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श्री राम भगवान के भजन आरती हिंदी में Ram Bhajan Lyrics In Hindi

रघुपति राघव राजा राम भजन लिखित, रघुपति राघव राजा राम लिरिक्स

रघुपति राघव राजा राम
“महापर्व रामनवमी के परम पावन अवसर पर आप सभी मित्रों एवं साथियों तथा प्यारे बच्चों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं अशेष बधाईयां)
जय रघुपति राघव राजा राम, तुम्हें प्रणाम,
राम रस में डूबा संसार, सर्वत्र राम ही राम।
राम बचाए जीवन सबका, राम की दुनिया,
राम दे आराम, और राम ही बनाए काम।
जय रघुपति राघव राजा राम……….
रामधुन में मगन लगता है मिथिला धाम,
राम ज्योति से जगमग है अयोध्या धाम।
कैसे रामराज लौटकर आया कलियुग में?
हर कोई जप रहा, आज केवल राम नाम।
जय रघुपति राघव राजा राम……….
राजा रामचंद्र का दरबार सजा है अवध में,
दिख रहे हैं कण कण में, हमारे राजाराम।
राम नाम पर ही, टिकी हुई है यह दुनिया,
आते राम, जाते राम, अंत तक राम राम।
जय रघुपति राघव राजा राम………
सारी दुनिया आज राममय लग रही जैसे,
राम बिन नहीं चलनेवाला किसी का काम।
थल में राम, जल में राम, गगन में राम,
राम बिन उदास दिन रात और सुबह शाम।
जय रघुपति राघव राजा राम……..
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)
जयनगर (मधुबनी) बिहार

Shri Ram Bhajan श्री राम भजन : फूल बरसे अयोध्या में

फूल बरसे, हो फूल बरसे, हो हो फूल बरसे,
सिया रामजी की प्यारी नगरी अयोध्या में।
सोन बरसे, हो मोती बरसे, हो हीरा बरसे,
भगवान श्री रामजी की नगरी अयोध्या में,
फूल बरसे……………
भक्तजन जो, राम मंदिर को देखन आए,
वीर हनुमान जी उनको, हृदय से लगाए।
रंग बरसे, हो अमृत बरसे, हो करुणा बरसे,
राजा राम जी की, राजधानी अयोध्या में।
फूल बरसे…………..
भजन कीर्तन कर रही है, सरयू की धारा,
भाव विभोर हुआ लगता है, सुंदर किनारा।
आनंद बरसे, सुगंध बरसे, प्रेम धन बरसे,
हर सुनने वाले के, देखन को नयन तरसे।
फूल बरसे…………….
बड़ी विचित्र है, भगवान श्रीराम की लीला,
जिसने नहीं मांगा, उसको सब कुछ मिला।
जो भक्त सब त्यागकर, चला था घर से,
भक्ति से सराबोर, उसका यह जीवन हर्षे।
फूल बरसे…………..
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

श्री राम भगवान के भजन : दशरथ अंगनमा चार ललनमा

राजा दशरथ अंगनमा, चार ललनमा,
चम चम चमके, राजमहल भवनमा।
देखकर सारा संसार हुआ रे उजियारा,
खन खन खनके, घर घर में कंगनमा।
राजा दशरथ के…
राम, लक्ष्मण, भैया भरत और शत्रुघ्न,
दम दम दमके चारो भ्राता के बदनमा।
एक से बढ़कर एक, चार राजकुमार जी,
झूमे धरती माता, ऊपर नाचे गगनमा।
राजा दशरथ के …
मंगल में मंगल लागे, अवघा नगरिया,
दिव्य ज्योति सोहे, ललनमा नयनमा। किनारा छूकर लहराए सरयू की धारा,
पूरण भए राजा दशरथजी के सपनमा।
राजा दशरथ के…
सबसे प्रसन्न लगे हो बाल हनुमनमा,
देख जुराए रामा, दुनिया के नयनमा।
मस्ती में जैसे डूबे भैया, लोग लुगाई,
समस्त अवध गूंजे, सोहर के धुनमा।
राजा दशरथ के…
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

राम धुन गाओ, दीपावली मनाओ : दिवाली पर राम भजन Ram Bhajan On Diwali

भजन : जय श्री राम बोलो
“आप सभी मित्रों और साथियों को पावन प्रकाश पर्व दीपावली के शुभ अवसर पर ढेर सारी अग्रिम शुभकामनाएं एवं बधाईयां”
भक्तों जय श्री राम बोलो, जय श्री राम,
साथियों जय श्री राम बोलो, जय श्री राम!
राम नाम की शक्ति सारी दुनिया ने देखी,
राम नाम की महिमा सारी दुनिया ने देखी।
एक ही सच्चा नाम है, इस जग में भक्तों,
सभी हृदय पूर्वक बोलो, जय जय श्री राम।
भक्तों जय श्री राम………….
बड़ी सुंदर लगती, प्रभु श्री राम की दुनिया,
इस समय मुश्किल में है राम की दुनिया।
भक्तों राम धुन गाओ, दीपावली मनाओ,
दिए जलाओ और आनंद के गीत गाओ।
राजा रामचंद्र अवश्य लेंगे, प्रजा की सुधि,
सारे भक्तों के, बन जाएंगे बिगड़े काम।
भक्तों जय श्री राम…………….
बड़ी विचित्र है, प्रभु श्री रामजी की लीला,
कोई नहीं समझ पाया रामजी की लीला।
प्रभु श्री रामजी सुनते, भक्तों की पुकार,
मझधार से कराते हैं, नैया सबकी पार।
हारे को साहस देती है, राम की कहानी,
रामनाम बिना नहीं, मन को है आराम।
भक्तों जय श्री राम…………..
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

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भजन : रम गया जो राम नाम में— श्री राम भजन लिरिक्स हिंदी Ram Bhajan Lyrics Hindi

जीवन रम गया जो, राम नाम में,
जग में उसको भाए न कोई काम।
राम, राम, राम, श्रीराम, जय राम,
आत्मा को शांति, तन को आराम।
जीवन रम गया………
पाता पूरे जीवन में केवल उजाला।
अंधेरा से उसको श्रीराम हैं बचाते,
इसी तरह हो जाती सुबह से शाम।
जीवन रम गया…………
जपता है जो राम नाम की माला,
हनुमान जी उसका साथ हैं निभाते,
हर पल वहां पर वे आते और जाते।
धरती पर उसको स्वर्ग मिल जाता,
शेष नहीं रहता है उसका कोई काम।
जीवन रम गया………
हो जाता है सफल जग जन्म उसका,
कभी अनुमान नहीं लगाया जिसका।
सताती नहीं है किसी बात की चिंता,
कर्मों का मिल जाता यहीं परिणाम।
जीवन रम गया……
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार
जय श्री राम

