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योग दिवस पर कविता - व्यायाम पर शायरी - योग पर स्लोगन - योग दिवस पर संदेश लेखन

योग के फायदे महत्व और योग के लाभ - योग का हमारे जीवन में क्या लाभ है?

नित्य करें हम योग
हमें महान ऋषियों-मुनियों एवं महान संतों की पावन धरती पर रहने का सौभाग्य प्राप्त हैं। उन्होंने स्वस्थ जीवन व्यतीत करने के लिए अनेक कलाओं से हमें अवगत कराया। योग भी उनकी ही दी हुई अनमोल कला है। इसके माध्यम से उन्होंने हमें स्वस्थ दीर्घायु जीवन के अद्भुत कला से परिचय कराकर जीवन में अनवरत खुशियों के दीप जलाने की प्रेरणा दी। वर्तमान युग में कोरोना से बचाव के लिए योग एक रामबाण औषधि है। हम पाश्चात्य सभ्यता को अपनाकर अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे थे। वर्तमान समय में जीवन में खुशहाली लाने के लिए योग करना अति आवश्यक है। सूर्य नमस्कार, पद्मासन, प्राणायम, कपाल भाती क्रिया, शवासन इत्यादि आसनों को करने से शरीर स्वस्थ और फुर्तीला रहता है। भारतभूमि के महान सपूत महर्षि पतंजलि ने अपनी पुस्तक योगसूत्र में योग के महत्व पर प्रकाश डाला है। हम प्रत्येक दिन सुबह-शाम योग के लिए समय निकाल कर योगासन करें। इससे थकावट दूर होगी। सारे दिन शरीर में नयी उर्जा के साथ कार्य करने की क्षमता बनी रहती है। योग करने से हमारे शरीर में आक्सीजन का स्तर भी बना रहता है। हम घर में ही परिवार के सदस्यों या स्वंय किसी हवादार जगह पर नित्य योग करने की आदत अपनाएं। इस आदत से जीवन सुखमय बना रहेगा। सबके साथ खुलकर हंसना भी एक योग है। सबके साथ ठंडी हवा का आनन्द लेते हुए ठहाका मारकर हंसिए और स्वस्थ रहिए। मौसम खुशनुमा रहने पर घर से बाहर निकलकर दोस्तों, परिजनों के संग प्रकृति का आनंद लें एवं सबके साथ योग कर बीमारियों को अलविदा करें। हम सनातन संस्कृति को अपनाकर स्वस्थ रहें और मुस्कुराते रहे हैं।तन में अनवरत नयी उर्जा का संचार करें।
"कर लें हम योग
कर लें दूर रोग"
रीतु प्रज्ञा
दरभंगा, बिहार
सुबह-सुबह बस योग
करें साथ-साथ भैया।
भागे जल्दी रोग
स्फूर्ति उमंग ता थैया।

योग दिवस 2021 पर कविता - International Yoga Day Poem in Hindi - Yoga Diwas Par Kavita

योग दिवस
सुबह-सुबह बस योग
करें साथ-साथ भैया।
भागे जल्दी रोग
स्फूर्ति उमंग ता थैया।
काया कंचन होत
विलोम श्वास हो लम्बा।
जल्द थुल-थुल शरीर
दिखो जितना तुम खम्बा।
इससे ही है कायाकल्प बस
नितदिन सभी योग करें।
तनकर हुए ताकतवर जब
शरीर प्रकृति भोग करे।
भारत माता की जय हो।
धन्यवाद।
प्रभाकर सिंह
नवगछिया, भागलपुर
बिहार

आजकल के लड़के योग नहीं करते: मौजूदा हालात पर शायरी

आजकल के लड़के
आजकल के लड़के...
दूर रहते योग से
नहीं मिलते लोग से।
हरपल टिक-टिक करते
ओवर लुक ही रहते।
आजकल के लड़के...
आनलाइन तेज़ है
जगत ही कवरेज है।
प्रतिस्पर्धा चहुँ ओर है
कदम मंज़िल की ओर है।
आजकल के लड़के...
करे रूढ़ि पर उपहास है
प्रतिभा तू विश्वास है।
कम मिलते रोजगार हैं
हाँ फिर भी होशियार है।
धन्यवाद।
प्रभाकर सिंह
नवगछिया, भागलपुर
बिहार

