्शन के प्रभु, लौट जाते हैं।
तेरे दरबार में भगवान…………
बड़ा अजीब लगता है दुनिया का मेला,
मायावी दुनिया में, है हर कोई अकेला।
बरसता है जब अंबर से कृपा का पानी,
हम प्यासे जीवन की, प्यास बुझाते हैं।
तेरे दरबार में भगवान……….
तेरे दरबार में आशा से, आता हर कोई,
भरी झोली लेकर, घर लौटता हर कोई।
अपने चरण शरण में थोड़ी जगह दे दो,
तेरे चरण रज से हम, तिलक लगाते हैं।
तेरे दरबार में भगवान………..
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

हम खाली हाथ लौट रहे भगवान : हिंदी भजन लिखे हुए हिंदी भजन लिरिक्स Bhajan Lyrics in Hindi

भजन : हम खाली हाथ लौट रहे भगवान
हम खाली हाथ नित लौट रहे भगवान?
कब होगा प्रभु मेरे कष्टों का समाधान?
तुम तो अंतर्यामी हो, जग के स्वामी हो,
कौन देगा हमारी पूजा पर कभी ध्यान?
हम खाली हाथ……
हमारी विनती पर प्रभुजी कुछ तो बोलो,
वरना यह जीवन फिर से, वापस ले लो।
मेरे लिए यह जीवन अभिशाप लगता है,
दुनिया क्यों कहती है जीवन को वरदान?
हम खाली हाथ………
तेरे दरबार से लोग भरकर जाते हैं झोली,
क्यों मुझसे नाराज़ हैं दीवाली और होली?
एक एक कर बिखर गए प्रभुजी सपने मेरे,
दिल में ही रह गए दिल के सारे अरमान।
हम खाली हाथ………
बड़ी विचित्र लगती देवा, तेरी यह दुनिया,
हमारे लिए इसे समझना, है नहीं आसान।
तेरी कसम, तेरे चरणों में दे दूंगा मैं जान,
क्या करूंगा लेकर में जीवन, कृपा निधान?
हम खाली हाथ………
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

भजन : कृपा करो भगवान Kripa Karo Bhagwan Bhajan Lyrics Hindi

भजन : कृपा करो भगवान
भगवान, भगवान, कृपा करो भगवान,
तू मालिक है, तू ही दाता, हम इंसान।
भगवान……
हम सब मानव तो हैं, भक्त सेवक तेरे,
क्षमा करना गलती सारी, कृपा निधान।
भगवान……
तेरी दुनिया, तेरी नगरी, सब कुछ तेरा,
तुमने दिया है हमें, जीवन यह वरदान।
भगवान……
तेरी भक्ति से हमको, मिलती है शक्ति,
होती है हमको, अच्छे बुरे की पहचान।
भगवान……
साकार कर दो प्रभु, हमारे सपने सारे,
कर दो पूरे, इस जीवन के अरमान।
भगवान……
कई रूप में तुम अपने, दर्शन देते हो,
प्रभु तुम, कण कण में हो विराजमान।
भगवान……
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

भगवान के भजन भक्ति गीत : कृपा करो भगवान Bhagwan Ke Bhajan Kripa Kro Bhagwan

कृपा करो, कृपा करो भगवान,
कहां हो, कहां हो कृपा निधान!
तुम करुणा के सागर प्रभु जी,
हम प्यासे एक मामूली इंसान।
कृपा करो…………
तेरी कृपा से यह जग चलता है,
चांद निकलता, सूरज ढलता है।
दुनिया में हर प्राणी पलता है,
देना, हमारी विनती पर ध्यान!
कृपा करो………
हर जगह है प्रभु जी तेरी माया,
कहीं धूप है, तो कहीं पर छाया।
कहीं बह रही है आंसू की गंगा,
कहीं मुखड़े पर नाचती मुस्कान।
कृपा करो…………….
बड़ा विचित्र है दुनिया का मेला,
कोई साथ है, तो कोई है अकेला।
यह सब है प्रभु जी, तेरी लीला,
हर संकट से तुम बचाते जान।
कृपा करो…………
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

भक्ति गीत : तू जिसका भगवान है, हिंदी भजन लिखे हुए हिंदी भजन लिरिक्स Bhajan Lyrics in Hindi

