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अपराध पर शायरी | अन्याय के खिलाफ शायरी Crime Shayari अन्याय पर कविता

बढ़ते हुए अपराध पर शायरी | जुर्म के खिलाफ शायरी Crime Shayari अन्याय पर कविता

कविता
धीर-धीरे-धीरे खत्म हो रहे जिदंगी के View
ऐ खुदा! ले रहे हैं आप कैसे-कैसे Interview
Dhire Dhire Khatm Ho Rahe Hain Zindagi Ke View
Aye Khuda Le Rahe Hain Aap Humse Kaise Kaise Interview
अपराधों के हौसले बड़े बुलंद हो रहे हैं।
न्याय तो धीरे-धीरे यहाँ मंद हो रहे हैं।
Apradhon Ke Hosle Bade Buland Ho Rahe Hain
Nyaay To Dhire Dhire Yahan Band Ho Rahe Hain
न्यायालय से न्याय जैसे जुदा हो गया है।
क्यों आज बहरा हमारा खुदा हो गया है।
Nyayalay Se Nyaay Kaise Judaa Ho Gaya Hai
Kyon Aaj Bahra Hamara Khuda Ho Gaya Hai
साजिशों से ज़माने के परेशान हो गये हैं।
क्यों मौन व्रतधारी भगवान् हो गये हैं।
Sazishon Se Zamane Ke Pareshan Ho Gaye Hain
Kyon Maun Vrat Dhari Bhagwan Ho Gaye Hain
आज सब घायल दिलों की मेरी दांस्ता सुनो।
बचा विकल्प कह रहा मौत का रास्ता चुनो।
Aaj Sab Ghayal Dilon Ki Meri Dastan Suno
Baccha Vikalp Kah Raha Maut Ka Rasta Chuno
आखिरी विनय भी सुन लिजिए हमारी।
तस्वीर से निकलकर निभाइए जिम्मेदारी।
Aakhri Vinay Bhi Sun Lijiye Hamari
Tasvir Se Nikal Kar Nibhaiye Zimmedari
इन विश्वासों से पर्दा भी तब उठ जाएगा।
प्राण सबका जो असमय ही लुट जाएगा।
Ine Vishvasu Se Parda Bhi Uth Jayega
Pran Sabka Jo Adamya Hi Loot Jaega
पूनम यादव
वैशाली बिहार से
अपराध पर शायरी -  Crime Shayari Image
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