जिस पर कृपा राम की: भक्ति गीत लिरिक्स | श्री राम भजन लिरिक्स हिंदी

भक्ति गीत : जिस पर कृपा राम की
हो जाती जिस पर कृपा, प्रभु श्रीराम की,
मझधार से बेड़ा उसका पार हो जाता है।
अंधेरा भाग जाता है उसके जीवन से दूर,
उज्ज्वल उसका, घर संसार हो जाता है।
हो जाती जिस पर……
राम की कृपा जिस पर, बन जाती बात,
ऊपर से मिलता, हनुमान जी का साथ।
आती नहीं है उसके रास्ते में कोई बाधा,
वह सफलता की नैया पर सवार होता है।
हो जाती जिस पर……
मन के अरमान सारे, पूरे हो जाते उसके,
और जीवन का हर सपना साकार होता है।
धरती पर ही उसको, स्वर्ग मिल जाता है,
एक बार नहीं, चमत्कार बार बार होता है।
हो जाती जिस पर……
बोलो जय श्रीराम, बोलो जय जय श्रीराम,
जग में सबसे भव्य, राम दरबार होता है।
बोलो जय श्रीराम, बोलो जय जय श्रीराम,
सबसे निराला हनुमान का प्यार होता ह।
हो जाती जिस पर……
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार


श्री राम जय राम जय जय राम भजन Shri Ram Bhajan

भक्ति गीत : मेरे राम
मेरे राम, श्रीराम, जय जय राम,
जग में सांचा तेरा नाम, हे राम!
सारे जग में छाई है तेरी महिमा,
तुमसे सुबह होती, तुमसे शाम।
मेरे राम………….. 
लज्जित है करनी पर, दशानन लंका,
तेरी शक्ति पर नहीं किसी को शंका।
याद करती है तुमको अयोध्या प्यारी,
खोज रही है ससुराल, मिथिला धाम।
मेरे राम…………..
अहिल्या के विधाता, शबरी के देवा,
तेरी की जिसने सेवा, पाया वो मेवा।
हनुमान के जीवन, तुलसी के रक्षक,
बना देते जो, भक्तों के बिगड़े काम।
मेरे राम…………
पधारो जनकपुर, सुनने मधुर गाली,
लौटने नहीं देंगे, तुमको कोई खाली।
होगी दिन में होली, रात में दिवाली,
कर लो, पलकों की छांव में आराम।
मेरे राम…………

तुम हो नारायण, तुम ही पालनकर्ता,
तुम हो सुख करता, तुम ही दुखहर्ता।
तेरे चरणों में शांति मिलती मन को,
और थके तन मन को मिले आराम।
मेरे राम……….
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार


श्री राम के भजन : राम नाम जपो मेरे भैया Shri Ram Ke Bhajan : Ram Naam Japo Mera Bhaiya

राम नाम जपो मेरे भैया, सबकी होगी नैया पार,
सबका रखवाला राम है, चलता है राम से संसार।
केवल मौज मस्ती में तू, मत बर्बाद करो जवानी,
जब बुढ़ापा आएगा तेरा, सूख जाएगा पूरा पानी।
सारे कष्टों से छुटकारा दिलाएंगे, श्रीराम प्रभु जी,
श्रीराम ही कर सकते हैं, इस जीवन का उद्धार।
राम नाम जपो मेरे……
तीनों लोक में चर्चा राम की, कण कण में राम,
राम वहीं मिल जाए उसे, कोई जहां पुकारे नाम।
तन, मन, जीवन सब है राम के, याद रखे इंसान,
जब वक्त बुरा आता, सबके राम ही आवे काम।
राम सहारे दुनिया चलती, उगते सूरज चांद भी,
राम नाम है मन का भैया, असली रूप श्रृंगार।
राम नाम जपो मेरे……
रामजी के नाम को बदनाम करना, है बुरी बात,
स्वर्थियों का कभी भैया, राम नहीं देते हैं साथ।
रामजी की कृपा से, सोना दिन है निकल पाता,
रामजी ही आते लेकर, इस दुनिया में हर रात।
हनुमान नहीं तो, भगवान श्रीराम भी हैं अधूरे,
राम बिन संभव नहीं, सपना किसी का साकार।
राम नाम जपो मेरे……
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार

Ram Bhajan राम भजन : भक्ति गीत : मिथिला में स्वागत रामजी

भक्ति गीत : मिथिला में स्वागत रामजी
“जो लेता है सुबह सुबह राम का नाम,
बन जाते दुनिया में उसके सारे काम।"
रामजी, मिथिला में है स्वागत आपका,
प्रभु, कभी तो पधारिए अपनी ससुराल!
जग कल्याण में, आप व्यस्त रहते हैं,
क्यों जनकपुर का, आता नहीं ख्याल?
प्रभु, कभी तो………….
दूजे की तरह, आप हमारे भी हैं भगवान,
हम भी हैं भक्त आपके, मामूली इंसान।
नहीं आएंगे तो, नाराज होगी सीता माता,
मिथिला वासी करेंगे, हजार लाख सवाल।
प्रभु, कभी तो…………..
हंसी मजाक से बचना, होगा नहीं आसान,
पहले आती रिश्तेदारी, फिर आप भगवान।
सबकी सुननी पड़ेगी आपको इस नगरी में,
कोई आपके कान खींचेगा, तो कोई गाल।
प्रभु, कभी तो……………..
मिथिलावासी को जाता है पहला अधिकार,
गालियों की बौछार से हो स्वागत सत्कार।
आप तो मर्यादा पुरुषोत्तम ठहरे श्रीराम जी,
चुपचाप हंसते हुए, देते हैं बातों को टाल।o
प्रभु, कभी तो…………
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)