भक्ति गीत : तू जिसका भगवान है
वो तेरा सेवक, तू जिसका भगवान है,
तू जिसका दाता है, वो तेरी संतान है।
तू उसका स्वामी है, तू उसका नाथ है,
पालनहार रूप में, तेरी बड़ी पहचान है।
वो तेरा सेवक है………
नित दिन सिर झुकाता है, तेरे दरबार में,
थोड़ी खुशी दे दो, उसके रूठे संसार में।
इसका मन, बड़ा ही मूरख लगता है प्रभु,
वह इस दुनिया में, खुद से ही अंजान है।
वो तेरा सेवक है………
तेरे चरणों में बैठकर, जोड़ता वह हाथ,
संकट की इस घड़ी में, दो उसका साथ।
क्षमा कर दो उसकी अंजानी गलती को,
तू परमात्मा, वह एक मामूली इंसान है।
वो तेरा सेवक है………
कोरोना से त्रस्त लगता, सारा ही संसार,
तेरे सिवा कौन सुनेगा, जग की पुकार?
पूजा अर्चना वह करता, बड़े आदर साथ,
जीवन में उदासी है, कहां तेरा वरदान है?
वो तेरा सेवक को………
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

परम पिता परमेश्वर की प्रार्थना | परम पिता परमेश्वर का भजन

भक्ति गीत : परम पिता परमेश्वर
सुनो हे दुनिया के, परम पिता परमेश्वर,
हम तुमको अपना, दुखड़ा सुनाने आए हैं।
कोई नहीं कहीं, समझ रहा है दर्द हमारा,
हम अपनी बात, तुमको बताने आए हैं।
सुनो दुनिया के……
परमेश्वर तेरे घर देर, पर अंधेर नहीं है,
सारे एक समान, और कोई फेर नहीं है।
इसी विश्वास के साथ हम यहां पहुंचे हैं,
मन में चोट लगी, वही दिखाने आए हैं।
सुनो दुनिया के……
पहले जानते तुम, सबके अंदर की बात,
फिर करते हो, अपनी कृपा की बरसात।
बेदर्द जमाना ने हमको, बहुत सताया है,
आत्मा की रपट तुमको लिखाने आए हैं।
सुनो दुनिया के……
न्याय और अन्याय के बड़े ज्ञाता हो तुम,
इसलिए सारी दुनिया के विधाता हो तुम।
अब रह गया है सिर्फ तुम पर ही भरोसा,
हे नारायण, अपनी व्यथा सुनने आए हैं।
सुनो दुनिया के……
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

भक्ति गीत : हे जग के पालनहार प्रभु! प्रभु भजन आरती इश्वर भक्ति

भक्ति गीत : हे जग के पालनहार
हे जग के पालनहार, दर्शन दे दो एकबार,
तेरे चरणों में हम, अपना सर झुकाते हैं।
एक विनती है बारंबार, सुनो पुकार हमारी,
तेरे चरण रज से हम, जीवन सजाते हैं।
हे जग के पालनहार……

तुम सर्वव्यापी हो देवश्री और अंतर्यामी,
इस लोक से उस लोक, सबके स्वामी।
तेरी महिमा के निर्मल नीर से मालिक,
अपनी आत्मा की, हम प्यास बुझाते हैं।
हे जग के पालनहार……

तुम समझते हो, व्यथित मन की भाषा,
जग में रहती सबको, एक तुमसे आशा।
स्वीकार कर लो देवा, पूजा पुष्प हमारे,
सुबह शाम तेरी भक्ति के गीत गाते हैं।
हे जग के पालनहार……

दिला दो भक्तों को मुसीबतों से छुटकारा,
बेसहारों का जग तुम, तुम हो एक सहारा।
बड़ी आशा लेकर हम भक्त दर पे आते हैं,
मन हल्का होता, जब दर्द तुम्हें सुनाते हैं।
हे जग के पालनहार……

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी)बिहार


भगवान के भजन भक्ति गीत : हे प्रभु एक विनती तुमसे

हे प्रभु एक विनती करूं तुमसे,
सदा सुखी रहे परिवार हमारा।
सारा संसार हमारा परिवार है,
वसुधैव कुटुंबकम् का है नारा।
हे प्रभु एक……….
अपनी सेवा में लगा लो दाता,
बचा हुआ है जो जीवन सारा।
तुम इस जग के सर्वेसर्वा हो,
चमका दो देवा डूबा सितारा।
हे प्रभु एक…………..
डर के साए में जी रही है दुनिया,
अब है भगवान एक तेरा सहारा।
सता रही सबको अपनों की चिंता,
हर भक्त फिर रहा है मारा मारा?
हे प्रभु एक………..
कोरोना संकट ने बहुत सताया है,
फिर न कोरोना आने पावे दोबारा।
काम गया, नाम गया, दाम गया,
हर कोई आज, हो गया है बेचारा।
हे प्रभु एक………..
कितनी कठिन परीक्षा ले रहे देवा,
कब आशीष हमें मिलेगा तुम्हारा?
नरक जैसा हुआ हाल परिवार का,
घर लगने लगा है, कंस का कारा।
हे प्रभु एक………….
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

