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26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर कविता Desh Bhakti Kavita in Hindi 26 January

26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर कविता Desh Bhakti Kavita in Hindi 26 January

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देश भक्ति शायरी: जय जय प्यारा भारत देश | Desh Bhakti Shayari in Hindi

स्वाधीनता दिवस के उपलक्ष्य में भारत को समर्पित
पुष्प होते हैं पूजा के लिए
वृक्ष होते हैं दूजा के लिए
चना रहर मक्का भूँजा के लिए
दियरा होते हैं ककडी पटल तरबूजा के लिए।
मुर्गियाँ होती हैं चूजा के लिए
हम जीवित वतन के लिए
राष्ट्र अरि के पतन के लिए
देशभक्ति गीत

देश भक्ति शायरी | Desh Bhakti Shayari in Hindi

जय जय प्यारा भारत देश
जय जय प्यारा जग से न्यारा
शोभित सारा देश हमारा
जगत मुकुट जगदीश दुलारा
जय सौभाग्य स्वदेश
जय जय प्यारा भारत देश
बंधुत्व हमारा है एक नारा
भारत हमारा प्राणों से प्यारा
जन गण मन राष्ट्र गान हमारा
भारत हमारा सबमें विशेष
जय जय प्यारा भारत देश
नहीं यहाँ दंगल सबका मंगल
सुंदर सुगंधित भारत का जंगल
निर्मल निश्छल रिश्ता हमारा
ना कोई ईर्ष्या ना कोई द्वेष
जय जय प्यारा भारत देश
जय जय प्यारा भारत देश
अरुण दिव्यांश, 9504503560

देश भक्ति बाल कविता बालगीत : भारत बना महान Desh Bhakti Bal Kavita in Hindi 26 January

भारत बना महान
बालगीत
हम बच्चे मन के सच्चे,
हम भारत नव बनाएँगे।
नवराष्ट्र के एक एक बच्चे,
निज वतन के गुण गाएँगे।।
भारत की अलग संस्कृति,
जिसे हम भी अपनाएँगे।
इसमें कोई गर विघ्न डाला,
तो जिंदा उसे खा जाएँगे।।
भारत में ही हैं जन्मे हम,
भारत में ही तो पले बढ़े।
भारत का ही है अन्न खाया,
भारत का ही संस्कार पढ़े।।
भारत ने भारतीय बनाया,
भारतीयता का राह दिखाया।
भारतीयता का गुण पढ़ाकर,
अपने राह चलना सिखाया।।
भारत की है अलग संस्कृति,
आदर सेवा है जिसकी वृत्ति।
सभ्यता संस्कार इसकी कृति,
सबका सबसे होता है प्रीति।।
भारत का है एक अभियान,
सबको है देना मान सम्मान।
यही भारत माँ की है पहचान,
जिससे बना यह भारत महान।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना।
अरुण दिव्यांश 9504503560

Desh Bhakti Shayari-Desh Bhakti hindi kavita-26 जनवरी शायरी15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर मंच संचालन शायरी

युवा शक्ति का आवाहन
युवा शक्तियों ! जागो
माँ भारती की पुकार सुनो
अपने अंतर्मन के
प्रकाश पुंज को प्रकाश में लाओ।
अब न जिम्मेदारी से
मुँह चुराओ,
अपनी शक्ति को संगठित करो
समाज ,राष्ट्र की पतवार बनो
माँ भारती की ढाल बनो।
खुद को पहचानो
अपनी जिम्मेदारी को जानो
बीत गया नादानियों का दौर,
अब आगे बढ़ो
राष्ट्र, समाज में विश्वास भरो,
अब तो जिम्मेदार बनो
बुजुर्गों से कुछ सीखो
हौसले की मिसाल बनो,
आगे बढ़कर थाम लो तिरंगा
माँ भारती की
आन बान शान के लिए
सरहद की मजबूत दीवार बनो,
अपनी शक्ति को एकत्र करो
युवा शक्ति की मिसाल बनो।
©सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उ.प्र.
©मौलिक, स्वरचित

गणतंत्र दिवस पर शेर

कविता
बनें देश की पहचान
आओ हम सब युवा देश के
विवेकानंद सा बनें महान,
करें देश का नाम अमर,
बनें अपने देश की शान।
बनें हम सदा मर्यादित शिक्षित,
करें अपने देश का सम्मान,
विश्व में आप जहाँ कहीं जायें,
बढ़ायें विश्व में भारत का मान।
पहले अपने धर्म, वेद को जानो,
सीखो नित्य तुम अच्छे ज्ञान,
समय पर देश के लिये मरना सीखो,
कर दो जीवन देश पर कुर्वान।
अरविन्द अकेला