राम भजन : राम धुन गाओ खुशी मनाओ Ram Dhun Gaon Khushi Manao Bhajan

राम धुन गाओ और खुशी मनाओ,
अपने जीवन से कष्ट मिटाओ रे!
आओ भक्तों आओ, शीश झुकाओ,
अपने मन मंदिर को, सजाओ रे!
राम धुन गाओ………..
हिम्मत न हारो किसी भी संकट में,
अपनी आत्मा को तुम समझाओ रे!
होता आत्मा में परमात्मा का बसेरा,
सेवक मिलकर, संकट को हराओ रे!
राम धुन गाओ………….
बड़ी शक्ति छुपी है राम भक्ति में,
यह बात, सारे जग को बताओ रे!
जहां राम नहीं तो, कोई काम नहीं,
जब चाहो तुम, इसे आजमाओ रे!
राम धुन गाओ…………
बड़ी विचित्र है, प्रभु राम की लीला,
जीवन से सारे भ्रम, दूर भगाओ रे!
राम नाम ही सभी के साथ जाता है,
प्रभु श्री राम का ध्वज, लहराओ रे!
राम धुन गाओ………….
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

भजन : श्रीराम हरे सीताराम हरे

श्रीराम हरे सीताराम हरे।
श्रीश्याम हरे राधेश्याम हरे।।

कौन दुःख हरे कौन सुख भरे।
कौन तन मन पावन पवित्र करे।।

श्रीराम हरे सीताराम हरे।
श्रीश्याम हरे राधेश्याम हरे।।

बहती मन में पाप की नदिया,
कौन मन को मेरे निश्छल करे।

कर्ता कोई और भर्ता है कोई,
पापी मन से जीवन है डरे।

श्रीराम हरे सीताराम हरे,
श्रीश्याम हरे राधेश्याम हरे।

हर संकट हरो हर बाधा हरो,
अंदर बाहर सब पाप भरे।

मैं दुखिया यह पापी दुनियाँ,
पापी नगरी में जीवन चरे।

श्रीराम हरे सीताराम हरे,
श्रीश्याम हरे राधेश्याम हरे।

मंदिर में घुमे मस्जिद में घुमे,
घर की बगिया में पाप भरे।

चर्च गुरुद्वारा बेकार जीवन में,
अश्रु नयन धरा मोहे ढरे।

श्रीराम हरे सीताराम हरे,
श्रीश्याम हरे राधेश्याम हरे।

भाई पत्नी कहीं कोई नहीं है,
तुम बिन जीवन व्याकुल भरे।

अरुण दिव्यांश की आत्म दुखी,
कर जोड़ नत है विनती करे।

श्रीराम हरे सीताराम हरे,
श्रीश्याम हरे राधेश्याम हरे।

पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना।
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा, सारण,
बिहार।


श्रीराम भजन

जब जागो तभी सबेरा।
जब फुर्सत लगाओ टेरा।।

साहित्यिक पटल से जुड़े समस्त देव देवी रूपी माताओं, पिताओं, बहनों एवं बंधुओं को सपरिवार सहृदय सादर नमन एवं हार्दिक बहुत बहुत शुभकामनाएं।

विषय : श्रीराम भजन
दिनांक : 2 जून, 2023
दिवा : शुक्रवार

राम श्रीराम जय राम हरे राम।
कौशल्या नन्दन सीताराम।।
जय रघुनंदन जय सियाराम।
कौशल्या नन्दन _______।।
रघुकुल वंशज मर्यादित राम।
विष्णुपुरी रूपी अयोध्या धाम।।
दशरथ नंदन तुम्हें प्रणाम।
कौशल्या नन्दन सीताराम।।
जस प्रिय माता तस प्रिय पिता।
जस प्रिय भ्राता तस प्रिय सीता।।
मर्यादा पुरुषोत्तम जय श्रीराम।
कौशल्या नन्दन सीताराम।।
जस मां कौशल्या तस कैकेई सुमित्रा।
जस सब भ्राता तस सब मित्रा।।
अनुजों के अग्रज प्यारे राम।
कौशल्या नन्दन सीताराम।।
साधु संत के तुम काज संवारे।
दुष्ट दैत्य दानव तुम मारे।।
तुम ही सुबह तुम ही शाम।
कौशल्या नन्दन सीताराम।।
विश्वामित्र संग स्वयंवर गयऊ।
शिवधनु भंज जनकपुर दिखयऊ।।
वैदेही लाज तुम राख्यो राम।
कौशल्या नन्दन सीताराम।।
धनु टंकार त्रिलोक जब सुना।
परशुराम क्रोधित भए चौगुना।।
बार बार परशु उठावे परशुराम।
कौशल्या नन्दन सीताराम।।
सीता संग राम परिणय भयऊ।
जनकपुर सुता अयोध्या गयऊ।।
धरती पुत्री जनकपुर धाम।
कौशल्या नन्दन सीताराम।।
राम श्रीराम जय राम हरे राम।
कौशल्या नन्दन सीताराम।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।

दाता एक राम : श्री राम भजन लिरिक्स हिन्दी

दाता एक राम
सबके मालिक राम हैं, दाता सबके राम।
अहम कभी ना कीजिये, बोल राम का नाम।।

घट घट में बसता वही, सुनलो मेरी बात।
राम नाम ही सत्य है, झूठी सारी जात।।

मिलता जो भी है तुझे, देते हैं श्रीराम।।
मेरा बोलो कुछ नहीं, सभी राम के काम।।

जो भी जीवन में मिला, करना ना अभिमान।
दास समझ तू राम का, रखना उनका मान।।

राज पाट जब भी मिले, देना सबको दान।
सब कुछ उसने है दिया, करो राम पहचान।।

सुख़ दुख सारे करम से, काहे कहते भाग।
राम भजन में डूब जा, छूटेंगे सब राग।।

देने वाला तू नहीं, देते हैं श्री राम।
लोभ कभी भी ना करो, सुखद मिले परिणाम।।

सोना चाँदी माँगता, काहे मूरख बोल।
राम नाम है धन बड़ा, उसको मन में घोल।।

राम नाम जपते रहो, होते दूर विकार।
सांचे पथ पर सब चलें, सबसे होता प्यार।।

रावण बाली एक से, कामुक रहे विचार।
राम नाम को भूल कर, छोड़ चले संसार।।
श्याम मठपाल, उदयपुर