21 जून योग दिवस पर विशेष कविता

योगा
समय शरण जब योग
बंधु वह अतिशय प्यारा।
योग हरे सब रोग
भूल से नहीं किनारा।
दूर जटिल है रोग
निरंतर सब कर योगा।
किया नहीं अभ्यास
कष्ट को उसने भोगा।
योगा कर स्वस्थ रहें सभी
सब कोई प्रचार करें।
यही हो जीवन आधार अब
मिलजुलकर विचार करें।
धन्यवाद।
प्रभाकर सिंह
नवगछिया, भागलपुर
बिहार

योग ध्यान प्रणायाम कर शरीर को निरोग बनायेंगे: योग दिवस पर स्लोगन, संदेश

इंसान के पास समय नहीं है समय के लिए
समय के पास समय नहीं है समय देने के लिए

योग ध्यान प्रणायाम कर,
शरीर को निरोग बनायेंगे।
धर्म कर्म करते हुए,
आगे बढ़ते जायेंगे।।

कभी किसी के मन को,
चोट नहीं पहुंचायेंगे।
जितना होगा उतने में,
संतुष्ट हो हम जाएंगे।।

मस्ती में रह खुशियाँ,
हम सब मिल मनायेंगे।
आई भयंकर आफत जो,
उससे निजात भी पायेंगे।।

सात्विक आहार-विचार से,
हम निरोग हो जायेंगे।
अब तो आई वैक्सीन भी,
संकट सारे छट जायेंगे।।

मास्क लगा, दो गज दूरी,
को सदा अपनाएँगे।।

रोज सबेरे उठकर
ताजी हवा खाएगें।
सूर्य नमस्कार कर
हम हरि गुण गायेंगेनाम।।

हिम्मत से बढ़-चढ़ कर फिर
आगे बढ़ते जायेंगे।
योग जीवन में अपनाकर,
चहुँदिशि खुशियाँ फैलाएगें।।
धन्यवाद
पुष्पा निर्मल
बेतिया बिहार से

करो सब योग रहो निरोग: योग दिवस पर कविता - योग दिवस पर संदेश लेखन

योग दिवस
करो सब योग रहो निरोग।
आओ हम योग अपनाये।

हम योग कर शरीर को निरोग करें
सभी को नित योगा करना सिखायें।
ध्यान-धारणा-प्राणायाम कर शरीर को स्वस्थ बनाए
छत पर जाकर सुबह ताजा ताजा हवा खायें।

सात्विक भोजन बनायें सभी को स्वस्थ बनाये।
रखें नहीं होगी कोई बिमारी मुंह पर मास्क लगा,
दो गज की दूरी बना कोरोना से पीछा छूड़ायें।

योग ध्यान प्रणायाम से मानव समाज हम बनायें
साधना सिद्धि विज्ञान एवं
पर्यावरण दूषित को हम स्वस्थ बनायें।

नहीं आयेगा बुढ़ापा अगर योग अपनायें शरीर रहेगा स्वास्थ्य सभी नियम अपनायें।
पुष्पा निर्मल
बेतिया, बिहार

