Motivational Hindi Poems | Motivational Kavita in Hindi
कविता
शीर्षक- कायरता
जीवन के लक्ष्य डगमगाये है, छाये है जब भी मुढ़ता।
मुझकों इस परिवेश ने कैसी सिखा दिया है कायरता।
अन्याय देख तुम मौन रहो,
कभी धिक्कार नही कर सकती।
गलत राह भी सही हुई है,
अपनो का उजाड़ नही कर सकती।
कभी अपनो के विरुद्ध आवाज़ें,
तुम ऐसा व्यवहार नही कर सकती।
इतना तो चलता ही है,
क्या तुम अंगीकार नही कर सकती।
कलमों को रोको तुम अपनी,
वारदातें कभी उघार नही कर सकती।
जिस घर में पली-बढ़ी हो,
उस पर अत्याचार नही कर सकती।
यहां बिक जाती है पत्रकारें,
कभी सही समाचार नही कर सकती।
जहाँ इशारों पर छपती है ख़बरें,
वहाँ कुछ अखबार नही कर सकती।
जो खुद झुठे आदेशवाहक हो,
वो कुछ भी सरकार नही कर सकती।
यह चोरों की बस्ती है सुन लों,
यहाँ सच का व्यापार नही कर सकती
पूनम यादव
वैशाली बिहार से
मोटिवेशनल कविताएँ ! Motivational Poem in Hindi प्रेरणादायक कविता : मैं निरंतर बढ़ती रहूंगी
कविता - जीत कर
मैं निरंतर बढ़ती रहूंगी, चाहे दुनिया देखती रहे आँखे तरेर कर।
मेरे कदम उस वक्त भी नही रुकेंगे, जब पूरी दुनिया खड़ी हो मुझे घेरकर।
जब उम्र मेरी फुल की थी, तभी से शुरू है शूल की वारिष।
आखिर बचा कौन है यहाँ जो मुझे कहा न होगा लावारिस।
कभी माँ-बाप की हैसियत, पुश्तैनी, आखिर लोगो ने किस-किस को नही कोसा।
पर तब भी और अब भी मुझे अपने बाजुओं पर है पुरा भरोसा।
क्यों शक है लोगो को मेरे हौसले, हिम्मत और सभ्यतामयी सीख पर।
ओ मुझसे नफ़रते करनेवाले लोग सब रखले अपनी हाथों पर लिखकर।
जिस दिन मौका मिले आयेगे पूरी मजबूती के साथ इस महफिल में लौट कर।
इन तमाम दुनिया वाले को दिलों मैं रख दुंगी सरेआम जीत कर।
पूनम यादव
वैशाली बिहार से
प्रेरणादायक कविता : इस जहाँ में सबको सबसे प्रीत ही प्रीत हो Motivational Hindi Poem
कविता
जिद है कि वफा में
जिद है कि वफा में अब हमारी जीत हो।
सबकी मैं, मेरी तो दुनिया सारी मित हो।
नफ़रते उभर सके नही किसी भी छोड़ पर
इस जहाँ में सबको सबसे प्रीत ही प्रीत हो।
धुले जाए कड़वाहटे अब हमारे बोल के
गुजारिश है कि यहाँ हर लबों पर गीत हो।
मिलने मिलाने का सबको गले लगाने का
हो मधुर संबंध और मधुरता हमारी रित हो।
खुशियाँ बिखेरे चमन में मौसमों के जोश ने
ये ग्रीष्म, शिशिर,बसंत चाहे ऋतुएं शीत हो।
ये हसरते दबने न पाये स्वाभिमानी लोगो के
विस्तार हौसलों का अब हर रगो में नित हो।
आभा व उर्जाओ से भरे हो तन मन यहाँ
खिले- खिले चेहरे सभी के सुंदर चित हो।
खुल के, हॅस के, कस के जिये सब जिंदगी
यहाँ किसी को किसी से ना जरा भी भीत हो।
पूनम यादव
वैशाली बिहार से
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