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तानाशाही सरकार झूठे और बेईमान नेताओं पर कविता Tanashahi Poetry On Dictatorship

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तानाशाही

मदन सहनी के इस्तीफे पर बिहार की सच्चाई

कैसे साथ निभा पाऐ जो निश्छल पथ के राही हैं।
सरकारी हर कामों में जी भारी तानाशाही है।।

जेलों में रहना था जिनको वो कुर्सी पर बैठे हैं।
मार कुंडली अंधे बहरे बिषधर तन के ऐंठे हैं।।

जनता के जो सेवक हैं वो हुक्म चलाए फिरते हैं।
अफसरशाही की मंडी में हम चैन गंवाए फिरते हैं।।

भ्रष्टाचारियों की लंबी हर ओर लगी कतारें हैं।
सुशासन बस ढोल पीटती ये अंधी सरकारें हैं।।

भले योजना जो भी हो सबमें गफलतबाजी है।
दल्लों की है फौज बड़ी हर दफ्तर में काजी है।।

उस उपवन का क्या होगा जिसमें गिद्धों का डेरा है।
हैं तोता मैना कैद सभी उल्लू ने उनको घेरा है।।

उदय शंकर चौधरी नादान
अखिल विश्व युवा सशक्तिकरण संघ राष्ट्रीय महासचिव
9934775009

तानाशाही हुकूमत पर शायरी - सत्ता सियासत चुनाव पर शायरी

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सरकार क्या करे ? सरकार पर शायरी सरकार शायरी स्टेटस Sarkar Shayari

देखी, अनदेखी
कही, अनसुनी
आमजन दहक रहा
सरकार क्या करे ?
हाथी पर रहे
मेमने कट रहे
आमजन दहक रहा
सरकार क्या करे ?
न्याय सदियों चले,
आयोग भी मनचले,
आमजन दहक रहा
सरकार क्या करे ?
बिजली पड़ी भारी,
न पानी, न तरक्की
आमजन दहक रहा
सरकार क्या करे ?
विनोद कुमार जैन वाग्वर

भ्रष्टाचार पर शायरी - झूठे नेता चुनावी वादे पर शायरी

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