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महात्मा गांधी पर कविता शायरी Poem On Mahatma Gandhi In Hindi

महात्मा गांधी जी पर शायरी और कविता Mahatma Gandhi Shayari and Kavita

महात्मा गांधी पर कविता हिंदी में : पूज्य बापू, कुछ अधूरे सपनों संग

पुण्य तिथि पर बापू को नमन
(30 जनवरी 1948)
पूज्य बापू, कुछ अधूरे सपनों संग,
आपने त्याग दिए थे, अपने प्राण।
आजीवन चलते रहे कांटों पर आप,
हम सबके लिए बांटते हुए मुस्कान।
पूज्य बापू, कुछ अधूरे………..

आपकी हर पुण्य तिथि लेकर आती,
हम भारतवासी के जीवन में वरदान।
“हे राम” आपकी अंतिम पुकार बना,
ईश्वर अल्ला दोनों में आपकी शान।
पूज्य बापू, कुछ अधूरे………….

सीने में जब लगी थी आपको गोली,
थम गई थी सत्य अहिंसा की बोली।
मानवता लहू लुहान हो गई थी तब,
हे राम, के साथ, निकाल गई जान।
पूज्य बापू, कुछ अधूरे…………

भर गई थी असत्य, अहिंसा की झोली,
बिदा हुई जब राजघाट को अर्थी डोली।
करुणा के महल को ढहते हुए देखकर,
भारत के साथ सारा जग था परेशान।
पूज्य बापू, कुछ अधूरे……….

जग में, बीज अमन के बोता राजघाट,
कोई तड़पता, तो रोता भी है राजघाट।
पुण्य तिथि पर कोटि कोटि नमन मेरा,
यह जहान कैसे भूल सकता है एहसान।
पूज्य बापू, कुछ अधूरे…………..

सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)


गांधी जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं

महात्मा गांधी पर कविता हिंदी में

“रघुपति राघव राजा राम,
मन को भाता तेरा नाम।
याद आते हो सुबह शाम,
बनाते सबके बिगड़े काम।”

पूज्य बापू को नमन
(पुण्य जयंती पर कोटि कोटि प्रणाम)
आओ साथियों करें हम सब, पूज्य बापू को नमन,
02 अक्टूबर 1869 को, हुआ था बापू का जन्म।
बापू की लाठी का, है सारी दुनिया ने देखा दम,
उनके लिए सत्य और अहिंसा, सबसे बड़ा धरम।
आओ साथियों करें…………….

बंद कर दी गोली की बोली, और हवा गई थम,
जग के कोने कोने में लहराया, शांति का परचम।
जीवन में कहीं किसी पर, वे होते नहीं थे गरम,
अहंकारी अंग्रेजों का भी, तोड़कर दिखाया भरम।
आओ साथियों करें……………..

उनकी मधुर बोली के आगे, लाचार परमाणु बम,
जख्मों पर हमेशा वे, लगाना जानते थे मरहम।
किसे काम को करने में उन्हें, बिल्कुल न शरम,
जीवन बीताया सादा, पर अलबेला और अनुपम।
आओ साथियों करें……………...

पिता करमचंद, मां पुतलीबाई, पत्नी कस्तूरबा,
व्यवहार बापू का दुनिया में, सबके साथ नरम।
तकलीफ़ देखकर किसी की, आंखें उनकी नम,
असत्य हेतु असंभव था, खाना कभी भी कसम।
आओ साथियों करें………………

सेवा भाव रहा मन में, वे राष्ट्रपिता कहलाए,
देखकर विचार उनका, बदल जाते थे मौसम।
ऊंच नीच के खिलाफ वे, रहे जीवन में हरदम,
जहां जाते, बारिश सत्य अहिंसा की झमाझम।
आओ साथियों करें………………..…

उनके सच्चे अनुयाई, शास्त्रीजी की भी जयंती,
जय जवान जय किसान, नारा लगा अनुपम।
आओ साथियों करें…………….

बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत बोलो,
अपने व्यवहार से किसी को, दो नहीं जख्म।
फल वैसा मिलता उसे, जैसा कोई करता कर्म,
साबरमती के संत को, अपना आदर्श मानें हम।
आओ साथियों करें………………

सीखना चाहिए बापू से, कैसे निभाए जाते वचन,
मन बापू का इतना मजबूत, हिला पाए न गम।
दूर उनके दिल से कभी, हो सका नहीं रहम,
ऐसे राष्ट्रपिता पर मित्रों, क्यों न इठलाएं हम?
आओ साथियों करें………………

सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

गांधी जी पर कविता | अहिंसा पर कविता | महात्मा गाँधी दिवस

महात्मा गाँधी दिवस
तुझे नमन हे अहिंसा के पुजारी,
बापू मोहनदास करमचंद गाँधी।
सत्य अहिंसा के बल चलनेवाले,
आजादी हेतु तूने समा ऐसी बाँधी।।
काले गोरों का देखकर भेद तुमने,
अत्याचार सहन न तूने कर पाया।
किया विरोध तू अकेले ही दम पर,
जन जन तक तूने संदेश पहुँचाया।।
चल पड़ा यह पूरा देश तेरे पीछे,
जगी आग स्वतंत्रता की दिल में।
धूल चटाई तब दुश्मनों को तुमने,
आजादी रूपी पुष्प लगी खिलने।।
हुआ विभाजन तब यह दो दल में,
नरम और गरम दल कहलाया था।
रास्ते तो थे अलग दोनों ही दलों के,
मंजिल दोनों ने एक ही बनाया था।।
गरम दल के थे सब क्रांतिकारी नेता,
नरम दल सत्य अहिंसा भोले भाले।
चल पड़े थे दोनों ही मार्ग से अपने,
सबके अपने थे ये कार्य निराले।।
गरम दल था तब हथियार बना,
नरम दल तब बना था बूटी जड़ी।
धूल धूसरित कर तूने धूल चटाई,
टूटने न पाई किसी की कोई कड़ी।।
फिरंगी भगाया तिरंगा भी लहराया,
आजादी ए जश्न पूरे देश में मनाया।
मिटा गुलामी और मिली आजादी,
आजाद भारत का संविधान बनाया।।
जिसने देश में दिया अमन सबको,
ऐच्छिक विचार ऐच्छिक गमन है।
गरीबी में भी देश को संभालने वाले,
बापू गाँधी तुझे कोटि कोटि नमन है।।
अरुण दिव्यांश 9504503560

महात्मा गाँधी

कायम था जब अंग्रेजी शासन,
तब कहाँ सब लोग धरे पड़े थे।
शरणार्थी बने हुए थे कहीं के,
या घरों में ही निज छुपे खड़े थे।।
बरस रहे थे जब क्रूरता जन पे,
तब क्यों न कोई जन ये अड़े थे।
हो रही महिलाओं संग बर्बरता,
तब क्या हर कोई यहाँ लड़े थे ?
गोरे काले का जब भेद हुआ था,
तब संग उनके आया कौन था ?
कहाँ गया तब मस्तिष्क उनका,
तब हर कोई यहाँ क्यों मौन था ?
वकालत छोड़ तब भारत आया,
आंदोलनात्मक बिगुल बजाए थे।
चले सब उनके सहयोग में पीछे,
तन मन से पराक्रम दिखाए थे।।
असफल दिखा अहिंसा आंदोलन,
गरम दल ही दूसरा भाग बना था।
तन मन धन भी न्यौछावर करके,
हर क्रांतिवीर सीना तान तना था।।
आजादी मिली किसी एक से नहीं,
किन्तु महात्मा गाँधी तब आगे थे।
माँगा था सहयोग आंदोलन हेतु,
तब क्रांतिकारी वीर भी जागे थे।।
नरम होता है तभी प्रभावशाली,
जब अगला भी कोई गर्म होता है।
थे सभी स्वाधीनता के ही दिवाने,
नरम गरम मिल संघर्ष किये थे।
भारत माँ की बेड़ी तोड़ने के हेतु,
हँसते हँसते प्राण सहर्ष दिये थे।।
न करें इनमें कोई दलगत ये बातें,
तब दल भी हमारा यही एक था।
रचा बसा था रग रग में देशभक्ति,
निष्ठा लग्न परिश्रम भी नेक था।।
भूलेंगे नहीं किसी कीर्ति को हम,
गद्दारों को नहीं हम अपनाएँगे।
भारत देश में ही तो हैं जन्मे हम,
गर्व से भारत वासी कहलाएँगे।।
सत्य मार्ग पर तुम चलना सीखो,
मिथ्या से तो मतभेद हो जाएगा।
सभी पूज्य हैं आजादी के दिवाने,
गद्दारों को क्यों कोई अपनाएगा।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।