राम भजन हिंदी में लिखी हुई | जय श्री राम भजन लिरिक्स | Ram Bhajan Lyrics Hindi

जब श्रीराम समाए मनमें
श्रीराम अयोध्या पधारे मंगल कलश सजाओ
सांवल रूप उजियारा, मनमे ज्योत जगाओ.!!
मुखपर सुंदर दो नयना कजरारे छैल छबीले
श्यामल तेज पुंज आभा देख देख मन डोले..!!
सूर्य चंद्र पवन भी छवि श्रीरामकी हर्ष निहारे
देख देवता स्वर्ग कें आनंदसे पुष्पवृष्टी करे.!!
प्रभावशाली मुखमंडल श्री अखंड मंडला कार
रखो शिवजी ने भी आत्मा में श्रीराममय ओंकार..!!
श्रीराम समान जग में कोई ना त्यागी पुरूष भए
एकवचनी श्री रामजी सत्यं शिवं सुंदरं बन गए.!!
अहिल्या को भी उबार दिया शबरी को सवार दिया
कणकण में समायी कहाणी जनमनको सवार दिया !!
श्रीराम को ना परखा मैने उमर बित गई सारी
अमर उनकी कहाणी बारबार मीना जाए बलिहारी!!
मीनाक्षी किलावत ‘‘अनुभूती’’

रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं संदेश फोटो Ram Navami Wishes in Hindi Images HD

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जय श्री राम   राम का नाम   राम नवमी स्टेटस इन हिंदी

राम का नाम
राम नाम है जीवन का सार
राम नाम की महिमा अपार
राम नाम जैसे वीणा के तार
राम नाम जैसे बासंती बयार
राम नाम है शिव का अवतार
राम नाम है साँसों का संसार
राम नाम करे सबका उद्धार
राम नाम में निहित संस्कार
राम नाम तो है स्वर्ग का द्वार
राम नाम है शबरी का प्यार
राम नाम करता वैतरणी पार
राम नाम के हैं अर्थ हजार
राम नाम से बहे भक्तिकी धार
राम नाम से हैं मिटते विकार
राम नाम जैसे माँ का दुलार
राम नाम ही सच्चा पालनहार
राम नाम से बुराई का सँहार
राम नाम जैसे एक त्यौहार
राम नाम जीवन का श्रृंगार
राम नाम जपते रहो बारम्बार
बस यही लगाएगा नैय्या पार
डॉ अनिल कुमार बाजपेयी
जबलपुर

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 जय श्री राम भजन – कब आओगे राम 

रावण को मार मानव बचाया माता सीता छुड़ाया।
उठाओ धनुष बान फिर श्रीराम छाया कोरोना साया।
भक्त तुम्हारे तुमको पुकारे तुम कब आओगो राम।
त्राहि त्राहि मची है धरत्ती पर कब तुम बचाओगे राम।
आओ अवतार लेकर नया हे राम दिखाओ तुम माया।
ताडुका को मारा अहिल्या को तारा सेवरी उबारा।
बद्ध बाली किया भक्त केवट भव सागर उतारा।
अपने भक्तो को उबारो कोरोना ने है बहुत सताया।
अग्नी बान छोड़ो दैत्य तुम हरगिज न छोड़ो।
महाबली हनुमान की गदा का मूह तुम मोड़ो।
लखन लाल ललकारो करो कोरोना का सफाया।
तेरी जनम भूमि अयोध्या तेरा दरबार निराला है।
बधाई हो जन्म तेरा बाजे गाजा बाजा रूप छ्बिला है।
होता जय-जयकार नारा श्रीराम हर नगर है गुंजाया।
विष्णु रूप धारो संकट चक्र सुदर्शन से नाथ टारो
संकट की घडी है गरुड नाग बज्र अब सब धारो।
भकतों की खातिर विराट रूप हर युग तुमने दिखाया।
उठाओ धनुष बान फिर श्रीराम छाया कोरोना साया।
श्याम कुवंर भारती (राजभर)
कवि /लेखक / गीतकार /समाजसेवी
बोकारो झारखंड
ॐ सीतारामाभ्यं नमः किष्किंधा प्रसंग
‘‘कह सुग्रीव सुनहु रघुबीरा। तजहु सोच मन आनहु धीरा ।।
सब प्रकार करिहउँ सेवकाई। जेहि बिधि मिलिहि जानकी आई।।"
सुग्रीवजी कहते हैं, हे रघुवीर! अब आप सोच सर्वथा छोड़िए और मन में धैर्य धारण कीजिए । मैं सब प्रकार से आपकी सेवा करुँगा और जानकी जी जिस उपाए से मिलेंगी, वह सब करुँगा।
‘‘अकल अनीह बिरज श्री राम।
अमल कमलदल लोचन राम।।’’
आप सभी आत्मन् को सादर, सस्नेह सुबह का राम राम जी!
विनयावनत
उदय नारायण सिंह
मुजफ्फरपुर, बिहार

आप सभी को भगवान श्री राम जी के जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ

तुम राम हो तुम राम हो
तुम ही तो करना निधान हो
कौशल्या के प्रिय पुत्र तुम
दशरथ जी के तुम प्राण हो

भगवान श्री राम भजन संध्या श्लोक

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे। सहस्त्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने।
श्रीरामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
नमस्कार रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं


दिनांक 9 अप्रैल 2022 Sunday, 10 April Rama Navami

हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे भजन

हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे।
दशरथ नंदन राम चंद्र प्रभु जानकी जीवन जय जय राम।
रघुकुल भूषण दीन जनावना
पतित पावन सीताराम।
रघुपति राघव राजा राम।
पतित पावन सीताराम
दशरथ नंदन राम चंद्र प्रभु जानकी जीवन जय जय राम
जय राम जय जय राम।
करुणा समुद्र श्री रामा
कौशल्या तन्हैया श्री रामा ।शरणागत प्रिय साईं रामा शरणम
शरणम श्री रामा। शरणम शरणम श्री रामा करुणा समुद्र श्री रामा कौशल्य तनया श्री रामा
धन्यवाद नमस्कार
वी अरुणा कोलकाता

रामनवमी और कोरोना वायरस

राम सत्य राम नाम सुमिरन
प्रभु जगत अभी आओ।
देख यहाँ कोरोना पगली
इसको तुम्ही भगाओ।
राम सत्य राम नाम....
मासूम बुढ़े बच्चे सबको
पगली बहुत सताती।
मास्क डिस्टेन्स हम सब करते
अगली लहर बताती।
राम सत्य राम नाम सुमिरन
प्रभु जगत अभी आओ।
देख यहाँ कोरोना पगली
इसको तुम्ही भगाओ।
सनटाइजर चोट भी फीका
रावण नाम बतावे।
कुम्भकर्णी नींद वह लेके
तन-मन बैठ सतावे।
राम सत्य राम नाम सुमिरन
प्रभु जगत अभी आओ।
देख यहाँ कोरोना पगली
इसको तुम्ही भगाओ।
जनमानस जन-जन सुधि लेके
हाँ प्रभु तुझे बुलावे।
रावण वध फिर करना होगा
तेरे तीर बुलावे।
राम सत्य राम नाम सुमिरन
प्रभु जगत अभी बुलावे।
देख यहाँ कोरोना पगली
इसको तुम्ही भगावे।
जय श्रीराम।
प्रभाकर सिंह
नवगछिया, भागलपुर
बिहार।

