Maa Beti Shayari-माँ-बेटी शायरी
माँ की तारीफ में शायरी-Maa Beti Quotes
सुन ना माँ
कुछ बातें मेरी
आज तुझसे मुझे कुछ कहना है
ससुराल नहीं अब जाना है
मुझे इस घर में सदा ही रहना है
भाई, बहन और बापू माँ से
मुझे कभी नहीं अब बिछड़ना है
भाइयों संग ही इस आंगन मे
मुझे उम्र भर झगड़ना है
बचपन की उन यादों को
मुझे समेट साथ में रखना है
ससुराल नहीं अब जाना है
मुझे इस घर मे सदा ही रहना है
आज तुझसे मुझे कुछ कहना है
ससुराल नहीं अब जाना है
मुझे इस घर में सदा ही रहना है
भाई, बहन और बापू माँ से
मुझे कभी नहीं अब बिछड़ना है
भाइयों संग ही इस आंगन मे
मुझे उम्र भर झगड़ना है
बचपन की उन यादों को
मुझे समेट साथ में रखना है
ससुराल नहीं अब जाना है
मुझे इस घर मे सदा ही रहना है
Poem On Mother In Hindi
यहाँ के खेत-खलिहान और बाग-बगीचे
मुझे सबसे ज्यादा लुभाते है
रस्सा-कस्सी, आँख-मिचौली
मुझे फिर से ये सब बुलाते है
बचपन की इन खेलों को माँ
मुझे फिर से यहिं दोहराना है
ससुराल नहीं अब जाना है
मुझे इस घर मे सदा ही रहना है
जब तू बूढ़ी हो जायेगी तो
अपने हाथ से खाना तुझे खिलाना है
मन में श्रद्धा और विश्वास भरके
माँ बापू को चारों धाम घुमाना है
जिसकी उंगली पकड़कर चलना सिखा
मुझे उसकी लाठी बनना है
ऐसे ही सेवा करके मुझे
जीवन जीते जाना है
ससुराल नहीं अब जाना है
मुझे इस घर में सदा ही रहना है
बिछड़कर तुझसे और बापू से मैं
कभी खुश नहीं रह पाउँगी
वहाँ होगी अकेली माँ मेरी
यही सोच मैं जीते जी मर जाउँगी
व्याह नाम की इन रश्मों को
मुझे नहीं निभाना है
ससुराल नहीं अब जाना है
मुझे इस घर मे सदा ही रहना है
कैसी भी आये उलझने
या समाज सुनाये ताने
तुम सब से दूर नहीं मुझे है होना
चाहे ये दुनिया माने या ना माने
जीवन रुपी इस नैया को
मुझे पार यही रहके करना है
ससुराल नहीं अब जाना है
मुझे इस घर मे सदा ही रहना है
सुलेखा सुमन
मुझे सबसे ज्यादा लुभाते है
रस्सा-कस्सी, आँख-मिचौली
मुझे फिर से ये सब बुलाते है
बचपन की इन खेलों को माँ
मुझे फिर से यहिं दोहराना है
ससुराल नहीं अब जाना है
मुझे इस घर मे सदा ही रहना है
जब तू बूढ़ी हो जायेगी तो
अपने हाथ से खाना तुझे खिलाना है
मन में श्रद्धा और विश्वास भरके
माँ बापू को चारों धाम घुमाना है
जिसकी उंगली पकड़कर चलना सिखा
मुझे उसकी लाठी बनना है
ऐसे ही सेवा करके मुझे
जीवन जीते जाना है
ससुराल नहीं अब जाना है
मुझे इस घर में सदा ही रहना है
बिछड़कर तुझसे और बापू से मैं
कभी खुश नहीं रह पाउँगी
वहाँ होगी अकेली माँ मेरी
यही सोच मैं जीते जी मर जाउँगी
व्याह नाम की इन रश्मों को
मुझे नहीं निभाना है
ससुराल नहीं अब जाना है
मुझे इस घर मे सदा ही रहना है
कैसी भी आये उलझने
या समाज सुनाये ताने
तुम सब से दूर नहीं मुझे है होना
चाहे ये दुनिया माने या ना माने
जीवन रुपी इस नैया को
मुझे पार यही रहके करना है
ससुराल नहीं अब जाना है
मुझे इस घर मे सदा ही रहना है
सुलेखा सुमन
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