भगवान जी के भजन भक्ति गीत : बड़ी आशा लेकर आया हूँ दरबार में भगवान

भक्ति गीत : दरबार में भगवान
बड़ी आशा लेकर आया हूँ,
मैं तेरे दरबार में भगवान।
मेरी विनती पर जगदीश्वर,
देना, थोड़ा सा तुम ध्यान!
बड़ी आशा……
जीने नहीं दे रहा है अंधेरा,
कहीं नहीं दिख रहा सबेरा।
कोई तो राह दिखा दो तुम,
मैं बहुत ज्यादा हूँ परेशान।
बड़ी आशा…….
दिन में मुझे लोग भगाते हैं,
रातों में मुझे सपने डराते हैं।
जान पर मेरी आफत आई है,
कभी तेरा भूलूंगा न एहसान।
बड़ी आशा……..
चरणों में तेरे सर झुकाता हूँ,
और अपना दुखड़ा सुनता हूँ।
मेरे लिए मुश्किल की घड़ी है,
मेरी अब शायद बचेगी जान।
बड़ी आशा……
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,

श्रीराम श्रीकृष्ण वंदन Shri Ram Shri Krishna Bhajan

श्रीराम श्रीकृष्ण वंदन
जप ले मन श्रीकृष्ण राधा,
टल जाय जीवन का बाधा।
अपना ले जीवन का मूलमंत्र,
जीवन का यह सूत्र है साधा।।
श्रीराम सिखाते आदर्श बनना,
श्रीकृष्ण सिखाते करना प्यार।
मानव हो मानवता ही सीखो,
नहीं फँसोगे कभी मजधार।।
सीता कहे संकट से न घबड़ाना,
चाहे विपत्ति घोर हो अपार।
राधा कहे मानव को पहचानो,
नारी को जो करता लाचार।।
हाड मांस के बने जीव सारे,
जिससे करते कलियुगी प्यार।
प्यार के महत्व को समझ लो,
प्यार ही है जीवन का आधार।।
जीवन सफल हो जाएगा तेरा,
प्रभु दरबार में ठौर तू पाएगा।
छोड़ दे तू तेरा मेरा का सपना,
तेरे तन को छोड़ प्राण जाएगा।।
न तन तेरा न प्राण ही है तेरा,
मायाजाल का चहुँ ओर है घेरा।
छोड़ दे तू माया का यह फेरा,
यह दुनिया चार दिनों के डेरा।।
नहीं प्राणी तू अजर अमर है,
नहीं धरती का स्थायी ही बसेरा।
कर्ममार्ग से जो डिगे कभी तुम,
नाग से डँसवाएगा वही सँपेरा।।
राधेकृष्ण को आधार बना ले,
फिर अगला करे कोई भी काम।
ईश्वर के नाम शुरू हो दिनचर्या,
नित्य सुबह राधेकृष्ण को प्रणाम।।
अरुण दिव्यांश
9504503560
मौलिक एवं अप्रकाशित

यही प्रार्थना है प्रभो! प्रभु भजन Bhajan Lyrics Hindi

अतुकान्त रचना
यही प्रार्थना है
प्रभो!
डालो निज कृपा दृष्टि
सम्पूर्ण प्राणि समाज पर
करो करुणा की सुधा वृष्टि
जन गण मन पर
रचो नवीन सृष्टि
जिसमें
नही हो, ईर्ष्या, डाह
टीस वेदना और कराह की, विसंगति।
कर दो कण कण को
अपने तेज की
शुभ्र धवलिमा से पूर्ण
जिससे
चहक उठे
लहकउठे
महक उठे
धरित्री का आँगन सम्पूर्ण
विखरा दो
अपनी ज्योति की
किरणें
चतुर्दिक, सब ओर
जिससे रंग जायें
भोर, संध्याएं और निशाएं
सब हों
स्वस्थ, सुखी, निरोगी
सभी देखें
कल्याणों को
निर्माणों और उत्थानों को
दूर कर दो I हे प्रभु !
हर किसी के मार्ग के
व्यवधानों को।
ऊँचे और ऊँचे करो
प्रगतिके सोपानों को
नैतिक प्रतिमानों को
यही कामना है
यही अभ्यर्थना है
यही प्रार्थना है।
डॉ• विमलेश अवस्थी