यम-नियम साधना-ध्यान से होता मानव देवसम: योग पर कविता

वृत्तियों से मुक्ति
मानव के अंदर पनपता पाप,
अमन चैन मानव समाज से जाता है।

जीवन बालक का हीं अच्छा,
छल, कपट, द्वेष भावना से मुक्त रहता है।

बाल सुलभ मन- दिल का सच्चा,
तृष्णा, दंभ और लालच से दूर रहता है।

तरुणाई संग जुटता चिट्ठा कच्चा,
घृणा, दुश्मनी एवं प्रतिशोध सर चढ़ता है।

मानव विकारयुक्त हो पशुवत् होता,
यम-नियम से वृत्तियों पर संयम करता है।

साधना-ध्यान से होता मानव देवसम,
मन बालक बना रहे- हितकारी होता है।।

डॉ. कवि कुमार निर्मल
बेतिया, बिहार

कविता - योग की महिमा

रहना हो निरोग नित्य करो योग।
रहें मन मगन न हो ईश से बियोग।
कफ पित वायु रोग सब समन करे।
प्राण अपान नियंत्रित हो सुख भोग।
जरा न जरा भी फटके तन में।
सलामत रहे जवानी है आनंद संयोग।
ज्ञान विचार बढ़े चीत हो प्रसन्न।
बढ़े इक्षाशक्ती ऐसा यह हठयोग।
पैसा लगे न रुपया योग करो भैया।
रहे स्मरण शक्ति ताजा सुनो लोग।
अद्दभूत अनुपम उपहार यह साधना।
योग की महिमा लगे न कभी रोग।
सतावे न कोरोना दुर ही भागे।
रहना हो निरोग नित्य करो योग।
श्याम कुंवर भारती

योग क्या कहना चाहता है? योग के महत्व पर कविता - Importance Of Yoga

सुबह हो या शाम, रोज करो योग।
निकट नहीं आएगा, कभी कोई रोग।
जीवन परिवर्तन कर देगा, यदि तुम रोज करते हो, यह योग।

तनाव से रहोगे मुक्त, होगा नहीं कोई सोग।
सांस लेना होगा आसान, फेफड़ा संबंधी होगा नहीं रोग।
कभी भी नजरअंदाज मत करो मुझे,
दवा दारू से रहोगे मुक्त, बस नित्य करो योग।

करलो कपालभाति।,दुरस्त रहेगा अंग अंग।
शाकाहार लेकर करो,योग का सहयोग।
शक्ति से भंडार भर देगा, ऊर्जावान बढ़ेगा,
आत्मबल मिलेगा भरपूर, दूर होगा सारा जोग।।
वन्दना कूमारी
@vandanakumari38
स्वरचित गीत

योग के फायदे और महत्व पर प्रकाश डालता सुंदर और प्यारा सा गीत

योग को अपनाएंगे,
तो निरोग हम रह पाएंगे।
हर एक बीमारी से फिर,
हम हार ना पाएंगे।

योग को अपनाएंगे,
तो निरोग हम रह पाएंगे।।

लोगों को भी बताएंगे,
प्रकृति को हम बचाएंगे।
प्रदूषण ना फैलाएंगे,
तो स्वस्थ हवा हम पाएंगे।

योग को अपनाएंगे,
तो निरोग हम रह पाएंगे।।

योग करो अरे योग करो,
हम लोगों को समझाएंगे।
योग के हर एक फायदे को,
लोगों को बताएंगे।

योग को अपनाएंगे,
तो निरोग हम रह पाएंगे।।

शराब,तम्बाकू,गुटका, सिगरेट लोगों से छुड़वाएंगे,
इनसे होने वाली हानि को लोगों को बताएंगे।

योग को अपनाएंगे,
तो निरोग हम रह पाएंगे।।

आज योग दिवस के अवसर पर,
एक वादा भी हम करते हैं।
एक दिन ही योग नहीं अब,
हर दिन योग को अपनाएंगे।

योग को अपनाएंगे,
तो निरोग हम रह पाएंगे।।
हर एक बीमारी से फिर,
हम हार ना पाएंगे।

दीपांशु पांडे
अल्मोड़ा
(उत्तराखंड)

योग करने के फायदे दोहा

कर लें सुमिरन ईश का , खुशी-खुशी कर योग।
खिले- खिले हम रहेंगे, भागेंगे सब रोग।।

बढ़ती स्मरण शक्ति भी, अपना लें हम योग।
बढ़ती जाए विद्या धन, मिलत सदा सुख भोग।
रीतु प्रज्ञा
दरभंगा, बिहार
स्वरचित एवं अप्रकाशित