नमन

पावन पर्व राम नवमी और नौ रात्रि बहुत बहुत बधाई तथा शुभकामनाएं

मात- पिता को नमन कर,
करो राम का जाप।
यश जगत में पाएगा,
नहीं रहेगा ताप।।
राम- राम के नाम से,
मिट जाते हैं ताप।
जीवन के संकट हरे,
राम- राम का जाप।।
राम राज की कल्पना,
करना मिल साकार।
माणिक सत्य बनाइए,
जीवन का आधार।।
कुंज गलिन में डोलते,
बंशीधर घनश्याम।
मर्यादा पालक बने,
पुरुषोत्तम श्री राम।।
भास्कर सिंह माणिक कोंच

श्री राम जी की कथा | भगवान राम की कथा हिंदी में

आज राम की कथा सुनाऊं
जन जन मे मैं राम धून गाऊं।।
दशरथ नंदन रामलला थे
सच्चे मन संग इंसा वो भला थे।।
पिता की आज्ञा के प्रति निभाऐ वफा थे।।
कैकेई को जो न प्यारे, वो रामलला थे।।
कहा दशरथ से तुम्हें जो भाए वो बस रामलला थे
बाकी औलाद से बैर तुम्हें तुम कैसै पिता थे।।
दशरथ बोले न व्देष मन मे कैकई लाओं
मन मे क्या है तुम वो खुल के हमें बताओ
कैकेई बोली सुनो तुम दशरथ राजा
मेरे बेटे का ही तिलक हो,,उसे बनाना राजा
रामलला को चौदह बरस का वनवास बताजा।।
दशरथ भरी सभा मे ये आदेश सुनाए
राम जी मुस्कुरा आज्ञा अपनाए।।
संग सीता और लक्ष्मण भी चले आऐ
ऐसे मेरे श्री राम आज्ञाकारी कहलाऐ।।
चौदह बरस बाद जब अयोध्या आऐ
लोगों ने अयोध्या के व्दार सजाऐ
हर घर को रौशन कर दीप जगमगाऐ।।
ऐसे दीपावली त्यौहार हम सब थे मनाऐ।।
सुकून ना अभी भी मेरे भगवध श्रीराम थे पाऐ
जिंदगी की प्रिय सीता पे कुछ उंगलियां उठाए।।
लोग सीता मां को ही अपवित्र बतलाए
सीतामां धरती मे समा पवित्रता झलकाऐ।।
ये है रामायण महान जिसे हम लघु रूप
मे ही सुना आनंदित हो श्री राम की
आशिष अपनी कलम मे थे पाऐ।।2।।
वीना आडवानी, महाराष्ट्र


रामनवमी पर दोहे

जो सुने रोज सवेरे, रामायण का पाठ
राम खूब प्रसन्न हो,देते हर सुख ठाठ।।
हनुमंत को भाता है,श्री राम का नाम
जय जय बोलो रामजी,सफल होत सब काम।।
वीना आडवानी"तन्वी
नागपुर, महाराष्ट्र

राम भजन Ram Bhajan : मिले चरण रज राम की, मुझको दें आशीष

दोहा छंद जय श्री राम
मिले चरण रज राम की, मुझको दें आशीष।
कृपा सिंधु की अति कृपा, झुका रहे यह शीश।।
भक्तों के तुम कल्पतरु, तुमसे ही संसार।
पार करो बेडा़ प्रभो, तुम ही खेवनहार।।
है असीम तेरी कृपा, अगणित तेरे रूप।
हम सब भिक्षा मांगते, आप जगत के भूप।।
बड़ी महत्ता नाम की,श्रद्धा का है काम।
इसके वश ही भज रहे, हम सब जय श्री राम।।
अत्याचारी थी प्रकृति, डूब गया व्यापार।
नज़र आपसे जब मिली, हुए शुद्ध आचार।।
नयनों के रक्षक पलक, मणि के रक्षक नाग।
मेरे रक्षक राम हैं, जाग गये हैं भाग।।
अति अद्भुत अति भव्य है, सजा राम दरबार।
बसें हृदय मेरे सदा, कर दें भव से पार।।
डा.सत्येन्द्र शर्मा,
पालमपुर, हिमाचल

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चैत्र नवरात्र और रानवमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं आपको

आया रामनवमी का त्योहार श्रीराम सुखी करे घर परिवार।
दुख दुर्भिक्ष दुर करे माता मंगल ही मंगल हो जीवन अपरम्पार ।
श्याम कुंवर भारती

राम का क्रोध, प्रभु श्रीराम भगवान के भजन

हुआ अभिमान सागर को विनय मेरा नहीं माना।
लखनं लाओ धनुष मेरी पड़ेगा आज समझाना।।

भला भय हो नहीं मन में बताओ प्रीत हीं क्या है।
बतादूं आज सागर को प्रणय का मर्म न जाना।।

दिशाएं सन्न थी थर थर लगी तब कांपने भूतल।
कृपा थी राम की जग में पड़ा है कोप दिखलाना।।

दिए जो दान जीवन भर बने याचक हैं रघुनंदन।
अभी तक याचना देखी राम का क्रोध न जाना

झुका कर शीश चरणों में हैं जोड़ें हाथ रत्नाकर।
दया कर हे दयानिधि तुम दयामय भूल न जाना।।

मैं सागर हूं हे करुणाकर दया के आप सागर हो।
क्षमा नादान को करदो धर्म का मार्ग बतलाना।।
उदय शंकर चौधरी नादान
कोलहंटा पटोरी दरभंगा
9934775009


श्री राम का भजन : हर पत्थर भगवान हैं Shri Ram Bhajan Hindi

हर पत्थर भगवान हैं
शिला सिंधु में तैर रहा हर पत्थर में राम हैं।
हर पत्थर हैं महादेव हर पत्थर भगवान हैं।।

गहरे सागर में रघुवर ने राम सेतु बनाया।
तैर रहा पत्थर देखो नल नील की माया।।

लगे हुए राम काज में नल नील हनुमान हैं।
शिला सिंधु में तैर रहा हर पत्थर में राम हैं।।

