मैं जिस भारत की बेटी हूँ: दिल को छू जाने वाली देशभक्ति शायरी
तांटक छंद
वीर रस
मैं जिस भारत की बेटी हूँ,
उसका गीत सुनाती हूँ।
जिसका नाम विश्व में ऊंचा,
उसका नित गुण गाती हूँ।
था भारत सोने का पंछी,
आ शत्रुओं ने लूटा था।
बार-बार की लूटपाट से,
एक कोना न छूटा था।
साहसी, शौर्यवान भारत,
का कौन कुछ बिगड़ेगा।
आ देश का बच्चा-बच्चा,
इसे खूब संवारेगा।
पाकिस्तान और चीन के खिलाफ देशभक्ति शायरी
क्या हुआ जो इसका सहोदर,
नित षड्यंत्र रचाए हैं।
विवेक घुटनों में धंस रहा,
जीभा अति ललचाए हैं।
उत्तरी पड़ोसी भी नित नया,
कुटिल खोजे रचाता है।
जग में फैला कर बीमारी,
कैसी चाल चलाता है।
ललिता कश्यप
गांव सायर जिला बिलासपुर (हि० प्र०)
मातृभूमि का सम्मान: देशभक्ति कविता | देशप्रेम शायरी
अपनी मातृभूमि की संस्कृति
मित्रों विश्व में प्रख्यात है
सब धर्मो का मान यहाँ
देश-विदेश मे विख्यात है।
सब त्योहारों को मना कर
खुशियाँ यहाँ मनाते है।
ईद, दीवाली राखी, क्रिसमस
सब भाई चारा निभाते है।
छोटे बड़ों का आदर करते
बुजुर्गों के पांव पड़ते है
छोंटों- बड़ों से प्रेम बढ़ा
अपने गले लगाते है।
अपनी हो या पराई स्त्रियाँ
रिश्तों से उन्हें बुलाते है
करते है सम्मान उन्हीं का
आदर से शीश झुकाते है।
जन्म से लेकर मरने तक
संस्कार सभी निभाते है
बधाईयाँ, मंगल, घोड़ी, सुहाग
कारजों में मंगल गाते है।
विवाह हो आ जन्मदिन, मुण्डन
सब रल -मिल खुशी मनाते है
स्त्री-पुरुष नाच -गा कर
गिद्धा खूव डलवाते हैं।
माथे पर बिन्दिया, माँग सिंधूर
हाथों में मेहन्दी लगाती हैं
लम्बी उम्र तक शिंगारित रहती
सदा सुहागिन कहलाती है।
ललिता कश्यप सायर डोभा
जिला बिलासपुर (हि0 प्र0)
मैं भारत की नन्हीं चिड़िया: वतन से मोहब्बत शायरी
मै नन्हीं चिड़िया
मैं भारत की नन्हीं चिड़िया,
मटक-मटक इतराऊंगी।
उड़कर अपने कोमल परों पर,
दूर देश हो आऊंगी।
बैठ कर ऊंची टहनी पर,
मै मधुर राग सुनाऊंगी।
वैर-भाव न किसी से करके,
सब का मन हर्षाऊंगी।
सीमा का मैं भेद न जानुं,
नीडर उड़ती जाऊंगी।
देश-देश का मै रंग-ढंग,
सब देख कर आऊंगी।
सुख-दुख बांटना इस जग में,
यह संदेश पहुंचाऊंगी।
हम भारतीय दीन दयाल,
यह बात समझाऊंगी।
एक ही धरती जननी सबकी,
एक ही अंबर पालक है।
हम सब बच्चे भाई -भाई,
क्यों इक-दूजे के दुश्मन है।
ललिता कश्यप
गांव सायर जिला बिलासपुर ( हिमाचल प्रदेश)
जब -जब भीड़ पड़ी भारत पर, भीतर उठता खूब उफान: जोश भर देने वाली देशभक्ति शायरी
आल्हा छंद
जब -जब भीड़ पड़ी भारत पर, भीतर उठता खूब उफान।
क्रोध नैन उगले है दोनों, दाग रहे सब अस्त्र जवान।।
लोह भुशुण्डि दनादन गरजे, मारे तोप बम्म बौछार।
वायुयान नभमंडल डोले, जल में सेना घिरी अपार।।