दो अक्टूबर महात्मा गांधी जयंती पर कविता

आज दो अक्टूबर महात्मा गांधी जयंती के उपलक्ष्य में उन्हें सादर कोटिशः नमन। महात्मा गांधी जयंती के उपलक्ष्य में महात्मा गांधी जी के चरणों में समर्पित एक भोजपुरी गीत समर्पित :
आँधी शीश बाॅंधी गाॅंधी,
तूफान लिहले दाबि काॅंखी। 
साॅंस लिहल कईले हराम, 
गाॅंधी अहिंसा लेईके।।
अफ्रीका में दुराचार देखि, 
अफ्रीका के देखि बघारल शेखी। 
मुम्बापुर से जल्दी कईले पयान,
गाॅंधी अहिंसा लेईके।
करियन पे चलावे कोरा,
लाश पर दउरावे घोड़ा। 
करि दिहले धरना विशाल,
गाॅंधी अहिंसा लेईके।।
अफ्रीका से भारत अईले,
गोरन के विरोध जतईले।
कोना कोना फईलल विरोधी आग,
गाॅंधी अहिंसा लेईके।
महात्मा फुफकारे बन धर्मनाग,
अंग्रेज लोग अब जल्दी भाग s 
अंत खुलल आॅंधी तूफान,
गाॅंधी अहिंसा लेईके।।

पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश


राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वी जयंती और लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती पर कविता

अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस स्वच्छता दिवस की आप सभी को हार्दिक बधाई....

शत-शत नमन
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी
आजादी के दूत गांधी,
नित करूं तुम्हें प्रणाम।
घर-घर में पहुंचाया तुमने,
शांति प्रेम का ही पैगाम।।

तड़प रहा जब भारतवासी,
खून खोलता जब अंग्रेज।
आन बचाने को भारत की।
हिंसा से जब किया परहेज।।

एक हाथ में शस्त्र अहिंसा,
दूजे में ले गीता ज्ञान।
प्रेम-शांति बलिदान का,
मन से किया पूर्ण सम्मान।।

नहीं झुके अंग्रेजों के सम,
बात सभी ने स्वीकारी है।
इसीलिए भारत का हर बच्चा,
बापू का आज्ञाकारी है।।

हे प्रेम अहिंसा के अवतारी,
हम सब का शत-शत प्रणाम।
राष्ट्र-प्रेम की अलख जगा कर,
दिया हमें अमृत वरदान।।
रामबाबू शर्मा
राजस्थानी,दौसा(राज.)

महात्मा गांधी जयंती पर कविता Mahatma Gandhi Jayanti Poem

दो अक्टूबर
दो अक्टूबर, दो अक्टूबर
दिन ये बड़ा महान है
अवतरित हुए दो पुष्प आज थे
जिस से महका हिंदुस्तान है
एक देश की शान है यारों 
दूसरा अपना अभिमान है
एक तो राष्ट्रपिता कहलाए
एक राष्ट्र का भ्राता है
दो अक्टूबर, दो अक्टूबर
दिन ये बड़ा महान है
उत्सव मना रहें जोरो से
जग मग हिंदुस्तान है
महात्मा गाँधी ने अहिंसा से
भारत आजाद कराया था
बहुत सहे जुल्म अंग्रेजों के
रघुपति राघव गाया था
सत्य अहिंसा की राह से
दुनियाँ को अवगत कराया था
पाकिस्तान के सदर अयूब
ने भारत पर नजर गढ़ाया था
तब शास्त्री ने हिंदुस्तान के
नौजवानो कॊ ललकारा था
जय जवान जय किसान का नारा
गली गली में गूंजा था
घबरा कर तब सदर अयूब तो
दुम दबा कर भागा था
दो अक्टूबर, दो अक्टूबर" लक्ष्य"
दिन ये बड़ा महान है
अवतरित हुए दो पुष्प आज थे
जिस से महका हिंदुस्तान है