प्रभु जी के भजन हिंदी लिरिक्स— प्रभु जी माफी देदो न Prabhu Bhajan Lyrics

एक भजन
एक हो गई मुझसे भूल,
प्रभु जी माफी देदो न।
मैं तो करता हूँ भूल कूबूल,
प्रभु जी माफी देदो न।

बनना चाहा वैसा हमने,
जैसा न था पहले।
गलत राह चलने से पहले,
तेरी कृपा से बदले।
मैंने छोड़ दिया था वसूल,
प्रभु जी माफी देदो।

आत्मग्लानि में ग़लता हूँ,
कोई राह दिखा दो।
प्रकृति के न्याय से डरता हूँ,
आकर आज बचाओ।
कर परिस्थिति अनुकूल,
प्रभु जी माफी देदो न।

अब से भूल नही होगी ये,
मन से प्रण मैं करता हूँ।
है त्राता है जीवन दाता,
स्थिर मन करता हूँ।
अब मत दे इसको तूल,
प्रभु जी माफी देदो न।

ऐसे में गर तुम माने क्या,
करूँ मैं क्या बतलाओ।
“शबनम" से तुम दूर नही हो,
आके ज़रा समझाओ।
मौन होने लगी व्याथा,
प्रभु जी माफी दे दो न।
मैं करता हूँ भूल कुबूल,
मुझे माफी देदो न।
शबनम मेहरोत्रा

भगवान के भजन | Bhagwan Ke Bhajan

भजन
ठीक से जी लूँ मैं यह जीवन ऐसा पथ प्रदर्शन दो, 
देख सकूँ मैं भूल स्वयं से हे प्रभु ऐसा दर्पण दो। 

सत कर्मों के बदले प्रभुवर किये बहुत ही कर्म बुरे,
सामने तेरे लाज है लगती कैसे कहूँ मुझे दर्शन दो। 

कहते है कि तानसेन निज गायन से जल बरसता था,
पूरा नही बस स्वर में मेरे उनसा ही आकर्षण दो। 

शबरी के जिस आंगन बैठ तूने खाये जूठे बेर,
एक बार बस प्रभु मुझे तुम शबरी का वो आंगन दो। 

बहुत लिखे तुम गीत ग़ज़ल पर आज मैं तुमसे कहती हूँ,
"शबनम"आज से गीत में अपने केवल हरि का वर्णन दो।
शबनम मेहरोत्रा

जै श्री हरि भजन आरती हिंदी में लिखी हुई

प्रिय भोजन सब देव के, अलग अलग हैं जान।
भाव भोग सबसे बड़ा, इसको तू पहचान।।

श्री गणेश को मोदक भावे। भोले भाँग पाई सुख पावे।।
रक्त पुष्प से माँ खुश होती। सदा बढ़ावै जीवन ज्योति।।
श्री राम को खीर चढ़ाओ। कुल परिवार सहित सुख पाओ।।
माधव मिसरि-माखन भावे। प्रेम भक्ति से भोग लगावे।।
हनुमान का ध्वज फहराओ। लड्डू रोट चढ़ाय सुख पाओ।।
पीला भोजन लक्ष्मी भाव। रंग सफेद देख सुख पावे।।
हलवा माँ दुर्गा को भावै। नारियल और मिष्ठान लुभावे।।
सब देवों का भोग अलग। ध्यान भक्ति का योग अलग है।।
लेकिन सब हैं भाव के भूखे। प्रेम भक्ति बिन रूखे-रूखे।।
अपने उर में प्रेम जगाओ। सच्चे साफ हृदय मति पाओ।।
माँ का रूप देवी सम भाई। इन्हें भुलाकर नहीं भलाई।।
पिता देव सम इनको जानो। पहले इनको तू पहचानो।।
इस सृष्टि का सार प्रेम है। सेवा का संसार प्रेम है।।
जो भी प्राणी प्रेम बढ़ावे। इस जीवन में अति सुख पावे।।
भाव प्रेम है जो प्रेम है। भवसागर का नाव प्रेम है।।
सबसे अच्छा नाम प्रेम है। जीवन का विश्राम प्रेम है।।

कहे बिजेन्द्र प्रेम ईश्वर का, दिया हुआ वरदान है।
उनके चरणों में कर अर्पण, ये हीं भोग महान है।।
बिजेन्द्र कुमार तिवारी
बिजेन्दर बाबू