योग क्यों करें मात्रिक दोहावली

जीवन जीने की हमें, योग सिखाता राह।
बिना रुकावट रोग के, जीयें सुगम प्रवाह।।

अत्युत्तम पद्धति यही, मोदी देते ज्ञान।
योगी, भोगी विश्व के, देते हैं सम्मान।।

पूर्ण विश्व को भेदता, कोरोना का बाण।
बिस्तर में दस बज गये, कैसे हो कल्याण।।

प्रतिदिन के विष धो अभी,जीवन को तू भोग।
उठ प्रातः, कर योग तू, दूर भगेंगे रोग।।

रामदेव से सीख लें, काया करें निरोग।
चाय नौ बजे पी रहे, शर्मा जैसे लोग।।
डा.सत्येन्द्र शर्मा, हिमाचल।

जीवन जीने की कला दोहे

गौरव का यह है दिवस, बड़े गर्व की बात।
दूर हो गयीं योग से, घनी,विष भरी रात।।

योग विधा प्राचीन है, भूले मानुष आज।
धीरे -धीरे त्यागते, उत्तम सभी रिवाज।।

तन-मन निर्मल हो सदा, रहे व्याधि से दूर।
योग करें, मस्ती करें, जीयें हम भरपूर।।

भोगें सुख- सुविधा सभी, योग बने आधार।
काया अति सुन्दर बने, सुखमय हो संसार।।

शाला है आरोग्य की, योग और व्यायाम।
यहां आम के आम हैं, गुठली के भी दाम।।
मंजू शर्मा, पालमपुर।
*
योग पर शायरी फोटो - Yoga Diwas Par Kavita Image

तुम्हें योग करते देखा तो मेरा मन मचल गया Yoga Day Shayari

गज़ल : तुम्हें योग करते देखा तो
तुम्हें योग करते देखा तो,
मेरा मन मचल गया।
दिल पर ऐसा हुआ असर,
खुशी से मैं उछल गया।
तुम्हें योग…

बाग में इंतजार कर रहा हूँ,
तेरी अदाओं से डर रहा हूँ।
घर से चला था मैं कहीं और,
तुझे देखा, इरादा बदल गया।
तुम्हें योग…

निहारता रहा था मैं गौर से,
तेरा नाम पूछा किसी और से।
तेरे लिए धक्के भी खाए मैंने,
गिरते गिरते बचा, संभल गया।
तुम्हें योग…

मिलने तुम यहां जरूर आना,
ढूंढना नहीं कोई नया बहाना।
शाम सुहानी पधारने लगी है,
न जाने सूरज कब ढल गया?
तुम्हें योग…

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

करें योग, रहें निरोग योग करने के फायदे और महत्व पर कविता

(अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर, मेरी ओर से आप सभी मित्रों को, हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाईयां)

करें योग, रहें निरोग, यह तो लाख टके की बात है,
तन मन दोनों स्वस्थ सदा, खुशियों की बरसात है।
योग स्वस्थ रखता तन, प्रसन्न रखता मन इंसान का,
पास नहीं फटकते रोग, जब जीवन में योग का साथ है।
करें योग, रहें निरोग…

योग करनेवालों का सदा, खिला खिला रहता चेहरा,
प्यारी प्यारी अंखियों को, सपना दिखता सदा सुनेहरा।
जहां योग है, वहां से हो जाता है हर रोग का सफाया,
योग गुरु जी की अवश्य सुने, भविष्य आपके हाथ है।
करें योग, रहें निरोग…

योग से न दूरी बनाएं हम, चाहे कुछ भी कहते रहे लोग,
योग और रोग का जीवन से, लगता सीधा कोई संयोग।
बड़े बड़े फायदे हैं इसके, छाई रहती जीवन में सदा बहार,
अंधेरी रात में भी लगता है, आई चांदनी की बारात है।
करें योग, रहें निरोग…

योग आत्म और शरीर का, मिलन करता है अलबेला,
जिंदगी से भाग जाता है झमेला, योग का ही हाथ है।
योग मानव जीवन का विज्ञान है, मानते आज सभी,
योग से रोग दूर, जिंदगी को पहुंचता नहीं आघात है।
करें योग रहें निरोग…

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।

सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

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