सूर्य उपासना का महत्व | सूर्य आराधना भजन
सूर्य उपासना
उदित हो रहे सूर्य में, है केसरिया रंग।
विश्व नमन इसको करे, जीने के दें ढ़ंग।।
ज्यों-ज्यों चढ़ता सूर्य है, देखे जग की चाल।
जैसे को तैसा करे, रखता सबका ख्याल।।
कहीं धूप कदि छांँव दे, यों देता संदेश।
जीवन में यह सब चले, बचे न कोई शेष।।
जाते-जाते सूर्य भी, मुस्काते अभिराम।
जाता अब परदेस मैं, तुम करलो आराम।।
आज यहांँ पर कल वहांँ, करता रहता काम।
परहित ही उद्देश्य है, मुझे कहांँ आराम।।
अज्ञात
छठ पूजा शायरी इन हिंदी
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सूर्य की उपासना धरती है
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कतकी प्रणाम
कलम से
सूर्य का प्रकाश
नाप नहीं सकते
जन-जन के हृदय तक
इसका विस्तार है
धन धान्य समृद्धि
सूर्य की किरण के समान है
सूर्य के ताप से
तन मन धन
उर्जान्वित रहता है
आओ इसी ताप से
आपसी गर्मजोशी
बनाए रखें!
लता प्रासर
कलम से
सूर्य का प्रकाश
नाप नहीं सकते
जन-जन के हृदय तक
इसका विस्तार है
धन धान्य समृद्धि
सूर्य की किरण के समान है
सूर्य के ताप से
तन मन धन
उर्जान्वित रहता है
आओ इसी ताप से
आपसी गर्मजोशी
बनाए रखें!
लता प्रासर
सुबह का शबनमी प्रणाम
भूरभुरी मिट्टी में आलू गर्व से सोया है
या कहो किसान बहुत प्रेम से इसको बोया है
सब्जी का राजा आलू नव सृजन को तैयार
जीवन मिले सबको इसलिए बीज खुद को खोया है!
लता प्रासर
धान की खुशबू सभी दरवाजों तक आती रहेया कहो किसान बहुत प्रेम से इसको बोया है
सब्जी का राजा आलू नव सृजन को तैयार
जीवन मिले सबको इसलिए बीज खुद को खोया है!
लता प्रासर
कतकी प्रणाम
बात उनकी छिड़ी जब
हलचल होने लगी क्यों
कोई रुख पर निशाना
लगाकर बैठा है क्यों
जिंदा है वो सब जानते
तब प्रश्न हजारों है क्यों!
शबनमी शीतलता दिल शीतल रखेंहलचल होने लगी क्यों
कोई रुख पर निशाना
लगाकर बैठा है क्यों
जिंदा है वो सब जानते
तब प्रश्न हजारों है क्यों!
कतकी सुप्रभात
असीम स्नेह के सागर में डुबकी लगाकर देख लो
मन के छोटे से गागर में प्रेम पसार कर देख लो
भरना भी नामुमकिन है खाली करना भी
सुन लो ओ भोले नागर जरा दिल खोलकर देख लो!
लता प्रासर
मन के छोटे से गागर में प्रेम पसार कर देख लो
भरना भी नामुमकिन है खाली करना भी
सुन लो ओ भोले नागर जरा दिल खोलकर देख लो!
लता प्रासर
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