निर्गुण भजन | निर्गुणी भजन लिरिक्स इन हिंदी निर्गुणी भजन हिंदी में

दुख से मत घबरा रे मनवा सुख दुख की परछाई,
रे मनवा सुख दुख की परछाई ।
सुख तो है क्षणभंगुर पगले,
दुख तो है स्थाई,
रे मनवा दुख तो है स्थाई ।
सुख उपजाए काम, क्रोध
और उपजाए प्रमाद,
लेकिन जब दुख आये
तब ही हरि की आये याद
सुख का कारना पड़ता है रे
फिर दुख से भरपाई,,,
रे मनवा सुख दुख की परछाई
चंचल मन तो सुख को
खोजे सुख खोजे नए
नए व्यसन।

दुख से मत घबरा रे मनवा सुख दुख की परछाई

दुख से कष्ट बहुत है लेकिन
देता है हरि का दर्शन
गुणी जन केवल जान सके है
सुख दुख की गहराई,,रे मनवा
सुख दुख की परछाई।
शबरी, तुलसी में"शबनम"
न थी कोई पहचान।
लेकिन दोनों जब भी
बुलाती आते थे भगवान।
साफ जरा तुम करके रखो तुम
मनवा की अंगनाई,,,रे मनवा
सुख दुख की परछाई।
शबनम मरहोत्रा

हिंदी भजन लिखे हुए हिंदी भजन लिरिक्स Bhajan Lyrics in Hindi

हिंदी भजन लिखे हुए हिंदी भजन लिरिक्स Bhajan Lyrics in Hindi

भगवान के संसार में आनंद ही आनंद है सत्संग भजन Anand Hi Anand in Hindi

आनन्द
भगवान के संसार में,
आनंद ही आनंद है।
किसी को ज्यादा सोने में,
मेहनत के बीज बोने में,
किसी को रोने धोने में,
आनंद ही आनंद है।

किसी को विदेश जाने में,
किसी को गाने -बजाने में,
किसी को मंदिर जाने में,
किसी को ठेके -ठाणे में,
आनंद ही आनंद है।

किसी को फूल बहार में,
किसी को बैठ बाजार में,
किसी को मोह -पाश में,
किसी को जुआ -ताश में,
आनंद ही आनंद है।

किसी को चोरी- चपारी में,
किसी को चुगली- खोरी में,
किसी को दया- धर्म में,
किसी को सीनाजोरी में
आनंद ही आनंद है।

किसी को मोटर कार में
किसी को मौज व्यापार में,
इसी को प्यार तकरार में,
किसी को घर परिवार में,
आनंद ही आनंद है।

किसी को अपनी बड़ाई में,
किसी को कसीदा- कढ़ाई में,
किसी को मीठा -खटाई में,
किसी को खूब लड़ाई में,
आनंद ही आनंद है।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश

भगवान के भजन Bhagwan Ke Bhajan : झोपड़ी में बसते भगवान

शीषर्क-झोपड़ी में बसते भगवान
झोपड़ी में बसते भगवान
कहां -कहां खोजे रे नादान
झोपड़ी में बसते भगवान
नहीं मिलेगा वह ऊँचे महल
नहीं मिलेगा वह उंचे मकान
झोपड़ी में बसते भगवान
झोपड़ी में बसते भगवान
दिल गरीब का दुखाना नहीं
स्वाभिमान को चोट पहुंचाना
नहीं जाना है तुझे उस तक
पाना है तुझे उसकी तह तक
तो कर गरीबों का सम्मान
झोपड़ी में बसते भगवान
झोपड़ी में बसते भगवान
कहां कहां खोजें रे नादान
आसान है उसको पाना
आसान है उससे निभाना
तू कर ले कुछ नेक काम
करले कुछ अहम का दान
तेरा भी बढ़ जाएगा मान
झोपड़ी में बसते भगवान
झोपड़ी मे बस्ते भगवान
राम ने बेर शबरी के खाए
कृष्ण ने खाई कर्मा की खिचड़ी
जब आंसू सुदामा के पड़े आंगन
कृष्ण नंगे पांव दौड़े
छोड़ द्वारका सिहासन
झोपड़ी में बसते भगवान
झोपड़ी में बसते भगवान
कहां कहां खोजे रे नादान
झोपड़ी में बसते भगवान
तन को सजाया सारी उमर
घर को सजाया सारी उमर
पैसे की चाहत में रिश्तो से रहा बेखबर
पैसा आया खूब आया
संग अपने अभिमान लाया
संस्कार सारे भुलाया
अब मन का मनका फेर ले
तू भीतर गोता खा
तरणी तेरी पार करेंगे वह तारणहार
झोपड़ी में बसते भगवान
झोपड़ी में बसते भगवान
कहां कहां खोजे रे नादान
झोपड़ी में बसते भगवान
समय कितना बीत गया
जीवन का घट शनै शनै रीत गया
अब देर न कर
अब देर न कर
जाग जा गरीबों से वेर ना कर
गरीबों में बसते हैं भगवान
गरीबों को मीत बना
गरीबों से प्रीत निभा
जग में कर ले अपना ऊंचा नाम
तेरे बिगड़े बन जाएगे काम
तेरे खातिर आएंगे
वह दौड़े दौड़े आएंगे
जिसको कहते हम भगवान
झोपड़ी में बसते भगवान
झोपड़ी में बसते भगवान
कहां कहां खोजे रे नादान
झोपड़ी में बरसाते भगवान
धन्यवाद
आभार
डॉ. शीतल श्रीमाली
उदयपुर राजस्थान 313 001

