मनवा में चोर हो गईल : भोजपुरी कविता
विषय : मनवा में चोर हो गईल
विधा : शृंगार रस ( भोजपुरी )
दिनांक : 03 मई, 2025
दिवा : शनिवार
मनवा में चोर हो गईल
जबसे देखलीं निशा आईल गईल,
हमरा हिर्दय में भारी शोर हो गईल।
चेहरा त लउकल कोईलो से करिया,
हमरा मनवा में तबहुॅं त चोर हो गईल।
दिल लागल देवाल से परी कवना कामके,
देखत देखत मयूरी त मोर हो गईल।
प्रेमवा से प्रेम जब प्रेम से टकराईल,
देखत देखत निशा में विभोर हो गईल।
जईसहीं आवेली निशा हमरे से मिले,
निशे में निनिया त पोरे पोर हो गईल।
निशा निशे में हमरा जब जगावत रहे,
देखहीं में अंधरिया अंजोर हो गईल।
फजीरहीं चिरईं जब चहके लागल,
बात करहुॅं ना पवलीं कि भोर हो गईल।
निशा आईल कोईलो से करिया लागल,
आधी रतिया से निशा गोर हो गईल।
आईल निशा जब हमरा से मिले,
अंधरिया में बादल घनघोर हो गईल।
हम त जनलीं हमरा प्यार रहे निशा से,
जीवन बीतते निशा त थोर हो गईल।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )
बिहार।
0 टिप्पणियाँ