परमार्थ के लिए गिलहरी भी न रहे हैं पीछे।
उठा गोद में श्री राम तब भाव पुष्प से सींचे।।

धर्म मार्ग पे रहे सदा जो जग में वही महान हैं।
शिला सिंधु में तैर रहा हर पत्थर भगवान हैं।।

शाप हुए वरदान ऋषि मुनियों की जय हो।
नल नील हनुमान की श्री राम की जय हो।।

पूजन वंदन किया राम ने रामेश्वर वो धाम हैं।
शिला सिंधु में तैर रहा हर पत्थर भगवान हैं।।
उदय शंकर चौधरी नादान
कोलहंटा पटोरी दरभंगा

प्रगट हुए रघुवंशमणि : राम भजन लिरिक्स हिंदी Shree Ram Bhajan Lyrics Hindi

प्रगट हुए रघुवंशमणि
प्रगट हुए रघुवंशमणि भूमंडल पर मधुमास हुआ।।
मानवता की पीड़ा का रघुवर को आभास हुआ।

बानर गिद्ध गिलहरी भी प्राणों से जिनको प्यारा था।
दीन दुखी निर्बल जन को जिसने दिया सहारा था।।

सैकड़ों सुर्य सा तेज लिए धरती से पाप उतारे थे।
ये धरा मनोरम बना दिया धरती पर स्वर्ग उतारे थे।।।

धर्म-कर्म की रक्षा हित रघुनंदन को वनवास हुआ।
प्रगट हुए रघुवंशमणि भूमंडल पर मधुमास हुआ।।

अनाचार का अंत किया ऋषि मुनियों को तारे हैं।
शापित गौतम की नारी शबरी को राम उबारे हैं।।

बड़े बड़े अभिमानी के अहंकार को चूर किया।
सत्य न्याय के लिए सदा अधर्मियों से युद्ध किया।।

ज्ञानपुंज की आभा से मानवता का विन्यास हुआ।
प्रगट हुए रघुवंशमणि भूमंडल पर मधुमास हुआ।।

अभिमान हुआ सागर को पौरुष अपना दिखा दिया।
पत्थर को भी पानी में तब नल नील ने बहा दिया।।
सच है धर्म के लिए सदा ही शस्त्र उठाना पड़ता है।।
कायर मरते हैं रोज यहाँ वीरों का नाम ही चलता है।।

झूका अनय को देख नहीं वक्त उसी का दास हुआ।
प्रगट हुए रघुवंशमणि भूमंडल पर मधुमास हुआ।।
उदय शंकर चौधरी नादान
कोलहंटा पटोरी दरभंगा
7738559421


साधना आराधना उपासना में राम हैं : राम भजन लिरिक्स हिंदी

आदर्श राम हैं
परम पुनीत सुचरित्र है चरित्र राम की।
धर्म-कर्म धैर्य धीर है पवित्र राम की।।
प्रेम प्रीति रीति नीति नेह राम नाम की।
कल्पना वंदना अर्चना श्री राम की।।

साधना आराधना उपासना में राम हैं।
युग चेतना जगत की प्रेरणा में राम हैं।।
सूर्य चंद्र में गगन में पवन में राम हैं।
कण कण इस धरा में बसे राम हैं।।

मानकर वचन वनगमन को चल दिए।
सुख ऐश्वर्य त्याग राम वन को चल दिए।।
देने आहुति कर्म की हवन को चल दिए।
छोड़ राजपाट वन भ्रमण को चल दिए।।

थी तड़प रही धरा पाप अत्याचार से।
दानवों के दंभ से डर से व्यभिचार से।।
उबारने चलें जगत पापियों के भार से।
त्रैलोक्य जीतने चलें राम सदाचार से।।

आदर्श राम हैं हम भी अनुकरण करें।
तप त्याग राम का हम सदा वरण करें।।
सत्य शिव राम सा शुभ आचरण करें।
शुद्ध मन वचन पाप ताप का हरण करें।।

ज्योति पुंज राम हैं सूर्य सा प्रकाश है।
रौशनी में राम के हीं धरा आकाश है।।
धन्य ये धरा जहाँ रामजी का वास है।
गिद्ध गिलहरी भी रामजी का दास है।।
उदय शंकर चौधरी नादान
कोलहंटा पटोरी दरभंगा।
अखिल विश्व युवा सशक्तिकरण संघ राष्ट्रीय महासचिव
9934775009


राज सिंहासन नहीं: राम भजन लिरिक्स हिंदी Ram Bhajan Lyrics

राज सिंहासन नहीं
राज सिंहासन नहीं राम ने वनवास मांगा।
भोग छप्पन त्याग राम ने उपवास मांगा।।

थे सहज सुंदर सरल और उत्तम हो गए।
वन गए तो राम मर्यादा पुरुषोत्तम हो गए।।

तार कर नारी अहिल्या को उबारा राम ने।
भीलनी के घर पधारे और तारा राम ने।।

कर्म से त्रैलोक में नर से नारायण हो गए।
निर्मल चरित्र राम का है रामायण हो गए।।

जिसने पुजा राम को राम उनके हो गए।
पापियों के पाप युग के संताप धो गए।।

दुष्ट दैत्य जो भी कोई बैर राम से किया।
अधर्मियों का अंत प्रभु श्री राम ने किया।।

प्रीति रीति नीति पुण्य धर्म कर्म के लिए।
प्राण से प्रिय राम जानकी भी तज दिए।।
उदय शंकर चौधरी नादान
कोलहंटा पटोरी दरभंगा
9934775009


राम भजन लिरिक्स भक्ति रस की कविताएं

१,
लूट ले राम खजाना, पगले,
लूट ले राम खजाना।
राम खजाना, नाम खजाना,
लूट ले राम खजाना।।

बीता बचपन गयी जवानी,
आया बुढ़ापा खतम कहानी।
गिनती की जो शांस बची है,
अब न ब्यर्थ गंवाना, पगले,
लूट ले राम खजाना।।

कौड़ी गिन गिन जीवन बीता,
फिर भी रहा रीते का रीता ।
हीरा को तो परख न पाया,
बीता जनम दिवाना, पगले,
लूट ले राम खजाना।।

तेल है कम यह जान न पाये,
टिम टिम कर दीपक बुझ जाये।
रक्खा ख़ुद को अंधेरे में,
अब काहे पछताना, पगले,
लूट ले राम खजाना।।

