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बहुत सोचता हूं बताने से पहले : जीवन के संघर्ष का वर्णन करती कविता

बहुत सोचता हूं बताने से पहले : जीवन के संघर्ष का वर्णन करती कविता

प्रबल वेग धारा है संघर्षकारी मैं बहता चला तैर आने से पहले 
कोई ना सहारा किनारा मिला है बता दूं तुम्हें हार जाने से पहले
बड़ी कशमकश है मेरी जिदंगी मे ये हाथों की रेखा भी उलझी हुई हैं
मैं खामोश रहकर छुपाता हूं हर गम बहुत सोचता हूं बताने से पहले।।
अभी भी मुसाफिर सा भटका हुआ हूं है मंजिल कठिन जोश भी कम नही है
मैं लड़ता तो रहता प्रबल योग से पर थका सारा तन आज वो दम नही है 
करुँ भी तो क्या ? प्रश्न लाखों हैं मन मे मुझे किस गुनाह की सजा दे रहा वो 
सवालों की दुनिया मे तन्हा खड़ा हूं हुए चूर सपने सजाने से पहले।।
अगर हाल का दिल का कोई पूछ लेता तो मैं जान जाता है कोई हमारा 
भले जख्म मिटते ना मिटते हमारे मगर दर्द मिट जाता हृदय का सारा 
अभी तक भी देखा है समझा सभी को हृदय ने भी मुझको ये समझा दिया है 
बन जाओ तैराक गहरे जलद के समुन्दर मे डुबकी लगाने से पहले।।
मेरी प्रार्थना है ये परमात्मा से कभी तो नजर अपनी मुझ पर भी डालो
करो माफ भी अपना बालक समझकर बिखरती हुई जिंदगी को सम्भालो
समर्पण किया है मैने अपना तन मन मुकद्दर पाने की सौगन्ध लेकर
आर्यन ' की कविता समझकर तो देखो बेवजह उसपे उंगली उठाने से पहले।।

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प्रस्तुतकर्ता - आर्यपुत्र आर्यन सिंह
( भागवताचार्य )
फोन - 9568140701

Hindi Urdu Sahitya Sansar

जीवन के संघर्षों पर कविता

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