स्वरचित निर्दोष लक्ष्य जैन


गांधी जी पर कविता : मुक्त आत्माओं के प्रति

गाँधी की आँधी फिर आएगी।
शुद्र विप्लव विश्व में लायेगी।।

बहुत सही हमने बरबादी।
नहीं चाहिये टोपी खादी।।

घन संचय को जो प्रश्रय देगा।
अनैतिकवादी विप्र नहीं होगा।।

दो कीलों से पेट नहीं भरेगा।
पाँच का परिवार जब होगा।।

दल बदल का खेल यह छोड़ो।
आर्थिक आजिदी से जोड़ो।।

साहित्य सदन तब हीं चमकेगा।
दीन की बात कवि जब बोलेगा।।

चंदन टीका भले दो लगवालो।
भय लहरों का सब भुला लो।।

पैसों का आदान प्रदान बंद जब होगा।
हर को घर राशन पानी तबहीं होगा।।

आओ हम गाँधी बन अलख जगायें।
वैश्विक मोनोभोलेंट प्रजातंत्र लायें।।

गैरिक स्वस्तिक ध्वज फहरायें।
शांति पाठ नहीं विप्लव लायें।।
डॉ. कवि कुमार निर्मल

बापू तेरे देश में : गांधी जयंती पर पोयम Special Poem On Gandhi Jayanti

बापू तेरे देश में
देखों क्या क्या हो रहा है
बापू तेरे देश में
बेटी भी अब नहीँ सुरक्षित
बापू तेरे देश में
घूम रहें है आज दरिंदे
इंसानो के भेष में
कानून कॊ भी ठेंगा दिखा रहें
सरे आम बाजार में
कालाबाजारी का बोल बाला है
बापू तेरे देश में
पीस रहा महंगाई में
आम इन्सान तेरे देश में
मर रहें है भूख के मारे
गरीब तेरे देश में
पढ़ाई में भी राजनीति है
बापू तेरे देश में
भ्रष्टाचार का बोल बाला है
बापू तेरे देश में
देखों क्या क्या हो रहा है
बापू तेरे देश में
महंगा पानी सस्ता खून
बापू तेरे देश
घूम रहें है आज पाखंडी
बाबाओ के भेष में
क्या सोचा था क्या हो गया
बापू तेरे देश में
हिंसा का तांडव मचा है
बापू तेरे देश में
गौ माता भी नहीँ सुरक्षित
बापू तेरे देश में
नारी भी अब नहीं सुरक्षित
बापू तेरे देश में
सरे आम माँस शराब का
व्यापार तेरे देश में
लूट रही है रोज नारी
बापू तेरे देश में
अहिंसा का अब नहीँ ठिकाना
बापू तेरे देश में
इन्सानियत अब खत्म होगई
" लक्ष्य" बापू के देश में
स्वरचित
निर्दोष लक्ष्य जैन

बापू पर कविता लिखी हुई महात्मा गांधी पर कविता गाँधी जी पर शायरी Poetry on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी पर कविता | महात्मा गांधी पर शायरी

प्रकाश हैं वो सत्य के,आकाश हैं गांधी।
जन -जन के प्रिय आत्मा, विश्वास हैं गांधी।
राही हैं अहिंसा के तलाश हैं गांधी।
जन-जन के प्रिय आत्मा, विश्वास हैं गांधी।
जलाये दीप प्रेम का किये वो उजाला।
सेवा में खुद को राष्ट्र हित,तन-मन मिटा डाला।
त्याग की मिसाल हैं,एहसास हैं गांधी।
जन-जन के प्रिय आत्मा, विश्वास हैं गांधी।
उनके हीं गुणों को सभी, जीवन में उतारें।
बढ़ जाये मान देश का,अब खुद को संवारें।
कण-कण में उनके रूप हैं, निवास हैं गांधी।
सदियों न भूल पायेंगे, अविनाश हैं गांधी।
जन-जन के प्रिय आत्मा, विश्वास हैं गांधी।
प्रीतम कुमार झा
युवा कवि, गायक सह शिक्षक, महुआ, वैशाली, बिहार

महात्मा गांधी पर बाल कविता कविताएं

गांधी बाबा के पद चिन्ह
सत्य, अहिंसा होगा हमारा हथियार,
चलें गांधी बाबा के पद चिन्ह पर यार।
बहाते चले विश्व शांति की बयार,
कर्म पथ चलने को रहें सदा तैयार।
हिंसा न है किसी समस्या का समाधान,
अपनाकर बापू के आदर्श बढ़ाएं राष्ट का मान
बनना है हमें मां भारती का सच्चा लाल,
रखें याद सदा राष्ट्रपिता के स्वर्णिम ताल।
रीतु प्रज्ञा
दरभंगा, बिहार

