Govardhan Puja Shayari in Hindi | गोवर्धन पूजा पर शायरी, गीत
गोवर्धन पूजा-अर्चना का विधि-विधान
यह करता पर्वत यदुवंश का बखान
कृष्ण लीलाओं का स्वर्णिम उपहार
गोवर्धन पर्वत भी है एक प्रमाण।।
एक उंगली पर उठा पर्वत
सबकी कान्हा जान बचाए
क्या गाएं, क्या इंसान सभी
कृष्ण संग पर्वत नीचे आए।।
बखान आज भी गोवर्धन पर्वत
गाथाओं में खूब पढ़े सुनाएं
कृष्ण यदुवंशी द्वारकाधीश
एक गौरवशाली इतिहास रचाए।।
आज भी बहुत परिक्रमा कर
गोवर्धन की पुण्य कमाए
महसूस करें उस नंदलला को
रुह से वो आपके समक्ष नजर आए।।
वीना आडवानी तन्वी
नागपुर, महाराष्ट्र
गोवर्धन पूजा
"गोवर्धन" की कई पौराणिक कहानियाँ सुनने में आई हैं।
सुदूर हिमालय के द्रोणाचल पर्वत कथा चलती आई है।।
अयोध्या के सूर्यवंशी श्रीराम 7135 वर्ष पूर्व थे आये।
मथुरा में अवतरित श्रीकृष्ण 5133 बर्ष पूर्व थे आये।।
दो हजार वर्षों का यह अंतरात शुन्य हुआ, अद्भुत लीला है!
पुलस्त्य ऋषि का तपोबल भी आश्चर्यजनक कहीं मिला है!!
हिमालय तीर्थ यात्रा में ऋषि को मनोहर गोवर्धन बहुत हीं भाया।
तात द्रोणांचल से स्वयं को काशिवासी कह, परिचय बतलाया।।
निवेदन किया पिता से, पुत्रवत् को मैं अपने संग ले जाउँगा।
इसका पूजन वंदन कर धन्य धन्य हो भवसागर तर जाउँगा।।
अनुमति पा ऋषि गिरिराज सर पर धर उठा कर ले आये।
दशा गोवर्धन की रखा धरा पर वहीं वह स्थापित हो जाये।।
संयोग था, मार्ग में तप करने की इच्छा ऋषि के मन में आए।
रख कर ध्यान किया वर्षों पर फिर उसे ऋषि उठा नहीं पाये।।
क्रोधित ऋषि श्राप- अहंकारी तुम घटते ही घटते लुप्तप्राय जाओगे।
तीस हजार मीटर से घट आज उसे तीस मीटर मात्र अब तो पाओगे।।
कहते हैं हनुमान ने लंका सेतु निर्माण हेतु इसे उठा लाये थे।
सेतु बनने का संदेश मिला तो वहीं रख लंका वे पलाये थे।।
इंद्र पृथ्वी पर महाप्रलय लाने की कुटील योजना बनाई।
कृष्ण डूबते गोकुलवासियों की गोवर्धन धर जान बचाई।।
सात दिन पर्वत उठा चिटली अंगुली पर, अस्थायी नगरी बसाई।
प्रभु महालीला लख ग्वाल ग्वालिनों की आँखे डब डब भर आईं।।
वृष्टि थमी तो लीलाधर ने पर्वत को भूमि पर पुनः रखा।
आज चलो करते मिलकर गोवर्धन गिरिराज की पूजा।।
डॉ. कवि कुमार निर्मल
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