Shri Chitragupt Aarti | Chitragupt Bhagwan Ke Bhajan | Chitragupta Stuti
चित्रगुप्त जी की स्तुति | Chitragupt Bhagwan Ki Aarti Stuti
चित्रगुप्त भगवान के सभी भक्त वंधु इस आरती का प्रयोग श्रीचित्रगुप्त पूजा के दौरान कर सकते हैं।
स्तुति/प्रार्थना/आरती
ऊँ जय श्रीचित्रगुप्त हरे
ऊँ जय श्रीचित्रगुप्त हरे,
स्वामी जय श्रीचित्रगुप्त हरे,
हम भक्तजनों के संकट,
पल में सब दूर करें।
ऊँ जय...।
श्याम वर्ण हैं रूप तुम्हारे,
ब्रम्हा,विष्णु,महेश के तुम प्यारे,
लेखकाक्षरदायकम तुम्हीं हो,
हम तेरे दरबार खड़े।
ऊँ जय...।
एक हाथ में कलम हैं तेरे,
दूजे में दावात धरे,
जन्म-मरण के तुम हो ज्ञाता,
स्वामी हम तेरी शरण पड़े।
ऊँ जय...।
तुम हीं मेरे कुल के स्वामी,
तुम हीं हो अंतर्यामी,
सदा सद् मार्ग दिखाते रहना,
बनूँ नहीं कपटी, कामी।
ऊँ जय...।
तुम हो बुद्धि-विवेक के ज्ञाता,
तुम हीं सबके भाग्य विधाता,
हमसब कलमजीवी पुत्र तुम्हारे,
स्वामी हम सबके दुख हरें।
ऊँ जय...।
प्रभु जो कोई तुमको ध्यावे,
कभी नहीं कष्ट पावै,
भक्तिभाव से करे जो तेरी पूजा,
मनवांछित फल पावै।
ऊँ जय...।
अरविन्द अकेला
चित्र-का मतलब तस्वीर यानि फोटो Chitragupt Bhagwan Ke Bhajan
चित्रगुप्त महाराज जी के पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं आप सबों को।
चित्रगुप्त
सबसे पहले
चित्रगुप्त का मतलब-
चित्र-का मतलब तस्वीर यानि फोटो
गुप्त-गुप्त का मतलब अंदर की बात बाहर प्रकट न हो यानि गुप्त बात।
आज है चित्रगुप्त महाराज जी का पर्व
हमें है कायस्थ जाति होने का गर्व,
क्योंकि हम हैं उन्हीं देव पुरुष के वंशज
जो करते हैं हम सबों के जन्म-मरण का लेखा-जोखा
इसीलिए हम सभी करते हैं उन्हें शत्-शत् नमन
जो-जो करते हैं अच्छे बुरे कर्म
उनपर रखते हैं वो कड़ी नजर,
खींच लेते हैं वो तुरंत उनकी फोटो
नहीं होने देते किसी को कोई खबर।
अच्छे कर्म करने वाले को भेजते हैं स्वर्ग
बुरे कर्म वाले को भेजते हैं नरक,
वो रखते सबका बही-खाता और
उसी को देखकर सबको देते हैं कर्मफल।
बस संत महात्मा हीं हैं ऐसे महापुरुष
जो स्वर्ग नरक पर करते खखार,
और उनको मिलता है अपवर्ग
क्योंकि वो देते हैं सबको ज्ञान
और करते हैं सदा सत्य व्यवहार।
उन्हीं संत महात्माओं में आते हैं
हमारे चित्रगुप्त जी महाराज,
ईश्वर के हैं ये काया
बस जन्म-मरण, लेखा-जोखा
हीं है उनका काम- काज।
इसीलिए मेरे भाई कभी न करना ऐसा काम
जिससे चित्रगुप्त महाराज जी को लिखना पड़े
खाता-बही में आपका नाम,
करना सदा तुम अच्छा काम
जिसमें न हो लोभ, मोह, और भय
सभी एक साथ बोलो चित्रगुप्त महाराज की जय।
नीतू रानी " निवेदिता "
पूर्णियाॅ॑ बिहार
चित्रगुप्त भगवान की आरती
ज्ञान और धन
गणेश देते हैं ज्ञान और बुद्धि,
सरस्वती देती विद्या और स्वर।
कुबेर देते हैं हीरे सोना चाँदी,
लक्ष्मी अन्न रुपये से भरतीं घर।।
ज्ञान बुद्धि से धन हैं सुरक्षित,
विद्या स्वर भी बनाता महान।
ज्ञानहीन अन्न धन सब खोता,
विद्याहीन मूर्ख निपट नादान।।
गणेश शारदा बुद्धि विद्या द्योतक,
कुबेर लक्ष्मी अन्न धन जवाहरात।
बुद्धि विद्या से जो हो जाते हीन,
होता जीवन में घनी अँधेरी रात।।
गणेश बिन माँ लक्ष्मी भी अधूरी,
ज्ञान बिन महत्वहीन है यह धन।
दुर्व्यसनों का वास होता है तन में,
लोभ क्रोध ईर्ष्या में बढ़ता मन।।
बुद्धि से ही ज्ञान भी है मिलता,
बुद्धि से ही मिलता है यह धन।
बुद्धि से ही हम शिक्षित हैं होते,
बुद्धि बिन मृतप्राय होता है तन।।
ज्ञान की बारिश हो झमाझम,
बूंदा बांदी अन्न धन की बारिश।
निमग्न रहें अपने कर्मपथ पर,
बनकर फिरें न हम लावारिश।।
अरुण दिव्यांश 9504503560
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