ना कोई चौकी ना ही दरोगा,
ना कोई राखनवारा ।
खुला पड़ा है राम खजाना,
वक्त बहुरी ना आना, पगले,
लूट ले राम खजाना।।

कुछ पल में ही बुझ जायेगा,
ब्यर्थ ये जीवन हो जायेगा।
सद्गुरु आकर कहता तुझसे,
छोड़ ये आना जाना, पगले,
लूट ले राम खजाना।।
ओमप्रकाश



२,
बहाले आंखों से आंसू,
कि दिल तेरा धुल जायेगा।
खुदा को ढूंढने वाले,
खुदा तुझको मिल जायेगा।।

कहो सारी कहो सारी,
तुम्हारी हर खताओं पर।
इसी येक मंत्र से तूं,
सारे बंधन तोड़ पायेगा।।

मुसाफ़िर चार दिन का है,
मेरे नादान बंदे तू।
ये कमरा जिसमें रहता है,
वो कल खाली हो जायेगा।।

न कोई गैर है तेरा,
न कोई तेरा साथी है,
जगत के हर दिये रिश्ते,
जगत में छोड़ जायेगा।।

तूं है एक रोज का दूल्हा,
ये बाकी सब बराती हैं।
तुझे मंडप में लाकर के,
बराती लौट जायेगा।।

न वो अपने न ये अपने,
ये सारे झूठे हैं सपने।
खुलेगी आंख जब तेरी,
तो सपना टूट जायेगा।।

उठाले राम का बीरा,
तूं करले लाल जीवन को,
जो गुज़रा वक्त यह येक बार,
फिर वापस न आयेगा।।
बहाले आंखों से आंसू,
कि दिल तेरा धुल जायेगा।।
ओमप्रकाश


श्री राम चौपाई | श्री राम भजन

सुर नर मुनि सब करे विश्वास।
उजड़ा तिमिर छाए प्रकाश।
करने काज सकल परमार्थ।
अवधपुर में जन्मे रघुनाथ।।

त्याग राज पद भय बनवासी।
घोर अवध में छाई उदासी।।
लक्ष्मण लिए चले रघुराई।
संग सहचरी सीता माई।।

श्रीराम छवि वरणी न जाए।
अति सोम्य, श्याम रूप सुहाए।।
विप्र भेष है भुजबल भारी।
नीरज नैन महा धनुधारी।।

दैत्य दलन सब चुनचुन मारे।
ऋषियों के तुम काम उवारे।।
मृदुल हृदय पाए रघुनाथा।
भगत युगों तक गावे गाथा।।

दुष्ट सकल गिन- गिन के मारे।
भक्तों के दुख आप उभारे।।
जगत के सदा हुए सहाई।
निस-दिन हरते पीड़ पराई।।

प्रेम विश्वास अति मन उपजा।
प्रीत भरत की है सम पूजा।।
ले खड़ाऊं चले सिरु नाई।
रुदन करें मन में रघुराई।।

बहुत प्रेम उपजा हनुमाना।
सम भाई उर अंतर जाना।।
दास बने सब रीत निभाई।
लंका जारी अनल लगाई।।

ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर (हि० प्र०)


श्री राम भजन लिरिक्स हिंदी Shree Ram Bhajan Lyrics Hindi

मुद-मंगलमय आपको, प्रतिदिन हो यह वर्ष।
पाएँ यश-उत्कर्ष सब, मिले निरन्तर हर्ष।।

सूर्य वंश के सम्भूषण हो।
मर्यादा के कुलभूषण हो।।
दीन दयाल परम सुखदाता।
जन जन के हो भाग्य विधाता।।

दशरथ कौशल्या के लाला।
जल थल नभ सब के रखवाला।।
शील शक्ति सौन्दर्य स्वरूपा।
मय भव भय भंजक भर भूपा।।

शत्रु विनाशक भव भय हारी।
राम राज्य के जन अधिकारी।।
जग जननी वैदेही माता।
सारा जगत नित्य गुण गाता।।

क्षत्रिय धर्म रीति निज जानी।
कुल की मर्यादा पहचानी।।
गुरु अनुशासन प्रभु ने माना।
दुष्ट दलन का प्रण है ठाना।।

कर्म कुशलता तुम दिखलाई।
खर-दूषण वध की चतुराई।।
धर्म सनातन परम पुनीता।
मार दशानन लाए सीता।।

पत्नीव्रती सुरक्षा दाता।
सन्तारक उद्धारक ज्ञाता।।
धाम अयोध्या सरयू पावन।
सबको लगता परम सुहावन।।

संवत दो हजार सतहत्तर।
द्वितिया कृष्ण पक्ष की सुंदर।।
करें भूमि का पूजन सारे।
दर्शन कर सब भये सुखारे।।

सत्य धर्म पथ को अपनाया।
सकल विश्व में मान बढ़ाया।।
शीश झुकाएँ तव यश ग्रामा।
नित्या नित्य जपे श्रीरामा।।

रचनाकार नित्यानन्द
पाण्डेय 'मधुर'
देवरिया उत्तरप्रदेश


राम भजन

जै श्री हरि
*
तन तेरा काशी बने, हृदय बने हरिद्वार।
नेह लगा श्री राम से, हो जाये उद्धार।।
*
कण कण वासी हैं प्रभु, सबके उर में वास।
ममतामई करतार हैं,मन में रख विश्वास।।
*
सत् पर चलते चलो, कोटिन हो उपहास।
कर्म करो सत् भाव से, पूरी हो हर आस।।
*
कर्म तेरा आधार है, कर्म तेरी पहचान।
तेरे पावन कर्म में, बसते कृपा निधान।।
*
सुन बिजेन्द्र अब छोड़के, अधम जनों का साथ।
सत्य भाव सत् कर्म से, कर पुरी हर आस।।
*
प्रभु की माया है सुनो, सब माया के पार।
सदा चलो सत् राह पे, निश्चित हो उद्धार।।
*
बिजेन्द्र कुमार तिवारी
बिजेन्दर बाबू