भगवान का भजन Bhagwan Ka Bhajan : आओ भजन गाते हैं उनके...

कविता/भजन
आओ नमन करें हम उनको
आओ नमन करें हम उनको,
रचा जिसने संसार,
पाल रहा वहीं हम सबको,
बाँट रहा जग में प्यार।
आओ नमन करें हम...।

रहने को दी धरती उसने,
जीने को आहार
जीवन में दिया हर रंग उसने,
दिया बुद्धि,विवेक,सद्विचार।
आओ नमन करें हम...।

नहीं किया भेदभाव किसी से,
नहीं किया दुर्व्यवहार,
हम सब हैं उसी की रचना,
हैं उसके परिवार।
आओ नमन करें हम...।

उसके सिवा मेरा कोई नहीं जग में,
नहीं कोई नाते, रिश्तेदार,
वही है अब सबकुछ मेरा,
बाकी सब बेकार।
आओ नमन करें हम...।
अरविन्द अकेला


भगवान जी के हिंदी भजन : प्रभु तेरे इन चरणों में
भजन
प्रभु तेरे इन चरणों में
प्रभु तेरे इन चरणों में,
मेरा जीवन बीत जायें,
उठूँ जब सुबह-सबेरे,
लब पर तेरा नाम आ जाये।
प्रभु तेरे इन चरणों में...।

प्रभु तुने जन्म दिया,
तुम्हीं मुक्ति हमें देना,
प्रभु तेरी भक्ति में,
यह जीवन पार लग जाये।
प्रभु तेरे इन चरणों में...।

प्रभु सुनो विनती मेरी,
रोग मुक्त भारत कर दो,
नहीं रहे कोई भूखा यहाँ,
हर घर में खुशी छाये।
प्रभु तेरे इन चरणों में...।

प्रभु तुमसे अरज मेरी,
दुसरा जन्म नहीं देना,
सर पर हाथ रख दो अपना,
मेरा जन्म सफल हो जाये।
प्रभु तेरे इन चरणों में...।
अरविन्द अकेला

भजन झोपड़ी में बसते भगवान भजन Bhagwan Ke Bhajan

झोपड़ी में बसते भगवान
हेय दृष्टि से कभी न देखो, रहो नहीं इससे अंजान
दीन-हीन ना समझो उनको, झोपड़ी में बसते भगवान

मेहनत की ये रोटी खाते, करते नहीं कभी अभिमान
ईश्वर को सब अर्पित करते, उसका करते हैं गुणगान

मन से आदर करते सबका, प्रेम का करते हैं पान
दया भाव में जीते सारे, जीवन ही है वेद -पुराण

ईर्ष्या द्वेष ना पाले मन में, स्वार्थ की ना यहाँ दुकान
झोपड़ी महलों से सुन्दर, स्वर्ग सा लगता मकान

संतोषी जीवन हैं इनका, श्रम से होती नहीं थकान
कितने सच्चे मन के सारे, ऊँचीं इनकी बहुत उड़ान

मीठे गीत गाते हरदम, लम्बी खींचे अपनी तान
देश प्रेम के ये पुजारी, दे देते हैं अपनी जान

कर्त्यव पर अटल खड़े हैं, लक्ष्य पर करते संधान
कर्म ज्ञान पलता यहीं पर, चेहरे पर खिले मुस्कान

त्याग देते अपना सब कुछ, मुख से करे नहीं बखान
सुख दुःख में साथी सबके, झोपड़ी में बसे भगवान
श्याम मठपाल, उदयपुर