योद्धा वीर गरजते ऐसे, ज्यूं गरजे मेघा आकाश।
टूट पड़े रणभूमि सिंह बन , ज्यों कौंधे ताड़िका प्रकाश।।
देश हिते लड़ने वालों सँग, हनुमान जी करे संहार।
रणचंडी सेना संग चले, योद्धा करते भीम प्रहार।।
रक्तिम धूम्र वर्ण ले नैना, खड़े हदों पर सीना तान।
अंग -भंग हो जाए चाहे, घटने नहीं दिया है मान।।
ध्वजा चूमती गगन देखकर, नित होता ऊर्जा संचार।
वीरों की ये भूमि छीनने , शत्रु करें कोशिश बेकार।।
ललिता कश्यप
गांव सायर जिला बिलासपुर ( हिमाचल प्रदेश)
आओ यारों तुम्हें दिखायें झाँकी हिंदुस्तान की राष्ट्रीय गीत
आओ यारों तुम्हें दिखायें
झाँकी हिंदुस्तान की
बन्दूक से शुरू हुई
चरखे पर ख़त्म हुई
अंग्रेजों से लड़ाई
धरती हिंदुस्तान की
सोये थे सारे भारत वासी
देखा ख़्वाब झाँसी की रानी
कूद जंग के मैदान में
लेके हाथों में तलबार को
जब खबर पड़ी भगतसिंह को
खुवाब अधूरा झाँसी का
उठा बंदूक निकल पड़े
अंग्रेज भगाने को
महात्मा गांधी ने कमान समाली
खुवाब पूरा हुया झाँसी के रानी का
मुक्त हुई धरती अंग्रेजो से
अब अंग्रेजी से कराने की बारी हमारी है।
प्रतिभा जैन
टीकमगढ़ मध्यप्रदेश
देशभक्ति कविताएँ और शायरी
विषय-गोरा-बादल का बलिदान
धन्य भूमि है भारत तेरी, सबसे अलग पहचान है,
तुमने वीर जने हैं कितने, हमको ये अभिमान है।
तुमने वीर जने हैं कितने, हमको ये अभिमान है।
देशभक्ति कविता बच्चों के लिए
सैनिकों पर हिंदी में देशभक्ति कविता
धन्य भूमि है भारत तेरी, सबसे अलग पहचान है,
तुमने वीर जने हैं कितने, हमको ये अभिमान है।
तेरी इज्जत की खातिर मां,सबकी जां कुर्बान है,
है हमको ये फख्र ये मैया, हम तेरी संतान हैं।
वीर वो धरती जहां अमर सिंह, रहते स्वाभिमान से,
प्यार उन्हें था जान से बढ़कर, अपने वतन की शान से।
काल चक्र ने कुचक्र चलाया, काली घटा घिर आयी,
खिलजी की सेना से नौबत,आर-पार की आयी।
जब देखा पापी खिलजी ने,पार कठिन है पाना,
किया षड्यंत्र उसने धोखे से,कुंवर को किया निशाना।
तुमने वीर जने हैं कितने, हमको ये अभिमान है।
तेरी इज्जत की खातिर मां,सबकी जां कुर्बान है,
है हमको ये फख्र ये मैया, हम तेरी संतान हैं।
वीर वो धरती जहां अमर सिंह, रहते स्वाभिमान से,
प्यार उन्हें था जान से बढ़कर, अपने वतन की शान से।
काल चक्र ने कुचक्र चलाया, काली घटा घिर आयी,
खिलजी की सेना से नौबत,आर-पार की आयी।
जब देखा पापी खिलजी ने,पार कठिन है पाना,
किया षड्यंत्र उसने धोखे से,कुंवर को किया निशाना।
Desh Bhakti Song Lyrics
तब पद्मिनी मां ने बढ़कर, थाम लिया बागडोर,
घोष हुआ धरती-अंबर में ,किया सबने था गौर।
गोरा-बादल पूत थे सच्चे, रानी से किये कुछ वादा,