गांधीजी के बारे में कविता

हमारे पास गांधी
कविता....
गांधी को तो विश्व चाहे।
गांधी के दुश्मन कहा से आये।।
सत्य अंहिसा परोधर्म नारा।
गांधी ने कहा विश्व हमारा।।
मानव मानव पर तरस ना खाये।
वह इन्सान कही जहन्नूम में जाये।।
खूद में अच्छाई भर औरों को दिया सुख।
गांधी जीवन चरित्र वास्तव में बना खूब।।
एक धोती पंचा खुद से बना पहना कपड़ा।
विश्व छान मारा ऐसा दुसरा नहीं छपडा।।
अंधेरे के काले धंदे चारों तरफ अंधेरा।
गांधी समझ ने वालों को तो मिला सबेरा।।
मोहनदास करमचंद गांधी।
कर्म वास्तव में लगें आंधी।।
बापू कह के भारत पुकारा है।
सभी ने कहा गांधी हमारा है।।
गांधी कितने दुश्मन बने तुम्हारें।
फिर भी लगते हो आप सभी को प्यारे।।
धन दौलत सोने की खाने उनके पास चांदी।
इन सब से महंगा हमारे पास है गांधी।।
कवि : मजीदबेग मुगल शहजाद
हिगणघाट, जि, वर्धा, महाराष्ट्र
8329309229

गर आज यहाँ गाँधी होते– गांधी जयंती पर कविता

सत्यानुरागी गाँधी के पावन पाद -पद्मों में समर्पित है श्रद्धा के दो शब्द -पुष्प -
'गर आज यहाँ '
'गर आज यहाँ
गाँधी होते --
तो सर अपना
पत्थर से फोड़ते।

देख हमारी -
करतूतें
उनकी आँखों से
आँसू झरते।
'गर आज यहाँ
गाँधी होते।

कहाँ गया सत्य
गयी कहाँ अहिंसा
कहाँ गया
प्रेम -अनुराग;
दया -करुणा
की बात न पूछें
ये सारी हुई
अब बीते बातें।

तकली उनकी
गयी ताक पर
चरखा उनका
हुआ नीलाम;
कोई क्यों करे अब
वस्त्र की चिंता
जब हमाम में नंगा है
सारा अवाम।

युवकों की तो
बात न पूछें
युवतियाँ तनिक भी
कम नहीं।
गाँधी को गाली देने में
आती उनको शर्म नहीं।

गोरे की चमड़ी से मोटी
है काले की चमड़ी,
कितने ही कोड़े मारें
बोलेंगे नहीं हरदी।

कब तक चलेगा
यह नाटक,
गाँधी जी के नाम का?
आएगा कब वह
रामराज्य सुनहला
गाँधी के अरमान का?

मेरे कविता -संग्रह "रागानुराग "से -
सादर, सस्नेह प्रेषित

गांधी जयंती पर शुभकामनाएं Gandhi Jayanti Wishes

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी एवं लाल बहादुर शास्त्री जी की पावन जयंती की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाऐं
देश के दोनों महान सपूतों को कोटिश नमन
आशा दिनकर 'आस'
नयी दिल्ली

गांधी जयंती पर विशेष सुविचार गांधी जयंती पर शुभकामनाएं

ये दुनिया थाल है खाली पड़ी है उसमें इक रोटी
मियाँ वह बाँट कर खाओ तो गांधी तुम भी बन जाओ
गांधी जी ने कभी एक बात कही थी कि "आप मुझे तकलीफ दे सकतें हैं मुझे कैद कर सकतें हैं मुझे नष्ट भी कर सकतें हैं पर आप मेरे विचारों को नहीं बदल सकतें हैं और न ही नष्ट कर सकतें हैं"।
यह सब बातें ही बापू को महात्मा गांधी बनाती है कि आज़ादी मन में बसती है शरीर भले ही जंजीरों से लिपटा हो।
काश के आप भी आपने विचारों की तरह अमर होतें।
प्रिया सिंह Priya Singh

गांधी जयंती पर मुक्तक | गांधी जयंती पर दोहे

गांधी-शास्त्री रत्न थे, भारत मां की शान।
दो अक्टूबर जन्म दिन, गाएं सब गुणगान।।
दो अक्टूबर को हुए, भारत में दो संत।
सरल, नेक थे अति कुशल, प्रतिभा रही अनंत।।
सारे भारत देश में, दोनों रहे महान।
ढूंढ़े मिलते हैं नहीं, अब ऐसे इंसान।।
ओम प्रकाश खरे जौनपुर

गांधी जयंती पर शुभकामना संदेश Happy Gandhi Jayanti

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