भगवान के भजन Bhagwan Ji Ke Bhajan : भगवान तो रे पगले हर हाल में मिलेंगे

भगवान तो रे पगले हर हाल में मिलेंगे
वो कण कण में मिलेंगे वो छन छन में मिलेंगे
जिस रूप में तू चाहे उस रूप में मिलेंगे
भगवान तो रे पगले इंसान में मिलेंगे
जिस राह में तू चाहे उस राह में मिलेंगे॥
अयोध्या में वो मिलेंगे काशी में वो मिलेंगे
मथुरा वृंदावन हरिद्वार में वो मिलेंगे
वो ही तो ऋषिकेश की गंग धार मिलेंगे
जब भी जहां पुकारो हर हाल वो मिलेंगे॥
मंदिर में वो मिलेंगे मस्जिद में वो मिलेंगे
वो ही तो चर्च और गुरुद्वारे में मिलेंगे
जिस रूप में तू चाहे उस रूप में मिलेंगे
तू ढूंढ़ता कहां रे वो तुझ में ही मिलेंगे॥
बच्चों की भोली भाली मुस्कान में मिलेंगे
बुजुर्गों की थरथराती जबान में मिलेंगे
भूखे की भूख मिटाओ उन दुवाओं में मिलेंगे
गिरते कॊ तुम सम्भालो भगवान वहा मिलेंगे
भगवान तो "लक्ष्य"हर हाल में मिलेंगे
वो कण कण में मिलेंगे वो छन छन में मिलेंगे॥
स्वरचित निर्दोष लक्ष्य जैन


प्रभु भजन, भगवान के भजन : अनुरागा भक्ति श्रेष्टतम

तुम केवल मेरे हो
"अनुरागा भक्ति श्रेष्टतम"
हे प्रभु! तुम्हारे रंग में रंग कर अनुराग हुआ है।
अद्भुत आकर्षण तेरा लख तुझसे प्यार हुआ है।
''राग" शब्द की व्युत्पत्ति 'रा' व 'ग' युक्त से हुई है।
राग जागतिक वस्तु का आकर्षण, 'रंगाई' हुई है।
अनुराग में चित्त अनंतसत्ता के रंग से रंग जाता है।
गैरिक चोला व तिलक लगा नहीं कुछ वह पाता है।
अंतरतर में इश्वरीय रंग चड़ा, सच्चा सन्यास पाता है।
भक्ति के तीन प्रकार, ऋचाओं में सविस्तार वर्णित हैं।
श्रेष्टतम् अनुरागा भक्ति होती, यही वरेण्य, सुपथ है।
जब 'तुम केवल मेरे हो' का दृढ़निश्चयी भाव आता है।
ईश्वरीय समीप्य, सानिध्य व सांजुज्य पूर्णता लाता है।
दूजा कोई नहीं ऐसा चरमभाव, मध्य में कोई नहीं आ पाता है।
पूर्ण समर्पण से हीं, अनुरागा भक्तिभाव मानस पटल छाता है।
"मन न रँगैले रँगैले योगी कपारा", कहे कबीरा।
मन रंग भक्त, नहीं मिले हरि रंगे गर चे शरीरा।।
मन को उसके रंग से रंग, भक्त भगवान् पाता है।
यह रंग प्रेम या ईश्वरीय प्रेम पा भक्त तर जाता है।
साधुता या पुण्य का कोई बाहरी चिन्ह नहीं होता है।
साधुत्व सात्विक आहार-विचार-व्यवहार से आता है।
हर पल अजपाजप वह- तुम केवल मेरे हो उचरता है।
तथाकथित साधु सद्गुण का बाह्य प्रदर्शन कर पाखंडी है।
साधु शब्द की गरिमा रक्षित अनुरागा भक्ति से हीं संभव है।
अध्यात्मिकता का सुपथ हमें चला भवसागर पार कराती है।।
डॉ. कवि कुमार निर्मल
DrKavi Kumar Nirmal 
Bettiah Bihar