सकुशल लायेंगे अपने कुंवर को,दृढ़ था उनका इरादा।
मां पद्मिनी साथ चली,डोली संग चतुर कहार,
मानो दुश्मन दलन को उद्यत, स्वयं कालिका तैयार।
हुई लड़ाई ऐसी जैसा, देखा ना कोई जग में,
बिजली बनकर टूट पड़े,दुश्मन के वो पग-पग में।
जो ठाना था मन में सबने,आखिर पूर्ण हुआ वो,
पर गोरा-बादल कब होते,दुश्मन से कभी काबू।
प्रलय बने वो,काल बने वो,मच गया हाहाकार,
दुश्मन सेना डरकर भागी,मच गयी चीख पुकार।
घोष हुआ धरती-अंबर में ,किया सबने था गौर।
गोरा-बादल पूत थे सच्चे, रानी से किये कुछ वादा,
सकुशल लायेंगे अपने कुंवर को,दृढ़ था उनका इरादा।
मां पद्मिनी साथ चली,डोली संग चतुर कहार,
मानो दुश्मन दलन को उद्यत, स्वयं कालिका तैयार।
हुई लड़ाई ऐसी जैसा, देखा ना कोई जग में,
बिजली बनकर टूट पड़े,दुश्मन के वो पग-पग में।
जो ठाना था मन में सबने,आखिर पूर्ण हुआ वो,
पर गोरा-बादल कब होते,दुश्मन से कभी काबू।
प्रलय बने वो,काल बने वो,मच गया हाहाकार,
दुश्मन सेना डरकर भागी,मच गयी चीख पुकार।
देश प्रेम कविताएँ हिंदी में
तभी अचानक सबने मिलकर, घेर लिया बांकुरों को,
जैसे गीदड़ घेर हैं लेते,कभी-कभी कुछ शेरों को।
जबतक जान बची थी तन में, हाहाकार मचाये,
शीश कट गये फिर भी,दोनों मस्तक नहीं झुकाये।
वीर शिरोमणि कहलाये वो,अमर बने इतिहास में,
नाम रहेगा हरदम उनका, हर सांसों की सांस में।
प्रीतम कुमार झा।
महुआ, वैशाली, बिहार
9525564374
जैसे गीदड़ घेर हैं लेते,कभी-कभी कुछ शेरों को।
जबतक जान बची थी तन में, हाहाकार मचाये,
शीश कट गये फिर भी,दोनों मस्तक नहीं झुकाये।
वीर शिरोमणि कहलाये वो,अमर बने इतिहास में,
नाम रहेगा हरदम उनका, हर सांसों की सांस में।
प्रीतम कुमार झा।
महुआ, वैशाली, बिहार
9525564374
देशभक्ति कविता: मिट्टी इसकी पावन है,सब शीष झुकाते हैं
जय भारत
मिट्टी इसकी पावन है,सब शीष झुकाते हैं,
सागर और हिमालय इसको गोद खेलाते हैं।
सिरमौर है दुनियां का ये गाथा इसकी महान है,
कण-कण इसका सोना जैसा, सुंदर ये पहचान है।
एक-दूजे को साथ लिए हम कदम बढ़ाते हैं,
सागर और हिमालय इसको गोद खेलाते हैं।
रंग रूप या खान-पान हो,चाहे अलग हो भाषा,
खुद ईश्वर ने कर कमलों से हम सबको है तराशा।
थाम के अपने हाथ तिरंगा हम फहराते हैं।
सागर और हिमालय इसको गोद खेलाते हैं।
कसम हमें है भारत मां की देश नहीं झुकने देंगे,
इस धरती पर हम दुश्मन के कदम नहीं टिकने देंगे।
देश की खातिर हंस-हंस के कुरबां हो जाते हैं।
सागर और हिमालय इसको गोद खेलाते हैं।
मिट्टी इसकी पावन है सब शीष झुकाते हैं,
सागर और हिमालय इसको गोद खेलाते हैं।
---प्रीतम कुमार झा।
बावनघाट, सिंघाड़ा, महुआ, वैशाली
बिहार, मोबाइल-9525564374