दिल को छू जाने वाली देशभक्ति शायरी | सरल देशभक्ति कविता

कविता
तेरे लिये निकले मेरा प्राण
हे वतन, मेरा कतरा- कतरा,
रहेगा तुझपर सदा कुर्बान,
लहराता रहे हरपल ये तिरंगा
अमिट रहे मेरे देश की शान।
तेरे लिये मैं जीऊँ सदा,
रहे तुझपर सदा अभिमान,
रहे मेरा यह देश सलामत,
तेरे लिये निकले मेरा प्राण।
बार बार जन्म लूँ इस धरा पर,
बढ़ाऊं सदा इस देश का मान,
इतनी शक्ति हमें देना दाता,
जन-जन का कर सकूँ कल्याण।
रही बचपन से"अकेला" की इच्छा,
नहीं हो कभी मेरे देश का अपमान,
रहे अखंड,अक्षुण्ण मेरा भारत,
करें शहीदों,वीरों का सम्मान।
अरविन्द अकेला


देशभक्ति कविता 2022

भारतीय संस्कृति का सम्मान

हम भारतवासी, भारतीय संस्कृति का पूरा सम्मान करें,
इसमें छुपी हर खुशी है, हम अपने आंसू को मुस्कान से।
पश्चिमी संस्कृति के जाल में फंसने से, बचाएं खुद को,
इसके अंदर ही, अपनी हर समस्या का समाधान करें।
हम भारतवासी…
भारतीय संस्कृति इस दुनिया की सर्वश्रेष्ठ संस्कृति है,
इसके टूटे और अधूरे सपनों को, मिलकर जवान करें।
हमारी सुंदर संस्कृति का लोहा, सारा जग मानता है,
क्यों न हम, इस गौरवशाली संस्कृति पर गुमान करें?
हम भारतवासी...
जो जानबूझकर, इस संस्कृति का अपमान किया करता,
उसके अभिशाप को समझकर, साथ आकर वरदान करें।
पाश्चात्य संस्कृति में चमक दमक है, इसे जानें व मानें,
चमकनेवाली हर चीज सोना नहीं, इस पर ध्यान करें।
हम भारतवासी…
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार

Desh Bhakti Shayari-Desh Bhakti Hindi Kavita

हवन हुए थे सपने, भविष्य सब गारथ हो गया था।
दिमक चाट गई वीरता,पराधीन सारा भारत हो गया था।
हर तरफ फिरंगी निगाहें, डर के साए में जिंदगी गुजर रही थी।
धर्म, संस्कृति, शिक्षा पर प्रहार था, भारतीयता सरेआम बिखर रही थी।
तभी मां भारती की जटाओं से मानो गंगा उत्पन्न हुई।
सफल होते दिखे सारे काम, स्वराज की कामना संपन्न हुई।
वह जन्मे ललाट पर सूरज चंदा और सितारों लिए।
हाथ खाली थे मगर, दामन में सपने हजारों लिए।
उनकी कलम चलती थी तो सरकारें थर्राति थी।
लेख छपता तक नहीं था पहले गिरफ्तारी हो जाती थी।
केसरी मराठा पढ़कर के, नया उमंग चढ़ जाता था।
स्वराज का दामन थामे,हर कोई क्रांतिवीर बन जाता था।
कि वह गंगाधर जो झुका नहीं अंग्रेजी तलवारों से।
जो बान चलाता था दुश्मन पर,अपने अखबारों से।
जिसने स्वराज की खातिर अंग्रेजों से समर किया।
जिसने फिर से सब के दिल में,भारतीयता को अमर किया।
थी शपथ मां भारत की उसको,अंग्रेजों को मार भगाऊंगा।
अब की हुई समर तो मारूंगा या मर जाऊंगा।
हर कोई भाषण सुन सुनकर, स्वातंत्र बेदी पर चढ़ जाता था।
16 साल का बच्चा भी खुदीराम बन जाता था।
फिर षड्यंत्र हुआ उनके ये सारे उमंग मिटाने का।
सरकारी फरमान आया लंदन से, उनको रंगून भिजवाने का ।
काल कोठरी में भी जाकर जनसाधारण को सहज आस दिया।
हफ्ते भूखे खुद रहकर, भारत को गीता का भाष्य दिया।
राना वंश मनी

देशभक्ति कविता

फूलों की सेज नहीं ये
जंग का ये एक मैदान है
डगर ये मुश्किल है मगर
हिम्मत से ही उडान है।
कुछ किया नहीं तूने
फतह किया आसमान है
काहे कि चिंता करता है
तुझ पर तो महादेव भी मेहरबान हैं।
गम ना कर ओ फौजी
तुझसे ही रौनक-ए-जहान है
रख हमेशा हिम्मत तू
हौसलों से ही तेरी पहचान है।
फौजी पति को समर्पित
रश्मि पाण्डेय
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