हे कृपा सिन्धु भगवान भजन | कैसे आएंगे भगवान भजन

जै श्री हरि
*
सकल चराचर जीव में तुम हो, तुम हो घट-घटवासी।
निराकार साकार तुम्ही हो, परमेश्वर अविनाशी।।
*
क्रिया हीन अविवेकी नर हम, तेरा ध्यान लगायें।
तेरे ही वंदन से भगवन, सकल मनोरथ पायें।। 
*
तुम्ही हो सृष्टि, तूहीं हो स्रष्टा, तेरा आदि न अन्त।
तुझ बिन जग का मोल न कोई, तेरी छवि अनन्त।।
*
निराकार है रूप तुम्हारा, मरम न जाने कोय।
सृष्टि के करतार प्रभु तुम, जो चाहे सो होय।।
*
कोई ढूँढे तिर्थाटन तो, कोई राग-विराग में।
कोई ढूँढे करम-धरम तो, कोई तप और त्याग में।।
*
दीन दुखी की सेवा में तुम, सन्तों के आशीष में।
सेवा के हर भाव में तुम हो, हो हर झुकते शीश में।।
*
कैसे पेश करूँ मैं खुद को, नहीं कोई पहचान।
मैं अधीर अविवेकी प्रभु जी, हूँ निर्बल नादान।।
*
पूजा पाठ न जानूँ नाहीं, जानूँ जप-तप ध्यान।
मेरे उर में आई बसो, हे कृपा सिन्धु भगवान।।
*
तन मन धन सब कुछ है तेरा, कुछ भी नहीं है मोर।
अब बिजेन्द्र शरणागत होके, विनय करे कर जोर।।
*
अवगुण सभी बिसार के भगवन, मुझपे कृपा बरसाओ।
क्रियाहीन मैं बिलख रहा हूँ, मुझको शरण लगाओ।।
*
बिजेन्द्र कुमार तिवारी
बिजेन्दर बाबू


समझ न आवत है मुझे, का सच है का झूठ।
मैं तो उजड़े पेड़ जस, रहता बनके ठूँठ।।
*
तोड़े मिलके हैं मुझे, सारे रिश्ते-नात।
बोलो किससे मैं कहूँ, अपने मन की बात।।
*
साथी भी नहीं साथ जिसे मैं, अपनी व्यथा सुनाऊँ।
वो कंधा भी नहीं है जिसपे, सर रखके रो पाऊँ।।
*
दुनिया की गति अति स्वारथी, कुछ भी समझ न पाऊँ।
गजब की माया जाल है जिसमें, नित फँसता हीं जाऊँ।।
*
तूहीं सम्भालो आके भगवन, हूँ निर्बल नादान।
इस दुनिया में बनी नहीं, मेरी खुद की पहचान।।
*
माया भी मिलती नहीं, नहीं मिलते हैं राम।
तड़प रहा हूँ आग में, दया करो सुखधाम।।
*
सुन बिजेन्द्र रह अधम साथ मैं खुद भी हुआ अधीर।
क्रियाहीन अब तड़प रहा हूँ, काँपत मोर शरीर।।
*
दया करो रघुनाथ साथ अब लेने को आ जाओ।
भटक रहा बहुभाँति प्रभु तुम, अब न मुझे भटकाओ।।
*
बिजेन्द्र कुमार तिवारी
बिजेन्दर बाबू
7250299200


ईश्वर भक्ति भगवान के भजन

जै श्री हरि
*
दीपक प्यारा प्रेम का, जला नेह की बाती।
श्रद्धा सुमन चढ़ाय के, ध्यान धरूँ दिन-राति।।
*
आस लगाकर आपसे, सदा नवाकर माथ।
हाथ जोड़ विनती करूँ, आओ दीनानाथ।।
*
इस माया बाजार में, सब मतलब के यार।
अपना है कोई नहीं, सब बंधन है बेकार।।
*
कहने को सब साथ हैं, कोऊ न साथी मोर।
काज सरत सरके सभी, अपनी अपनी ठौर।।
*
बेध रही है वेदना, साहस भी नहीं साथ।
मुझ अधीर अनजान का, आकर थामो हाथ।।
*
बिलख रहा बड़ी देर से, कोउ सुनता टेर।
मुझ पर भी पड़ने लगा, अब माया का फेर।।
*
लोभी कपटी लालची, मधम मति अति दीन।
मानवता सबकी मरी, हैं संस्कार से हीन।।
*
मूक बधिर अंधे यहाँ, सत् साहस है क्षीण।
तप बिन सब निस्तेज हैं, मुख भी लगे मलीन।
*
किससे कैसे मैं करूं, सत् भाषा की आस।
जब मानवता हीं मरी, हुआ विवेक का नाश।।
*
हे त्रिपुरारी आइए, होके गरूण सवार।
अब बिजेन्द्र विह्वल करे, आरत करूण पुकार।।
*
बिजेन्द्र कुमार तिवारी
बिजेन्दर बाबू
7250299200
Read More और पढ़ें:

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