पचहत्तरवां स्वतंत्रता दिवस | प्लेटेनियम स्वतंत्रता दिवस
हजारों बलिदान हो गये इस देश में
तब पायी थी हमने ये स्वतंत्रता
आज है प्लेटेनियम स्वतंत्रता दिवस देश में
यानि पचहत्तरवां स्वतंत्रता दिवस है देश में
ना जाने क्यों इतिहासकारों ने बताया
कि अहिंसा से मिली है हमें ये आज़ादी
गीत बना दिए बिन खड़ग,बिन ढाल के
पाई हमने ये आज़ादी
किसने खाईं थीं गोलियां
फांसी पर फिर कौन झूला देश में
गद्दार जयचंदों की वजह से
खेली गई थी खून की होलियां
मुखबिरों की मुखबरी ने चढा दिया था
फांसी पर वीरों को देश में
उच्च पदस्थ नेताओं की चुप्पी ने
तबाही लाई थी भारत देश में
रक्षक का चोला पहनें भक्षकों ने
देश का कर दिया था बंटवारा
लगा दिये थे लाशों के ढेर
इस भारत देश में
हर शख्स था रो रहा
मां बहिन बेटियों की इज्ज़त को
तार तार था किया जा रहा
पर चुप था सखी
कुछ उच्च पदस्थ लोगों का जत्था
ऐसे मिली थी सखी ये स्वतंत्रता
नहीं भूलेंगे हम 15 अगस्त दिवस स्वतंत्रता
अब ना आना किसी गद्दार के बहकावे में
निभाना साथ उसका जो देश के लिए जिये
देना उसका साथ जो भारत का नाम रोशन करे
विश्व गुरु बनकर उभरेगा ये हमारा प्यारा भारत देश
लानी होगी हम सभी को मिलकर
एक क्रांति अब इस देश में
जय हिन्द
वन्देमातरम
भारत माता की जय
सुमित्रा गुप्ता सखी
आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी हिन्दुस्तान की
अपने भारत महान् की
सब भाषाओं को समेटे
एक साथ चलने वाले
भारत जैसे देश महान की
मना रहे आजादी का अमृत महोत्सव
आज से सारा हिन्दुस्तान है
७५ वीं सालगिरह का लगातार
७५ हप्ते मनाना भी अपने आप में
बहुत बड़ी बात है खुशी के पल
अच्छे काम जैसे
आज आजादी दिलाने में की वीर बलिदानियों के नाम उजागर नहीं हो पाये इतिहास से उनके नाम खोज कर उनके परिजनों की मदद की जाने
की बहुत जरूरत है
स्वरचित कविता मोटवानी बिलासपुर छत्तीसगढ़
वतन से मोहब्बत : देशभक्ति गीत
देशभक्ति गीत
गजल
वतन को अपने आबाद कराना है।
घर के भेदी से घर को बचाना है।।
एकता जो कल थी वही आज भी रहें।
बीच में आये काटों को हटाना है।।
गुलशन तो सभी फूलों से सजता है।
वतन के सही माली को जगाना है।।
बहुत खून बहा हमने अपने आप का।
अमन शांति भाईचारा निभाना है।।
तिरंगे पर कोई आच न आयें।
हिमालय से उंचा उसको उठाना है।।
वतन शरमाया हमारी मिलकते।
उसे दुश्मन की नजर से बचाना है।।
वतन कितना उंचा उसकी अजमत क्या।
सच्ची हकीकत हर दिल में बसाना है।।
'शहज़ाद 'वतन की खातिर जान लुटा दे।
वक्त आया जहां को सच बताना है।।
मजीदबेग मुगल 'शहज़ाद '
हिंगणघाट जि वर्धा महाराष्ट्र
8329309229
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