श्री रामचरितमानस के सुंदरकांड का एक अनूठा प्रसंग

हनुमान जी की भूख इतनी प्रबल है कि जब वे अशोक वाटिका में श्री सीता जी के पास गए तब उन्होंने यह नही कहा कि मुझे भूख लगी है, अपितु कहा कि -
" सुनहु मातु मोहि अतिसय भूखा।"
अति भूख भी नहीं, अपितु अतिसय भूख शब्द का प्रयोग किया। माँ ने पूछा - यह भूख के साथ अतिशय का क्या अर्थ? तो हनुमान जी ने कहा माँ! सत्य तो यह है कि मैं जन्मजात भूखा हूँ।
इस संदर्भ में बडी प्रसिद्ध कथा है, जब हनुमान जी का जन्म हुआ तो लाल लाल सूर्य दिखाई पडा और हनुमान जी ने उसको फल समझकर खा लिया। प्रश्न यह है कि क्या सचमुच हनुमानजी इतने नासमझ थे कि उन्होंने सूर्य को फल समझ लिया ? और जिस पर्वत पर हनुमान जी थे क्या उसके आसपास फलों के वृक्ष नहीं थे ?
यद्यपि पर्वत पर तो अनेकानेक फल युक्त वृक्ष थे और यदि उनका फल तोड़ना चाहते तो यह बात ठीक होती। पर इसके स्थान प्रेस सूर्य रूपी फल को खाने के लिए उन्हें कितनी लम्बी छलाँग क्यों लगाना पड़ी ? यदि विचार करके देखें तो हमें स्पष्ट प्रतीत होगा कि जिसने एक छलाँग लगाकर सूर्य को मुँह में धारण कर लिया हो वे हनुमान जी कितने विलक्षण हैं और उनकी भूख कोई साधारण नहीं है।
इतना ही नहीं फल खाने पर इंद्र ने वज्र से उन पर प्रहार भी कर दिया तथा हनुमान जी को मूर्छित होना पडा। पर जब बाद में पवन देवता के द्वारा प्राण - वायु की गति रुकने लगी तो फिर सारे देवताओं ने क्षमा- याचना की तथा हनुमान जी को वरदान दिये। हनुमानजी द्वारा इस प्रकार कार्य करने का तात्पर्य क्या है?इस पर थोड़ा विचार कर लिया जाये।
वस्तुत: श्री हनुमानजी ने किसी भ्रम के कारण सूर्य को फल नहीं समझा था।' फल' के बारे में हम पढ़ते ही हैं अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष से चार फल माने जाते हैं। हनुमानजी यदि चाहते तो उन्हें 'अर्थ 'का फल उन्हें सरलता से प्राप्त हो जाता। काम तथा धर्म का फल भी वे प्राप्त कर लेते। परन्तु पास वाले फलों की ओर हनुमान जी मे हाथ नहीं बढ़ाया , इसका अर्थ है कि उन्हे ज्ञान की भूख है, प्रकाश की भूख है। संसार की वस्तुओं की भूख उनके जीवन में नहीं है, वे तो केवल चरम फल के लिए छलाँग लगाते हैं।
श्री हनुमानजी सचमुच छलाँग लगाना जानते हैं। उनकी प्रत्येक छलाँग अनोखी है। जब उनकी पहली छलाँग तो सूर्य तक पहुंच गए। दूसरी छलाँग लंका की दिशा में लगाई तो श्री सीताजी तक पहुंच गये। तीसरी छलॉंग में लक्ष्मण जी के लिए दवा लेने द्रोणाचल पर्वत पर पहुंच गए और चौथी छलॉंग लगी तो लंका से सीधे अयोध्या पहुंच गये।
हमारे लिए तो सीढी से चढ़ना ही उपादेय है। व्यक्ति यदि यह सोचे कि मुझे अर्थ, धर्म तथा काम का फल नहीं चाहिए , मुझे तो केवल मोक्ष चाहिये यह उचित नहीं हैं।साधारण व्यक्ति श्री हनुमान जी का अनुसरण करके छलाँग तो लगा दे पर अगर छलॉंग सही न लगी तो वह नीचे भी गिर जाएगा।
इसलिये हनुमान जी की भूख मानें," सुमति- छुधा" अर्थात् ज्ञान तथा प्रकाश की भूख।
हनुमान जीने सूर्य को मुख में धारण कर लिया इसका भी अर्थ दूसरा था।हमारे पुराणों में कथा आती है कि ठीक उसी समय सूर्य ग्रहण लगने वाला था। समय पाकर ग्रहण लगता है और सूर्य का प्रकाश छिप जाता है।इसका अर्थ है कि सूर्य के साथ भी राहु की समस्या है। यह राह मात्सर्य तथा ईर्ष्या वृत्ति का परिचायक है।
वर्णन आता है कि राहु का रंग है काला और सूर्य का उज्वल। राहु यह चेष्टा करता है कि भले ही हम ज्ञान (सूर्य) को सदा के लिए न मिटा सकें पर थोड़े समय के लिए इसे ग्रस कर अंधेरा तो अवश्य फैला सकते हैं।
हनुमान जी के जन्म के समय जब राहु सूर्य की ओर बढ रहा था उसी समय हनुमान जी छलाँग लगाकर पहुँचे और उन्होंने सूर्य को मुँह मे धारण कर लिया। लोगों को लगा कि उन्होंने सूर्य को खा लिया पर विवेकी व्यक्ति समझ गये कि खा नहीं लिया अपितु राहु के द्वारा खाए जाने से सूर्य को बचा लिया , क्योंकि हनुमान जी अगर मुख में न लेते तो राहु मुख में ले लेता।
श्री हनुमान जी ज्ञान का फल मुख में धारण करते हैं , इसका सीधा सा तात्पर्य है कि जब वेदमंत्रों तथा श्लोकों का पाठ किया जाएगा तो मुख से ही तो किया जाएगा। इसलिये कहा जा सकता है कि मुख का जितना बढिया उपयोग करना श्री हनुमान जी जानते हैं दूसरा भला क्या जानेगा।जिन्होंने जन्म लेते ही सूर्य को मुख मे धारण कर लिया।
जब दूसरी छलाँग लगाने लगे तो उस समय भगवान श्रीराम ने मुद्रिका दी और प्रभु - मुद्रिका लेते ही--
" प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं"
उसे मुख में धारण कर लेते है।इसका अभिप्राय क्या है कि सूर्य को भी मुख में धारण करते हैं और ' राम -नाम' को भी मुख में धारण कर लेते है। तात्पर्य यह है कि हनुमान जी महाराज ज्ञान (सूर्य) और भक्ति( रामनाम अंकित मुद्रिका) दोनों को मुख मे धारण करते है। मुख का इससे अच्छा सदुपयोग और क्या हो सकता है।
कमलकांत पांडेय
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